Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 02:17 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
एक तरफ रूपाली भाभी मेरे बीज से माँ बनी और दूसरी तरफ तबस्सुम दीदी अपनी राज़ी खुशी से अपने घर को उजाड़ने से बचाने के लिए अपने पति का रिश्ता तोड़ देने के डर से ही तो मुझसे हमबिस्तर हुई थी वो...पर रूपाली भाभी को तो भूल से गर्भ ठहरा था ....तबस्सुम दीदी ने कहा कि खाना ख़ाके जाओ....और वहीं हुआ मुझे जीजा जी और उनके साथ ही रात का भोजन करना पड़ा बुआ ने खाना भी पॅक किए दिया कहा कि माँ को भी खिलाना इस बीच माँ के मेरे देर हो जाने से एक आध बार कॉल्स भी आए...एक तो माँ उपर से मेरी घरवाली उसे तो मेरी फिकर होनी ही थी मैने उसे कहा कि मैं तबस्सुम दीदी के यहाँ आया हूँ तुमसे आके बात करूँगा तो वो फिर निश्चिंत हुई....

एक बार फिर रोशन और राहुल को अपनी गोद में लिए खिलाया वाक़ई चेहरा मुझसे ना मिलता जुलता हो पर एक खिचाव सा था उनके प्रति मेरा...तबस्सुम दीदी की गोद में बच्चा देते हुए मैं वहाँ विदा हुआ और घर लौटा..माँ ने खाना तक नही खाया था...इसलिए बुआ की दी सब्ज़ी और तरकारी उनके सामने खोल दी...माँ ने कहा तू कुछ खा ले मैने कहा ख़ाके आया हूँ पर फिर भी माँ का दिल रखने के लिए मैने उनके साथ थोड़ा सा रात्रि भोजन और कर लिया....फिर हम वापिस बिस्तर पे आके लेटे कुछ देर माँ मुझसे बतियाती रही तबस्सुम दीदी के बारे में उनके ससुराल के बारे में पूछने लगी मैने बताया सब हँसी खुशी में चल रहे है...तबस्सुम दीदी ने दो बेटों को जो जनम दिया वो दिखने में निहायती हसीन है (तारीफ मेरे खुद के बच्चो की मैं कर रहा था जिससे माँ अंजान थी)

पूरी रात तबस्सुम दीदी और खुद की चुदाई के वाक़यो को सोचते हुए ही मुझे नींद आई....अगले दिन जब मेरी नींद खुली तो माँ ने ही मुझे जगाया वरना ऑफीस के लिए लेट हो जाता.....इस बीच माँ और मैने मुंबई जाने के लिए तय्यारी भी पुरज़ोर कर ली थी...इसलिए माँ ने तारीख पास आते आते सारी पॅकिंग कर ली थी....मैने माँ से कहा चल इस बीच कुछ महँगा गिफ्ट समीर भाई और उसकी होने वाली बीवी के लिए खरीद लेते है....तो माँ ने मेरे गाल खीचे...."अर्रे तेरी सोफीया आंटी है वो रे बाबा "...........

."हाहाहा आंटी थी पर अब भाभी जो बनने जा रही है"......

."हाए रे ये लड़के क्या से क्या बना देंगे अपनी माँ को .....माँ शरमाते हुए हंस पड़ी...मेरी भी हँसी छूट गयी..

हम शहर के बड़े महँगे दुकान गये पहले तो सेलेक्षन में ही साला काफ़ी टाइम पास हुआ उसके बाद ही मैने एक महँगी तस्वीर खरीदी जो माँ को भी जची साथ ही साथ में माँ ने एक बहुत ही महेंगी काम की हुई साड़ी सोफीया आंटी के लिए खरीदी....दो-तीन तोफो को निक़ाह के लिए खरीदने के बाद हमने उन्हें अच्छे से पॅक करवा लिया...

"पर बेटा ये सब हम फ्लाइट में ले जा सकेंगे? ........

."अर्रे हां माँ सब तो चला जाएगा पर ये तस्वीर इसका कॉच ना टूट जाए मैं एक काम करता हूँ समीर को इत्तिला करके ये उसके घर शिपमेंट करवा देता हूँ पार्सल में भी क्या मालूम टूट जाए? मेरे बहुत जानने वाले है जो डेलिएवेरी आउट ऑफ टाउन करते है संभाल के ले जाएँगे".........माँ को मेरा ये आइडिया अच्छा लगा

मैने समीर को सर्प्राइज़ देने के लिए वो तस्वीर भिजवा दी....साथ में एक वेड्डिंग कार्ड में भी लिख के दिया..."तो बिलव्ड समीर आंड फॉर हर वाइफ सोफीया शादी की ढेरो मुबारक"......ये लिखते हुए मैने वो तस्वीर वाला तोहफा ऑफीस में दिया जिन्होने मेरे रेफरेन्स पे उन्हें मुंबई भेज दिया बोला कुछ दिन में ही पहुच जाएगा....अब चलो देखते है समीर कितना खुश होता है? कही वो ये बुरा ना मान ले कि हम आ नही रहे पर पहले तोहफा ही फॉरमॅलिटी के लिए भेज दिया....


समीर का 4-5 दिन हमारे फ्लाइट छोड़ने से एक दिन पहले कॉल आया वो काफ़ी खुश हुआ उसे पैंटिंग काफ़ी अच्छी लगी उसने कहा कि सोफीया को भी वो पैंटिंग काफ़ी पसंद आई है अब मैं जल्द से जल्द बस निक़ाह में शरीक़ हो जाउ....मैं बस मुस्कुराया और उसे शादी की ढेरो बधाई दी....उसे ये सर्प्राइज़ तो माँ ने बताने से मना किया जो सोफीया आंटी जानती थी कि माँ भी उन माँ-बेटों के निक़ाह में शामिल होने वाली थी मेरे साथ

सोफीया : अर्रे पगले तूने आदम की माँ अपनी अंजुम आंटी का ज़िक्र किया (सोफीया ने अपने बेटे की तरफ हैरत से देखते हुए कहा उसे तो लगा जैसे सोफीया और अंजुम दोनो ही उनके शादी में आके उसके बेटे को सर्प्राइज़ देने वाली थी)

समीर : हाहाहा अब जितना हमसे छुपा लो तुम अपने राज़...उतना ही जानूँगा मैं वो सब तेरी बातें (माँ शरम से लाल हो गयी उसकी चोरी पकड़ी गयी )

समीर : हाहाहा असल में उस दिन मैने टेबल पे दोनो माँ-बेटे यानी कि आदम और अंजुम आंटी को एकदुसरे से छेड़ करते हुए देखा और वो जिस तरीके का छेड़ कर रहे थे उससे मुझे तो सॉफ हो गया कि दोनो के बीच कुछ तो पुआ पक रहा है क्यूंकी एक माँ और बेटे वैसे तो एकदुसरे को छेड़ते नही वो छेड़ तो मिया बीवी के ही बीच होता है ...पर मैं कन्फर्म नही था...और शक़ तो तभी से था जब आदम खुद अपना जॉब बसा बसाया सबकुछ छोड़ होमटाउन से वापिस दिल्ली आया था...उस वक़्त उसके दिल-ओ-दिमाग़ पे लस्ट छाया हुआ था अपनी माँ के प्रति...
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