Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 02:17 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
सोफीया : हाए अल्लाह तुम्हे तो सबकुछ पता चल गया

समीर : ह्म शातिर हूँ मैं मेरी जान मेरा दोस्त जितना भी छुपा रुस्तम रहे उसकी असलियत तो मैं पहचान ही लेता हूँ...हाहाहा दरअसल मैं खुद पहले घबराया कि कही आंटी को हमारे रिश्ते के बारे में मालूम ना चल जाए लेकिन उस दिन एर टिकेट्स निकालते वक़्त न जाने क्यूँ मन हुआ एक बार आदम से बात कर ही लूँ...अब जब टिकेट्स निकाली थी तो वो सॉफ कह देता कि मैं तो माँ को लेके आउन्गा नही...पर वो तो एकदम खुश हो गया आंटी ने मुझे जब इनफॉर्म किया तभी मेरा शक़ यकीन में तब्दील हो गया....कि बेटा एक तरफ मुझसे झूठ बोल रहा है कि माँ को उसकी कुछ नही मालूम फिर एकदम से उसकी माँ ही मुझे कॉल की बड़ा कन्फ्यूज़्ड हो गया था मैं..

तब आयने की तरह सॉफ मुझे मालूम चल पड़ा कि बेटे आदम मियाँ तुम तो हमसे भी बड़े वाले मजनू निकले...गुपचुप दोनो माँ-बेटे होमटाउन शिफ्ट भी हो गये जहाँ जाने से भी आंटी को इतना नफ़रत और देखो किस्मत का खेल सच खुद ही सामने आ गया है

सोफीया : हाहाहा बेटा तू अपने दोस्त को ग़लत मत समझ वो तो बस तुझे सर्प्राइज़!

समीर : अर्रे मेरी जान इसी लिए तो मैने कुछ नही कहा अब तक चुप रहा ताकि आदम खुद मुझे ये राज़ बताए मैं जानता हूँ आंटी को निक़ाह में लाने का मतलब है मुझे सर्प्राइज़ ही देना लेकिन एक बात बताओ तुम्हें आंटी की मज़ूद्गी चाहिए निक़ाह में वो भी आना चाहती है तो इस बीच आदम ने बेवकूफी ना की यह कह कर कि हां अंजुम आंटी तो बिल्कुल आएँगी बोलो बोलो

सच में समीर जितना व्यभाचरी था उतना ही उसकी सोच भी ऐसे रिश्तो को पकड़ लेती थी...समीर को थोड़ा बुरा लगा कि शायद आदम ने उसे गैर ही समझा जो आजतक अपनी माँ और खुद के रिश्ते को छुपाते आया था....लेकिन वो जानता था आदम ऐसा नही है...शायद उस वक़्त जब उनके घर आखरी बार आए थे दिल्ली में तो पहेल कर रहे हो...लेकिन आदम ने सॉफ इनकार किया उसका अपनी माँ के प्रति कोई ऐसा सोच विचार नही...और समीर को भी लगा सोफीया हुई तो क्या? सोफीया जैसी हर माँ तो नही हो सकती

समीर शक़ के घेरे में ही रहता अगर उस रात आदम ने उसे फिर कॉल ना किया होता...वो चुपचाप बियर की चुस्की ले ही रहा था कि इतने में आदम का कॉल आया....समीर ने फिर अंजान बनके पहले आदम को सलाम किया फिर हंस के खुशी लहज़े में बात करने लगा.....

आदम : भाई हमारी माँ हमे सर्प्राइज़ देना चाह रही थी कि तेरे निक़ाह में माँ शामिल होगी तू सोचेगा उस वक़्त अबे ये क्या हो रहा है? हाहहहा

समीर : अबे मैं जानता हूँ साले तू बड़ा छुपा रुस्तम निकाला कोई नही कोई नही

आदम : हाहाहा सॉरी यार मैं उस वक़्त कुछ नही कह पाया जानता है क्यूंकी उस वक़्त माँ और मेरे बीच टालमटोल जैसे रिश्ते चल रहे थे....अब हम इकट्ठे है एक साथ है और तू तो जानता है एक साथ का मतलब

समीर : ह्म पर यार सोफीया ने मुझे बताया कि आंटी को कोई ऐतराज़ नही हमारे निक़ाह से :कन्फ्यूज़2:

आदम : बिल्कुल भी नही बल्कि जबसे उसे व्यभिचारी रिश्तो में ढाला है तबसे वो ऐसी हो गयी है कि अब उन्हें ये रिश्ता पाक दिखता है

समीर : तू भी साला सच बताना झूठ तो नही कह रहा चल माँ को तेरी मालूम चल ही गया हमारे रिश्ते के बारे में तो भी क्या सच में वो तेरे साथ रोज़ रात हमबिस्तर होती है ह्म

आदम समीर के मन की जिग्यासा बखूबी पढ़ सकता था...इसलिए उसने सिर्फ़ मुस्कुराए लहज़े में हल्का सा हंसा...तो समीर खुद पे खुद समझ गया कि आदम सच कह रहा था....फिर दोनो भाई एकदुसरे को अपने रिश्ते की मुबारकबाद देते हुए बात करने लगे....जब आदम ने फोन कट किया तो उसने पाया माँ उसके सामने पीठ किए बैठके झुककर फ्रिड्ज के पॉट से सब्ज़िया निकाल रही थी....माँ की लचकदार कमर बेटे के सामने थी....आदम ने अपने प्यज़ामे में अपने उभार को सहलाया....इस्शह क्या माँ का पिछवाड़ा दिख रहा है पेटिकोट के खिचाव से उफ्फ कितने उभरी हुई नितंब है माँ की....

आदम : माँ (बेटे ने आवाज़ दी तो अंजुम ने गले को आँचल से पोंछते हुए मूड कर बेटे की तरफ देखा)

अंजुम : क्या हुआ?

आदम : लगता है धक्के थोड़े हल्के हल्के मारने पड़ेंगे तेरी कमर और गान्ड दोनो उभर के उठ रही है

अंजुम : हाए अल्लाह कैसी बातें करता है अपनी माँ से तू? (मन ही मन अंजुम शरमा भी रही थी)

अंजुम : इसी लिए तो कहती हूँ तेरा कद्दू मुझे बहुत चुभता है आहिस्ते ही करा कर वरना पेटिकोट मेरा किसी दिन तेरी ही हरकतों की वजह से फॅट जाएगा

आदम : उफ़फ्फ़ माँ ऐसी बात ना कहो मैं तो चाहता हूँ कि इस्पे सिर्फ़ मेरी ही नज़र पड़े

अंजुम : ओह हो आज अपनी माँ को ही लाइन मार रहा है पहले तो नही देखता था ऐसे वैसे भी वक़्त के साथ साथ ढलती उमर में शरीर में चर्बी बढ़ ही जाती है

आदम : अर्रे ये तो मेरी मेहनत का कर्म है माँ जो तुझे मेरा खानपान लग रहा है वरना पिता जी के टाइम में तो तू एकदम सुखी हड्डी थी

अंजुम ने शरमाते हुए बेटे की तरफ देखा....आदम ने चाहा आगे बढ़के माँ के नितंबो को सहलाए पर उसे देरी ही किस बात की थी? पूरा वक़्त था उसके पास दो जने ही तो घर में उपस्थित हुआ करते थे और था ही कौन? जब चाहे गेट लगाओ और शुरू हो जाओ माँ भी तो हर टाइम राज़ी थी चाहे किचन में थामो उसे या किसी भी वक़्त बिस्तर पे लेटके टाँग खोलने का वक़्त वो ज़्यादा नही लेती थी...
Reply


Messages In This Thread
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत - by sexstories - 12-09-2019, 02:17 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,487,864 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 542,946 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,226,570 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 927,648 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,646,351 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,074,135 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,940,006 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,020,839 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,018,479 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 283,645 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 13 Guest(s)