Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 02:26 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
माँ : देख बेटा तेरी दीवानगी हवस नही है उसकी हवस होगी लेकिन बाद में वो हवस माँ के प्रेम में बदल गयी....माँ को दवाइया दी तो वो ठीक ज़रूर हुई पर उसने अपने बेटे को खुद से दूर करने का फ़ैसला किया बेटे ने किसी से रिश्ता नही जोड़ा ना माँ को अपने से अलग होने दिया...धीरे धीरे उसकी माँ को उसकी आदत लग गयी कमाई वहीं करता माँ सिर्फ़ सब्ज़िया बेचती थी...फिर एक दिन इन प्रेम संबंधो के बीच एक तूफान आया जिसने इस घर को वीरान कर दिया



आदम : कैसा तूफान?



माँ : संडास करते वक़्त कोई सिपाही जी थे वो अक्सर सुबह सुबह पास में आया करते थे बस उसने देखा कि विधवा का घर है उसके मन में शैतान घुसा और वो खिड़की से अंदर का जायेज़ा लेने लगा तो जो उसने देखा तू तो जानता है गाँव में ब्रा पैंटी बहुत कम ही पहनी जाती है और लूँगी ही यहाँ की पोशाक है उस औरत का बेटा नगन अवस्था में उसकी माँ के साथ संबंध बना रहा था और यही चीज़ उस सिपाही ने देख लिया...बस फिर क्या था? उसका तो सिर फॅट गया...ना ही सिर्फ़ उसने उन दोनो को रंगे हाथो पकड़ा बल्कि उस औरत के साथ बुरे करम करने की कोशिश की....बेटे ने तुरंत उस सिपाही जी को मारने की कोशिश की पर बेचारा कुछ ना कर पाया...पिट गया...उसने उन दोनो को धमकिया दी कि वो गाँव में ये बात फैला देगा...दोनो डर गये



अगले दिन पूरे ग्राम वासी आए थे यहाँ लेकिन उन माँ-बेटों को खोजा नही गया..दोनो कहीं भाग चुके थे कहीं दूर...और तबसे लेके आजतक ये घर खंडहर ही बना हुआ है..



आदम : ह्म इंट्रेस्टिंग वैसे माँ ग़लती बेटे की थी पर धीरे धीरे उसकी माँ ने आपत्ति इसलिए नही की होगी कि शायद उसके मन में भी बेटे के लिए घृणा और अपने प्रति एक लत सी लग गयी हो एक विधवा औरत थी क्या मालूम कि उसे मन करने लगा हो कि क्सिी मर्द से चुदे



माँ : हाए अल्लाह छी तू भी ना



आदम : हाहहाहा लेकिन जो भी हुआ बहुत बुरा हुआ...



इस बीच हम खामोश हो गये...माँ घर का जायेज़ा लेने लगी तो मैने माँ के पीठ पे बारिश की हल्की बूँदें देखी तो उस पर अपना हाथ रखा माँ पसीने पसीने इस उमस भरी गर्मी में हो रही थी...माँ इससे हड़बड़ाई और उसने मेरी तरफ पलटके देखा....."आज हमे कौन देखेगा? चल आज यही सुहागरात मना ले"......वक़्त भी था और जगह भी रात 9 से पार हो चुका था और नेटवर्क मोबाइल का लग नही रहा था जिससे पिताजी का कॉल आ सके...बरसात तेज़ हो रही थी और अंदर दो जिस्म तन्हाई के इस आलम में पास आने को छटपटा रहे थे...



मैने माँ की साड़ी खीचके उतार दी फिर उसके साया को हटा कर उसके ब्लाउस के हुक को भी खोलते हुए आगे के बटन्स को भी उतार डाले...माँ ने ब्लाउस खुद ही अपने बाज़ुओं से अलग की फिर मेरे आस्तीन पे फँसे शर्ट को अपने दोनो हाथो से खीचके उतार ली..



फिर मैने माँ के बाल क्लिप से खोल दिए..और उनके बिखरते ही मैने उनका चेहरा हाथो में लिया और उनके होंठो को चूसा....माँ ने भी सहमति से अपनी ज़बान मेरे मुँह में धकेली....हम एकदुसरे के होंठो को चूसने लगे....धीरे धीरे सारे कपड़े एक जगह इकहट्टा किए मैने बाहर का जायेज़ा लिया इस मूसलधार बदिश में कौन आता?......मैने माँ को वैसे ही गोद में उठा लिया तो उसने दोनो टांगे मेरे कमर में लपेट ली....



"माँ तू पहले से वज़नदार हो गयी".....



."देख लेटना मत वरना पूरे शरीर पे मिट्टी लगेगी और फिर खुजली होगी अब देखु तू मेरा कितना बोझ उठा सकता है?"......



.मैने माँ की चुचियो को बारी बारी से मुँह में लिए उसकी पीठ दीवार सटा दी...माँ मेरी गोदी में और उसकी बुर के बीचो बीच मेरा तना हुआ लंड....उसने हाथ नीचे ले जाके अपने मुंहाने पे मेरा लंड घुसाया...तो वो पच से अंदर घुसा...फिर मैने माँ के चुतड़ों को कस कर हाथो में मसल्ते हुए उसके पूरे जिस्म को गोदी में लिए दबोचे...करार धक्के पेले...



अयीई ससस्स.......माँ गोदी में जैसे पश्त पड़ गयी उसने मेरे कंधे और गाल को चूमना शुरू किया तो नीचे से मैं उसकी चूत को फ़चा फ़च अपने लंड से चोदने लगा...माँ हर धक्के में काँप उठती....ऐसा सुख कहाँ था?......धीरे धीरे माँ को जब संभालना मुस्किल हो गया तब भी मैं उसे वैसे ही गोदी में उठाए उसकी चुदाई लगातार करता रहा....



फिर माँ को खड़ा किया गोदी से उतारा....फिर उसने झुकक्के मेरे लंड को चुस्स लिया...आज माँ को बिना कहे ही मैने लंड चुसते देखा था...उसने मेरे लंड को मुट्ठी में लेके पहले पचकारा फिर उस पर ज़बान लगाई फिर उसे मुँह में लिए आगे पीछे मसल्ते हुए चूसा....



"अफ माँ आहह ससस्स".....



.स्लूर्रप्प माँ के मुँह से निकलती सिसकियो में अपने लंड की चुसाइ की आवाज़ो को सुन मेरा मन मचल उठा...



फिर लंड चूस्ते हुए उसने खुद ही उठके घोड़ी की मुद्रा की...फिर मैने उसकी चूत पे खखारते हुए अपने थूक को चूत पे पूरा मला उसे गीला किया फिर अपना मोटा लंड उसकी चूत में दुबारा दे घुसाया..



.माँ हल्का काँपी और फिर उसने पूरा लंड अपने अंदर तक खीच लिया उसकी गीली चूत की फ़च फ़च आवाज़ निकल रही थी...और मैं ताबड़तोड़ पाँच धक्को में ही जैसे फारिग होने को हो गया...फिर मैने कुछ देर थामे रहना ही मुनासिब समझा फिर माँ की कमर और पेट को सहलाते हुए कस्स कस कर उसकी चुदाई शुरू की



"आहह सस्स ऐसा ही चोद्द मेरे बाबू आहह ससस्स अपनी बीवी को पीछे से करना बेटा हाहहाहा".......



."कुछ भी आहह ससस्स वाहह क्या मटकते हिलते चूतड़ है तेरे".......माँ के हिलते चुतड़ों को दबोचते हुए थप्पड़ मारते हुए मैने कहा...फिर मैं उसकी दना दन डन चुदाई करने लगा...



कुछ ही देर में मैं संखलन के नज़दीक पहुचा तो माँ ने मुझे रोका नही उसने कस कर अपनी चूत में मेरा लंड भीच लिया जिसकी सख्ती से में झड़ने लगा..."उफफफ्फ़ उहह म्मामा आहह"....मैं काँपते हुए माँ की चूत में गरम गरम वीर्य की धार छोड़ने लगा...जब तक मैने पूरा माँ की चूत को भर नही दिया मैं माँ को वैसे ही कमर से जकड़ा घोड़ी बनाए उससे लिपटा रहा...जब हम दोनो फारिग हुए तो एकदुसरे से अलग हुए



फ्यूक की आवाज़ के साथ लंड की निकलती वीर्य की लार जो माँ के छेद के भीतर तक लार बनके जुड़ी हुई थी लंड को बाहर निकालते ही दरारों से लंड के सुराख से आज़ाद होते हुए निकल रही थी उसे माँ ने अपने हाथो से ही पोंच्छा...फिर हम दोनो थोड़ा हान्फ्ते हुए एकदुसरे को देखके मुस्कुराए....."अब संतुष्ट हुआ तू हाहहाहा".......



.मैं भी माँ की इस बात से हंस पड़ा उसका चेहरा एकदम गुलाबी था हम एकदुसरे के गले लग गये...



कुछ देर बाद बारिश हल्की हो गयी तो हमने अपने कपड़े ठीक से झाड़ते हुए पहने....माँ ने साड़ी इस बीच पूरी तरीके से पहन ली थी...फिर दीवार के कगार पे रखी मोमबत्ती को भुजाया उसे डिब्बे में डाला फिर हम बाहर आए सब्ज़ियो का झोला बाइक के हॅंडल पे फँसाया माँ खड़ी रही तो मैने बाइक स्टार्ट किया माँ मेरे पीछे मुझे कस कर पकड़े बैठी...फिर मैने बाइक को रास्ते की तरफ मोड़ा और फिर हम वहाँ से चल दिए..



मैं बहुत थक गया था फिर भी बाइक और माँ दोनो को संभाले चला रहा था....माँ के चेहरे पे संतुष्टि के भाव थे उसकी ये मुस्कुराहट चुदाई के बाद अक्सर देखने को मिलती थी....शायद ही अब इसके बाद हमे वक़्त मिले....एक बार माँ ने कहा कि तुझे डर लगा?...



मैने कहा नही तो भूत प्रेत कल्पना है माँ क्या मालूम वो माँ-बेटे कही किसी जगह रह रहे हो और एक नये रिश्ते की शुरुआत नये सिरे से की हो...माँ ने कुछ ना कहा बस मेरे कंधो पे सर रखके आँखे मूंद ली उसे जैसे नींद आ गयी थी...



हम वापिस रेल पटरी ब्रिड्ज क्रॉस किए टाउन लौटे फिर अपने फ्लॅट..माँ उतरी और फिर मैने बाइक पार्क की दरवाजे पे दस्तक दी....तो पिताजी ने कहा कहाँ रह गये थे तुम दोनो ऐसे बिना बताए कहीं जाता है कोई?...........



माँ ने कहा बस सब्ज़िया खरीदने गयी तो तूफान शुरू हो गया हमे कहीं ठहरना पड़ा......



पिताजी ने कहा हो सकता है आजकल बदली मौसम चल रहा है तो खैर फिर भी कह कर जाते मैने कितना तेरे नंबर पे ट्राइ किया आदम....



मैने कहा लग नही रहा था मैने भी ट्राइ किया....हम ने थोडी बातचीत की उसके बाद फ्रेश होने बारी बारी से गुसलखाने गये....



माँ आज मेरे साथ नही सोई शायद चुदाई की थकान से खाना वाना बनाने के बाद डिन्नर कर फारिग हुए वो पिताजी के कमरे में ही सो गयी थी....मैं भी पष्ट पड़ गया था तो सो गया...खंडहर में माँ और अपनी चुदाई के सीन ख्वाबो में भी देख रहा था





वो दिन भी आ गया जिसका मुझसे ज़्यादा मेरे घरवालो को इन्तिजार था....मेरे घरवालो से मतलब मेरी माँ और अब पिताजी को भी ...ये एक ऐसा दिन था जहाँ से मैं एक शादी शुदा ज़िंदगी में कदम रखने वाला था...वेंटकेश हॉल के लिए हमे जल्दी निकलना था...पिताजी गाड़ी लेने गये थे और मैं घर में तय्यार हो रहा था राजीव दा ने वादा किया था कि वो पक्का आएँगे पर वो किसी कारणों से ड्यूटी जाने के लिए रुखसत हो गये ....उनकी पत्नी यानी ज्योति भाभी माँ को लेके ब्यूटी पार्लर तय्यार होने ले गयी....



मैं कमरे में अपनी शेरवानी और दूल्हे का सेहरा सब ठीक करते हुए उसे पहनके देख रहा था....मैने इस दिन का कभी ख्याल नही किया था सोचा नही था कि यह दिन भी आ जाएगा...अपने में मुस्कुराते हुए मैं अपने कसे पैंट को ठीक करते हुए शेरवानी के दुपट्टे को ठीक ही कर रहा था कि इतने में कमरे में कोई दस्तक देने लगा....



"अरे बेटा हुआ नही अभी तक तेरा?"........माँ ने आवाज़ लगाई..



मैने आगे बढ़ते हुए दरवाजा खोला तो माँ किसी खूबसूरत मूरत जैसी सजी खड़ी थी...उफ्फ बालों में गजरा क्या साड़ी उन्होने पहनी थी...अफ चेहरे पे मेक अप करने से उनका चेहरा काफ़ी निखर गया था...मैं उसे एकटक देख ही रहा था कि मुझे अहसास हुआ कि वहाँ ज्योति भाभी भी खड़ी है मैं सकपकाया और माँ को चोरी निगाहों से देखने लगा...



ज्योति : उफ्फ आदम शाम होने वाली है 6 बजे तक पहुचना है क्या कर रहे थे इतने देर से अंदर कैसे लड़के हो तुम? आज तुम्हारी शादी है और ये क्या कोई खुश्बू तो लगाओ उफ्फ



माँ और ज्योति भाभी मेरी शेरवानी को ठीक करने लगे...मैं तो बस माँ के झुकने से उसकी खुली पीठ देख रहा था....ज्योति भाभी मेरे दुपट्टे को ठीक करने लगी..."लड़के वाले है ऐसे बन के नही जाएँगे हॅंडसम तो अपना आदम है ही बस और चार चाँद लग रहा है इस शेरवानी में .....ज्योति भाभी माँ के साथ मज़ाक करते हुए बोल उठी...



आदम : क्या भाभी?



माँ : हा हा हा सही कहा तुमने ज्योति आज मेरा आदम लग ही बहुत सुंदर रहा है



ज्योति : ह्म



माँ : अच्छा राजीव नही आएगा



ज्योति : अरे वो बस काम निपटाए आ ही रहे है शरीक़ तो होंगे ही कपड़े भी साथ लेके गये है तय्यार होके आएँगे



आदम : हाहाहा क्या ज्योति भाभी राजीव दा भी ना?



सच में माँ ग़ज़ब ढा रही थी...भाभी ने इत्र मेरे पूरे कपड़ों पे लगाके खुश्बू फैला दी...माँ ने मेरी तरफ देखा...फिर उसने प्यार से मेरे गाल खीचे...किसी की नज़र ना लगे...इतना कहते हुए माँ मेरी तरफ देखने लगी...उसे देखते हुए ही मेरा पाजामे के अंदर ही लंड अंगड़ाइया ले रहा था...काश दुल्हन के रूप मे वो सजी होती...पर वो किसी दुल्हन से कम भी तो लग नही रही थी...



"अरे तुम लोग क्या हो गया अरे आदम को चलना नही है अंजुम"..........पिता ने गाड़ी लिए आवाज़ दी....तो माँ ने बाल्कनी से नीचे झाँकते हुए उन्हें रुकने कहा..."चलो बेटा आओ ज्योति चलो"........दोनो औरतें आगे थी और मैं उनके पीछे....सच में शादी में तो औरतें अप्सरा ही बन जाती है काश राजीव दा संग होते...मन में बुदबुदाते मैं नीचे उतरा..



"आओ बेटा बैठो अरे अंजुम कुछ भूली तो नही ना एक काम करो मैं आगे बैठता हूँ तुम राजीव की वाइफ के साथ पीछे आदम के साथ बैठो".........."जी".......माँ और ज्योति भाभी मेरे आज़ु बाज़ू बैठ गयी फिर हम बातें करने लगे....ड्राइवर को इत्तिला करते ही पिता जी आगे बैठ गये....



हम जल्द ही वेंकटेश हॉल पहुचे...मेरा दिल थोडा धड़क रहा था क्यूंकी ये मेरी ज़िंदगी का सबसे अलग मोड़ था...माँ मुझे सहानुभूति देते हुए मुस्कुरा रही थी....मैं अब तक माँ से नज़र ना हटा पा रहा था और उपर से उसके महंदी से रंगी हाथ भरी चूड़ी कलाईयों वाली मेरे जाँघ पे रखी हुई थी तो मेरा और खड़ा होने लगा.....आज तेरी शादी है और तू माँ को देखके आहें भर रहा है उफ्फ कैसा बेटा है तू? अपने में बड़बड़ाये मैने माँ की तरफ देखा
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RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत - by sexstories - 12-09-2019, 02:26 PM

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