Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 02:27 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
वेंटकेश हॉल में सबकोई मज़ूद था अच्छी ख़ासी भीड़ थी देखने वाले मुझे बड़ी गौर से देख रहे थे आपस में बातचीत हो रही थी....माँ मेरा कंधा पकड़े चल रही थी उसी बीच महफ़िल में मौज़ूद मेरा ममेरा भाई यानी कि रूपाली का पति मेरे संग चलने लगा...वो मुझे थापि मारते हुए प्रोत्साहित करने लगा..."आज तो लकी डे है तेरा साले मज़े लियो".......माँ ये सुनके अंदर ही अंदर मुस्कुरा पड़ी...



हम ठीक सामने वाली बैठक पे बैठे....हर कोई मुझे और माँ को देख रहा था....फिर मेरे ससुर मेरे साथ आके बैठे...फिर हमारे लिए शरबत आया वहाँ औरतो का बैठना नही था इसलिए माँ मुझे बिठा के गेस्ट लोगो से बात करने लगी....



"और बेटा सब ठीक?".......ससुर जी ने पूछा...



"जी अंकल निशा आई नही"........



"हाहाहा बस तय्यार होके आ रही है".........



"अच्छा".......मैं मुस्कुराते लहज़े में खामोश हो गया इतना कह कर....हर किसी को देख रहा था...और ठीक उसी बीच मैने पाया कि रूपाली भाभी भी मौज़ूद थी...वो राहिल को लिए मेरे पास आई मुझे मुबारकबाद दी...साथ में ससुर जी बैठे थे इसलिए हमने सिर्फ़ एकदुसरे को देखके हल्का मुस्कुराया कोई बात चीत नही की..उसने मेरे कपड़ों को देखके तारीफ किए इशारे से अपना चेहरा वाह किया...मैने सिर्फ़ उसे आँख मारी...बुआ भी आई थी हर कोई आया था



ताहिरा मौसी को मैने माँ से बात करते हुए पाया वो मेरे पास आके गले लगी...फिर उसने मेरे चेहरे पे हाथ फेरा...."अच्छे से रहना खुश रखना जिसके भी साथ रहेगा समझा".......



.ताहिरा मौसी की बात सुनके मैं हां में सर हिलाते हुए मुस्कुराया...शरबत ख़तम किए कॅमरा वाले हमारी तस्वीर ले रहे थे...इस बीच बहुत लोग आए मुबारकबाद दी और महफ़िल में खो गये...मैने गौर किया कि लड़की वालो की तरफ से बहुत लड़के आए हुए थे ससुर जी सबसे मुझे इंट्रोड्यूस कराए कोई ममेरा कोई चचेरा भाई था...कुछ सहेलिया भी आई हुई थी निशा की जिसे देखके मैने उन्हें हेलो किया...



ससुर जी को किसी आदमी ने कान में फुसफुसाया वो बाहर जैसे भागे...मैं देखने लगा तो सबकी निगाह बाहर थी....निशा दुल्हन के लिबास में सजी लाई जा रही थी...वो बला की खूबसूरत लग रही थी काफ़ी गहनो से साड़ी से सजी धजी हुई थी....उसे मेरे पास बिठाया गया फिर सबने तस्वीरें उतारनी शुरू की.....माँ इस बीच मेरे बगल में बैठी थी....निशा ने मुझे शरमाती नज़रों से देखा...मैं सिर्फ़ मुस्कुराया...मैं दो अप्सराओं के बीच जैसे खुद को महसूस कर रहा था....फिर सब निशा से मिलने आने लगे...निशा ने मुझे अपने एक फ्रेंड से मिलवाया वो किसी लड़की के साथ था...बताया कि यह कॉलेज फ्रेंड है मैने उसे हेलो कहा फिर उसकी सहेली ने मेरी खूब तारीफ की तो मैं जैसे शर्माके मुस्कुराया....इतने में राजीव दा आके बैठे



राजीव : और सब ठीक?



आदम : हां राजीव दा



राजीव : आज तुम मेरे जैसे हो जाओगे



हम टहाका लगाए एकदुसरे के गले लग गये....



ससुर जी पिता जी एक संग बैठे हुए थे...माँ निशा की माँ से बातचीत करने लगी साथ में उनके थोड़े रिश्तेदार और मेरी मौसी रूपाली भाभी भी इकट्ठी एक जगह बात कर रही थी....फिर क़ाज़ी आए...हमारे बीच पर्दे की आड़ की गई...उस तरफ निशा के चाचा चाची तो इस तरफ मेरा पूरा परिवार....फिर क़ाज़ी ने निक़ाहनामा में पहले साइन करवाया और फिर रज़ामंदी माँगी....दोनो पक्षो से क़बूल है सुनने के बाद क़ाज़ी ने सबसे हाथ मिलाया....काश इस घड़ी समीर भी मौजूद होता पर दो दिन पहले उसे जब कहा तो उसे बुरा भी लगा और खुश भी हुआ वो तो कुछ और सोच रहा था. कि माँ और मेरा निक़ाह होगा...पर ये संभव कहाँ था? वो स्विट्ज़र्लॅंड शादी के बाद ही चला गया और अभीतक वहाँ से लौटा नही था...



फिर हम एकदुसरे के परिवार वालो के गले लग गये...उस वक़्त माँ को मैने भावुक पाया वो रो रही थी...मुझे उसके आँसू देखे नही गये मैने बस उसे मुस्कुरा कर देखा और चुप हो जाने को कहा....उसके बाद निशा और मैं इकट्ठे बैठके वहीं खाना खाए सब मज़ूद थे...उसके बाद हमारे जाने का वक़्त हो चला....मैं माँ के साथ गाड़ी में पहले ही बैठ गया राजीव दा आगे पिता जी के साथ ससुर जी से बाहर देखते हुए बात कर रहे थे...निशा सबसे रो धोके गाड़ी में बैठी वो सुबक्ते हुए मेरी तरफ देखी....पता नही क्यूँ मेरे हाथ उसे थामने के लिए आगे ना बढ़े माँ उसे समझने लगी...इतने में पिता जी और सभी बैठ गये गाड़ी का गेट लगाते हुए उसके चाचा चाची रोई सूरत लिए हमे वहाँ से विदा किए...



अपने घर पहुचते ही ज्योति भाभी माँ के हर रस्मो रिवाज़ में खड़ी थी....निशा ने वो सारे रस्म निभाए..फिर हम अंदर आए.....रात बहुत हो चुकी थी....माँ पिताजी के साथ अपने कमरे में जा चुकी थी....और मैं बाल्कनी में खड़ा हवाओं को महसूस कर रहा था....राजीव दा ज्योति भाभी हमसे मिलके उपर जा चुके थे....



निशा बिस्तर पे चुपचाप मेरी तरफ देख रही थी मुस्कुराते हुए शरमाते हुए....मैं बिस्तर पे जैसे ही बैठा उसने अपना घूँघट खुद ही उतार डाला...."क्या खामोखाः तुम उतारोगे? सोचा मैं ही ये काम तुम्हारे लिए कर दूं हाहाहा".......



"यू आर सच आ क्लेवर गर्ल निशा".........मैं और वो हंस पड़े...फिर मैं निशा के साथ बैठके इधर उधर की बातें करने लगा....हम एकदम आज करीब बैठे हुए थे...



आदम : देखो निशा इफ़ यू नोट फील कंफर्टबल तो मैं आगे बात नही बढ़ाउंगा



निशा : कैसी बात? (जानती थी मैं चुदाई की ही बात कर रहा हूँ वो मुस्कुराइ)



आदम : उफ्फ हो कान लगाओ ज़रा पास (उसने कान आगे बढ़ाए तो मैने थोडे से धीमे स्वर में कहा चुदाई वो अपने चेहरे पर हाथ रखके मुझे देख शरमा गई)



उसके बाद मैने एकदम से उसे खोलने के लिए उसके रूस लगे गाल को चूमा...तो वो हड़बड़ा उठी मुझे लगा शायद सब कुछ मुझे ही करना पड़ेगा...लेकिन उसने इतने में होंठ पे दाँत से काटा..



.सस्स आहह..मैं चीखा वो हंस पड़ी...जब मैने फिर चेहरा आगे बढ़ाया तो उसने मुझे दूर धकेलते हुए मुस्कुराया....मैने मुस्कुरा कर उसके दोनो गालों को हाथो में भर लिया तो वो एक पल को आँखे मुन्दे गंभीरता से खामोश सी हो गयी....



मेरे होंठ उसके होंठो के साथ जुड़ गये...और मैने कस कर एक करारा चुंबन लिया उसके होंठो का...सस्स एम्म....निशा कसमसाई...उसने अपने होंठ पोछे फिर शर्मा गई ...



"आइ वॉंट टू डू सम्तिंग विद यू".....कहते हुए मैने उसे तकिये पे लेटा दिया....मेरी नज़र उसकी छातियो पे थी आज मैं उसे निवस्त्र देखना चाह रहा था मन बना रहा था जैसे अब ये तेरी ही तो माल है



मैं उठा और अपनी शेरवानी और पाजामा की डोरी खोले सारे कपड़ों से आज़ाद हो गया....इस बीच निशा लेटी शादी के जोड़े में मुझे देख रही थी...मैने अपने कच्छे को जैसे ही नीचे किया मेरा फौलादी लंड उसके सामने कड़क सा खड़ा हो गया उसे देखते हुए बोल पड़ी "हे माँ इतना बड़ा?"......उसकी आँखो में डर और हैरत सॉफ थी....जानती थी अब उसे इसके सहारे ही जीना है इसे अपने अंदर लेना है.....



आदम : आज तुम शादी शुदा हो निशा मेरी बीवी हो अब इस्पे तुम्हारा भी अधिकार है आओ थामो इसे



निशा ने पहले संकोच किया फिर उसने मुट्ठी में लेके मेरे लंड को आगे पीछे मसला उसने कुछ ज़्यादा कस कर मसला जिससे मुझे दर्द हुआ तो वो हँसने लगी..मैने धीरे धीरे उसे खड़ा किया हम बिस्तर के सामने आईने के पास खड़े थे वो लंड सहला रही थी तो मैं उसकी साड़ी उतार रहा था..फिर मैने सारे गहने भी उतार लिए....



आदम : आज एकदुसरे को जानने का वक़्त है निशा ये सुहागरात नही एकदुसरे के करीब आना है



निशा : ठीक है जी



आदम : क्या कहा तुमने जी?



निशा : आप हमारे पति हुए तो ऐसा ही कहेंगे ना आपको



आदम : अफ तुम मुझे पागल कर दोगि हाहाहा



साड़ी ब्लाउस पेटिकोट पैंटी ब्रा गहने चूड़िया सब उतारके मैने एक बिस्तर पे फैंके उसकी टाँगों के बीच गुच्छेदार बाल उगे हुए थे...लगता है आजतक उसने इस जगह पे हाथ तक नही लगाया था....तो मैने उसकी दोनो टाँगों को फैलाते हुए चूत पे हाथ लेके उसे भीचा तो वो मेरे बदन से लिपट गयी...



."उफ्फ क्या नरम चूत है इसकी?"....मैं जैसे ही उसे दो तीन बार दबाया हुंगा तो उसकी चूत मुझे एकदम गरम और गीली जान पड़ी...



मैं उसे बिस्तर पे सीधा लिटाया..फिर टांगे फैलाते हुए वहाँ अपना मुँह लगाया.....निशा अपनी दोनो बगलो को उठाए असीम सुख का मज़ा ले रही थी...मेरा मुँह उसकी चूत को चुस्स रहा था....उफ्फ कितनी फूली हुई चूत है तुम्हारी क्या ये कसी हुई भी है?........मैने उसे उठाते हुए अपने होंठ पे उंगली का इशारा करते हुए लिंग पे उंगली रखी



निशा : समझी नही?



आदम : मुँह में लोगि



निशा : नही नही छि मैने कभी लिया नही है



आदम : उफ्फ तुम देसी औरतें एक बार लो ना प्ल्ज़्ज़



निशा मान नही रही थी मैने उसे ज़बरदस्ती अपना लंड उसके होंठो पे फिराया तो उसने चेहरा झटक दिया....मुझे मज़ा नही मिल रहा था...फिर उसने जब ज़्यादा इन्सिस्ट करने पे हल्का सा मुँह में लिया तो छोड़ दिया...उसे अच्छा नही लग रहा था...तो मैने उसके होंठो को फिर किस किया और उसे लेटा दिया....अपना लंड उसकी चूत में डालना शुरू किया तो वो चीख उठी उसने कस कर अपनी चूत जकड ली



आदम : ढीला छोड़ो



निशा : नही दर्द हो रहा है



आदम : होता है निशा थोड़ा सा कोशिश करो थोड़ा सा



निशा : नही हो पाएगा



उसकी चूत पानी छोड़ रही थी लेकिन दर्द ना बर्दाश्त करने से वो बार बार मना किए जा रही थी...मैने हल्का सा दबाव दिया तो मेरा मोटा लंड उसकी चूत में घिस्सते हुए ही डल गया...वो काँपी...मैने पाया कि जैसे जैसे दरार के अंदर लंड घुस रहा था उसने अपना चेहरा सख्ती से भीच लिया था...जब मैने थोड़ा और दबाव लगाया तो वो चिल्ला उठी...उसने आँसुओं से रो दिया...



मैने उसके आँसू पोछे उसे रिलॅक्स किया....पर वो बोली प्ल्स निकाल दो बहुत दर्द हो रहा है...मैने चूत से लंड को हल्का सा बाहर निकाला हो भी क्यूँ ना? नॉर्मल साइज़ का थोड़ी ही था...उसे झेलना धीरे धीरे ही हो पाता...अभी तो एक रात ही शुरू हुई थी...मैने लंड नही निकाला बल्कि वैसे ही ठहरा रहा चूत की जलन में शायद वो मुझे धकेलने लगी...मैने उसके गाल गले होंठ को चूमा उसके माथे पे आ रहे पसीने को बार बार पोंच्छा....ए सी के पास रखे रिमोट से थोड़ा टेम्परेचर बढ़ाया.....तो माहौल सर्द सा हो गया...
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RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत - by sexstories - 12-09-2019, 02:27 PM

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