Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
12-20-2019, 12:52 PM,
#25
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
दोनो आपस मे बातें करने लगे...दोनो मे से किसी का ध्यान मूवी मे नही था...बातों-2 मे राज ने ललिता के हाथ को पकड़ कर अपने हाथ मे ले लिया...ललिता थोड़ा सा कस्मसाइ....पर फिर अपने आप को संभालते हुए...राज से बातें करने लगी....दोनो बातों ही बातों मे आपस मे इतना घुल मिल गये थे... कि ऐसा लग रहा था...जैसे वो बरसों से एक दूसरे को जानते हों...

राज : ललिता मे एक बात कहूँ....

ललिता: जी हां बोलिए....

राज : मे तुमसे शादी करना चाहता हूँ....

ललिता का दिल ख़ुसी के मारें झूम उठा.....

ललिता: आप सच कह रहे हो....

राज : हां बिल्कुल सच कह रहा हूँ...बल्कि मैं तो कहता हूँ...कि मे आज ही मम्मी पापा से बात कर लूँ....और उनको तुम्हारे घर रिस्ते के लिए भेज दूं...

ललिता: (मुस्कुराते हुए) बहुत जल्दी है आप को शादी करने की....

राज : हां और हो भी क्यों ना....शादी के बाद तुम मेरी जोहो जाओगी....

ललिता: क्यों मैं तो आज से ही आप की हो गयी....

राज : नही वो बात नही....मेरा मतलब वो...

और राज बात को पूरा नही कर पाया...और झेंप गया....राज की बात को ललिता समझ चुकी थी....उसने शरम के मारें अपना सर झुका लिया....

राज : (ललिता के फेस को अपने हाथों मे लेते हुए) ललिता मैं अब एक पल भी तुम्हारे बिना नही रह सकता....अगर तुम मेरी ना हुई...तो मे जी नही पाउन्गा...जी नही पाउन्गा...

राज की आँखों मे अपने लिए इतना प्यार देख कर ललिता का मन पिघल गया....राज ने अपने होंठो को ललिता के होंठो की तरफ बढ़ाना चालू कर दिया..ललिता की साँसे तेज हो चली थी....ललिता के दिल की धड़कन 3 गुना बढ़ चुकी थी...

ललिता: तुम मुझे बीच रास्ते मे छोड़ तो नही दोगे...

राज :नही ललिता कभी नही....

और राज ने ललिता के ठहरथरा रहे होंठो पर अपने होंठो रख दिए....ललिता राज की बाहों मे राज के होंठो को अपने होंठो पर महसूस करके तड़प उठी...और राज की चौड़ी छाती से सट गयी....राज ललिता के रसीले और गुलाबी होंठो को चूसने लगा...ललिता के हाथ राज के सर के पीछे पहुँच गये थे...और ललिता अपने हाथ की उंगलियों से राज के बालों को सहला रही थी...


ललिता राज की बाहों मे कसमसा रही थी...ललिता के दिल की धड़कन तेज हो चुकी थी...ललिता की जवानी की आग उसे मदहोश किए जा रही थी...राज ने अपने होंठो को ललिता के होंठो से अलग किया...और ललिता की आँखों मे देखने लगा.... ललिता ने अपनी वासना और प्यार से भरी हुई आँखों को खोला...और राज की आँखों मे देखा....उसकी आँखे मानो कह रही हों....ओह्ह राज तुमने मेरे होंठो से अपने होंठो को हटा क्यों दिया....मैं कब से इन होंठो के स्पर्श को अपने होंठो पर पाने के लिए तरस रही हूँ...राज ने फिर से ललिता के होंठो पर अपने होंठो को रख दिया...इसबार ललिता ने भी राज का पूरा साथ दिया...और वो राज से चिपक गयी...ललिता की कसी हुई चुचियाँ राज की चौड़ी छाती मे धँस गयी....राज ललिता के गुलाबी होंठो को आज जी भर के चूस लेना चाहता था...ललिता भी अपने होंठो को थोडा सा खोल कर राज से अपने होंठो को चुस्वा के मस्ती के सागर मे तैर रही थी....ललिता अपना आप खोने लगी...उसे पैंटी थोड़ी सी गीली हो चुकी थी...ललिता ने अपने आप को संभालते हुए...राज के होंठो से अपने होंठो को अलग कर दिया....ललिता की साँसें उतेजना के मारे उखड़ी हुई थी.....

ललिता: बस अब और नही....

राज ने ललिता की बात को मानते हुए...अपना एक हाथ उसके गले से डालकर उसके कंधे पर रख दिया....और ललिता ने राज के कंधे पर सर रख दिया....और पूरी मूवी के दौरान दोनो ऐसे ही बैठे रहे....

दूसरी तरफ रात के 8 बजे गुरमीत और लकी दोनो जब लकी के घर पहुँचे तो...उनकी नौकरानी खाना बना कर जा चुकी थी....लकी की दादी हाल मे सोफे पर बैठी लकी और गुरमीत के आने का इंतजार कर रही थी....लकी को देखते हुए...

दादी: आए गया बेटा....चलो जल्दी से फ्रेश हो जाओ....और खाना खा लो....मैने खाना टेबल पर लगवा दिया है....

लकी: जी दादी आप ने खाना खा लिया

दादी: हां बेटा मैने खाना खा लिया....बस तुम लोगों का ही इंतजार कर रही थी....तुम बैठ कर खाना खाओ...मे बाहर मेन गेट बंद करके आती हूँ...

लकी और गुरमीत दोनो हाथ मुँह धोया और खाना खाने बैठ गये....

लकी: (खाना खाते हुए) और फिर आज रात का क्या प्रोग्राम है

गुरमीत: चुप बदमाश दादी सुन लेंगी....

लकी: अर्रे नही सुनेगी....उन्हें वैसे भी अब थोड़ा उँचा ही सुनता है....जल्दी बताओ ना आज रात को क्या प्रोग्राम हैं....

गुरमीत: मैने तुम्हें रास्ते मे बताया था...ना आज मे बहुत थक गयी हूँ....मेरा पूरा बदन दुख रहा है....

लकी: (शरारती अंदाज़ मे) पूरा बदन.....

गुरमीत: (लकी की बात सुन कर झेंप गयी) हां पूरा बदन....

लकी: फिर तो आज तुम्हार बदन की थकावट मे ही उतार स्कता हूँ...

गुरमीत: (लकी की बातों को सुन कर शरमा गयी) अच्छा जी...चुप-चाप खाना खाओ....बड़े आए मेरी थकावट उतारने वाले.....

लकी: एक बार ऊपेर चलो तो सही.....

दोनो ने कुछ ही देर मे खाना खा लिया....और लकी ने झूठे बर्तन को उठा कर किचन मे रख दिया....गुरमीत ऊपेर जा रही थी....लकी भी तेज़ी से बर्तन को रख कर ऊपेर जाने लगा...पर तब तक गुरमीत रूम मे जा चुकी थी....उसने अंदर से रूम बंद कर लिया...लकी ने डोर नॉक किया....

लकी: ये क्या बात हुई...मे बाहर खड़ा हूँ...डोर खोलो....

गुरमीत: नही आज डोर नही खुलेगा...अपने रूम मे जाकर सो जाओ...मुझ नींद आ रही है...

गुरमीत रूम के अंदर डोर के पास खड़ी मुस्कुरा रही थी....वो तो बस लकी को सताने के मूड मे थी...पर जब थोड़ी देर बाद लकी की कोई आवाज़ नही आई....तो गुरमीत अपने कपड़े चेंज करने लगी...उसका मन कह रहा था...कि लकी ज़रूर वापिस आएगा...आख़िर वो भी तो यही चाहती थी....गुरमीत बेड पर लेट गयी...पर जब काफ़ी देर बाद लकी नही आया...तो वो बेचैन हो उठी...और डोर खोल कर बाहर आ गयी....और लकी के रूम की तरफ चली गये...लकी के रूम का डोर खुला हुआ था...जैसे ही गुरमीत ने अंदर झाँक कर देखा...तो लकी बेड पर लेटा हुआ था...वो सिर्फ़ अंडर वेअर पहने हुए था....

लकी: तो और क्या करता तुमने तो डोर लॉक कर लिया था...अब जाकर सो जाओ....

गुरमीत: सॉरी बाबा..वो तो मे मज़ाक कर रही थी...अच्छा अब चलो आज मे यहीं तुम्हारे साथ सो जाती हूँ....

लकी: नही मुझे नही सोने तुम्हारे साथ...जाओ जाकर सो जाओ....

गुरमीत: (बड़ी ही सेक्सी आवाज़ के साथ) देखो ना लकी मेरा हर अंग दुख रहा है...कुछ करो ना....

लकी: मे कोई डॉक्टर हूँ....मे क्या कर सकता हूँ...जाओ सो जाओ..सुबह तक अपने आप ठीक हो जाएगा....

गुरमीत: पर मेरे दर्द को तुम ही ठीक कर सकतें हो....मे बता नही सकती मुझ कहाँ दर्द हो रहा है....

लकी कुछ नही बोला और वैसे ही रूठने का नाटक करते हुए लेटा रहा...

गुरमीत: अच्छा जी अब मुझ से रूठो गे भी...पर मुझ पता है...तुम्हें कैसे मनाना है....

लकी: अच्छा कॉसिश करके देख लो...

गुरमीत ने अपनी मदहोशी से भरी नज़रों से लकी को देखा....और अपने हाथ को लकी के अंडरवेर के ऊपेर रख दिया...लकी लेटा हुआ गुरमीत को देख रहा था...
लकी लंड अभी ठीक से आकड़ा नही था...पर गुरमीत के हाथ पढ़ते ही...लकी के लंड मे तनाव आने लगा....

गुरमीत ने आने सर को लकी के पेट पर रख दिया...लकी गुरमीत के गोरे नरम गालों को अपने पेट महसूस करके गरम होने लगा...गुरमीत लकी के तने हुए लंड को देखते हुए उसे अपने हाथ से सहला रही थी...लकी का लंड कुछ ही पलों मे अकड़ कर अंडरवेर मे झटके खाने लगा...गुरमीत ने अगले ही पल लकी के अंडरवेर को पकड़ कर नीचे खींच दिया...लकी का अंडरवेर अब लकी की जाँघो पर आ गया था....और उसका तना हुआ लंड हवा मे झटके खा रहा था...गुरमीत ने काँपते हुए हाथों से लकी के लंड को हाथ मे ले लिया...उसके हाथ के उंगलियाँ लकी के लंड पर कस गयी...

गुरमीत ने लकी के लंड को मुट्ठी मे पकड़ने के बाद...एक बार लकी की आँखों मे देखा...फिर उसे लकी के लंड को दो तीन बार हिलाया...लकी के मुँह से आह निकल गयी..फिर गुरमीत ने लकी के लंड की चमड़ी को पीछे कर दिया...लकी के लंड का गुलाबी सुपडा गुरमीत की आँखों के सामने आ गया...
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