RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
दूसरे दिन जब राज कॉलेज पहुँचा...तो उसकी नज़र ललिता को ढूँढने लगी...पर काफ़ी इंतजार के बाद भी उसे ललिता नज़र नही आई...राज क्लास मे चला गया...जब उसकी पहली क्लास ख़तम हुई..तो वो बाहर आया..बाहर ललिता राज की क्लास के बाहर खड़ी थी...उसने राज को देख कर स्माइल पास की....
राज : (ललिता के पास जाकर) कहाँ रह गयी थी आप
ललिता: वो मे आज लेट हो गयी थी..
राज : चलो बाहर केफे मे चलते हैं...
ललिता: जी
और दोनो केफे मे आ गये....
राज : ललिता चलो कही घूमने चलते हैं....
ललिता: नही राज प्लीज़ बुरा ना मानना कल भी क्लास मिस हो गयी थी....
राज : एक दो दिन मे क्या फरक पड़ता है....
ललिता: (मुस्कुराते हुए) अच्छा जनाब कल की तरह कोई हरकत तो नही करोगे...
राज : तुम मुझ पर विस्वास नही करती....
ललिता: नही-2 मे तो ऐसे ही मज़ाक कर रही थी....चलो जहाँ ले कर जाना चाहते हो...ले चलो
राज और ललिता उठ कर कॉलेज से बाहर आ गये....
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दोस्तो अब यहाँ से कहानी को थोड़ा आगे ले जा रहा हूँ...राज अपने माँ बाप की एक लौति संतान था...इसीलिए उसने अपनी दिल की बात अपनी माँ को कह दी थी....और राज के माता पिता का इतना रुतबा था.कि ललिता के मम्मी पापा ने झट से इस रिस्ते के लिए हामी भर दी...दूसरी तरफ राज और लकी दोनो का कॉलेज ख़तम हो चुका था...लकी की माँ और पिता जी भी थोड़ी नाराज़गी के बाद अपने बेटे की ज़िद्द के आगे झुक गये.और लकी और गुरमीत की शादी हो गयी....लकी और गुरमीत की शादी के ठीक एक साल बाद ललिता और राज की शादी का दिन तय हो गया....
ललिता और राज की शादी के 15 दिन पहले.....
राज आज फिर से अमृतसर मे आया हुआ था...उसने ललिता को फोन करके बता दिया था...और अपने उस फ्लॅट मे ललिता को बुलाया था...अपनी शादी के शॉपिंग करने के लिए...दोनो ने ढेर सारी शॉपिंग की...और जब ललिता अपने घर वापिस जाने की तैयारी कर रही थी...
राज : ललिता मे अब ये 15 दिन तुम्हारे बिना कैसे रहूँगा...
ललिता: (मुस्कुराते हुए) क्यों जहाँ इतना इंतजार किया है...वहाँ 15 दिन और सही...
राज सोफे पर बैठा हुआ था...ललिता राज के उदास चहरे को देख नही पाई...और उसके पास जाकर उसकी गोद मे बैठ गयी....और उसके गालों पर किस करने लगी....
ललिता: तुम तो बच्चों जैसे रूठ जाते हो....
राज ललिता को अपने इतना करीब पा कर...एक दम से गरम हो गया...ललिता का बदन राज के बदन से रगड़ खा रहा था....
राज ने अपने बाहों को ललिता की कमर मे कस लिया. और राज के हाथ ललिता की कमर से लेकर उसके चुतड़ों तक टहल रहे थे. ललिता राज की बाहों मे कसमसाने लगी.
ललिता: (काँपती हुई आवाज़ मे) क्या कर रहे हो आप. मुझ आप के इरादे ठीक नही लग रहे. थोड़े दिन और सबर कर लो. फिर मुझ अपनी बाहों मे समेटे रखना.
और ये कहते हुए ललिता ने राज के लिप्स पर एक छोटा सा किस कर दिया. राज ने अपनी आँखों से ललिता की आँखों मे देखा. ललिता की आँखें भी वासना के मारें लाल हो चुकी थी.
राज : ओह्ह जान अगर हम शादी कर ही रहे हैं. तो इसमे हऱज ही क्या है.
ललिता: प्लीज़ मेरी बात को समझने की कॉसिश करो. मे सुहागरात को तुम्हें अपना कुँवारापन गिफ्ट मे देना चाहती हूँ.
राज : ओह्ह अच्छा ये बात है. चलो तब तक के लिए मुझ तुमसे थोड़ा प्यार ही करने दो.
ललिता राज की बात सुन कर शरमा गयी. और राज की गोद मे बैठे हुए उसेसे चिपक गयी. राज ललिता की पीठ को सहलाता हुआ. ललिता की नेक पर अपने होंठो को रगड़ने लगा. ललिता उसकी गोद मे बैठी छटपताए जा रही थी.ललिता की साँसें तेज़ी से चलने लगी.राज ललिता की नेक को किस करता हुआ ललिता के क्लीव्ज को चूमने लगा. ललिता मस्ती मे आकर अह्ह्ह्ह सीईइ उंह करने लगी.
राज : ओह्ह्ह ललिता मे तुम्हारे बिना एक पल भी नही रह सकता.
ललिता: मे भी आप के बिना नही रह सकती. ओह्ह्ह्ह मुझे जल्दी से अपने घर ले चलो. मे अब तुम्हारे बिना नही रह पाउन्गी.
राज ने अपना एक हाथ आगे लाकर ललिता की अन्छुइ चुचियों पर रख दिया. और धीरे से दबा दिया. ललिता के मुँह से आह निकल गयी. और वो राज की बाहों मे कसमसाने लगी.
ललिता ने राज के फेस को अपने दोनो हाथों मे लेकर ऊपेर उठाया. और राज की आँखों मे देखने लगी. ललिता तेज़ी से साँसे लेते हुए हाँफ रही थी. उसकी आँखें मस्ती के कारण पूरी तरहा खुल नही पा रही थी.
ललिता: ओह जान तुम मुझे क्या कर रहे हो. मे बहक जाउन्गी.
राज :तो बहक जाओ ना. मुझ अपने रसीले होंठो को एक बार चूसने तो दो.
ललिता ने मस्ती मे आकर अपनी आँखों को बंद करके अपने होंठो को राज के होंठो पर रख दिया. दोनो पागलों के तरहा एक दूसरे के होंठो को किस कर रहे थे. ललिता राज की गोद मे बैठी उसकी बाहों मे पिघलने लगी थी. राज ने अपना हाथ उसकी चुचि से हटा कर धीरे -2 नीचे लाना शुरू कर दिया. जैसे-2 राज का हाथ नीचे आ रहा था. ललिता के बदन मे मे वासना का तूफान ज़ोर पकड़ रहा था. ललिता का पूरा बदन कांप रहा था.
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