Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
12-20-2019, 12:53 PM,
#33
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
वैसे तो रवि अभी सिर्फ़ *** साल का था. पर वक़्त ने उसे कुछ पहले ही बड़ा कर दिया था. रवि चलता हुआ रज़िया के कमरे की तरफ बढ़ने लगा. अचानक उसका ध्यान रज़िया पर पड़ा. पता नही क्यों वो रज़िया के तरफ चला गया. शायद कल के दिन मे जो कुछ उसके साथ हुआ था. उसके कारण उसके दिल मे सेक्स को जानने और शायद करने की चाहत ज़ोर मारने लगी थी.

रज़िया अपने सूखे हुए कपड़ों को रस्सी से उतार रही थी. जो दो पेड़ों के बीच मे बँधी हुई थी. जैसे ही रज़िया ने रवि को अपनी तरफ आता देखा. तो उसके होंठो पर मुस्कान आ गयी.

रज़िया: (वासना से भरी मुस्कान अपने होंठो पर लाते हुए) अर्रे वाह आज लगता है सुऱज पश्चिम से निकला है.

रवि रज़िया की बात सुन कर थोड़ा शरमा गया. और बाहर लगी चारपाई पर बैठ गया. रज़िया अपने कपड़ों को इकट्ठा करके चारपाई पर आकर बैठ गयी.

रज़िया: क्या हुआ क्या बात है. पहले तो मेरे पास आने से भी कतराता था. फिर आज कैसे आ गया.

रवि: कुछ नही काकी बस मेरा सर दर्द हो रहा है. इसीलिए बाहर चारपाई देखी तो यहाँ आ गया.

रज़िया: अच्छा किया. चल थोड़ी देर बैठ कर आराम कर ले.

और रज़िया अपने कपड़ों को अंदर रखने के चली गयी. जब रज़िया वापिस आई तो उसने अपने लहँगे को उठा कर अपनी कमर मे फँसा रखा था. जिससे उसका लहंगा उसके घुटनो के थोड़ा ऊपेर उठा हुआ था. रवि की नज़र बार-2 रज़िया पर जा रही थी. और रज़िया रवि को अपनी तरफ देखता देख कर मुस्कुरा रही थी. रज़िया ने चारा काटने का औजार उठाया. और सामने के खेत मे चारा काटने के लिए जाने लगी.

रज़िया: (खेत मे जाते हुए) रवि तू भी आजा. बात करते हुए काम करूँगी. तो जल्दी हो जाएगा . तू यहाँ अकेला बैठ कर क्या करेगा.

रवि बिना कुछ बोले रज़िया के पीछे उठ कर चला गया. रज़िया रवि के आगे -2 अपनी गान्ड मटका कर चल रही थी. और रवि अपनी चाहत भरी नज़रों से रज़िया की मटकती गान्ड को देख रहा था. रज़िया एक 30 साल की गदराई हुई औरत थी. भरा हुआ बदन और मस्त मोटी गान्ड जो भी देखे पागल हो जाए. रवि का लंड उसके पाजामा मे एक दम से तन चुका था. और रवि के पाजामे को ऊपेर उठा कर फुलाए हुए था. उसका दिल कर रहा था. कि वो अभी रज़िया को अपनी बाहों मे भर ले और उसके मोटे चुतड़ों को ज़ोर-2 से मसले. पर आज तक रवि ने ऐसा कुछ नही किया था.

बस एक रज़िया ही थी. जिसने उसे छुआ और चूमा चाटा था. और कल ही रवि के लंड को चूस कर उसका पहला वीर्य पतन किया था.


रज़िया बाज़रे के खेतों मे आगे बढ़ती जा रही थी. और बाजरे की फसल 8-9 फुट तक उँची हो गयी थी. अब अगर रज़िया का बेटा या पति भी उसे ढूँढने आता. तो आसानी से ढूँढ नही पाता. और वैसे भी रज़िया का पति आज शहर गया था. अपने कुछ दोस्तो के साथ मूवी देखने. रज़िया और रवि अब दो खेतों के बीच मे पहुँच गये थे. जिन्हे एक छोटी सी पानी की नाली अलग किए हुए थी. जिसमे से पानी बह कर खेतों मे जाता था.

फिलहाल वो नाली सूखी हुई थी. क्योंकि फसल काफ़ी पक चुकी थी. रज़िया ने साथ लिए हुए तरपाल को सुखी हुई नाली के एक तरफ बिछा दिया. और रवि को मुस्कुरा कर देखते हुए बोली.

रज़िया: तू यहाँ बैठ मे यहाँ उगी हुई फालतू घास काट लेती हूँ. पानी की नली कोई 1 फुट ही गहरी थी. रवि नली मे पैर रख कर उस तरपाल के ऊपेर बैठ गया. और अपने तने हुए लंड को अपनी जाँघो से भीचने लगा. रज़िया रवि के पाजामे मे उभरे हुए उभार को देख चुकी थी. जिसके कारण उसकी चूत मे भी खुजली होने लगी थी. पर वो चाहती थी कि रवि आज पहल करने.

रवि: (काँपती हुई आवाज़ मे) काकी मे वो आप से बात करना चाहता हूँ.

रज़िया: (घस्स काटते हुए रवि की तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए) हां बोल ना क्या बात है

रवि: वो मे कहना चाहता था, कि वो वो.

रज़िया रवि की हालत को देख मन ही मन मुस्कुराने लगी. और उसने घस्स काटने वाली दराती को वहीं रख दिया. और रवि के पास आकर वैसे ही बैठ गयी. जैसे रवि बैठा था.

रज़िया: बता ना क्या बात बोलना चाहता है. मुझसे क्यों शर्मा रहा है.

रवि: वो कुछ नही मे भूल गया.

रज़िया ने मुस्कुराते हुए एक दम से उसकी जाँघो के बीच मे हाथ डाल दिया. और उसके लंड को पाजामे के ऊपेर से पकड़ कर अपनी मुट्ठी मे कस लिया.

रवि: अहह काकी क्या कर रही हो. छोड़ो ना.

रज़िया: अच्छा दिल भी कर रहा है तेरा. और छोड़ने के लिए भी बोल रहा है. अच्छा एक बार और बोल दे. फिर मे छोड़ दूँगी. बोल कि छोड़ दे काकी.

रवि रज़िया की बात को सुन कर के दम से झेंप गया.

रज़िया: मुझ पता है. तू आज मेरे पास क्यों आया है.

रवि: (एक दम से थोड़ा घबरा गया) क्यों चाची.

रज़िया: तेरा दिल कर रहा था ना मेरे पास आने को. चल आज तुझे जिंदगी का ऐसा रंगीन खेल सिखाती हूँ. कि तू मुझे जिंदगी भर याद रखे गा. बोल चोदेगा मुझ. देख रवि मना ना करना. जब से तेरा मुनसल सा लंड देखा है. मेरी चूत दिन रात तेरे लंड की याद मे अपने आँसू बहा कर पानी छोड़ती रहती है.

रवि रज़िया की बात सुन कर शरमा गया. और उसने अपने सर को झुका लिया. रज़िया ने रवि के लंड को छोड़ दिया. और झट से रवि के सामने खड़ी हो गयी. क्योंकि रज़िया उस पानी की नाली मे खड़ी हुई थी. जिस के किनारे रवि बैठे हुआ था. वो नाली का किनारा एक फुट उँचा था उसका लहंगा पहले से उसके घुटनो तक चढ़ा हुआ था. रज़िया ने अपना एक पैर उठा कर किनारे पर रवि की एक जाँघ पर रख दिया.

जिसके कारण रज़िया की चूत लहँगे के नीचे से उसके मुँह के पास आ गयी. और रज़िया ने रवि की आँखों मे देखते हुए अपने लहँगे को ऊपेर उठा लिया. जिसे देख रवि का लंड और तन कर कड़ा हो गया. और उसके पाजामे मे झटके खाने लगा.

रज़िया: (अपनी झान्टो से भरी हुई चूत की फांकों को फैलाते हुए) देख ना मेरी चूत तेरा लंड लेने के लिए कैसे पानी छोड़ रही है.

रवि की हालत रज़िया की लंबी और काली झान्टो से भरी हुई चूत को देख कर एक दम से खराब हो गयी. उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा. उतेज्ना के मारे रवि के लंड की नसें फूलने लगी. रज़िया अपनी चूत की फांको को खूब अच्छे से फैला कर रवि को दिखा रही थी. उसकी चूत का छेद उसके गाढ़े पानी से सना हुआ था.

रज़िया: (रवि की हालत देख कर मुस्कुराते हुए.) बोल ना चोदेगा मुझे. देख मना ना करना सिर्फ़ एक बार मुझ चोद दे. मेरी चूत कसम से तेरा लंड अपने अंदर लेने के लिए मचल रही है.

फिर रज़िया ने अपना लहंगा छोड़ दिया. और रवि के सामने पैरों के बल बैठ गये. रज़िया जानती थी कि रवि बहुत ही शर्मिला सा अनाड़ी लड़का है. इस लिए सारा काम उसे ही करना पड़ेगा. और रवि सीधे-2 अपने मुँह से नही बोल पाएगा. रज़िया ने बैठर ही फिर से उसके लंड को पकड़ लिया. और धीरे-2 सहलाने लगी.

रवि एक दम मस्त हो गया. और अपनी आँखों को बंद कर लिया. रज़िया के होंठो पर वासना से भरी मुस्कान फैल गयी. अब रज़िया को उसका शिकार अपने सिकंजे मे फँसता हुआ नज़र आ रहा था. रज़िया ने धीरे-2 रवि की जाँघो को थोड़ा सा फैला दिया. रवि को अपनी आँखों को खोले रखने मे अब बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी. और वो अपनी आधी खुली आँखों से रज़िया के हरकतों को देख रहा था.

रज़िया ने धीरे से रवि की जाँघो को फैला कर उसके पाजामे के नाडे को पकड़ को खींच कर खोल दिया. जैसे ही रवि के पाजामे का नाडा खुला. रवि एक दम से कांप उठा. रज़िया ने बिना कोई देर किए उसके पाजामे को खेंचना चालू कर दिया. लेकिन रवि का पाजामा उसके चुतड़ों मे आकर अटक गया. और रवि ने भी अपनी गान्ड को थोड़ा सा ऊपर उठा लिया. और रज़िया के होंठो की मुस्कान बढ़ गयी. रज़िया ने रवि के पाजामे को उतार कर उसके पैरों तक उतार दिया.
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