RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
एप्रा गाँव का नाम सुनते ही राज की आँखों के सामने वीना की छबि उभर आई. और साथ मे उसे निर्मला का भी ख़याल आ गया. राज का दिल अब निर्मला के लिए धड़कने लगा. राज जानता था, कि निर्मला आसानी से उसकी बात मान जाएगी. पर उसके पति मुरली का वो क्या करेगा. राज ने टाइम देखा. 2 बज रहे थे.
राज : ठीक है, मैं एप्रा गाँव से चिकेन ले आता हूँ.
रवि: बाबू जी मे साथ मे चलूं
राज : नही रहने दो. मे चला जाउन्गा.
और राज उठ कर बाहर आकर अपनी कार मे बैठा , और कार को हवेली से निकाल कर एप्रा गाँव की ओर बढ़ा दिया. राज आधे घंटे मे ही एप्रा गाँव पहुँच गया. उसने वहाँ पहुँच कर अपनी कार को निर्मला के कमरे के सामने खड़ी कर दिया. मुरली जो कि एक आम के पेड के नीचे चारपाई पर लेटा हुआ था. कार की आवाज़ सुन कर एक दम से खड़ा हो गया. और भागता हुआ कार के पास गया.
राज कार से निकला तो मुरली ने उसे झुक कर सलाम किया.
मुरली: आइए बाबू जी. अचानक से कैसे आना हुआ.
राज : मुरली यहाँ चिकेन कहाँ मिलेगा.
राज की बात सुन कर मुरली सोच मे पड़ गया. और फिर कुछ देर सोचने के बाद बोला. बाबू जी पहले तो यहाँ एक बड़ा सा फारम था. जो कुछ दिनो पहले बंद हुआ है. पर हां साथ वाले गाँव से मिल जाएगा. यहीं पास मे ही है. कहें तो मे ला देता हूँ.
बाहर आवाज़ सुन कर निर्मला भी बाहर आ गयी. और राज की तरफ देखते हुए कामुक मुस्कान अपने होंठो पर ले आई.
राज : तुम्हे कितना टाइम लगे गा.
मुरली: बाबू जी 30-40 मिनिट तो लग ही जाएँगे.
राज : (अपनी जेब से पैसे निकाल कर मुरली को देते हुए) जाओ ले आओ.
मुरली: बाबू जी आप अंदर बैठिए. मैं जाकर ले आता हूँ. (अपनी पत्नी को) अर्रे जा बाबू जी को अंदर बैठा कर पानी पिला. मैं बाबू जी के लिए चिकेन लेकर आता हूँ.
और मुरली अपना कुर्ता जो कि उसने चारपाई पर रखा हुआ था. उठा कर पहन कर जाने लगा. राज ने निर्मला की ओर देखा.
निर्मला: (होंठो पर कातिल से मुस्कान लाते हुए) आइए बाबू जी.
राज कमरे की तरफ बढ़ने लगा. कमरे की ओर जाते हुए, वो दरवाजे पर खड़ी निर्मला की ओर देख रहा था. निर्मला ने येल्लो कलर की साड़ी पहनी हुई थी. राज कमरे मे आ गया. अंदर आते ही निर्मला ने राज को चारपाई पर बैठने के लिए कहा. राज चारपाई पर बैठ गया. निर्मला राज के लिए पानी ले आई. और पानी का ग्लास उसकी तरफ बढ़ा दिया.
राज ने उसकी तरफ देखते हुए पानी का ग्लास लिया, और पीने लगा. जब राज ने खाली ग्लास निर्मला को वापिस पकड़ा दिया. तो राज के हाथ निर्मला के हाथ को छू गये. निर्मला राज की ओर देखते हुए मुस्कुराने लगी. निर्मला ने ग्लास को वापिस रखा.
निर्मला: (होंठो पर कातिल मुस्कान लाते हुए) बाबू जी आपके लिए चाइ बनाऊ.
राज : (थोड़ा नर्वस फील कर रहा था. वो सोच रहा था, कि वो शुरुआत कहाँ से करे) नही चाइ रहने दो.
निर्मला राज के पास आई, और चारपाई के सामने एक चौकी पर बैठ गयी. निर्मला की साड़ी का पल्लू उसके कंधे से थोड़ा सा नीचे सरका हुआ था. और ब्लाउस के ऊपेर का हुक खुला था. राज की नज़रें सीधे वहीं चली गयी.
निर्मला: (राज को अपनी चुचियों की ओर घूरता देख कर) तो बाबू जी आप की क्या सेवा करूँ. बोलिए ना ? आप कॉन सा रोज-2 इधर आते हो.
राज ने अपने मन मे सोच लिया, अब जो होगा देखा जाएगा. अब वो सीधे -2 अपने इरादे जाहिर कर देना चाहता था. राज ने निर्मला की आँखों मे देखते हुए, उसके एक हाथ को पकड़ लिया. और अपने दूसरे हाथ से अपने पेंट की ज़िप्प खोल कर अपने लंड को बाहर निकाल लिया. निर्मला का दिल राज के मोटे 8 इंच के लंड को देख कर जोरों से धड़कने लगा.
फिर राज ने निर्मला की वासना से भरी हुई आँखों की ओर देखते हुए, निर्मला के हाथ को अपने हाथ से पकड़े हुए, अपने लंड पर रख दिया. निर्मला राज की ओर देखने लगी. जैसे वो पूछ रही हो, कि आख़िर वो चाहते क्या हैं. निर्मला की चूत राज के लंड को अपने हाथ मे लिए उसकी मोटाई को महसूस करके गीली हो रही थी.
निर्मला ने एक बार राज की आँखों मे देखा, और फिर राज के लंड को अपनी हथेली मे कस लिया. निर्मला के नरम हाथ अपने लंड पर महसूस करते ही. राज के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी. राज ने निर्मला के हाथ को छोड़ दिया, और निर्मला के सर के पीछे ले जाकर उसे अपने लंड पर झुकाने लगा. निर्मला को समझते देर नही लगी, कि राज क्या चाहता हैं.
निर्मला ने अपने गुलाबी होंठो को खोल कर उसे राज के लंड के सुपाडे पर कस लिया. और अपने होंठो को लंड के सुपाडे पर कस के रगड़ते हुए राज के लंड को चूसने लगी. निर्मला ने धीरे-2 राज के लंड को आधा मुँह मे ले लिया. और अपने हाथ को राज के लंड से हटा कर, अपने दोनो हाथों से अपने ब्लाउस के हुक्स खोलने लगी.
राज चारपाई पर बैठा , निर्मला को ब्लाउस के हुक्स खोलते हुए देख रहा था. निर्मला की बड़ी-2 चुचियाँ ब्लाउस के हुक्स खुलते ही बाहर आ गयी. राज का लंड निर्मला के ब्राउन कलर के निपल्स को देख कर और तन गया.
निर्मला राज के लंड को आधे से ज़्यादा मुँह मे भर कर चूस रही थी. राज ने निर्मला को उसके कंधों से पकड़ कर खड़ा कर दिया. और उसे चारपाई पर बैठे -2 अपनी ओर खैंच लिया. निर्मला राज की बाहों मे समा गयी.
निर्मला: (कामुक मुस्कान अपने होंठो पर लिए हुए) जाओ बाबू जी. उस दिन तो आप मेरी तरफ देख भी नही रहे थे. आज क्या हो गया.
राज ने निर्मला की बात का जवाब नही दिया. निर्मला की चुचियाँ राज की आँखों के सामने थी. और उसके तने और कड़े निपल देख-2 कर राज का लंड झटके खा रहा था. राज ने निर्मला के चुतड़ों को अपने हाथों मे कस के पकड़ लिया, और ज़ोर-2 से मसलना चालू कर दिया.
निर्मला: (काँपती हुई आवाज़ मे) अहह बाबू जीए आराम सीई ओह्ह्ह्ह धीरे-2 करो ना. ओह सीईईईईई
राज निर्मला के चुतड़ों को उसकी साड़ी के ऊपेर से मसल रहा था. निर्मला ने मस्ती मे आकर अपनी आँखों को बंद कर लिया. उसके होंठो थरथरा रहे थे. उसकी चुचियों के निपल कामवासना के कारण एक दम तन चुके त. जो राज को ललचा रही थी. राज ने निर्मला के चुतड़ों को मसलते हुए. निर्मला के निपल पर अपनी जीभ को घुमाना शुरू कर दिया.
राज की जीभ से अपने निपल को कुरदेन पर निर्मला एक दम कसमसा उठी, उसके बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी.
निर्मला: उम्ह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह हां बाबू जीई ईसीईई पूरा मुँह मे ले लो. ओह्ह्ह्ह आप सच मे बहुत अच्छे से चूस्ते हो.
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