Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
12-20-2019, 12:57 PM,
#50
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
निर्मला की बात सुनते ही, राज ने निर्मला की चुचि को मुँह मे भर लिया. और ज़ोर -2 से उसके निपल को चूसने लगा. निर्मला ने अपने हाथों से राज के बालों को तेज़ी से सहलाना चालू कर दिया. निर्मला मस्त हो कर राज से लिपिटी जा रही थी. राज भी जोश मे आकर उसके चुतड़ों को ज़ोर-2 से मसलने लगा.

निर्मला: (राज के मुँह से अपना निपल्स खैंचते हुए, और दूसरी चुचि को राज के होंठो की तरफ बढ़ाते हुए) उम्ह्ह्ह्ह्ह बाबू जी इसने क्या पाप किया है. इसे भी तो प्यार करो ना.

राज ने निर्मला की वासना से भरी आँखों की ओर देखा. निर्मला होंठो पर कामुक मुस्कान लिए हुए मुस्कुरा रही थी. राज ने निर्मला की दूसरी चुचि को मुँह मे भर लिया. और उसने निर्मला के निपल पर अपने दाँतों से हल्के- 2 काटना चालू कर दिया.

निर्मला: अहह बाबू जीई ओह हां काट लो जी भर के चूसो इन्हे ओह बहुत मज़ा आ रहा है बाबू जी ओह्ह्ह्ह ओह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.

राज खड़ा हो गया. और उसने अपनी पेंट के पॉकेट से एक कॉंडम निकाला. और उसकी पॅकिंग को खोलने लगा. निर्मला ने राज के हाथ से कॉंडम ले लिया, और उसे एक तरफ फैंक दिया. और फिर राज के लंड को पकड़ कर तेज़ी से हिलाने लगी.

निर्मला: ओह्ह्ह्ह बाबू जी क्यों इसे लगा कर मज़ा खराब कर रहे हो. इसकी कोई ज़रूरत नही है. पूरा एक साल हो गया. मेरी चूत मे लंड घुसे हुए. और आज जब आपका मोटा लंड मेरी चूत के सूखे को ख़तम करने वाला है. तो इस पर कॉंडम क्यों चढ़ा रहे हो. बाबू जी आप मेरी चूत को अपने पानी से भर दो. मेरी चूत बहुत प्यासी है.

राज निर्मला की तरफ सावलिया अंदाज़ मे देखने लगा. निर्मला राज के दिल की बात समझ गयी.

निर्मला: बाबू जी मे सच कह रही हूँ. मुझ भी अपनी जान प्यारी है. ओह्ह बाबू जी अब जल्दी करो.

और निर्मला ने राज को चारपाई पर बैठा दिया. और राज की पेंट को खोल कर, राज के अंडरवेर को पेंट के साथ उसके घुटनो तक सरका दिया. फिर वो तेज़ी से दरवाजे की तरफ गयी. और बाहर झाँकने लगी. चारो तरफ कड़ी धूप थी. और दूर-2 तक कोई नज़र नही आ रहा था.

निर्मला ने दरवाजे को भिड़ा दिया, और चारपाई की तरफ आते हुए, अपनी साड़ी और पेटिकॉट को दोनो हाथों से पकड़ कर ऊपेर की ओर उठने लगी. जब तक वो चारपाई के पास पहुँची , तब तक वो अपनी साड़ी को अपनी कमर से ऊपेर उठा चुकी थी, निर्मला ने एक दिन पहले ही, अपनी चूत के बालों को सॉफ किया था. उसकी चूत एक दम चिकनी लग रही थी.

राज का लंड निर्मल की चिकनी फूली हुई चूत देख कर और तन गया. निर्मला की गोरी-2 जांघे और चूत देख कर राज का दिल जोरों से धड़कने लगा. जैसे ही निर्मला राज के पास आकर खड़ी हुई, राज ने अपने हाथों से निर्मला की जाँघो को सहलाना चालू कर दिया. निर्मला एक दम से मचल उठी. और वो अपने होंठो को अपने दाँतों से हल्के-2 काटने लगी.

राज अपने दोनो हाथों से निर्मला की जाँघो को सहलाता हुआ, धीरे उसकी चूत की तरफ अपने हाथों को बढाने लगा. और जैसे-2 राज के हाथ उसकी चूत की तरफ बढ़ रहे थे. निर्मला का बदन मस्ती मे कांपे जा रहा था. और उसकी जांघे फैली जा रही थी.

निर्मला: (वासना से भरी काँपती आवाज़ मे) आहह बाबू जी ओह्ह इसे प्यार से सहलाइए. ओह्ह्ह्ह पूरा एक साल हो गया. मेरी चूत किसी मर्द के हाथों के सपर्श के लिए तरस गयी थी. ओह हाआँ बाबू जी मेरी चूत को अपनी मुट्ठी मे भर के मींज दो. ओह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईईईईईईईई

निर्मला का पूरा बदन कांप रहा था. राज अपने एक हाथ से निर्मला की चूत की फांकों के बीच की दरार मे अपनी उंगली रगड़ रहा था. और निर्मला की कमर मस्ती मे आकर झटके खा रही थी.

निर्मला: उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईईई अहह बाबू जी बससस्स और्र्रर बर्दास्त नही हो रहा. आप जल्दी से लेट जाईए. ओह्ह्ह्ह्ह.

राज चारपाई पर अपने पैरो को नीचे लटका कर लेट गया. राज की कमर के ऊपेर का हिस्सा चारपाई पर था, और पैर चारपाई के नीचे लटक रहे थे. राज के लंड का सुपाडा चूत को सलामी दे रहा था. जिसे निर्मला अपनी हसरत भरी निगाहों से देख रही थी.

निर्मला ने अपनी साड़ी और पेटिकॉट को अपनी कमर मे थामें हुए, राज के दोनो ओर अपनी टाँगों को फैला कर चारपाई के किनारे पर पैरो के बल बैठ गयी. और उसने अपनी साड़ी को अपने हाथों से छोड़ दिया. जैसे ही निर्मला पैरों को राज की कमर के दोनो तरफ करके बैठी . राज के लंड का सुपाडा, निर्मला की चूत की फांको पर रगड़ खाने लगा. और निर्मला के मुँह से मस्ती से भरी हुई आह निकल गयी.

निर्मला ने अपना एक हाथ राज की चौड़ी छाती पर रखा, और दूसरे हाथ से राज का लंड पकड़ कर लंड के सुपाडे का जायज़ा लेने लगी. निर्मला की साड़ी खिसक कर नीचे आ गयी थी. जिससे राज को उसकी चूत दिखाई देनी बंद हो गयी. राज ने झट से अपने हाथों को निर्मला के चुतड़ों के पीछे ले जाकर, उसकी साड़ी को ऊपेर कर दिया. और उसके भारी मोटे-2 चुतड़ों पर अपने हाथ फेरने लगा.

राज के निर्मला के चुतड़ों को सहलाने के कारण निर्मला मस्ती से सरोबार हो गयी. उसने अपने आँखे बंद कर ली. और अपने हाथ से लंड को पकड़े हुए, लंड के सुपाडे को अपनी चूत के छेद पर लगा लिया. लंड का गरम सुपाडा जैसे ही निर्मला को अपनी चूत के छेद पर महसूस हुआ, निर्मला की चूत की दीवारों मे सरसराहट होने लगी. उसने अपने होंठो को अपने दाँतों मे भींच लिया. और अपनी चूत के छेद को लंड के सुपाडे पर दबाने लगी.


राज के लंड का सुपाडा, निर्मला की चूत के संकरे छेद को फैलाता हुआ अंदर घुसाने लगा. चूत की फांके खुल कर फैल गयी. और जैसे ही लंड का सुपाडा चूत के छेद के अंदर गया. चूत की फांकों ने लंड के सुपाडे को चारो तरफ से कस लिया. निर्मला अपने चूत की दीवारों को सुपाडे पर कसे हुए महसूस कर रही थी. उसकी चूत मे कुलबुलाहट होने लगी.

उसने अपनी वासना से भरी नसीली आँखों को खोल कर राज की तरफ देखा. जो उसकी चुचियों की तरफ देखते हुए, उसके चुतड़ों को अपनी हथेलियों मे भर-2 कर मसल रहा था.

निर्मला: बाबू जी ओह्ह्ह्ह आप का तो बहुत मोटा है. देखो ना मेरी चूत के छेद मे ही फँस गया है. आगे नही जा रहा. अब आप ही कुछ करो ना.

राज : करता हूँ. तैयार रहना.

निर्मला: बाबू जी मे तो उस दिन से ही आपके लंड को अपनी चूत मे लेने के लिए तैयार थी. पर आप ने ही मुझ से मुँह मोड़ लिया.

राज ने निर्मला के चुतड़ों को अपने हाथों मे कस के दबोच लिया. और ऊपेर की तरफ अपनी कमर को उछाल दिया. लंड का सुपाडा चूत की सन्करि दीवारों को फैलाता हुआ, अंदर घुसने लगा. निर्मला अपनी चूत की दीवारों पर राज के मोटे लंड को महसूस कर मचल उठी. और उसके मुँह से मस्ती भरी सिसकारियाँ छूटने लगी.

निर्मला: उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अहहहह बाबू जी पेल दो जड तक अंदर डाल दो अपने लंड को अहह देखो ना मेरी चूत कैसी अपने प्यार का रस बहा रही है.

राज निर्मला की गरम बातों को सुन कर और जोश मे आ गया. और निर्मला के चुतड़ों को थामें हुए. तेज़ी से अपनी कमर को ऊपेर की ओर उछाल कर अपने लंड को निर्मला की टाइट चूत के अंदर बाहर करता हुआ, चोदने लगा.

कुछ ही पलों मे राज का लंड निर्मला की चूत मे पूरा का पूरा अंदर बाहर होने लगा. और राज के लंड का सुपाडा, बार-2 निर्मला की बच्चेदानी के मुँह पर जा कर टकरा रहा था. निर्मला अपनी बच्चेदानी के मुँह पर राज के लंड के मोटे सुपाडे को चूत पर महसूस करके मस्त हुई जा रही थी..

निर्मला: अहह अह्ह्ह्ह अहह ओह्ह्ह्ह ओह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह बाबू जी हां चोदो मुझे ओह्ह्ह ओह्ह्ह ज़ोर से चोदो ओह्ह्ह आपके लंड ने मेरी चूत्त्त को ठंडक पहुँचा दी है. आज पूरी एक साल बाद मेरी चूत को किसी मर्द का लंड नसीब हुआ हैं.

निर्मला पंजों के बल चारपाई के किनारे बैठी हुई, तेज़ी से अपनी गान्ड को ऊपेर उछाल-2 कर अपनी चूत को राज के लंड पर पटक-2 कर चुद रही थी. और मस्ती मे आकर अपने एक हाथ से अपनी चुचि को पकड़ कर मसल रही थी. निर्मला की गान्ड राज की मांसल जाँघो से टकरा कर थप-2 की आवाज़ करने लगी. जो पूरे कमरे मे गूँज रही थी.

निर्मला: उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईईई बाबू जी आप का लंड्ड तो सच मे लोहे के जैसा है. ओह्ह्ह्ह मेरी चूत्त्त्त्त्त्त तो अभी से पानी छोड़ने वाली है. ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह बाबू जी और जोर्र्र से चोदो ओह्ह्ह मेरी चूत्त्त्त्त्त अपने प्यारर के रस की नदी बहने वाली है. ऊम्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उन्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अहह

और निर्मला की चूत ने पानी छोड़ दिया. उसकी चूत से पानी की गरम नदी सी बह निकली. जिससे राज का लंड एक दम चिकना होकर चमकने लगा. राज अभी भी तेज़ी से अपनी कमर को हिला-2 कर निर्मला की चूत मे अपना लंड पेले जा रहा था.

निर्मला राज के ऊपेर से खड़ी हो गयी. राज एक दम झल्ला उठा.

राज : ये क्या कर दिया साली. अभी मेरे लौडे ने पानी नही छोड़ा है.

निर्मला: (रंडी की तरहा मुस्कुराते हुए) बाबू जी आपका जितना मन है मुझ चोद लो. बस मे आपके वीर्य की एक भी बूँद को अपनी चूत से बाहर नही गिरने देना चाहती.

ये कह कर निर्मला अपने दोनो घुटनो को चारपाई के किनारे पर रख कर आगे की तरफ झुक कर डॉगी स्टाइल मे आ गयी.

निर्मला: (राज की ओर वासना से भरी नज़रों से देखते हुए) आइए बाबू जी अपनी रांड़ को कुतिया की तरहा चोद डालिए.

राज चारपाई से खड़ा हो गया. और अपने घुटनो को थोड़ा सा मोड़ कर झुक कर अपने लंड को निर्मला की चूत की सीध मे ले आया. निर्मला आगे से नीचे झुक गयी. जिससे उसकी गान्ड बाहर की तरफ आने से, पीछे से उसकी चूत का छेद ऊपेर की ओर हो गया. उसकी चूत की फाँकें फैली हुई थी. और चूत के पानी से सनी हुई थी.

राज ने अपने लंड को पकड़ कर निर्मला की चूत के छेद पर लगा दिया. लंड का गरम सुपाडा फिर से अपनी चूत के छेद पर महसूस करके, निर्मला की मस्ती मे आँखे बंद हो गयी. और राज ने निर्मला की कमर को पकड़ कर अपनी कमर को आगे की तरफ धकेला. लंड का सुपाडा फिर से चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर घुस गया. राज ने फिर से अपनी कमर को हिलाया. इस बार चूत गीले होने के कारण राज का लंड बिना कुछ रुकावट के अंदर जड तक घुस गया.

और राज ने बिना रुके अपनी कमर को हिलाते हुए, अपने लंड को अंदर बाहर करना चालू कर दिया. फिर से थप-2 और फॅक-2 की आवाज़ पूरे कमरे मे गूंजने लगी. और निर्मला की मस्ती से भरी सिसकारियाँ पूरे कमरे मे गूंजने लगी. निर्मला भी फिर से झड़ने के करीब थी. और राज के लंड की नसें भी फूलने लगी थी.

निर्मला: अह्ह्ह्ह बाबू जीईई आपके लंड मे कितनी जान है ओह मेरी चूत तो फिर से पानी छोड़ने वाली है ओह्ह्ह ओह बाबू जी मेरा होने वाला है ओह सीओिईईईईईईई उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अहह आह अहह अह्ह्ह्ह

और इसबार निर्मला के साथ-2 राज के लंड से भी वीर्य के गरम पिचकारियाँ छूटने लगी. निर्मला अपनी चूत की दीवारों पर बहते हुए राज के गाढ़े गरम वीर्य को महसूस करके मस्ती से सारॉबार हो गयी. थोड़ी देर राज ऐसे ही अपने लंड को निर्मला की चूत मे घुसाए खड़ा रहा.

निर्मला: बाबू जी अब तो निकाल लो. मुरली आने ही वाला हो गा.



राज ने जल्दी से अपने लंड को निर्मला की चूत से निकाल लिया. उसका लंड एक दम भीगा हुआ था. और वो कमरे मे इधर उधर किसी पुराने कपड़े को देखने लगा.

निर्मला: क्या ढूँढ रहे हैं बाबू जी.

राज : वो इसे सॉफ करना है.

निर्मला : रुकें मे कर देती हूँ.

और निर्मला चारपाई से नीचे उतरी. और जल्दी से अपनी ब्लाउस के हुक्स बंद करके अपनी साड़ी ठीक कर ली. फिर वो चारपाई पर बैठ गयी. और राज के आधे तने हुए लंड को हाथ मे लेकर राज की आँखों मे देखने लगी.

राज : देख क्या रही है जल्दी से इसे किसी कपड़े से सॉफ कर.

निर्मला ने राज की आँखों मे देखते हुए, राज के लंड के सुपाडे को अपनी जीभ निकाल कर चाटना शुरू कर दिया. और निर्मला ने राज के लंड को चाट-2 कर लंड पर लगे अपने और राज के काम रस को सॉफ कर दिया. फिर अपनी साड़ी के पल्लू से राज के लंड को अच्छी तरहा सॉफ कर दिया.
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