Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
12-20-2019, 12:58 PM,
#52
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
बाहर अब तेज़ी से हवा चल रही थी. वो अभी कुछ ही कदम चले थे, कि बारिश तेज़ी से शुरू हो गयी. और दोनो तेज़ी से चलने लगी. रास्ते मे सर छुपाने तक की कोई जगह नही थी. दोनो तेज़ी से हवेली की तरफ भागने लगे. दोनो कुछ ही पलों मे पूरी तरहा से भीग गये. रवि डॉली के आगे -2 तेज़ी से चल रहा था. अचानक डॉली का पैर उँची हील के कारण मूड गया.

डॉली एक दम से चीख उठी, और वो गिरते-2 बची. रवि वापिस पीछे की और भागा.

रवि: क्या हुआ दीदी.

डॉली: आह रवि मेरा पैर मूड गया था. चल जल्दी कर.

दोनो तेज़ी से चलते हुए हवेली मे पहुँच गये. हाल के अंदर आकर डॉली ने हरिया को आवाज़ दी. पर हरिया का कुछ पता नही था.

रवि अपने फेस पर पानी को पोंछ रहा था. तभी उसका ध्यान डॉली की तरफ गया. डॉली एक दम भीगी हुई थी. उसकी जवानी उसके कपड़ों के अंदर से झलक रही थी. उसकी पतला सा वाइट कलर का सलवार कमीज़ गीला होकर उसके बदन से चिपक गया था. एक साइड से डॉली की सलवार गीली होने के कारण उसकी अंदर पहनी हुई ब्लॅक कलर की पैंटी को देख रवि के दिल ने धड़कना बंद कर दिया.

पतली सी सलवार उसके चुतड़ों और जाँघो से एक दम चिपकी हुई थी. और अंदर उसकी गोरी-2 मांसल जांघे और ब्लॅक कलर की पैंटी को देख रवि का लंड उसकी पेंट मे तन गया. डॉली अपने रुमाल से अपने फेस को सॉफ कर रही थी. उसका ध्यान रवि की तरफ नही था. जो उसे बड़ी हसरत भरी नज़रों से देख रहा था.

डॉली की कमीज़ का भी वही हाल था. वो भी गीली होकर उसके बदन से चिपकी हुई थी. और डॉली की ब्लॅक कलर की ब्रा और उसकी पतली कमर और गहरी लंबी नाभि सॉफ-2 दिखाई दे रही थी. रवि एक टक डॉली को देखे जा रहा था. अचानक से डॉली ने रवि की ओर देखा. जो उसके कयामत बदन को देख कर अपनी आँखे सेंक रहा था. डॉली एक दम शरमा गयी. पर उसने ये बात जाहिर नही होने दी. क्योंकि उसकी नज़र मे रवि एक नौकर से बढ़ कर कुछ भी नही था. वो जल्दी से अपने रूम की तरफ गयी.

जैसे ही वो रूम मे आई, तो उसने देखा कि, रोमा नीचे फर्श पर लेटी सो रही थी. क्योंकि डॉली ही उसे साहिल की देख भाल के लिए कह कर गयी थी. और साहिल भी सो रहा था. डॉली ने अपनी ममता से भरी नज़रों से अपने दिल के दुलारे राजकुमार को देखा, और फिर रोमा को आवाज़ लगाई.

रोमा डॉली की आवाज़ सुन कर झट से उठ गयी, और खड़ी हो गयी.

डॉली: हरिया काका कहाँ हैं.

रोमा: जी दीदी शायद वो अपने कमरे मे गये हैं पीछे.

डॉली: अच्छा ठीक है. मैं अपने कपड़े चेंज करती हूँ. तू जाकर मेरे लिए बढ़िया सी चाइ बना दे. और हां सुन रवि के लिए भी बना देना.

रोमा: जी दीदी मे अभी बना देती हूँ.

और रोमा बाहर चली गयी. रोमा के जाते ही डॉली ने डोर लॉक किया, और आलामरी मे से दूसरे कपड़े निकाले, और बाथरूम मे घुस गयी. अंदर जाकर उसने अपने कपड़े उतारने चालू कर दिए. कपड़े उतारने के बाद उसने अपनी ब्रा और पैंटी को भी निकाल कर मशीन मे डाल दिया. और फिर वो अपने बदन को टवल से पौंछने लगी.

तभी उसे अपनी चूत की फांकों के बीच मे कुछ चिपचपा सा अहसास हुआ. डॉली ने अपने हाथों की उंगलियों से अपनी चूत की फांकों को फैला कर. सामने लगे आयने मे देखा. उसकी चूत का छेद उसके काम रस से एक दम सना हुआ था. डॉली के बदन मे अजीब सी सिहरन दौड़ गयी. और उसे बस मे रवि के लंड का अपने कपड़ों के ऊपेर से हुआ स्पर्श याद आ गया. पर फिर भी उसने अपने सर को झटक दिया. और पानी से अपनी नाज़ुक सी चूत को धो कर सॉफ करके नयी ब्रा और पैंटी पहनने लगी.

जब डॉली अपनी ड्रेस चेंज करके बाहर आई. तो रवि भी अपने कपड़े चेंज करके आ चुका था, और वो चाइ पी रहा था. डॉली रवि से नज़रें नही मिला रही थी. उसने बिना रवि की ओर देखे ही अपनी चाइ का कप उठाया, और रूम मे चली गयी. 2 घंटे लगतार बारिश होती रही.

जब बारिश बंद हुई. तो रवि जैसे ही बाहर आया. तो राज की कार हवेली के अंदर आकर रुकी. और राज उतर कर अंदर की ओर आने लगा.

राज : तुम्हारी दीदी कहाँ पर है. (हाल मे अंदर की ओर जाते हुए)

और रवि हवेली की ओर जाते हुए, घूम कर दूसरे रास्ते से खेतो की तरफ निकल पड़ा. वो तेज़ी से चलते हुए खेतो मे पहुँच गया. जब वो रज़िया के कमरे के सामने पहुँचा , तो उसने चारो तरफ देखा. नज़दीक कोई नही था. वो कमरे की तरफ बढ़ने लगा. चारो तरफ़ा सन्नाटा पसरा हुआ था. जब वो कमरे के पास पहुँचा . तो उसने देखा कमरे कि बाहर कुण्डी लगी हुई थी.

रवि खेतो मे उस तरफ जाने लगा. यहाँ अक्सर रज़िया काम करती थी. वो दबे पावं आगे बढ़ने लगा. जैसे -2 वो आगे बढ़ रहा था. उसका दिल जोरों से धड़क रहा था. फिर अचानक से उसे हल्की से हँसने की आवाज़ सुनी दी. रवि को आवाज़ पहचानते देर ना लगी कि ये आवाज़ रज़िया की थी. पर अगले ही पल उसके दिमाग़ मे ये सवाल उठा. कि आख़िर रज़िया किसके साथ हंस रही है.

जाहिर सी बात है कि उसके साथ कोई ना कोई है. वो वापस मूड कर जाने लगा. उसने सोचा कि रज़िया के साथ किसी मजदूर की बेटी या पत्नी होगी. पर उसे फिर से रज़िया की धीमे से आवाज़ सुनाई पड़ी. वो आवाज़ ऐसी थी. जैसे अक्सर रज़िया रवि के लंड को अपनी चूत मे लिए हुए सीसियाती थी. रवि के पावं वहीं रुक गये.

वो फिर से धीरे-2 आवाज़ की तरफ बढ़ने लगा. वो अपने कदमों को ऐसे रख रहा था. जैसे कोई शिकारी अपने शिकार को दबोचने के लिए आगे बढ़ रहा हो. रज़िया की मस्ती से भरी हुई आवाज़ अब उसके कानो मे सॉफ-2 पड़ने लगी थी. फिर उसके कदम अचानक से रुक गये. सामने जो रवि देख रहा था. उसे अपनी आँखों पर यकीन नही हो रहा था.

रज़िया नीचाई तरपाल बिछा कर लेटी हुई थी. उसने अपने टाँगों को किसी के कंधे पर रखा हुआ था. रज़िया का लहंगा उसकी कमर पर चढ़ा हुआ था. और उसकी मोटी गान्ड सॉफ दिखाई दे रही थी. रज़िया ने ऊपेर से अपनी चोली निकाली हुई थी. वो ऊपेर से बिल्कुल नंगी थी.

और रज़िया अपनी गाड़ को तेज़ी से ऊपेर की ओर उछाल कर उस सख्स के लंड पर अपनी चूत को पटक-2 कर चुदवा रही थी. जैसे ही उस सख्स ने उसकी तरफ अपना मुँह घुमाया. तो रवि को पहचनाते देर ना लगी. वो रज़िया का देवर अली था.

रज़िया: (आहह आहह सीईईईई करते हुए) क्या कर रहा है जल्दी कर ना बीच खेतो मे मुझ नंगा कर दिया है. अगर किसी ने देख लिया तो.
अली: क्या करूँ भाभी कब से तुम्हारी चूत को चोदा नही था. आज तो जी भर कर चोदने दे ना अपने देवर को.

और अली का लंड तेज़ी से रज़िया की चूत के अंदर बाहर हो रहा था. रज़िया भी पूरी मस्ती मे अपनी गान्ड को उछाल-2 कर अपनी चूत मे अपने देवर के लंड को ले रही थी. ये देख कर रवि का गुस्से का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया. दोनो काफ़ी देर तक चुदाई का मज़ा लेते रहे. जैसे ही दोनो झडे. तो रज़िया ने उठ कर जल्दी से अपनी चोली पहनी. और अपना लहंगा ठीक किया.

रज़िया: सुन कितने दिन यहाँ रहेगा.

अली: भाभी मैं तो कल ही चला जाउन्गा.

रज़िया: क्या क्या कह रहा है. तुझे मेरी ज़रा भी फिकर नही. पूरे एक साल के बाद आया है. और कल ही चला जाएगा. तुझे पता है तेरे लंड को याद करके मेरी चूत ने कितने आँसू बहाए हैं. मैं तो कब से तड़प रही हूँ.

अली: भाभी कुछ दिन और सबर कर लो. एक बार मैं वहाँ अपना काम सेट कर लूँ फिर तुम्हें और भैया को अपने साथ ले चलूँगा. और फिर तुम्हारा देवर दिन रात तुम्हारे पास रहेगा .

रज़िया अली की बाहों मे समा गयी. और अली रज़िया के होंठो को चूसने लगा. अली अपने दोनो हाथों से रज़िया की गान्ड को मसल रहा था. दोनो थोड़ी देर बाद अलग हुए.

अली: अच्छा भाभी तुम जाकर खाना तैयार करो. मे ज़रा उधर से होकर आता हूँ.

ये कह कर अली दूसरी तरफ से खेतो के और अंदर चला गया. रज़िया तिरपाल को इकट्ठा करके कमरे की तरफ आने लगी. रवि ने पहले तो वहाँ से हटने के बारे मे सोचा. फिर कुछ सोच कर वो वहीं खड़ा हो गया. जैसे रज़िया आगे बढ़ी. तो सामने रवि को देख कर उसके पैरों तले से ज़मीन खिसक गयी.

रज़िया: (हडबडाते हुए) अरे रवि तू कब आया.

रवि: तब जब तुम अली के ऊपेर उछल-2 कर उसका लंड अपनी चूत मे ले रही थी.

रवि की बात सुन कर रज़िया का रंग उड़ गया. उसे समझ मे नही आ रहा था, कि वो रवि को क्या कहे.

रज़िया: वो वो रवि क्या है ना. कि मेरे और अली के बीच बहुत पहले से संबंध थे. वो मेरे साथ ज़बरदस्ती करने लगा था.

रवि: हां वो मैं देख रहा था. आज के बाद मैं तुम्हारे पास कभी नही आउन्गा. उससे चुदवा लेना.

रज़िया अपने मन मे सोचने लगी, कि अली का तो पता नही, वो कब उसे अपने साथ शहर लेकर जाएगा. इधर ये भी हाथ से निकला जा रहा है. और पता भी नही अली सच कह रहा है या झूठ.

रवि मूड कर वापिस जाने लगा. रज़िया उसे पीछे से आवाज़ देती रही पर रवि ने नही सुना, और वो गुस्से मे आकर हवेली की तरफ वापिस जाने लगा.

रज़िया: सत्यानाश अब क्या होगा. इस अली के बच्चे को भी आज ही आना था.

रवि हवेली मे पहुँच कर अपने पीछे बने कमरे मे चला गया. उसके दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया था. फिर रवि ने सोचा , कि उसने कुछ ज़्यादा ही रज़िया को बोल दिया है, पर रज़िया ने उसके साथ ग़लत क्या है. मैं उसके पास कभी नही जाउन्गा. वो काफ़ी देर अपने कमरे मे चारपाई पर लेटा रहा.

जब उसका दिमाग़ थोड़ी देर मे शांत हुआ, तो वो उठ कर बाहर आ गया. और पीछे बने हुए बाथरूम मे चला गया. जैसे ही वो बाथरूम मे पहुँचा . उसके पैर वहीं रुक गये. सामने पूनम बैठी पेशाब कर रही थी. उसकी पीठ रवि की तरफ थी. पूनम हरिया की बेटी थी, जो पिछले दो सालों से अपनी मौसी के गाँव मे रह कर पढ़ रही थी, और शायदा आज ही आई थी.

पूनम ने इसी साल 10थ क्लास पास की थी. उसकी उम्र **** साल थी, और वो रवि से दो साल छोटी थी. जैसे ही पूनम ने पीछे मूड कर देखा, वो एक दम से हडबडा गयी. और जल्दी से खड़ी होने लगी. जैसे ही पूनम खड़ी होने को हुई, उसका सर ऊपेर बनी स्लॅब से टकरा गया. ये सब एक दम अचानक से हुआ. पूनम का सर बहुत ज़ोर से टकराया था

पूनम ने एक दम से अपने हाथों से अपने सर को पकड़ लिया. उसको बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा था, वो एक दम से दर्द के मारे चिल्ला उठी, ये सब इतनी जल्दी मे हुआ, कि रवि को कुछ सोचने समझने का मोका नही मिला, वो तेज़ी से पूनम की तरफ बढ़ा. पूनम की हालत ऐसी थी, जैसे वो अभी चक्कर खा कर गिर जाएगी.
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RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश - by sexstories - 12-20-2019, 12:58 PM

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