Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
12-20-2019, 01:09 PM,
#62
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
राज उस दिन बहुत खुस था. क्योंकि आज उसकी हवेली मे ही उसके लिए चूत का इंतज़ाम हो गया था. पर अभी राज को शायद चूत के लिए थोड़े दिन और तड़पना था. ठीक उसी टाइम फोन की घंटी बज उठी. राज ने फोन उठाया. और बात करने लगा. फोन डॉली की ससुराल से आया था.

जैसे कि मे पहले ही बता चुका हूँ. कि डॉली का पति अपनी माँ बाप की एकलौती औलाद था. और उसकी मौत के बाद. उसके पति का बिजनिस साहिल के नाम उसके सास ससुर ने कर दिया था. उनका बहुत बड़ा बिज्निस था. जिसमे 8-10 करोड़ की तो राज ने इनवेस्टमेंट करी थी, और बाकी का इनवेस्टमेंट का बड़ा हिस्सा डॉली के सास ससुर का था.

जैसे रवि ने डॉली के ससुर की आवाज़ सुनी. उसने डॉली को आवाज़ लगा दी. ये सोच कर कि वो शायद डॉली से बात करना चाहते हों. पर फिर राज जैसे फ़्रीज़ सा हो गया. डॉली उसके पास आकर खड़ी हो गयी. और राज से इशारे से पूछने की कॉसिश करने लगी. कि किसका फोन है. पर राज ने उसे इशारे से चुप रहने को कहा.

डॉली चुप हो गयी. राज ने कुछ देर बात की, और फोन रख दिया. उसके माथे पर शिकन सी आ गयी थी. राज को परेशान देख, डॉली भी परेशान हो गयी.

डॉली: क्या हुआ भैया. क्या बात है किसका फोन था.

राज : कुछ नही तुम्हारे ससुर का फोन था.

डॉली: क्या कह रह थे वो.

राज : कुछ नही. बस जो उन्होने नयी फॅक्टरी शुरू करने के लिए ज़मीन खरीदी थी. उसपर से उसका पहला मालिक कब्जा नही छोड़ रहा है. वो ये कह कर और पैसे माँग रहे है. कि ज़मीन के रेट बढ़ गये हैं.

डॉली: (परेशान होते हुए.) पर भैया. मम्मी पापा ने तो सारे पेपर्स अपने नाम ट्रान्स्फर करवा लिए थे. फिर वो अब ऐसे कैसे कर सकता है. क़ानून नाम की भी कोई चीज़ है.

राज : (हंसते हुए. जैसे डॉली की बात को मज़ाक मे उड़ा रहा हो.) किस क़ानून की बात करती हो. जिसकी आँखों पर काले रंग की पट्टी बँधी होती है.

डॉली: पर ये तो नाइंसाफी है.

राज : (सोफे से खड़ा होते हुए) हूंम्म तुम्हे पता है. जो न्याय की देवी की मूरत कोर्ट मे लगी होती है. उसकी आँखों पर काले रंग की पट्टी सी बँधी होती है. जानती हो पट्टी किस चीज़ की होती है.

डॉली: किस चीज़ की भैया. पर उससे हमे क्या लेना देना.

राज (अपने सर को हिलाते हुए) लेना देना है डॉली लेना देना है. वो पट्टी पैसो की ताक़त वर लोगों की तरफ से बँधी होती है डॉली. और उस पट्टी का क्या करना है मुझ अच्छी तरह पता है.

डॉली: भैया कुछ करो ना. ऐसे तो हमारे बहुत से पैसें डूब जाएँगे.

राज : (डॉली के सर पर हाथ फेरते हुए) तू फिकर क्यों कर रही है. अभी तुम्हारा भाई ज़िंदा है.

और राज ने फोन उठा कर विशाल को कॉल की, और विशाल को सारे बात बताई. विशाल अपने दोस्त के लिए कुछ भी कर सकता था. विशाल ने ये बोल कर फोन रख दिया. कि वो 1 घंटे मे उसके घर पहुँच रहा है.

राज फोन रख कर अपने कमरे मे चला गया. डॉली भी उसके पीछे रूम मे आ गयी.

डॉली: भैया अब आप क्या करने वाले है. मुझे आपके इरादे कुछ ठीक नही लग रहे.

राज : (अपने कुछ कपड़ों को बॅग मे डालते हुए) मे अभी अलीगढ़ जा रहा हूँ.

डॉली: मे भी साथ चलूंगी.

राज : देखो तुम वहाँ जाकर क्या करोगी. तुम ऐसे ही फिकर करने लग जाती हो.

डॉली: नही भैया मुझे भी साथ चलो. और मैं कुछ दिन वहाँ माँ और पापा के साथ रहूंगी.

राज जानता था. कि डॉली भी उसी की तरहा ज़िद्दी है.

राज : ठीक है. जाओ तैयार हो जाओ. और हां रवि को भी तैयार होने के लिए बोल दो. जब मैं वहाँ से वापिस आ जाउन्गा. वो वहीं रहगा तुम्हारी और साहिल की देखभाल के लिए. मुझ कुछ दिन पहले तुम्हारे ससुर ने बताया था कि, उन्होने घर से 1 नौकर को छोड़ कर सब को हटा दिया है.

और वैसे भी अब उन्हे ज़्यादा नौकरों की ज़रूरत नही है. इसीलिए रवि अगर तुम्हारे साथ रहेगा. तो उन्हे भी साहिल और तुम्हे संभालने मे मदद मिल जाए गी. जाओ जाकर तैयार हो जाओ

और डॉली ने जल्दी से बाहर आकर हरिया को बोल दिया कि रवि को तैयार होने के लिए कह दें. और डॉली अपने रूम मे आकर तैयार होने लगी. राज तैयार होकर अपना बॅग उठा कर बाहर आ गया. रवि पहले से बाहर तैयार खड़ा था. उसका मन जाने का बिल्कुल भी नही था. पर वो राज की बात को कैसे टाल सकता था. और शायद होनी को भी यहीं मंजूर था.

राज का रवि और डॉली को साथ लेचलने मे अपना भी स्वार्थ था. क्योंकि डॉली के जाने के बाद राज बिना किसी डर के निर्मला के बदन को भोग सकता था. और रवि ही हवेली के अंदर ऐसा था. जो तेज था, जो शायदा राज के इरादों को भाँप सकता था.

जैसे ही राज बाहर आया. तो बाहर से गार्ड के साथ माखन शर्मा हवेली मे आ गया. गार्ड उसे हाल मे छोड़ कर चला गया.

राज: आओ माखन कैसे हो. तुम्हारा बेटा कैसे है.

माखन: आपकी दया से वो अब ठीक है बाबू जी. दो दिन बाद उसे छुट्टी मिलजाएगी.

राज : अच्छा अगर तुम्हें कोई तकलीफ़ ना हो तो क्या. तुम मेरे साथ 1-2 दिन के लिए अलीगढ़ चल सकते हो.

माखन : बाबू जी आप के मुँह से निकली हुई हर बार अब मेरे लिए भगवान के हुकम के बराबर है. बताए क्या काम है.

राज : कुछ ख़ास नही बस कुछ ज़मीन का लफडा है. चलो गे साथ मे.

माखन : जी बाबू जी. मे बस एक बार घर पर अपने छोटे भाई को बता कर आता हूँ. फिर मे आप के साथ कहीं भी चल सकता हूँ.

ये कह कर माखन शर्मा, अपने घर की ओर चला गया. और थोड़ी देर में है, डॉली भी साहिल को गोद मे उठाए हुए बाहर हाल मे आ गये. हरिया उनके बॅग्स उठा कर गाड़ी मे रखने लगा. करीब आधे घंटे मे विशाल भी राज के पास आ पहुँचा. सब लोग बाहर आ गये. विशाल के साथ उसका एक आदमी भी था. थोड़ी देर इंतजार करने के बाद माखन भी आ गया.
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