RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
डॉली ने आज एक ब्लॅक कलर का सलवार कमीज़ पहना हुआ था…जिसमे उसका गोरा रंग और खिल रहा था…तभी फोन की रिंग बजी….डॉली साहिल को गोद मे उठा कर फोन की तरफ गयी…और फोन उठाया…..फोन डॉली के ससुर अजीत शर्मा का था…
अजीत शर्मा: हैल्लो कैसे हो बेटा….कोई परेशानी तो नही हुई ना पीछे से….
डॉली: नही बाबू जी मे ठीक हूँ…आप ने किस लिए फोन किया…
अजीत शर्मा: वो बेटा बात ये है कि, मैं तुम्हारी मम्मी शाम को ही घर पर आ पायंगे….
डॉली को नज़ाने अपने ससुर की बात सुन कर बहुत ख़ुसी हुई, शायद अब वो भी रवि के साथ अकेले मे अपनी प्यास को जी भर कर बुझाना चाहती थी…क्योंकि वो जानती थी, कि ऐसे मोके उसे बार-2 नही मिलेंगे…
उसने फोन रख दिया….और किचिन मे चली गयी…अब घर मे सिर्फ़ एक नौकर ही था, जिसे वो यहाँ से बाहर भेजना चाहती थी….
डॉली: नाश्ता तैयार हो गया….
नौकर: जी बीबी जी….बस थोड़ी देर और….
डॉली: माँ और पापा के लिए नाश्ता नही बनना….वो शाम को आएँगे…
नौकर: ठीक है बीबी जी जैसे आप कहे….
डॉली: और हां अगर नाश्ता बना कर घर जाना चाहते हो, तो चले जाना….
नौकर: जी बीबी जी, वैसे भी मुझ आज अपने बेटे को डॉक्टर के पास लेकर जाना है.
डॉली: ठीक है…चले जाना. और शाम को वापिस आ जाना…
ये कह कर डॉली किचिन से बाहर आ गयी….उसकी नज़रे बार-2 सीडीयों की ओर जा रही थी….पर रवि अभी तक सो रहा था….नौकर नाश्ता तैयार कर दिया था…और नाश्ता टेबल पर लगा कर वापस चला गया….
डॉली ने नाश्ता किया….और साहिल को लेकर ऊपेर आ गये….11 बज चुके थे…पर रवि अभी भी घोड़े बेच कर सो रहा था…साहिल के सोने का भी टाइम हो गया था…डॉली ने साहिल को सुला दिया…और खुद उठ कर नीचे आ गयी…और एक प्लेट मे नाश्ता डाल कर ऊपेर आने लगी…तभी उसे पीछे से कदमों की आहट सुनाई पड़ी…जब डॉली ने पीछे मूड कर देखा, तो पीछे रवि खड़ा था…
दोनो एक दूसरे की आँखों मे देख रहे थे…डॉली एक दम से शरमा गये…और अपने होंठो पर मुस्कान लाते हुए, रवि से बोली..
डॉली: तुम कब जागे…
रवि: बस कुछ देर पहले ही नीचे आया था, फ्रेश होने…
डॉली: अच्छा चलो अब ऊपेर चल कर नाश्ता कर लो….
रवि डॉली के पीछे ऊपेर आ गया…और अपने स्टोर रूम मे चला गया…डॉली भी उसके नाश्ते की प्लेट लेकर अंदर आ गयी..डॉली स्टोर रूम को देख कर बहुत हैरान थी… रवि ने शायद रात को उसे अच्छी से सॉफ कर दिया था…
रवि बेड पर बैठ गया, डॉली ने उसके आगे नाश्ते की प्लेट रखी, और मूड कर जाने लगी.
रवि ने डॉली का हाथ पकड़ लिया, डॉली ने पीछे मूड कर होंठो पर मुस्कान लाते हुए, रवि की ओर देखा…
डॉली: पहले नाश्ता कर लो…तब तक मे साहिल को देख लूँ….
रवि ने डॉली का हाथ छोड़ दिया, और डॉली अपने रूम मे चली गयी….रवि नाश्ता करने के बाद उठ कर डॉली के रूम के डोर के पास आ गया…जैसे ही डॉली ने रवि को देखा, उसने उसे चुप रहने का इशारा किया…और धीरे से बेड से उठ कर बाहर आ गयी…डॉली के होंठो पर शरम से भरी हुई मुस्कान बिखरी हुई थी…वो रवि से नज़रें नही मिला पा रही थी….
जैसे ही डॉली ने बाहर आकर रूम का डोर बंद किया….रवि ने डॉली को अपनी बाहों मे भर लिया…और अपने होंठो को डॉली के होंठो पर रखते हुए, पागलों की तरहा डॉली के होंठो को चूसने लगा…डॉली के बदन से उठ रही खुसबु उसे दीवाना बनाए जा रही थी… रवि पागलों की तरहा डॉली के होंठो को चूस्ते हुए, उसकी कमीज़ के ऊपेर से उसकी दोनो चुचियों को अपनी हथेलियों मे भर कर ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा…
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