RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
रवि का लंड पूरा का पूरा एक ही बार मे उसकी चूत मे समा गया था…..डॉली ने अपनी बाहों को रवि की पीठ पर कस लिया….और रवि ने तेज़ी से शॉट लगाने चालू कर दिए. रवि का लंड तेज़ी से डॉली की चूत के अंदर बाहर हो रहा था….और डॉली की सिसकारियाँ पूरे रूम मे गूँज रही थी….बाहर अभी भी तेज़ी से बारिश हो रही थी. बाहर जेनरेटर चल रहा था, क्योंकि लाइट कट थी….
और जेनरेटर की आवाज़ दूर -2 तक गूँज रही थी…..तभी हवेली का मेन गेट खुला, और राज की कार अंदर आ कर रुक गयी….अंदर डॉली और रवि वासना के सागर मे इस कदर डूबे हुए थे, कि उनको अंदाज़ा तक भी नही था, कि बाहर क्या हो रहा है…और होता भी कैसे…एक तो जेनरेटर की आवाज़ और दूसरी बादलों के गऱजने की आवाज़…हाल का मेन डोर लॉक था….
अंदर डॉली तेज़ी से अपनी गान्ड हिलाते हुए रवि के लंड को अपनी चूत मे पेलवा रही थी, और दोनो झड़ने के बेहद करीब थे….जब दोनो झड गयए….वो वैसे ही लेटे रहे…इस बात से अंजान कि बाहर चोखट पर उनकी मौत दस्तक दे रही है….
राज अपनी कार से नीचे उतरा….और साथ मे सुमन भी….डॉली और साहिल घर आए हुए थे….इसीलिए राज वापिस आता हुआ, सुमन के घर जाकर उसे भी साथ ले आया था….राज ने जैसे ही डोर के पास पहुँच कर डोर खोला, तो डोर अंदर से लॉक था….राज ने अपनी पेंट की जेब मे हाथ डाला, और उस डोर के दूसरी चाबी निकाल ली.
जो हमेश राज के पास रहती थी….राज ने डोर खोला, और सुमन के साथ अंदर आ गया…अंदर आते ही राज ने डोर लॉक किया….और अपने रूम की तरफ जाने लगा. सुमन भी उसके पीछे जाने लगी….
राज : लगता है डॉली और साहिल सो गये है…..चलो कल सुबह मिल लेना….
सुमन: जी सुबह ही मिलेंगे….
दोनो अपने रूम मे आ गये….जब राज ने रूम मे आकर देखा, तो रूम मे पानी नही था…उसने सुमन को कहा कि, वो चेंज करे….मे पानी लेकर आता हूँ…और ये कह कर राज पानी लेने के लिए किचिन के तरफ जाने लगा…किचिन हवेली के सबसे आगे वाले हिस्से मे एक साइड मे था….और उसी के साथ वाले रूम मे रवि और डॉली थे….जैसे ही वो किचिन के पास पहुँचा ….तो उसे उस रूम से डॉली के हँसने की हल्की सी आवाज़ सुनाई दी….
डॉली की आवाज़ सुनते ही, राज एक दम से चोंक गया…और उस रूम की तरफ बढ़ने लगा….जैसे -2 वो उस रूम की तरफ बढ़ रहा था, डॉली और रवि की आवाज़ और सॉफ होती जा रही थी…..राज मन मे सोच रहा था, कि आख़िर डॉली इतनी रात को इस रूम मे क्या कर रही है…पर इस रूम मे तो नौकर सोते हैं….जब राज रूम के पास पहुँचा, तो उसने देखा कि रूम का डोर हलका सा खुला हुआ है…राज ने डोर को धकेला, और अंदर आ गया…..
रवि अभी भी वैसे ही डॉली ऊपेर लेटा हुआ था….जब डोर खुल कर दीवार से टकराया. तो दोनो एक दम से घबरा गये….अपने सामने खड़े राज को देख कर दोनो के हाथ पैर काँपने लगे…मानो जैसे सामने यमराज खड़ा हो…दोनो के दिलो ने धड़कना बंद कर दिया…..राज ने जो देखा, उसे देख कर उसकी बाहों के मांसपेशियाँ फडफडाने लगी..आँखे गुस्से से ऐसी लाल हो गयी….जैसे मानो उनमे खून उतर आया हो….डॉली ने जल्दी से अपनी नाइटी ठीक की, और उठ कर राज के पैरों मे गिर पड़ी….
डॉली: भैया हमे माफ़ कर दो…..हम से ग़लती हो गयी….
राज ने नज़रे उठा कर रवि की और देखा, वो सर को झुकाए खड़ा था…उसका पूरा बदन डर के मारे थर-2 कांप रहा था..
राज : हराम की औलाद….साले जिस थाली मे खाया, उस मे छेद करता है….
ये कहते ही, राज ने अपनी पिस्टल निकाल ली, और रवि की तरफ तान दी…
रवि: बाबू जी मुझे माफ़ कर दो….(सामने तनी हुई पिस्टल को देख कर रवि एक दम से घबरा गया)
इससे पहले कि रवि कुछ और बोलता….राज ने उस पर गोली दाग दी…गोली उसके माथे मे छेद करते हुए. पीछे से उसके से निकल गयी….और रवि पीछे की ओर दीवार से जा टकराया….और अगले ही पल उसके जिस्म से प्राण निकल गये….उसके सर के पिछले हिस्से से निकले खून की फुँहार से दीवार लथपथ हो गयी….
जैसे ही डॉली ने रवि की तरफ देखा, वो एक दम से चीख उठी….और खड़ी होकर रवि की तरफ भागी…..पर फिर से एक और गोली चलने की आवाज़ से पूरी हवेली गूँज उठी..,.दोनो गोलयों के चलने मे महज 8 सेकेंड का फाँसला था….गोलियों के चलने की आवाज़ सुन कर सुमन एक दम से घबरा गयी…और तेज़ी से बाहर की तरफ भागी….
दूसरी गोली डॉली के ठीक सर के पीछे लगी….और वो वहीं रवि के ऊपेर ढेर होकर गिर पड़ी….डॉली के सर से बहता खून पूरे फर्श पर फैल गया…जब सुमन उस रूम मे पहुँची ….तो सामने का नज़ारा देख कर, डर के मारें चीख उठी….और वो वहीं नीचे थप से बैठ गयी….और रोने लगी….कुछ देर राज ऐसे ही खड़ा रहा….और सुमन वहीं नीचे बैठी रोती रही….जब राज के सर से गुस्से का उन्माद उतरा…तो एक पल के लिए वो भी घबरा गया….
उसने रोती हुई. सुमन की ओर कोई ध्यान नही दिया….और हाल मे आकर विशाल को फ़ोन लगाया….और विशाल को सारी बात बताई…..विशाल ने उसे हॉंसले से काम लेने के लिए कहा, और बोला कि, वो अभी उसकी हवेली मे पहुँचता है….राज फोन रख कर वापिस आ गया, और सुमन को उसके कंधों से पकड़ कर ऊपेर उठाया…
सुमन: (रोते हुए) ये आप ने क्या कर दिया….दीदी को मार डाला….ये आप ने ठीक नही किया….पर आप ने ऐसा क्यों क्या……
राज : (झल्लाते हुए) पहले तुम चुप करोगी….तुम देख नही रही….ये हमारी पीठ के पीछे कैसे गुल खिला रही थी….अर्रे मुझसे कहती….एक से बढ़ कर एक लड़के ढूँढ लाता इसके लिए….पर ये तो मेरी इज़्ज़त को नीलाम कर रही थी…..इसे ज़रा भी मेरे रुतबे मेरी इज़्ज़त और प्यार का ख़याल नही आया, जो एक नौकर के साथ…तुम ही बताओ मे क्या करता…जब इन दोनो को मैने ऐसे देखा, मे अपने आप को रोक नही पाया….
थोड़ी देर बाद बाहर हाल का में डोर पर नॉक हुआ, राज ने जाकर डोर खोला, तो सामने विशाल खड़ा था….उसके साथ चार आदमी और भी थी….
विशाल: (अंदर आते हुए) ये कर दिया तूने….पागल तो नही हो गया? कहाँ है उनकी लाशें ?
राज : उधर उस रूम मे…..
विशाल ने अपने आदमियों से इशारा किया और वो अपने आदमियों के साथ अंदर आ गया, और राज के साथ रूम मे चला गया…जब विशाल ने उस खोफ़नाक मंज़र को देखा, तो एक पल के लिए सकते मे आ गया…वो एक बुत की तरहा खड़ा था…राज ने उसे हिलाया…..
राज : क्या सोच रहा है. ?
विशाल: (एक दम से चोन्कते हुए) कुछ नही यार…..एक बात बता क्या डॉली के ससुराल वालों को उसके यहाँ पहुँचने की खबर मिल गयी है…मतलब जब डॉली यहाँ पहुँची तो, क्या उसकी ससुराल से फोन आया था…या डॉली ने यहाँ से अपने ससुराल फोन किया था….
राज : यार मैं ये यकीन के साथ नही कह सकता….क्योंकि मे शाम से बाहर था. अब जब लोटा तो ये…..
विशाल: (थोड़ी देर सोचने के बाद) अच्छा छोड़….मुझे फोन करने दे…
और विशाल ने अपने घर पर फोन लगाया…..थोड़ी देर बाद विशाल के पापा ने फोन उठाया, तो विशाल ने भीमा जो कि विशाल का खास आदमी था….उससे बात करवाने को कहा. जब भीमा से विशाल ने फोन पे बात की, और उसे सब कुछ समझा दिया….
विशाल: (फोन रखने के बाद राज को) चल अब इनकी लाशों को ठिकाने लगाते है सबसे पहले….फिर बाद मे देखते है क्या करना है…
और दोनो उसी रूम के तरफ जाने लगे…पर जैसे ही राज रूम की तरफ पलटा…उसके पैर वहीं जम गये….एक पल के लिए उसके दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया…उसने विशाल की तरफ देखा….विशाल की भी वही हालत थी….सामने साहिल डोर के पास खड़ा था….वो बुरी तरह घबराया हुआ था….और उसके पास मे सुमन खड़ी थी…
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