RE: Antarvasna kahani अनौखा समागम अनोखा प्यार
अपडेट -- 75
प्रीवियस --
मेरे मना करने के बाद भी राजू भी मेरे साथ आने की ज़िद्द करने लगा.
जिसे मुझे मानना पड़ा,
पर मुझे उसकी फिकर भी हो रही थी..
अब मेरा मकसद एक तरफ राजू को सेव करना ऑर साथ मे दुश्मनो का ख़ात्मा करना था.
ओर मैं इंतज़ार करने लगा छुट्टी का.
नेक्स्ट --
जैसे ही कॉलेज की फाइनल बेल बजी,
मैं जल्दी से राजू को साथ लेकर कार से निकल गया,
ऑर उससे सीट बेल्ट बाँधने को बोला,
उसने भी जल्दी से मेरा कहा मानते हुए, सीट बेल्ट बाँध ली.
मैं कार को फुल स्पीड से भगाते हुए जंगल की तरफ चल दिया,
मैने बॅक मिरर मे देखा तो उतनी ही स्पीड के साथ 8 ब्लॅक स्कॉर्पियो हमारा पिछा कर रही थीं,
.
मैं जंगल के रास्ते पर कार चला रहा था जो कि एक कच्चा रोड था,
ऑर स्पीड कम होने की वजह से हमारी कार पर फाइरिंग होने लगी,
पर मेरी कार बुलेट प्रूफ थी,
मैने बॅक मिरर मे देखा तो मैं चौक गया,
क्योंकि हमारे पिछे एक ही लाइन मे अब 18 कार्स थीं,
8 ब्लॅक स्कॉर्पियो ऑर उनके पिछे 10 वाइट डस्टर कार्स.
.
मैं (मन मे)- ओह! सभी दुश्मन एक साथ, पर अगर अब मैने अपनी पावर यूज़ की तो राजू को मेरे बारे मे पता चल जाएगा, इनको दिमाग़ से हॅंडल करना पड़ेगा.
.
कुच्छ सोचते हुए मैने आगे खाली पड़े मैदान मे ब्रेक लगा दिए.
ओर एकदम से ब्रेक छोड़ कर हॅंड ब्रेक खीच दिए,
जिससे कार पूरी 3 राउंड ड्रिफ्ट करते हुए रुक गयी, चारों तरफ धूल ही धूल हो गयी,
जिससे कुच्छ भी दिखाई नहीं दे रहा था.
.
ऑर कुच्छ देर बाद जैसे ही धूल छ्टी तो हमारे एक साइड ब्लॅक कार्स थीं ऑर एक तरफ वाइट कार्स.
.
तभी वाइट कार की विंडो खुली ओर उसमे से एक अमेरिकन आदमी बाहर आया,
उसके हाथ मे लोडेड लॉंचर था,
.
.
उसने लॉंचर को हमारी तरफ करके फाइयर कर दिया, जो सीधा हमारी कार मे लगा, ये सब मैने एक्सपेक्ट भी नहीं किया था,
पर इतनी देर मे मैं पूरी तेज़ी से राजू को पकड़ कर, कार से बाहर जंप कर चुका था.
लॉंचर कार मे लगते ही हमारी कार हवा मे उड़ते हुए ब्लास्ट हो गयी.
ऑर हमसे थोड़ी दूर जाकर गिरी
.
.
ऑर इसी के साथ सभी गुंडे कार्स के डोर खोलते हुए बाहर आ गये.
ब्लॅक कार्स वालों को भी यकीन हो चुका था, कि ये वाइट कार्स वाले भी मुझे ही मारने आए हैं, तो उन्होने अपने बॉस के इशारे पर कार्स मे वापस बैठते हुए अपनी कार्स उन वाइट कार्स के बराबर मे लगा लीं,
ऑर हमारे ऊपर फाइरिंग करके उनको अपने आने का मकसद बता दिया,
मैं राजू को पकड़ कर जल्दी से डाइ मारकर उस ब्लास्ट हुई कार की ओट मे छिप गया,
ऑर वो सब एक साथ हम पर फाइरिंग करने लगे.
.
अब प्राब्लम यह थी कि हमारे सामने बहुत सारे गुंडे थे,
और मैं राजू के सामने अपनी शक्तियो का इस्तेमाल नही कर सकता था,
तो मैने सोचा राजू को बेहोश करना ही ठीक रहेगा,
इस लिए मैने जब राजू दूसरी तरफ देख रहा था तभी,
उसके सर पे एक बार हाथ फेर दिया और उससे बेहोश कर दिया अब एक प्राब्लम थी कि अगर राजू यहाँ ऐसे बेहोश रहा,
और किसी और ने इस्पे हमला कर दिया तो राजू खुद को बचा भी नही सकता,
इस लिए मैने उसके उपर एक सुरक्षा कवच बना डाला ताकि वो सेफ रह सके,
अब मैं बिना किसी चिंता के फाइट कर सकता था.
.
लेकिन वो लोग गोलिया चलाए जा रहे थे,
माना कि उनकी गोलियाँ अपुन को नुकसान नही पहुँचा सकती थीं,
लेकिन गोलियाँ के चलने से जो शोर हो रहा था वो अपुन को परेशान कर रहा था.
.
वो लोग करीब 100 लोग थे,
अब सब को हाथ से मारने लगा तो बहुत टाइम लग जाएगा,
हैना दोस्तो तो मैने हाथ आगे करके,
एक रॉकेट लॉंचर को याद किया जो अगले ही पल मेरे हाथ मे था.
.
और स्माइल करते हुए,
अपनी कार की ओट से बाहर निकल कर,
चारों कोने वाली कार्स को छोड़ कर,
बाकी सब कार्स पे एक के बाद एक रॉकेट्स की बरसात करदी,
.
वैसे गुंडे लोग तो कार्स के बाहर थे लेकिन अपनी कार्स के पास ही खड़े थे,
और मेरे ऐसे रॉकेट मारने से इधर उधर अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे,
लेकिन रॉकेट्स लगने की वजह से कार्स एक के बाद एक ब्लास्ट होने लगीं,
.
और ऐसा होते देख दोनो तरफ की चारों कार्स बाकी कार्स से दूर भागने लगी,
.
जिस से वो लोग बच गये अब मेरे लॉंचर आर्म्स ख़तम हो चुके थे,
वहाँ सब जगह खून ऑर उन गुण्डों के मास के चीथड़े पड़े हुए थे,
वहाँ का वातावरण देखकर बाकियों की हवा टाइट थी,
जो कार्स मे बैठे हुए इधर उधर हो गये थे.
.
तभी चारों गाड़ियों के डोर खुले,
ऑर वो सभी बाहर आए,
वैसे अब सिर्फ़ ये 4 कार्स ही बची हुई थीं,
जिनमे 2 वाइट ऑर 2 ब्लॅक कार्स थीं.
वाइट कार्स मे एक मे रंजीत ऑर दूसरी मे बुला अपने कुच्छ गुण्डों के साथ थे,
ऑर ब्लॅक कार्स मे एक मे (वही सीनियर लड़का जो पिच्छली फाइट मे बच गया था) ऑर दूसरी मे हंस था,
मेरा वही दोस्त जिसपे मैं बहुत भरोसा करता था.
जो आज दुश्मनो के साथ मिलकर मुझे मारने आया था.
.
उनके नीचे उतरने के बाद वो करीब 20 - 22 लोग थे.
ऑर सभी हथियारों से लेस थे.
पर सीनियर लड़का अभी भी कार मे ही बैठा हुआ था,
उसके हाथ ओर पैर मे प्लास्टर बँधा हुआ था, ऑर बाकी शरीर पर भी पट्टियाँ बँधी हुई थीं.
हंस को देखते ही मेरा खून खौल उठा.
मैं ज़ोर से दहाड़ते हुए बोला-
.
मैं (हंस की तरफ देखकर)- हरामजादे, तेरे जैसे विश्वास-घाति मित्रों के होते हुए इन दुश्मनो की क्या ज़रूरत है?
पर जो तूने मेरे साथ किया है,
उसका हिसाब आज मैं करूँगा.
.
फिर मैने एक निगाह सबकी तरफ घुमाई ऑर बोला-
.
मैं - मुझे कसम है पैदा करने वाले की,,
आज तुममे से कोई भी ज़िंदा वापस नहीं जाएगा.
.
रंजीत (हँसते हुए)- अबे तू अकेला है, तू क्या कर लेगा बे? पर तुझे मारकर तेरा सर पिता जी को भेट करना है, फिर तेरी फॅमिली को भी तो
ऊपर पहुँचाना है.
.
मैं (गुर्राते हुए)- अबे सूअर की औलाद फॅमिली को बीच मे क्यों लाता है,
मर्द का बच्चा है तो आकर मुकाबला कर.
तब देखेंगे किसमे कितना है दम.
ऑर मुझे अकेला कह रहा है,
ज़रा अपने चारों तरफ तो देख,
तेरे साथियों के कैसे चीथड़े उड़े हुए हैं.
थोड़ी देर बाद तू भी ऐसे ही पड़ा होगा.
.
बुला (चिल्लाते हुए)- पिता जी, इससे बात करके टाइम क्यों वेस्ट कर रहे हो, मारो इसे..
.
मैने सोचा इन्हे ज़रा डेमो दिखा देते हैं कि इन्होने किस से पंगा लिया है,
और यह सोच कर मैने अपनी स्पीड का यूज़ करके रंजीत के पास जाकर लात घूसों की बरसात कर दी,
जब उसके चेहरे से खून बहने लगा तब मैं वापिस अपनी जगह आकर खड़ा हो गया तभी एक चीख की आवाज़ आई जो रंजीत की थी,
बुला ने और बाकी सब ने रंजीत की तरफ देखा और सोचने लगे कि अभी हुआ क्या?
और मैं अपनी जगह पे खड़ा मुश्कूराने लगा तभी बुला बोला-
.
बुला - पिता जी यह आपको अचानक क्या हुआ,
आपका चेहरे से खून क्यूँ बह रहा है
.
रंजीत बिचारा कुछ बोल ही नही पाया शायद दर्द कुछ ज़्यादा था,
खैर, मैने सोचा लेट हो रहे हैं राजू और मैं घर के लिए,
तो काम जल्दी ख़तम करना ही सही रहेगा,
यह सोच कर मैने दुबारा अपनी स्पीड का इस्तेमाल किया और रंजीत बुला और हंस को छोड़ कर बक्की सब गुन्डो की धुलाई शुरू कर दी,
.
और सबसे पहले एक गुंडे के पास जाकर उसके हाथो की हड्डी और पैरो की हड्डी तोड़ने लगा,
और आख़िर मे मैने उसकी गर्दन की हड्डी मरोड़ के तोड़ दी ऐसे ही मैने बक्की सब के साथ किया अब वहाँ ब्स सीनियर बुला रंजीत और हंस बचे थे.
.
जिनकी आँखें अपने साथियो की हालत देख कर हैरत से फैली हुई थीं,
ऑर डर से उनके पैरों मे कंपन हो रही थी.
.
मैं बस उनकी तरफ देख कर डेविल स्माइल कर रहा था,
जिस से उनकी हालत खराब हो रखी थी खैर फिर भी पता नही केसे बुला ने अपनी हिम्मत जुटाई और मेरी तरफ दौड़ लगा दी,
.
उसे ऐसा करते हुए देख कर मुझे हँसी आने लगी,
और सोचने लगा इसे कहते है आ बैल मुझे मार,
तो चलो मार ही देते हैं और मैने भी नॉर्मल स्पीड से उसकी तरफ दौड़ लगा दी.
.
और जैसे ही हम दोनो करीब आए मैने हवा मे उच्छलते हुए,
उसकी चेस्ट पे और उसने मेरे पेट मे एक एक लात मारी,
मुझे तो कुछ ना हुआ, लेकिन बिचारे बुला की हालत खराब हो गयी,
.
मैने उसकी तरफ देख कर डेविल स्माइल के साथ उससे उठने का इशारा किया,
वो भी किसी तरह उठ कर दुबारा मेरी तरफ आने लगा,
मैने भी उसकी तरफ दौड़ लगाई और इस बार और ज़्यादा ताक़त से उसकी पसलियो पे 2-3 घुसे मारे जिस से उसकी पसलिया तडाक की आवाज़ के साथ टूट गयीं,
.
और वो एक दर्दनाक चीख के साथ नीचे गिर गया,
मैं उसके पास नीचे बैठा और उसके सर बालो से पकड़ कर उठाया और देविल स्माइल करते हुए उस से बोला-
.
मैं (डेविल स्माइल)- क्या हुआ बुला...
तू तो मुझे मारने वाला था ना,
उठ अब और लड़ मुझसे...
.
यह कह कर मैने एक घुसा उसके चेहरे पे मार दिया,
जिस से एक चीख के साथ उसकी दाँत टूट गये,
ऑर मैने एक ज़ोर की लात उसके दिल पे मारी,
जिससे वो ऊपर को उठा ओर उसके मूह से खून की एक फुहार निकली,
ऑर इसी के साथ उसकी दिल की धड़कने हमेशा के लिए बंद हो गयीं.
.
बुला के मर जाने के बाद मैने अपना रुख़ बाकियों की तरफ किया,
ऑर हल्के कदमो से उनकी तरफ बढ़ने लगा,
मुझे अपनी तरफ आते देखकर सब का खून सूख गया,
उनका कापना इतना तेज़ था कि हाथों मे जो गन्स थीं वो भी हिल रही थीं.
.
तभी हन्स काप्ते हुए बोला-
.
हंस - व वहीं र्रुक जाओ,
व वरना मैं मैं गोली चला दूँगा.
.
मैने दिल मे सोचा कि इनको तो जब मारना ही है तो इनको अपनी पावर दिखा ही देता हूँ, वैसे भी राजू तो बेहोश है.
ऑर मैं तेज़ कदमो से उनकी तरफ चलने लगा,
वो डर तो गये थे पर उनकी ऑर ज़्यादा जब फटी जब उनकी चलाई हुई गोलियाँ मुझे टच करते ही नीचे गिरने लगीं.
.
रंजीत जो खून मे थोड़ा सना हुआ था, वो चिल्लाया -
.
रंजीत - भागो बीसी भूत - भूत,
ये ये इंसान नहीं हो सकता,
आए को कॉन्न है तू, बो बोल ? (वो डरते डरते पिछे को चलने लगा)
.
मैं - मैं हूँ, "दा राक".
.
मेरे इतना कहते ही वो भागने के लिए वापस मुड़ने लगे,
इतने मे मैने अपनी सोर्ड को याद किया, जो अगले ही पल मेरे हाथ मे थी,
ऑर मैं फुल स्पीड से अपनी सोर्ड लहराते हुए उनकी तरफ भागने लगा,
ऑर पलक झपकते ही बचे हुए गुण्डों की कटी हुई लाशें नीचे पड़ी थीं,
.
मैने किसी के हाथ - पैर तो किसी की गर्दन ऑर किसी के शरीर के बीच से 2 टुकड़े कर दिए थे,
.
जैसे ही वातावरण शांत हुआ तो रंजीत ओर हंस ने पिछे मूड के देखा, ऑर वहाँ की हालत देखकर उनका कलेजा मूह को आ गया.
.
रंजीत तो मारे ख़ौफ़
के वहीं गिर पड़ा,
ओर अपना दिल पकड़ का तड़पने लगा,
शायद उसे हार्ट - अटेक हुआ था,
ऑर कुच्छ ही देर मे उसका स्वाहा हो गया,
.
उधर हंस पूरी तेज़ी से भाग रहा था,
मैं पलक झपकते ही उसके सामने जा कर खड़ा हो गया,
मुझे अचानक अपने सामने देख कर वो एक चीख के साथ भागते हुए ही बेहोश हो कर नीचे गिर गया,
.
ऑर मैं उसको एक हाथ से उठा कर सीनियर की तरफ आया,
ऑर उसकी कार के पास लाकर हंस को पटक दिया,
.
सीनियर लड़का जो अभी तक मेरा वहशिपन देख रहा था,
उसका गला सूख चुका था,
ऑर आखें शून्य मे थीं,
मैने कार का डोर खोला,
ऑर कस के उसके एक थप्पड़ मारा,
जिससे वो प्रेज़ेंट मे आ गया.
.
सीनियर लड़का ( रोकर चीखते हुए)- मु मुझे छोड़ दो,
जो माँगॉगे वही दूँगा, जैसा कहोगे वैसा ही करूँगा, पर मुझे जाने दो.
.
मैं - साले मैने तुझे उस दिन ज़िंदा छोड़ कर बहुत बड़ी भूल कर दी थी,
वो तो तुझे उस दिन ऊपर छत पर खड़े गुण्डों ने बचा लिया था,
पर आज तो तुझे नहीं छोड़ूँगा,
तू मेरे ऑर मेरी फॅमिली के लिए ख़तरा है,
.
ये कहते हुए मैने अपनी सोर्ड उसके दिल के आर पार कर दी,
जिससे वो भी गाड़ी मे ही तड़प - तड़प कर मर गया,
.
मैने उसे वहीं छोड़ा ऑर मॅजिक से हंस के ऊपर पानी की छींटे मारे, जिससे वो होश मे आ गया,
ऑर होश मे आते ही अपनी जान की भीख माँगने लगा.
.
हंस - भाई प्ल्ज़्ज़ भाई, मुझे छोड़ दो भाई, वो सीनियर लड़का मेरे मामा का बेटा था, इसी लिए उसका साथ दे रहा था,
मुझे माफ़ कर दो भाई.
.
मैं (सुर्ख आखों से उसकी तरफ देखते हुए)- धोखेबाज़ , अगर बात इतनी सी होती तो मैं तुझे माफ़ कर देता, पर तूने.....
टू... बी... कंटिन्यूड
|