RE: Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
उधर बाहर कमरे में मनिका घबराई सी खड़ी थी. उसने सोचा था कि वह जल्दी से दूसरे कपड़े लेकर चेंज कर लेगी लेकिन जयसिंह को इस तरह बिलकुल अपने सामने पा उसकी घिग्गी बंध गई थी और अब उसके पिता बाथरूम में घुस गए थे. मनिका ने जयसिंह के कहे अनुसार टी.वी ऑफ कर दिया था और जा कर बेड के पास खड़ी हो गई थी, सामने उसका सूटकेस खुला हुआ था वह समझ नहीं पा रही थी कि वह क्या करे? एक बार तो उसने सोचा के, 'जब तक पापा बाथरूम में है मैं ड्रेस बदल लेती हूँ.' पर अगले ही पल उसे एहसास हुआ की, 'अगर पापा बीच में बाहर निकल आए तो मैं नंगी पकड़ी जाऊँगी.' मनिका सिहर उठी.
जब उसके कुछ देर वेट करने के बावजूद जयसिंह बाथरूम से नहीं निकले तो मनिका, जो अपने अधनंगेपन के एहसास से बहुत विचलित हो रही थी, ने तय किया कि अभी वह बेड में घुस कम्बल ओढ़ कर अपना बदन ढांप लेगी, 'और सुबह पापा के उठने से पहले ही उठ कर जल्दी से कपड़े बदल लूंगी.' उसने अपना सूटकेस बंद कर एक तरफ रखा और बिस्तर में घुस गई, 'पर ये क्या?...ये ब्लैंकेट तो डबल-बेड का है...’मनिका बिस्तर में सिर्फ एक ही कम्बल पा चकरा गई. उसे क्या पता था की जयसिंह ने रूम एक कपल के लिए बुक कराया था.
'पापा!' कुछ देर बाद जब जयसिंह बाथरूम से फाइनली बाहर आए तो मनिका ने कहा, उसके स्वर में कुछ चिंता थी.
'क्या हुआ मनिका? सोई नहीं तुम?' जयसिंह ने बनावटी हैरानी और कंसर्न व्यक्त कर पूछा. मनिका अपने-आप को पूरी तरह कम्बल से ढंके हुए थी.
'पापा यहाँ सिर्फ एक ही ब्लैंकेट है!' मनिका ने थोड़ा पैनिक हुई आवाज़ में कहा.
'हाँ तो डबल बेड का होगा न?' जयसिंह ने बिलकुल आश्चर्य नहीं जताया था.
''जी.' मनिका हौले से बोली.
'हाँ तो फिर क्या दिक्कत है?' जयसिंह ने इस बार बनावटी आश्चर्य दिखा पूछा.
'जी...क...कुछ नहीं मुझे लगा...कि कम से कम दो ब्लैंकेटस मिलते होंगे सो...' मनिका से आगे कुछ कहते नहीं बना था. 'क्या मुझे पापा के साथ ब्लैंकेट शेयर करना पड़ेगा...ओह गॉड.' उसने मन में सोचा और झेंप गई.
'हाहाहा पहली बार जब मैं यहाँ आया था तब मुझे भी लगा था कि ये एक कम्बल देना भूल गए हैं पर फिर पता चला इन रूम्स में यही डबल-बेड वाला एक ब्लैंकेट होता है.' जयसिंह ने हँस कर मनिका का दिल कुछ हल्का करने और उसे सहज करने के इरादे से बताया. 'हद होती है मतलब दस हज़ार रूपए एक दिन का रेंट और उसमे इंसान को सिर्फ एक कम्बल मिलता है...' उन्होंने मुस्कुरा कर आगे कहा.
'हैं!?' मनिका चौंकी, 'पापा इस रूम का रेंट टेन थाउजेंड रुपीस है? मनिका एक पल के लिए अपनी लाज-शर्म और चिंता भूल गई थी.
'अरे भई भूल गई? फाइव स्टार है ये...’जयसिंह फिर से मुस्काए.
'ओह गॉड पापा, फिर भी इतना कॉस्टली?' मनिका बोली.
'मनिका मैंने कहा न तुम खर्चे की चिंता मत करो, जस्ट एन्जॉय.' जयसिंह बिस्तर पर आते हुए बोले.
उन्हें बिस्तर पर आते देख एक पल के लिए मनिका ने कम्बल अपनी ओर खींच लिया था, वे समझ गए की वह अभी भी शरमा रही थी, और करती भी क्या? सो उन्होंने एक बार फिर हँस कर उसका डर कम करने के उद्देश्य से कहा,
'थैंक गॉड आज तुम हो मेरे साथ नहीं पिछली बार तो मीटिंग से यहाँ आते वक्त मेरे बिज़नस पार्टनर का एक रिश्तेदार साथ में टंग आया था. इमैजिन उसके साथ एक कम्बल में सोना पड़ा था, ऊपर से उसने शराब पी रखी थी. सारी रात सो नहीं पाया था मैं.'
इस बार मनिका भी हँस पड़ी, 'ओह शिट पापा...हाहाहा.'
जयसिंह अब मनिका के साथ कम्बल में घुस चुके थे. मनिका भी थोड़ा सहज होने लगी थी क्यूंकि अब उसका बदन ढंका हुआ था और जयसिंह ने भी उसे उसकी अधनंगी स्थिति का एहसास अभी तक नहीं दिलाया था. जयसिंह ने हाथ बढ़ा कर बेड-साइड से रूम की लाइट ऑफ कर दी और पास की टेबल पर रखा नाईट-लैंप जला दिया.
'चलो मनिका थक गईं होगी तुम भी...' जयसिंह मनिका की तरफ पलट कर बोले, 'गुड नाईट.'
'गुड नाईट पापा.' मनिका ने नाईट-लैंप की धीमी रौशनी में मुस्कुरा कर कहा, 'स्वीट ड्रीम्स टू.'
जयसिंह ने अब मनिका की तरफ करवट ली और हाथ बढ़ा कर एक पल के लिए उसके गाल पर रख सहलाते हुए बोले,
'अच्छे से सोना. टुमॉरो इज़ योर बिग डे.'
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