RE: Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
अभी थोड़ी देर ही हुई थी कि किसी ने उसके केबिन का दरवाजा खटखटाया,
"मे आई कम इन सर" सारिका ने चहकते हुए जयसिंह से अंदर आने की इजाज़त माँगी,
"यस कम इन" जयसिंह ने सारिका को अंदर आने के लिए कहा
"गुड मॉर्निंग सर, वो मैने आपके सिंगापुर जाने का सारा इंतेज़ाम कर दिया है, ये रही टिकेट्स, आपकी फ्लाइट 3 दिन बाद 6 दिसम्बर की है " सारिका ने लगभग एक ही सांस में सब कुछ बोल दिया था
"ओके, ई विल सी इट, यू केन गो नाउ" जयसिंह ने कहा
"सर वो एक और बात है, हमें सिंगापुर के इवेंट आर्गेनाइजर ने फ़ोन किया था , उन्होंने बताया है कि आप अपनी फैमिली मेंबर्स को भी ला सकते है, वो लोग आपका रहने खाने का सारा इंतेज़ाम खुद ही करेंगे, इसलिए अगर आप बोले तो मैं आपकी वाइफ की भी टिकट करा दूं ,क्योंकि वहां पर ज्यादातर लोग अपनी वाइफ के साथ ही आएंगे"
सारिका ने जयसिंह से पूछते हुए कहा
"मैं पहले अपनी वाइफ से पूछुंगा, उसके बाद जो भी बात होगी तुम्हे बता दूंगा " जयसिंह ने बड़े नार्मल तरीके से जवाब देते हुए कहा
"ओके सर, एज यू विश" सारिका ने कहा और केबिन से बाहर चली गई
दिनभर जयसिंह ओफिस के कामों में बिजी रहा, और उधर मनिका भी अपनी अगली चाल के बारे में सोचती रही,
शाम के लगभग 7:00 बजने वाले थे, जयसिंह को मनिका से कही हुई बात याद आने लगी कि वो उसका वेट करेगी, इसलिए जयसिंह ने भी फटाफट अपना बाकी काम निपटाया और घर की तरफ चल पड़ा
घर पहुंचते ही जयसिंह ने देखा कि कनिका और हितेश हॉल में बैठे हुए टीवी देख रहे है जबकि मधु किचन में काम कर रही थी,पर जयसिंह की धोखेबाज़ आंखे तो बस मनिका का दीदार करने के लिए तड़प रही थी, लेकिन मनिका शायद अपने रूम में थी, यही सोचकर जयसिंह मन मारता हुआ अपने रूम की तरफ बढ़ने लगा,
थोड़ी देर में फ्रेश होने के बाद जयसिंह भी हॉल में आकर बच्चो के साथ बैठकर बातें करने लगा
"कनिका, हितेश तुम दोनों की स्कूल कैसी चल रही हैं" जयसिंह ने प्यार से उनके सर पर हाथ फेरते हुए पूछा
" अच्छी चल रही है पापा, अभी कुछ दिनों बाद 10 तारीख से हमारी हाफ इअर्ली एग्जाम शुरू होने वाली हैं " कनिका ने उत्साहित होते हुए जवाब दिया
"तो फिर कैसी तैयारी है तुम दोनों की" जयसिंह ने उनसे पूछा
"तैयारी तो ठीक ही है पापा, पर पता नहीं पेपर कैसे आएंगे" हितेश थोड़ी टेंसन में आकर बोला
"अरे बेटा, चिंता करने की कोई बात नहीं है, तुम दोनों बस जमकर पढ़ो, मुझे तुम दोनों पर पक्का यकीन है कि तुम पास होकर दिखाओगे" जयसिंह उनका जोश बढ़ते हुए बोला
"थैंक्स पापा, हम बिल्कुल अच्छे से पढ़ाई करेंगे, आप बिलकुल चिंता न करे" दोनों बच्चे एक साथ बोल पड़े
"ये हुई न बात, अगर तुम दोनों पास हो गए तो मैं तुम्हे तुम्हारी पसंद का गिफ्ट लाकर दूंगा" जयसिंह बोला
"ओह वाव, मुझे तो एक नया मोबाइल चाहिए पापा " कनिका खुशि से उछलती हुई बोली
"हां हां जरूर, अगर तुम पास हुई तो मैं तुम्हे तुम्हारी पसन्द का मोबाइल लेकर दूंगा" जयसिंह ने कहा
"ओह थैंक यू पापा" कनिका उछलते हुए जयसिंह की गोद मे आकर बैठ गयी और अपने दोनों हाथों को उसकी गर्दन के दोनों ओर लपेट लिया
इस तरह अचानक और बेपरवाह होकर जयसिंह से भूरपूर तरीके से चिपटने से कनिका के मम्मे उसके पापा की छाती से जा टकराये, कनिका के इस तरह गोद मे बैठने की वजह से जयसिंह थोड़ा असहज हो गया था पर उसके जिस्म में सर से ले कर पैर तक एक अजीब सी मस्ती की लहर दौड़ गई, ऊपर से कनिका के जवान जिस्म से आती मादक गंध ने तो उसके होश ही उड़ा दिए, आज जयसिंह ने पहली बार कनिका के जवान होते बदन पर नज़र डाली थी, कनिका लगभग इसी साल 18 की हुई थी, दिखने में वो मनिका की तरह ही खूबसूरत थी, वही तीखे नैन नक्श, दमकता गोरा चिट्टा चेहरा और गुलाबी रसीले होंठ, छोटे छोटे अमरूद जैसी सुंदर सुंदर चुचियाँ, पतली गोरी कमर, उभरी हुई गांड, भरी मांसल जाँघे और उसके कच्चे यौवन की मादक खुशबू जयसिंह को धीरे धीरे उत्तेजित करने लगी थी, उसका फनफनाता लंड उसकी पैंट में सर उठाने लगा था, कनिका की छोटी सी कैपरी से झांकती उसकी खूबसूरत पिंडलियों ने तो जयसिंह के दिमाग का फ्यूज़ ही उड़ा कर रख दिया था, जयसिंह अपनी भावनाओं पर काबू करने की नाकाम सी कोशिश कर रहा था, पर उसका लंड तो बस जवान जिस्म का सामीप्य पाकर उसके आपे से बाहर होने लगा था,
"अच्छा तुम्हे क्या चाहिए हितेश" जयसिंह ने ध्यान बटाने के लिए हितेश की ओर देखकर पूछा
"मुझे तो नया प्ले स्टेशन चाहिए पापा" हितेश खुश होता हुआ बोला
"ज़रूर तुम्हे भी तुम्हारा गिफ्ट मिलेगा, पर पास होने के बाद" जयसिंह बोला
जयसिंह लगातार अपना ध्यान बटाने की कोशिश कर रहा था पर उसका लंड तो आज मनमानी पर उतर आया था, कनिका भी नासमझी में अपनी गांड को हिला हिलाकर उनसे बाते किये जा रही थी, इसका नतीजा ये हुआ कि अचानक कनिका की छोटी सी चुत सीधा जयसिंह के उठे हुए लंड से थोड़ा सा रगड़ गई, अपनी चुत पर लंड के इस अहसास से कनिका की हल्की सी आह निकल गई पर इसने उसे जयसिंह पर ज़ाहिर नही होने दिया, आज पहली बार किसी लंड को अपनी अनछुई छोटी सी चुत के इतने नज़दीक पाकर कनिका के बदन में एक मीठी सी टीस उठ पड़ी,
जरासल पिछले 1 साल में कनिका की दोस्ती कुछ ऐसी लड़कियों से हो गयी थी जो अक्सर उसे चुदाई के बारे में बताया करती, शुरू शुरू में तो उसे बड़ा अज़ीब लगता था पर बाद में उसे धीरे धीरे मज़ा आने लगा था, वो स्कूल में घण्टो अपनी सहेलियों के साथ चुदाई की बाते किया करती थी, कभी कभी तो वो सब मिलकर चुदाई की कहानियां भी पढ़ा करते थे, उसकी एक दोस्त ने उसे एक बार ब्लू फिल्म भी दिखाई थी जिसे देखकर वो कई दिनों तक ढंग से सो भी नही पायी, और फिर धीरे धीरे उसने मुठ मारना भी सिख लिया था, पहली बार जब उसका पानी निकला था तो उसे लगा जैसे दुनिया मे इससे ज्यादा सुख कहीं नहीं और उसके बाद से ही वो दिन में 1 बार तो अक्सर उंगली कर ही लेती थी, वो अपने ख्यालो में सोचती की जब उंगली करने से ही उसे इतना मज़ा आता है तो जब उसकी चुत में किसी का लंड जाएगा तो क्या होगा, और ये सोचकर वो मजे से सिहर जाती, वो ब्लू फिल्म्स देख देखकर लंड के बारे में सोचती तो थी पर आज तक उसने कभी भी अपनी सीमा नही लांघी थी, न ही कभी कोई गलत कदम उठाया पर आज पहली बार अपने ही पापा के लंड के बारे सोचकर उसके बदन में लाखों चीटियां एक साथ रेंगने लगी, वो चाहती तो जयसिंह की गोद से उतर जाती पर अब उसे मज़ा आने लगा था, वो जान बूझकर बहाने से अपनी गांड को हिलाती जिससे उसकी चुत जयसिंह के लंड के थोड़ा और करीब आ जाती,
कनिका के इस तरह हिलने से बार बार जयसिंह का लंड कनिका की चुत से कैपरी के ऊपर से ही रगड़ खा रहा था, जयसिंह बार बार अपने लंड को एडजस्ट करने की कोशिश करता ताकि कनिका को उसके खड़े लंड का आभास ना हो पर बार बार उसका लंड होले से उसकी चुत पर रगड़ जाता, कनिका तो अब मजे के मारे हल्की हल्की आहें भर रही थी, अचानक उसने अपनी गांड को कुछ ज्यादा ही झटका दिया जिसकी वजह से जयसिंह का लंड सीधा जाकर उसकी चुत के मुहाने पर कैपरी के ऊपर से ही अटक गया, अगर आज उनके कपड़े न होते तो जयसिंह का लंड सीधा उसकी चुत में घुस चुका होता, कनिका इस मजे को सह नही पायी और उसकी चुत से कामरस की बूंदे निकलकर उसकी कच्छी को भिगोने लगी
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इधर मनिका काफी देर से अपने रूम में ही बैठी सज संवर रही थी, आज उसने एक टाइट जींस पहनी थी जिसमे से उसकी गांड की वादियों की भरपूर नुमाइश हो रही थी, जीन्स का कपड़ा उसकी टांगो से इस कदर चिपका हुआ था कि उसमें से मनिका की गांड से लेकर नीचे तक कि पूरी आकृति साफ साफ महसूस की जा सकती थी, ऊपर उसने एक बहुत ही महीन कपड़े की गहरे गले की टीशर्ट पहनी थी जो उसकी नाभि से भी ऊपर तक थी, उस टीशर्ट में से उसके भारी कलश गोल गोल ख़रबूज़े जैसे दिखाई दे रहे थे और साथ ही थोड़ा ऊपर से देखने पर उसके मम्मों के बीच की गहरी लाइन साफ देखी जा सकती थी, उसने जब अपने पापा की गाड़ी की आवाज़ सुनी थी तभी से वो जयसिंह पर कहर ढाने के लिए अपने शरीर को सजा रही थी, जब उसे लगा कि वो अब पूरी तरह तैयार है तो धीरे से उठी और कमरे से बाहर निकलकर सीढ़ियों की तरफ बढ़ने लगी,
जब उसकी नज़र नीचे हॉल में बैठे अपने पापा की तरफ गयी तो कनिका को उनकी गोद मे देखकर तो जैसे उसके तन बदन में आग सी लग गयी, उसे कनिका से जलन सी महसूस होने लगी,
" उफ़्फ़ ये कनिका की बच्ची कैसे पापा की गोद मे जमकर बैठी है, हाय कितना मज़ा आ रहा होगा इसको पापा को छूने पर, काश इसकी जगह मैं होती, हाय्य मैं तो अपनी गांड की गोलाइयों को उनके लन्ड से सटा देती , उन्हें अपने शरीर की खुशबू से पागल ही बना देती, उफ़्फ़ क्या मादक नज़ारा होता वो, मैं अपने प्यारे पापा की गोद मे बैठकर उनके तने हुए लंड पर अपनी गांड मटकाती और वो अपने हाथों से मेरे इन प्यासे मम्मों को जी भरकर मसलते, इससस्स मैं तो मजे से पागल ही हो जाती, पर अब तो ये कनिका की बच्ची ने मेरी जगह हथिया ली है, नहीं नहीं वो सिर्फ मेरी जगह है, वहां बैठने का हक़ सिर्फ मुझे ही है" मनिका अपने मन ही मन में सोचती हुई नीचे की तरफ बढ़ती जा रही थी
"ए कनिका की बच्ची, पापा की गोद में क्यों बैठी है तू, देखती नहीं अभी अभी ऑफिस से आये हैं, थके हुए हैं और तू बेअक्ल सीधा उनकी गोद मे जाकर उन्हें और परेशान कर रही है, चल नीचे उतर जल्दी से" मनिका ने थोड़े गुस्से में आकर कनिका को कहा
कनिका ने जब मनिका को इतने गुस्से में देखा तो वो थोड़ा डर गई, वो उसके गुस्से से भली भांति परिचित थी, इसलिए उसने नीचे उतरना में ही अपनी भलाई समझी, ऊपर से वो नही चाहती थी कि उसकी गीली पैंटी का आभास जयसिंह को हो जाये ,इसलिए वो बेमन से अपने पापा की गोद से नीचे उतरी और साइड में जाकर बैठ गई, पर वो अभी भी हैरानी से मनिका को देख रही थी
इधर कनिका के गोद से उतरने पर जयसिंह के पैंट में बना उभर पूरी तरह से देखा जा सकता था, इसलिए उसने तुरंत अपने एक पैर पर दूसरे पैर को रख लिया, पर इससे पहले की वो ये सब कर पाता कनिका ने कनखियों से उनके लंड के उभार को देख लिया था, उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान आ गई थी,
"ओह माई गॉड, पापा का डिक कितना बड़ा है....... कितना बड़ा उभर बना हुआ था .......इसस्ससस ये मैं क्या सोच रही हूं......ये गलत है......पर....पर वो उत्तेजित क्यों हो गए......कहीं वो मुझे......नहीं नहीं ....ये मेरी गलती है......मुझे ऐसे उनकी गोद मे नहीं बैठना चाहिए था......पर हाय्य कितना मज़ा आ रहा था.......उनका बड़ा सा डिक कैसे मेरी पुसी को टच कर रहा था......उम्ह्ह्ह्ह्ह पापाऽऽऽऽऽऽऽ...........मुझे इतना अच्छा क्यों लग रहा है........हाय्य काश थोड़ी देर बैठ जाती ......अम्मममम कितना मज़ा आ रहा था......उम्ह्ह्ह्ह्ह मेरी चुत से पानी भी निकलने लगा है.....हाय ये मैं क्या सोच रही हूं......पर मुझे पापा की गोद में बैठकर इतना अच्छा क्यों लग रहा था....काश मैं उनकी गोद मे हमेशा बैठी रहूं....पर ....
दीदी ने आकर सारा काम बिगड़ दिया......" कनिका अपने मन मे मची उथल पुथल से परेशान थी
"अरे महारानी अब इतनी चुप क्यों हो गयी" मनिका ने कनिका को चुप देखकर पूछा
"वो.....वो...कुछ नहीं दीदी....वो तो मैं ऐसे ही एग्जाम के बारे में सोच रही थी....10 से हमारे एग्जाम शुरू हैं ना" कनिका ने सफाई से अपना बचाव करते हुए कहा
"अरे वाह, तू कब से पढ़ाई की चिंता करने लगी" मनिका ने मजाक करते हुए कहा
मनिका की बात सुनकर सारे लोग हंस पड़े और कनिका के होठों पर भी हल्की से मुस्कान आ गयी
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" हे भगवान, बाल बाल बच गया, अगर किसी ने मेरा पैंट का उभार देख लिया होता तो बवाल मच जाता, ये लंड भी ना...पहले से ही एक के चक्कर मे ज़िन्दगी झंड हुई पड़ी है और अब ये दूसरी को देखकर लार टपक रहा है, अगर उसे थोड़ा सा भी आभास हो जाता तो न जाने क्या हो जाता"
इधर जयसिंह के मन मे मचा तूफान थमने का नाम ही नही ले रहा था
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