RE: Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
"मांफी , किस बात की माफी मणि" जयसिंह अब थोड़ा सा घबरा से गया था
"पाप, मुझे आपसे उस दिल्ली वाली घटना के लिए माफी मांगनी है, जिसकी वजह से मैंने आपसे इतने महीनों तक बात नही की, आपको कितना परेशान किया मैन, मुझे माफ़ कर दीजिए पापा" अब मनिका थोड़ी रुआंसी हो गयी थी, उसकी आवाज़ में भारीपन आने लगा था
जयसिंह उसकी बात सुनकर बुरी तरह से चोंक गया, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले, क्योंकि ये तो वो भी जानता था कि सारी गलती तो उसकी थी तो फिर मनिका उससे माफी क्यों मांग रही है जबकि माफी तो उसे मांगनी चाहिए, काफी देर बाद भी जब वो कुछ नही बोला तो मनिका ने ही चुप्पी तोड़ते हुए कहा
"क्या हुआ पापा, आप मुझे माफ़ नही करेंगे क्या" मनिका ने कहा
"पर......मणि...... वो...मैं.....अब क्या बोलू ........" जयसिंह हकलाते हुए बोला
"बस आप मुझे माफ़ कर दीजिए पापा, मैं दोबारा कभी भी आपको परेशान नही करूंगी" मनिका ने कहा
अब जयसिंह से भी रहा नही गया, उसने भी अपने मन मे दबे पुराने दर्द को बाहर निकालना ही मुनासिब समझा
"नहीं मणि, तुम्हे माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है, तुम्हारी तो कोई गलती ही नही थी, सारी गलती तो मेरी थी, मैं ही थोड़ा बहक गया था, अगर किसी को माफी मांगनी चाहिए तो वो मैं हूँ, प्लीज मणि मुझे माफ़ कर दो, मैं बहक गया था, मेरी बुद्धी भ्रष्ट हो गयी थी, तुमने तो वही किया जो उस स्थिति में सही था" अब जयसिंह भी भावुक हो उठा
था
"नहीं पापा, गलती मेरी भी थी, मुझे पता है आप मेरी वजह से ही उत्तेजित हो गए थे, आखिर आप भी तो मर्द है, आपके मन मे भी तो कुछ भावनाएं है, और मैं जाने अनजाने उन भावनाओ को भड़कती रही, जिसकी वजह से ही आप वो सब करने पर मजबूर हो गए, आपने जो किया आप उसकी पहले ही बहुत सज़ा भुगत चुके थे पर मैने इतने महीनों तक आपसे बातें नही की, आपको इतना दुख दिया, मेरी वजह से आपने ढंग से खाना पीना भी छोड़ दिया, मम्मी कह रही थी कि आप ढंग से सोते भी नही थे, मुझे पता है कि ये सब मेरी वजह से हुआ है, इसलिए आप भी मुझे माफ़ कर दीजिए पापा" अब मनिका की आंखों से थोड़े आंसू निकल आये थे
"नहीं मणि, मेरी गलती के सामने तो तुम्हारी गलती कुछ भी नही, तुम मुझे माफ कर दो " जयसिंह भावुक होकर
बोला
"ठीक है पापा,अगर आप यही चाहते है तो मैं आपको अभी माफ कर देती हूं पर आप भी मुझे माफ़ करदो" मनिका ने जयसिंह से कहा
"जरूर बेटी, मैं तो तुन्हें कभी गलत समझता ही नही था, इसलिए माफी का तो सवाल ही नही उठता पर अगर तुम यही इच्छा है तो मैं तुम्हे माफ करता हूँ मणि"
अब मनीका भागकर अपने पापा की बाहों में समा गई, दोनों बाप बेटी काफी देर तक एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले सुबकते रहे, दोनों के मन का पश्चाताप उनकी आंखों से आंसुओ के रूप में बाहर निकल चुका था ,
इसी तरह खड़े जब काफी देर हो गई तो जयसिंह ने मनिका को अपनी बाहों में से निकालने की कोशिश की, पर मनिका तो जैसे बेल की तरह उनके अधनंगे शरीर से लिपटी हुई थी, वो तो जैसे कभी जयसिंह से दूर ही नही होना चाहती थी , उसने तुरंत दोबारा जयसिंह को खींचकर अपने से जोर से चिपक लिया, इसका सीधा असर ये हुआ कि मनिका के गोल गोल खरबूजों जैसे खूबसूरत मम्मे जयसिंह की छाती में धंसते चले गए, मनिका के नरम मखमली मम्मों के स्पर्श से ही जयसिंह के बदन में एक लहर सी दौड़ गयी,
वो मनिका के नुकीले हो चुके निप्पल्स को अपनी नंगी छाती में साफ साफ महसूस कर पा रहा था, उसकी सांसे अब भारी होने लगी, उसका लंड दोबारा औकात में आने लगा, जयसिंह में लाख कोशिश की उसका ध्यान भटक जाए पर उसका लंड तो पूरी बगावत पर उतर आया, जयसिंह का लंड तोलिये की दरारों से होता हुआ सीधा मनिका की स्कर्ट से जा टकराया, जयसिंह ने अपनी कमर को थोड़ा पीछे करने की कोशिश की ताकि उसका खड़ा लंड मनिका की नज़रों से बच सके, पर तभी अचानक मनिका और ज्यादा आगे होकर जयसिंह से चिपट गयी , इस तरह अचानक आगे बढ़ने से जयसिंह का लंड सबध मनिका की छोटी सी स्कर्ट के अंदर घुसकर इसकी सुडौल जांघो से जा टकराया, मनिका तो इस आभास से रोमांचित हो उठी, अपनी नंगी जांघो पर अपने पापा के नंगे लंड का स्पर्श पाकर उसकी मदमस्त चुत से पानी की एक बूंद टपक कर बह निकली, दोनों के जिस्म भट्टी की तरह सुलग रहे थे, अब जयसिंह से बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था, इससे पहले की कुछ और अनहोनी होती ,जयसिंह तुरंत पीछे हट गया,
"क्या हुआ पापाआआआ....." मनिका ने जयसिंह के इस तरह पीछे हटने की वजह से हैरान होकर पूछा
"वो ....मणि... वो ....मैं....अब मैं क्या कहूँ तुमसे" जयसिंह से बोलते नही बन रहा था, उसे ये तो पक्का भरोसा हो गया था कि मनिका ने उसके लंड को अपनी जांघो पर महसूस कर लिया है
"क्या हुआ पापा, आप पीछे क्यों हैट गए, क्या मैं इतनी बुरी हूँ कि आप मुझे गले से भी नही लगा सकते" मनिका ने कहा
"नही मणि, वो बात नही है, वो मैं...अब मैं तुम्हे कैसे बताऊ" जयसिंह थोड़ा सा परेशान होकर बोला
"आप मुझे क्या बताना चाहते है वो मैं जानती हूं" मनिका ने कहा
"क्या......." जयसिंह घबरा कर बोला
"यही न कि मेरे इस तरह चिपकने से आप उत्तेजित हो गए और आपका वो...मेरा मतलब है कि.....वो मेरी जांघो से टच हो गया" मनिका अब पूरी तरह हवस की शिकार हो चुकी थी
"मुझे माफ़ करना बेटी, मैंने जानबूझकर नही किया, वो बस अपने आप हो गया, मुझे माफ़ कर दो प्लीज़" जयसिंह ने घबरा कर कहा
"आप चिंता मत कीजिये, मैं बिल्कुल भी नाराज़ नही हूँ, मैन कहा था न कि मैं आपकी भावनाओं को समझती हूं, आप बिलकुल भी मत घबराइए" मनिका ने इतने आराम से अपनी बात कही जैसे ये कोई मामूली सी बात हो
जयसिंह मनिका के इस रवैये से बिल्कुल हैरान रह गया, उसे भरोसा ही ही नही हो रहा था कि कभी छोटी छोटी बात पर गुस्सा करने वाली उसकी बेटी आज इतना कुछ होने पर भी इसे मामूली सी बात कह रही है
"क्या हुआ पापा, आप क्या सोच रहे है" मनिका ने अपनी मादक आवाज़ में कहा
" कककुछ नही मणि" जयसिंह ने कहा
"ये मणि मणि क्या लगा रखा है पापाआआआ, भूल गए आपने मुझसे वादा किया था दिल्ली में कि आप मुझे अकेले में मनिका कहकर पुकारेंगे" मनिका की आवाज़ से वासना साफ साफ झलक रही थी
" पर वो मैं ....." जयसिंह बोलते हुए हकला रहा था
"मैं कुछ नही सुनना चाहती, आप बस आज के बाद अकेले में मुझे मनिका ही कहोगे" मनिका ने चहक कर कहा
"चलो ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी मणि..... मेरा मतलब मनिका" जयसिंह ने कहा
इतने दिनों बाद अपने पापा के मुंह से अपने लिए मनिका शब्द सुनकर मनिका के जिस्म में सुरसुराहट सी दौड़ गयी
"आप थोड़ी देर बैठो पापा जब तक मैं आपके नहाने के लिए पानी गर्म कर देती हूं" ये कहकर मनिका किचन में चली गयी और गैस पर एक बर्तन पे पानी चढ़ा दिया क्योंकि बिजली न होने की वजह से गीजर नही चला सकते थे
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