RE: Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
जयसिंह अपनी बेटी की जांघों के बीच घुटनों के बल बैठ कर अपने लिए जगह बनाने लगा, अपने पापा को इस तरह से जगह बनाते हुए देख मनिका की कामोत्तेजना बढ़ गई,
जयसिंह अपने टनटनाए हुए लंड को अपने हाथ में लेकर उसके सुपाड़े को अपनी बेटी की चुत पर रगड़ने लगा, उत्तेजना के मारे मनिका का गला सूख रहा था, चुत पहले से ही एकदम गीली थी जिसकी वजह से उस पर सुपाड़ा रगड़ने से सुपाड़ा भी पूरी तरह से गीला हो गया,
"जल्दी करो पापाआआआ......
उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह....उम्ह्ह्ह्ह्ह पापाऽऽऽऽऽऽऽ…..पापाऽऽऽऽऽऽऽ.....
मुझे चुत में खुजली हो रही पापाआआआ" मनिका जयसिंह से चोदने की मिन्नतें करने लगी
" रुको मैं अभी तुम्हारी खुजली मिटा देता हूँ बेटी" जयसिंह ने कहा और फिर वो अपनी बेटी की फूली हुई चुत के छोटे से सुराख पर अपने अपना लोहे की रोड की तरह सख़्त लंड के सुपाडे को धीरे धीरे रगड़ने लगा
जयसिंह के लंड का सुपाड़ा मनिका की चुत के पानी से पूरा तर बतर हो चुका था
" उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह ..उम्ह्ह्ह्ह्ह पापाऽऽऽऽऽऽऽ…..पापाऽऽऽऽऽऽऽ"
मनिका अपने पापा की मोटे सुपाडे को अपनी गरम फुद्दि पर रगड़ते हुए पा कर सिसक उठी
मनिका को अब अपने पापा के लंड की गर्माहट बेचैन कर रही थी, इतने दिनो से अपने पापा के जिस मोटे और बड़े लंड के सपने वो देख रखी थी, आज उस के पापा का वो ही सख़्त और कड़क लंड बड़े मज़े से उस की गरम फुद्दि के होंठो के ऊपर नीचे हो रहा था
अपने पापा के लंड की तपिश को अपनी चुत के होठों पर महसूस करते ही मनिका भी अपनी गान्ड को हिला हिला कर अपनी चूत लंड के सुपाडे से रगड़ने लगी, जिसकी वजह से मनिका की गुदाज और खूबसूरत छातियाँ उस जवान सीने पर आगे पीछे हिलने लगीं
मनिका की छाती पर उसकी हिलती हुई चुंचियों का ये नज़ारा जयसिंह के लिए बहुत ही दिलकश था
अब जयसिंह ने बुर के छेद पर लंड के सुपाड़े को टीकाकर धीरे से कमर को आगे की तरफ धक्का दिया, बुर की चिकनाहट पाकर लंड का सुपाड़ा हल्का सा बुर में प्रवेश करने लगा, सुपाड़े के प्रवेश होते ही दर्द के मारे मनिका छटपटाने लगी और साथ ही उसकी सिसकारी भी छूटने लगी
जयसिंह ने अपने लंड को अपनी बेटी की चुत में और आगे बढ़ाने के लिए थोड़ा सा ज़ोर लगाया, मगर उस के लंड का सुपाड़ा मनिका की चूत के तंग सुराख में फँस कर रह गया
मनिका को तो इस लम्हे का पिछले कई महीनों से इंतज़ार था, आज उसके दिल की मुराद पूरी हो रही थी, क्योंकि उसके पापा का सख़्त और तना हुआ लंड किसी शेषनाग की तरह अपने फन को उठाए उस की चूत के बिल में घुसे से जा रहा था
पर वो जानती थी कि उस परम आनन्द को प्राप्त करने के लिए उसे दर्द की परीक्षा से गुजरना होगा, इसलिए उसने अपना जी कड़ा कर लिया, और अपने पापा की आंखों में झांककर बोली
"पापाआआआ….अब और मत तड़पाइये मुझे, बस अब एक ही बार मे पूरा डाल दीजिए, मेरे दर्द की परवाह मत करना पापाआआआ"
जयसिंह को भी लगा कि अब किला फतह करने का टाइम आ गया है, उसने अपनी सारी ताकत अपनी कमर में समेटी और एक जोरदार धक्के के साथ अपना तीन चौथाई लंड मनिका की चुत में घुसा दिया
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