RE: Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
दूसरी तरफ जयसिंह अब नींद से जग चुका था, उसने जब खुद को बिल्कुल नंगा मनिका के बिस्तर पर पाया, तो उसकी आँखों के सामने रात वाला मंज़र घूम गया और उसके होंठो पर एक गहरी मुस्कान आ गयी,
उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि आखिर उसने अपनी बेटी की फुलकुंवारी का रस चख लिया था, उसे कली से फूल बना दिया था, उसके लिए तो ये सब एक सपने की तरह प्रतीत हो रहा था, जल्दी ही रात की खुमारी को याद कर उसके लंड में जोश भरता चला गया, अपने लंड में आए तनाव को देखकर उसका मन बहकने लगा था, वो सोचने लगा कि कि अगर इस समय उसकी बेटी इधर होती तो, वो जरूर एक बार फिर से उसे चोद कर अपने आप को शांत कर लेता, एक बार फिर उसकी नाजुक चुत को अपने हलब्बी लंड से भर देता ,
लेकिन मनिका तो पहले ही नीचे जा चुकी थी इसलिए वो भी बस हाथ मसल कर रह गया, अब वो जल्दी जल्दी नीचे उतरकर सीधा अपने रूम की तरफ गया, मनिका अब भी किचन में ही काम कर रही थी, मनिका ने पहले ही जयसिंह के लिए एक लोअर(पजामा) और एक टीशर्ट निकालकर उसके रूम में रख दी थी ताकि जयसिंह नहाने के बाद उन्हें पहन सके, जयसिंह दबे पांव अपने रूम में आया और सीधा बाथरुम के अंदर चला गया, तकरीबन 30 मिनट में वो नहा धोकर बिल्कुल तैयार था, उसने वो लोअर और टीशर्ट पहनी ओर सीधा नाश्ता करने के लिए किचन कि तरफ चल पड़ा
वो अभी किचन की तरफ जा ही रह था कि अचानक उसके मोबाइल पर मधु का फ़ोन आ गया
जयसिंह - हेलो
मधु - हाँ, हेलो, मैं मधु बोल रही हूं
जयसिंह को मधु की आवाज़ से लगा जैसे वो रो रही हो, वो थोड़ा घबरा गया
जयसिंह - अरे मधु, क्या हुआ, तुम रो क्यों रही हो??????
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