RE: Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
जयसिंह ने सारी बात मनिका को बता दी, हालांकि जयसिंह खुद भी दुखी था पर अब जाना तो पड़ेगा ही
"क्या पापाआआआ, आपको आज के लिए हां करने की क्या जरूरत थी, कल चले जाते, कम से कम हमे 1 दिन तो और मिल जाता" मनिका बेबाकी से सब बोल गई
"1 दिन मिल जाता , किसके लिए मिल जाता मनिका" जयसिंह अब मनिका को छेडने के मूड में था,
"क्या पापा, आपको सब पता है फिर भी आप मुझे परेशान करते है" मनिका ने नाक चढ़ाते हुए पूछा
"सच मे मुझे नही पता मनिका, प्लीज़ बताओ न एक दिन ओर मिलता तो तुम क्या करती" जयसिंह ने दुबारा मनिका के बाए मम्मे को अपने हाथों में भर लिया
मनिका को लगा कि शायद जयसिंह दोबारा गर्म हो रहे है, इसलिए अब उसने भी ठान लिया था कि अब शरम का पर्दा छोड़ देगी
"अभी बताती हूँ आपको कि मैं क्या करती" मनिका ने जयसिंह के थोड़े मुरझाए से लंड को दोबारा अपने हाथों में भर लिया और उसके सुपाडे की चमड़ी को पकड़कर ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया
अब जयसिंह के लंड में हल्का हल्का तनाव आना शुरू हो गया था,
"मनिका, एक काम करोगी क्या" जयसिंह ने मनिका के मम्मे को जोर से मसलते हुए पूछा
"बोलिये पापाआआआ, आपके लिए तो मैं अब कुछ भी करूंगी" मनिका ने अपने हाथों की रफ्तार बढ़ दी
"एक बार इसे अपने मुंह मे ले लो ना प्लीज़" जयसिंह ने अपने लंड की ओर इशारा करते हुए पूछा
जयसिंह की बात सुनकर मनिका की आंखे पूरी खुल गयी
"पर पापा, मैं ये कैसे, मेरा मतलब है कि मैंने आज तक कभी इसे मुहँ में नही लिया, और आपका तो इतना बड़ा है , मैं कैसे ले पाऊंगी, प्लीज़ ये रहने दो न पापा, और चाहे आप कुछ भी कर लो" मनिका ने कहा
"बेटी तुम एक बार कोशिश करके तो देखो, अगर पसन्द न आये तो निकल देना, पर प्लीज़ एक बार" जयसिंह बोला
"पर.........चलो ठीक है .....मैं ले लेती हूं मुँह में.....पर सिर्फ थोड़ी देर के लिए......." मनिका ने क
हा
अब दृश्य कुछ इस प्रकार का था कि दोनों बाप बेटी बिल्कुल नंगी हालत में बाथरूम में खड़े थे, जयसिंह मनिका के मम्मे को मसले जा रहा था, और मनिका जयसिंह के लंड को अपने हाथों में पकड़े थी
अब मनिका जयसिंह के लंड को अपने मुहँ में लेने के लिए नीचे झुकने लगी, जैसे जैसे मनिका नीचे झुक रही थी जयसिंह आने वाले पल के बारे में सोचकर उत्तेजित हुए जा रहा था
उसके लिए तो ये किसी सपने से कम नही था कि उसका बड़ा सा लंड उसकी बेटी के कोमल होठों के बीच दबा हो और वो जोर लगाकर लंड को उसके गले तक उतार दे
अभी वो अपने ख्यालो में खोया हुआ था ही कि अगले ही पल जैसे उसे 440 वाल्ट का झटका लगा, मनिका ने जयसिंह के लाल सुपाडे को अपने गुलाबी होठों से छू लिया था,
इस स्पर्श मात्र से ही जयसिंह के तन बदन में सिहरन सी दौड़ गयी, उसके लन्द में खून दुगुनी रफ्तार से दौड़ने लगा , उसकी सांसो की रफ्तार बढ़ गयी,
इधर मनिका ने दोबारा अपने होटों को गोल किया और जयसिंह के लंड के सुपाडे को अपने होटों में भरने की कोशिश करने लगी, उसे जयसिंह का सुपाड़ा बहुत गर्म महसूस हो रहा था,
मनिका बस लंड पर चुप्पे ही लगाए जा रही थी, इससे एक बात तो जयसिंह को पता चल गई थी कि मनिका को लंड चूसना नही आता, इसलिए जयसिंह ने उसे सीखने की जिम्मेदारी खुद ही सम्भली
"बेटी, मेरे लंड को अपने मुंह मे भी लो ना थोड़ा सा" जयसिंह ने कहा
"जी पापाआआआ" मनिका किसी आज्ञा कारी शिष्य की तरह उनका आदेश में रही थी
मनिका ने अपने होठों को गोल गोल किया और इस बार जयसिंह का पूरा सुपाड़ा अपने मुहँ में भर लिया
"अब अपनी जीभ से मेरे लंड को अंदर ही अंदर कुरेदो और धीरे धीरे आगे पीछे भी करती रहो" जयसिंह ने कहा
मनिका ने भी अपनी जीभ से जयसिंह के लन्द के छेद को कुरेदा तो जयसिंह के बदन में सनसनी सी मच गई,
अब मनिका ने अपने मुंह को थोड़ा आगे पीछे भी करना शूरू कर दिया जिससे जयसिंह का लन्द उसके कोमल होटों से रगड़ खा रहा था
अब जयसिंह का लंड औकात में आना शुरू हो चुका था, धीरे धीरे लन्द का बढ़ता ही गया और पूरी तरह तनकर मनिका की आंखों के सामने खड़ा था, मनिका लंड के आकर को देखकर एक बार तो घबरा गई पर उसने अपना काम जारी रखा
इधर जयसिंह का धैर्य धीरे धीरे खत्म होता जा रहा था, और उसने बिना किसी चेतावनी के अपना लंड मनिका के मुंह मे घुसा दिया, जयसिंह का सिर्फ आधा लंड ही मनिका के मुंह मे आ पाया था पर ऐसा लग रहा था कि मनिका का मुंह पूरा का पूरा भर चुका हो, उसके मुंह से गूँ गूँ की आवाज़े आने लगी, उसे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी, पर वो किसी भी हालत में अपने पापा को खुश करन चाहती थी
इधर जयसिंह पर तो जैसे जैसे भूत ही सवार था , वो मनिका के मुंह मे दे दना दन धक्के लगाए जा रहा था
तकरीबन 10 मिनट तक मनिका के मुंह को चोदन के बाद जयसिंग के लंड में उबाल आने शुरू हो चुका था ,उसे पता लग गया कि उसका पानी निकलने वाला है, पर उसने मनिका को नही बताया और एक जोर का झटका देकर अपना लंड मनिका के गले तक उतार दिया और साथ ही साथ उसके लंड ने जोरदार ढंग से पिचकारी मार दी, जयसिंह के लंड से निकली आखिरी बून्द तक मनिका के गले से नीचे उतर गई, मनिका ने अपनी तरफ से जोर लगाया पर जयसिंह के बलिष्ठ शरीर के आगे उसकी थोड़ी सी ताक़त कहाँ टिकनी थी, हार मानकर उसे जयसिंह का सारा वीर्य गटकना पड़ा,
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