RE: Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
जयसिंह को पता था टाइम आने पर तो इसमें से बच्चा भी निकल जाता है... पर वो उसको दर्द नही दे सकता था, बदहवास हो चुके जयसिंह ने अपनी छोटी उंगली का दबाव उसके छेद पर हल्का सा बढ़ाया; पर उस हल्के से दबाव ने ही कनिका को सचेत सा कर दिया ,कनिका का हाथ एकदम उसी स्थान पर आकर रुका और वो वहाँ खुजलाने लगी ,फिर अचानक वो पलटी और जयसिंह के साथ चिपक गयी जयसिंह समझ गया 'असंभव है' ऐसे तो बिल्कुल कुछ नही हो सकता मायूस होकर उसने कनिका का स्कर्ट नीचे कर दिया और उसके साथ उपर से नीचे तक चिपक कर सो गया
पर जयसिंह अभी तक इस बात से अनभिज्ञ था कि जिस कनिका को वो अब तक सोई समझकर ये सब हरकते कर रहा था दरअसल ये सब खजरफत उसी के शैतानी दिमाग की थी, उसे पता था कि इस तरह अपने पापा से चिपट कर सोने से उसके पापा खुद को कंट्रोल नही कर पाएंगे और जरूर कुछ न कुछ करेंगे, वो बस आंखे मुंदे इंतेज़ार कर रही थी, और जब जयसिंह का हाथ उसके कच्चे बदन पर गिरने लगा तो उसे अपने मकसद में कामयाबी हासिल होती नजर आने लगी थी
लर ये क्या जयसिंह तो सब हथियार डालकर दोबारा सो गया, अब वो क्या करे, कनिका को कुछ समझते नही बन रहा था, वो बड़ी असमंजस में थी, मन तो करता कि जिस तरह उसके पापा ने उसके बदन पर हाथ फिराकर उसकी चुत को गर्म कर दिया और उसकी चुत से टसुए बहा दिए, वो भी उसका बदला ले, उनके पंत को खोलकर उस फ़ंनफ़नाते लंड को अपने मुंह मे गुप्प से ले ले, इसे जी भरकर चूसे चाटे, और उसे अपने चुत के छोटे से तंग छेद में लेकर आज की रात लड़की से औरत बन जाये, पर शर्म और डर का एक पहरा भी तो था, जो हिम्मत उसके पापा ने दिखाई वो कैसे दिखाए, वो भी जब कि उसके पापा अभी सोये नही, उसे कुछ समझ नही आ रहा था, मन मे उथल पुथल और चुत में घमासान मचा था
आखिर में उसने जयसिंह वाली तरकीब ही इस्तेमाल करने की सोची, यानी वो भी जयसिंह के सोने के बाद उनके लंड को अपने मुंह मे लेगी , उसे प्यार करेगी, जी भर के
ये सब सोचकर ही उसकी चुत से पानी की हल्की सी बून्द बहकर उसकी गोरी चिकनी जांघो पर लकीर सी खींचने लगी, उसे बस अब इंतेज़ार करना था, पर ये इंतेज़ार तो बड़ा मुश्किल था, हर पल एक एक बरस के समान गुज़र रहा था, कनिका से समय कटे नही कट रहा था
रात के तकरीबन 1 बजने वाले थे, चारो तरफ घनघोर अंधेरा छाया था, रह रहकर कुत्तों के भोंकने की आवाज़े सुनाई पड़ती थी, मालूम होता जैसे यहां सदियों से कोई रहता ना हो, ऐसे में कनिका को अपने धड़कते दिल की आवाज़ बड़ी साफ साफ सुनाई दे रही थी, उसे लगने लगा था कि शायद अब समय आ गया है, उसके हाथ पांव फूलने लगे थे, उसे समझ आ गया था कि जितना उसने सोचा उता आसान काम नही होने वाला
फिर भी उसने हिम्मत ना हारी, पूरी ताकत लगाकर अपने गले से हल्की सी आवाज़ निकली " पापाआआआ...... सो गए क्या"
पर जयसिंह तो सचमुच सो चुका था, इसलिए उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नही आई, कनिका ने दोबारा एक बार आवाज़ दी पर इस बार भी कोई प्रतिक्रिया नही
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