Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
01-02-2020, 01:19 PM,
#68
RE: Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
उसने जयसिंह के लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर दबाया, तो जयसिंह के लंड का सुपडा उसकी चूत की फांको को फेलाता हुआ, छेद पर जा लगा, कनिका की कुँवारी चूत की फाँकें जयसिंह के लंड के सुपाडे के चारो तरफ फैेलाते हुए कस गई, अपनी चूत के छेद पर जयसिंह के लंड का गरम सुपडा महसूस करते ही उसके बदन में मानो हज़ारो वॉट की बिजली कोंध गई हो, उसका पूरा बदन थरथरा गया….

कनिका की चूत उसकी चूत से निकल रहे कामरस से एक दम गीली हो चुकी थी, कनिका ने अपनी आँखो को बड़ी मुस्किल से खोल कर जयसिंह की तरफ देखा, और फिर काँपती आवाज़ में बोली…

कनिका: पापा धीरे-धीरे ही अंदर करना, मैं ये सब पहली बार कर रही हूँ, इसलिए मुझे दर्द होगा, पर आप चिंता मत करना , चाहे मुझे कितना भी दर्द हो, आप अपना लंड मेरी फुद्दि में पूरा घुसाना

अब जयसिंह ने धीरे-2 अपने लंड के सुपाडे को कनिका की चूत के छेद पर दोबारा दबाना शुरू किया, जैसे ही उसके लंड का सुपडा कनिका की गीली चूत के छेद में थोड़ा सा घुसा, कनिका एक दम सिसक उठी, जयसिंह के लंड का सुपाडा कनिका की चूत की सील पर जाकर अटक गया, जयसिंह भी इस रुकावट को सॉफ महसूस कर पा रहा था….

कनिका की चूत की झिल्ली, जयसिंह के लंड के सुपाड़े से बुरी तरह अंदर को खिच गई, जिसके कारण कनिका के बदन में दर्द की एक तेज लहर दौड़ गई, उसके चेहरे पर उसके दर्द का साफ पता चल रहा था

जयसिंह: क्या हुआ बेटी ? ज्यादा दर्द हो रहा है क्या ?

कनिका: आहह हां पापा…दर्द हो रहा है…..


जयसिंह: बाहर निकाल लूँ…..

कनिका: नही पापा बाहर मत निकालना….ये दर्द तो हर लड़की को जिंदगी में एक ना एक बार तो सहन करना ही पड़ता है….पापा आप बस ज़ोर से घस्सा मारो….और एक ही बार मे मेरी फुद्दी फाड़ दो

जयसिंह: अगर तुम्हे दर्द हुआ तो ?

कनिका: मैं सह लूँगी……आप मारो न धक्का

जयसिंह ने अपनी पूरी ताक़त अपनी गान्ड में जमा की, और अपने आप को अगला शाट मारने के लिए तैयार करने लगा, कनिका ने अपने दोनो हाथों से जयसिंह के बाजुओं को कस के पकड़ लिया, और अपनी टाँगों को पूरा फैला लिया..

कनिका - पापा…पापा फाड़ दो अब…..

जयसिंह ने कुछ पलो के लिए कनिका के चेहरे की तरफ देखा, जो अपनी आँखें बंद किए हुए लेटी हुई थी, उसने अपने होंठो को दांतो में दबा रखा था. जैसे वो अपने आप को उस दर्द के लिए तैयार कर रही हो, उसके माथे पर पसीने के बूंदे उभर आई थी, जयसिंह ने एक गहरी साँस ली, और फिर अपनी पूरी ताक़त के साथ एक ज़ोर दार धक्का मारा



जयसिंह के लंड का सुपाडा कनिका की चूत की झिल्ली को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया, जयसिंह का आधे से ज़्यादा लंड एक ही बार मे अंदर जा चुका था…

" हाए मम्मी मर गई हाईए अहह पापाआआआ बहुत दर्द हो रहा है….” कनिका छटपटाते हुए, अपने सर को इधर उधर पटक रही थी, उसे अपनी चूत में दर्द की तेज लहर दौड़ती हुई महसूस हो रही थी….

कनिका के इस तरह से दर्द के कारण बिलबिलाने से जयसिंह भी घबरा गया, उसने कनिका की ओर देखा, उसकी बंद आँखो से आँसू बह कर उसके गालो पर आ रहे थे

"बेटी मैं बाहर निकाल लेता हूँ" जयसिंह ने कनिका की ओर देखते हुए कहा….

कनिका: (अपनी आँखो को खोलते हुए) नही नही पापा बाहर मत निकालना…पूरा अंदर कर दो….मेरी फिकर मत करो…..

जयसिंह: पर बेटी…

कनिका: मैंने कहा ना मेरी परवाह मत करो….आप अपना लंड पूरा मेरी फुद्दि में डाल दो…..

जयसिंह ने अपने लंड की तरफ देखा, जो कनिका की टाइट चूत के छेद में घुस कर फँसा हुआ था, और फिर उसने एक बार फिर से पूरी ताक़त के साथ झटका मारा, इस बार उसके लंड का सुपाडा उसकी चूत की दीवारो को फैलाता हुआ पूरा का पूरा अंदर जा घुसा



"उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह उम्ह्ह्ह्ह्ह पापाऽऽऽऽऽऽऽ…..पापाऽऽऽऽऽऽऽ…योर डिक पापा…स्स्स्स्स्स्साऽऽऽऽ सो बिग…पापा…….." कनिका ने दर्द से छटपटाते हुए अपने हाथों से जयसिंह के बाजुओ को इतनी कस के पकड़ा कि उसके नाख़ून जयसिंह के बाजुओ में गढ़ने लगे, जयसिंह को अपने लंड के इर्द गिर्द कनिका की टाइट चूत की दीवारे कसी हुई महसूस हो रही थी, उसके लंड में तेज गुदगुदी सी होने लगी,

दोनो थोड़ी देर वैसे ही लेटे रहे, जयसिंह अब धक्के लगाने को उतावला हो रहा था, पर कनिका ने उसकी कमर में अपनी टाँगो को लपेट रखा था, जिसकी वजह से जयसिंह हिल भी नही पा रहा था, कुछ लम्हे दोनो यूँ ही लेटे रहे, फिर धीरे-धीरे कनिका का दर्द कुछ कम होने लगा, और उसे अपनी चूत में अजीब सी सरसराहट होने लगी, अब उसे मज़ा आने लगा था, और उसने अपनी टाँगो को जो कि उसने जयसिंह की कमर पर कस रखी थी, को ढीला कर दिया, जैसे ही जयसिंह की कमर पर कनिका की टाँगों की पकड़ ढीली हुई, जयसिंह ने अपना आधे से ज़्यादा लंड एक ही बार में कनिका की चूत से बाहर खींचा, और फिर से एक झटके के साथ कनिका की चूत में पेल दिया,
धक्का इतना जबरदस्त था कि कनिका का पूरा बदन हिल गया

"आह शीईइ पापा उंह धीरे उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह उम्ह्ह्ह्ह्ह पापाऽऽऽऽऽऽऽ…..पापाऽऽऽ" कनिका ने फिर से अपने पैरो को जयसिंह के चुतड़ों के ऊपर रख कर उसे अपनी तरफ दबा लिया

जब उसे अपनी चूत की दीवार पर जयसिंह के लंड के सुपाडे की रगड़ महसूस हुई तो वो एक दम से मस्त हो गई, फिर थोड़ी देर रुकने के बाद कनिका ने जयसिंह को धीरे से कहा

"पापा अब धीरे से बाहर निकालो…मुझे कुछ देखना है" ये कहते हुए उसने फिर से अपने पैरो की पकड़ ढीली की और जयसिंह ने घुटनो के बल बैठते हुए धीरे-2 अपने लंड को बाहर निकालना शुरू किया, फिर से वही मज़े की लहर कनिका के रोम-रोम में दौड़ गई, उसे जयसिंह के लंड का सुपाडा अपनी चूत के दीवारो पर रगड़ ख़ाता हुआ सॉफ महसूस हो रहा था

"ओह्ह पापा मेरी फुद्दि आह आह बहुत मज़ा आ रहा है..ओह्ह उम्ह्ह." कनिका बोली

जयसिंह ने जैसे ही अपना लंड कनिका की चूत से बाहर निकाला, तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गई, उसका लंड खून और कनिका के चूत से निकल रहे कामरस से सना हुआ था

मनिका ने अपने पास रखे एक कपड़े को अपनी चूत पर दबा दिया…ताकि उसमे से खून निकल कर, बेड शीट पर ना गिरे…..


फिर उसने अपनी चूत को उस कपड़े से रगड़ कर साफ किया, और फिर जयसिंह की तरफ देखा, जो हैरत से उसकी तरफ देख रहा था

कनिका: क्या हुआ पापा आप ऐसे क्या देख रहे हो ?

जयसिंह: बेटी तुम तो काफी समझदार हो

"हाँ जानती हूँ" कनिका खिलखिलाकर बोली

फिर कनिका उठ कर बैठी और जयसिंह के लंड को हाथ में लेकर उसे कपड़े से अच्छे से साफ किया, फिर उस कपड़े को साइड में रखते हुए, बेड पर लेट गई , कनिका ने अपनी बाहों को खोल कर जयसिंह को आने का इशारा किया

जयसिंह उसके ऊपर झुक गया, कनिका ने उसे अपनी बाहों में कस लिया और उसके आँखो में झाँकते हुए बोली "आइ लव यू पापा" और फिर दोनो के होंठ फिर से आपस में गुथम गुत्था हो गए, फिर से वही उम्ह्ह आहह उन्घ्ह की आवाज़े उनके मुँह से आने लगी

जयसिंह का लंड अब उसकी चूत की फांको पर रगड़ खा रहा था, जयसिंह भी मस्ती में उसके होंठो को चूस्ता हुआ उसके निपल्स को अपनी उंगलियों से भिचते हुए उसकी चुचियों को दबा रहा था, कनिका की चूत में कुलबुली सी होने लगी, वो नीचे से अपनी गान्ड को हिलाते हुए जयसिंह के लंड को अपनी चूत के छेद पर सेट करने की कोशिश कर रही थी

थोड़ी देर के बाद अचानक से जयसिंह के लंड का सुपाडा कनिका की चूत के छेद पर अपने आप जा लगा, कनिका का पूरा बदन एक दम से थरथरा गया, उसने अपने होंठो को जयसिंह के होंठो से अलग किया और फिर जयसिंह की आँखो में देखते हुए मुस्कुराने लगी,फिर उसने अपने आँखे शरमा कर बंद कर ली, उसके होंठो पर मुस्कान फेली हुई थी….

जयसिंह ने भी बिना देर किए, धीरे-2 अपने लंड के सुपाडे को कनिका की चूत के छेद पर दबाना शुरू कर दिया….

"उंह पापा सीईईईई अहह बहुत माजा आ रहा है….." कनिका बोली

जयसिंह के लंड का सुपाडा कनिका की चूत के छेद और दीवारो को फेलाकर रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बढ़ने लगा, कनिका के बदन में मस्ती के लहरे उमड़ रही थी, उसका पूरा बदन उतेजना के कारण काँप रहा था, उसकी चूत की दीवारे जयसिंह के लंड को अपने अंदर कस कर निचोड़ रही थी


धीरे-2 जयसिंह का पूरा लंड कनिका की चूत में समा गया, कनिका ने सिसकते हुए जयसिंह को अपनी बाहों में कस लिया और उसकी टी-शर्ट ऊपर उठा कर उसकी पीठ को अपने हाथो से सहलाने लगी

"आह पापा करो ना उंह आ सीईईई आह पापा मुझे बहुत मज़ा आ रहा है….”

जयसिंह ने कनिका के फेस को अपनी तरफ घुमाया, और फिर अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिया, कनिका ने अपने होंठो को खोल दिया, जयसिंह ने थोड़ी देर कनिका के होंठो को चूसा, और फिर अपने होंठो को हटाते हुए, उसकी जाँघो के बीच में घुटनो के बल बैठते हुए, अपनी पोज़िशन सेट की, और अपने लंड को धीरे-2 आगे पीछे करने लगा


जयसिंह के लंड के सुपाडे को कनिका अपनी चूत की दीवारो पर महसूस करके एक दम मस्त हो गई, और अपनी आँखें बंद किए हुए अपनी पहली चुदाई का मज़ा लेने लगी

"अह्ह्ह्ह पापा हाईए मेरे फुद्दि आह मारो और ज़ोर से मार आह फाड़ दो अह्ह्ह्ह ऑश”

धीरे-2 जयसिंह अपने धक्कों की रफतार को बढ़ाने लगा, पूरे रूम में कनिका की सिसकारियो और बेड के हिलने से चर-2 की आवाज़ गूंजने लगी, कनिका पूरी तरह मस्त हो चुकी थी, कनिका की चूत उसके काम रस से भीग चुकी थी, जिससे जयसिंह का लंड चिकना होकर कनिका की चूत के अंदर बाहर होने लगा था, कनिका भी अपनी गान्ड को धीरे-2 ऊपर की ओर उछाल कर चुदवा रही थी….

"हाई ओईए अहह मेरी फुद्दि अह्ह्ह्ह पापा बहुत मज़ा आ रहा है.आह चोदो मुझे अह्ह्ह्ह और तेज करो सही…मैं झड़ने वाली हूँ आह उहह उहह उंघह ह पापा ममैं गाईए अहह…." कनिका धीरे धीरे आहे भर रही थी

जयसिंह के जबरदस्त धक्को ने कुछ ही मिनट में कनिका की चूत को पानी -2 कर दिया था, उसका पूरा बदन रह-2 कर झटके खा रहा था, जयसिंह अभी भी लगातार अपने लंड को बाहर निकाल-2 कर कनिका की चूत में पेल रहा था, कनिका झड़ने के बाद एक दम मस्त हो गई थी, उसकी चूत से इतना पानी निकाला था कि, जयसिंह का लंड पूरा गीला हो गया था

अब कनिका अपनी आँखें बंद किए हुए लेटी थी,और लंबी -2 साँसे ले रही थी, कनिका ने अपनी आँखें खोल कर जयसिंह की तरफ देखा, जो पसीने से तरबतर हो चुका था, और अभी भी तेज़ी से धक्के लगा रहा था,अब रूम में सिर्फ़ बेड के चर्मार्ने से चू-2 की आवाज़ आ रही थी….जैसे -2 जयसिंह झटके मारता, बेड हिलता हुआ हल्की हल्की चू-2 की आवाज़ करता, कनिका बेड के हिलने की आवाज़ सुन कर शरमा गई, और अपने फेस को साइड में घुमा कर मुस्कराने लगी…

जयसिंह: (अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए) क्या हुआ…?

कनिका: (मुस्कुराते हुए) कुछ नही…..

जयसिंह: फिर मेरी तरफ देखो ना…

कनिका: नही मुझे शरम आती है…..
जयसिंह ने अपने दोनो हाथों से कनिका के चेहरे को अपनी तरफ घुमाया, पर कनिका ने पहले ही अपनी आँखे बंद कर ली, उसके चेहरे पर शर्मीली मुस्कान फेली हुई थी, जयसिंह ने कनिका के होंठो को अपने होंठो में लेकर चुसते हुए अपने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी और फिर कुछ ही पलो में उसके लड में तेज सुरसुरी हुई, उसका लंड कनिका की चूत में झटके खाने लगा, और फिर वो कनिका के ऊपर निढाल हो कर गिर पडा, कनिका और जयसिंह दोनों एक साथ झड़ कर शांत हो चुके थे, ओर फिर गहरी नींद में सो गए
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