Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
01-02-2020, 01:20 PM,
#70
RE: Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
जयसिंह के लिए तो ये एक जबरदस्त मज़ा था , इस मज़े से उसकी हालत खराब होती जा रही थी , पूरे जिस्म में गर्मी सी महसूस होने लगी थी , उसके लंड का तनाव पल पल बढ़ता ही जा रहा था ,


जैसे जैसे लंड का आकार बढ़ता जा रहा था, वैसे वैसे मनिका की जीभ की स्पीड बढती जा रही थी , लंड का कठोर रूप अब उसके सामने था और वो रूप उसके तन बदन में आग लगा रहा था , उसके पूरे बदन में होने वाली झुरझुरी उसकी हवस को बयां कर रही थी , उसका अंग अंग फड़कने लगा था

उसके नुकीले निप्पल कड़े होकर उसकी झीनी सी टी शर्ट के ऊपर से अपना एहसास देने लगे थे, और ये साफ महसूस हो रहा था कि उसने टीशर्ट के नीचे कुछ नही पहना, धीरे धीरे उसकी चूत में रस बहना चालू हो चूका था , वो अपने आप पर काबू खोती जा रही थी , उसकी सांसें गहरी होती जा रही थी और उसका सीना उसकी साँसों के साथ तेज़ी से ऊपर निचे हो रहा था , बदन में कम्कम्पी सी दौड़ रही थी ,

इधर जयसिंह का लंड पूरा कड़क हो चूका था, अब मनिका ने और बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था और उसने अगले ही पल झट से जयसिंह के लंड के सुपाडे को अपने रसीले होंठों में भर लिया और अपनी जीभ उस पर रगडते हुए उसे जोर जोर से चूसने लगी ,जयसिंह के आनंद में कई गुना बढ़ोतरी हो गई थी, अपने पापा के मुख से निकलती ‘अह्ह्ह्ह- अह्ह्ह्ह’ ‘उफ़’ ने मनिका को और भी उतेजित कर दिया , धीरे धीरे उसके होंठ लंड के ऊपर की और जाने लगे , जैसे जैसे मनिका के होंठ ऊपर को बढ़ रहे थे, दोनों बाप बेटी की साँसे और सिसकियाँ गहरी होती जा रही थीं ,
मनिका के होंठ अब सुपाड़े के नीचे वाले हिस्से की भी सवारी करना शुरू कर चुके थे,
अगले ही पल वो हुआ जिसकी आशा में जयसिंह और मनिका दोनों का बदन कांप रहा था, बुखार की तरह तप रहा था , मनिका के होंठ अपने पापा के लंड के चारों और बुरी तरह कस गए , और जयसिंह के लंड का आधे से ज्यादा हिस्सा मनिका की गले की गहराइयों में ओझल हो चुका था,


जयसिंह को लगा शायद वो गिर जाएगा और उसके बदन ने एक ज़ोरदार झटका खाया ,


“आहह्ह्ह... म..उफफ्फ्फ्फ़” जयसिंह सुपाड़े की अति संवेदनशील त्वचा पर अपनी बेटी की खुरदरी जीभ की रगड़ से कराहने लगा , उसके हाथ ऊपर उठे और अपनी बेटी के सर पर कस गए ,

मनिका तो जैसे पूरे जोश में आ गई , उसने होंठ कस कर अपनी जीभ तेज़ी से चलानी शुरू कर दी , उसका एक हाथ अपने पापा की कमर पर चला गया और दुसरे से वो उनके अंडकोष सहलाने लगी ,

अब मनिका का मुंह भी लंड पर आगे पीछे होने लगा था , उसके गिले मुख में धीरे धीरे अन्दर बाहर होते लंड ने जयसिंह को जोश दिला दिया , वो अपनी बेटी के सर को थामे अपना लंड उसके मुंह में जोर जोर से आगे पीछे करने लगा , हर शॉट में अब उसका लंड मनिका के गले की गहराइयों को नाप रहा था, और अब जयसिंह तेज़ी से अपने लंड को आगे पीछे करते हुए गहराई तक अपनी बेटी का मुख चोदने लगा , जब जयसिंह का लंड मनिका के गले को टच करता तो उसके मुख से ‘गुन्न्न्न –गुन्न्नन्न’ की आवाज़ निकलती ,
उधर जयसिंह तो जैसे किसी और ही दुनिया में था , आँखें बंद किए वो अपनी बेटी के मुंह में अपना लंड घुसेड़ता जा रहा था ,
मनिका को हालाँकि लंड के इतने तेज़ तेज़ धक्कों से थोड़ी दिक्कत हो रही थी मगर वो हर संभव प्रयास कर रही थी अपने पापा के लंड की ज़बरदस्त चुसाई करने का , उसकी जीभ अन्दर बाहर हो रहे लंड के सुपाड़े को रगडती तो उसके होंठ सुपाड़े से लेकर लंड के मध्य भाग तक लंड को दबाते , लंड अन्दर जाते ही उसके गाल फूल जाते और बाहर आते ही वो पिचकने लगते ,

जल्द ही जयसिंह को अपने अंडकोष दवाब सा बनता महसूस होने लगा , उसे एहसास हो गया वो झड़ने के करीब है , उसने अब अपनी बेटी के मुख को और भी तीव्रता से चोदना शुरू कर दिया , उधर मनिका के लिए अब इस गति से अन्दर बाहर हो रहे लंड को चुसना संभव नही था , वो तो बस अपने होंठो और जीभ के इस्तेमाल से जितना हो सकता लंड को सहलाने की कोशिश कर रही थी ,

खुद वो अपनी टांगें आपस में रगड़ कर उस सनसनाहट को कम करने की कोशिश कर रही थी , जो उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी , चुत से रस निकल निकल कर उसकी पजामी और जांघें गीली कर चुका था ,

तकरीबन 10 मिनट की भीषण चुसाई के बाद अचानक जयसिंह को लगने लगा जैसे उसकी शक्ति का केंद्र बिंदु उसका लंड बन गया है , वो झड़ने के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था , पर वो चाहता था कि उसके पानी की हर एक बूंद मनिका की गले की गहराइयों में उतार जाए, इसलिए अब उसके धक्के और भी ज्यादा आक्रामक होते जा रहे थे,

मनिका को भी ये अहसास होने लगा था था कि अब शायद उसके पापा झड़ने वाले हैं इसलिए उसने अपने आपको पूरी तरह उनके सुपुर्द कर दिया, जयसिंह मनिका के सिर को पकड़कर जोर जोर से अपना लंड उसके मुंह मे घुस रहा था


और फिर अगले ही पल जयसिंह के बदन में एक तेज़ लहार उठी और वो भलभला कर झड़ने लगा, उसके लंड से वीर्य की बौछार होने लगी जो मनिका के गले मे जाकर हसे तृप्त कर रही थी,

मनिका भी एक मझे हुए खिलाड़ी की तरह जयसिंह के पानी की आखिरी बून्द भी पी लेना चाहती थी, जब जयसिंह पूरी तरह झाड़कर शांत हो ज्ञाबतो मनिका उपज ने जीभ की नोंक से सुपाड़े के छेद से निकल रही आखिरी बूँद को भी चाट लिया,


“ .उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह मनिका उम्ह्ह्ह्ह्ह.” जयसिंह लगातार सिसकता ही जा रहा था ,

मनिका की जीभ आखिरी बार पूरे लंड पर घूमने लगी और वो उसे चाट कर साफ़ करने लगी , लंड पूरा साफ़ होने के बाद उसने सुपाड़े को अपने होंठो में एक बार फिर से भरकर चूसा और फिर अपने होंठ उसपे दबाकर एक ज़ोरदार चुम्बन लिया,

दोनों बाप बेटी अब पूरी तरह शांत हो चुके थे, उनका खोया हुए होश अब वापस लौटने लगे था, मनिका ने खड़ी होकर अपने कपड़े ठीक किये और जयसिंह के गालों पर एक पप्पी देकर उन्हें थैंक्स बोलते हुए कमरे से बाहर चली गयी

जयसिंह ने भी अपने बिखरी सांसो को समेटा और लोअर को ऊपर किया, फिर जाकर बेड पर कनिका के साथ सो गया

जयसिंह बेसुध से सोया अपने खूबसूरत सपनो की दुनिया मे सैर कर रहा था, इसके लिए तो एक हाथ मे लड्डू था और एक मे बर्फी, मनिका ओर कनिका के रूप में ऐसा खजाना मिल गया था जिसकी कल्पना मात्र से ही उसके रोम रोम में आनंद की लहर उठ जाती थी, रात को कनिका को कली से फूल बना दिया और सुबह सुबह मनिका के प्यारे मुंह को अपने हलब्बी लंड से भरकर जयसिंग अब चैन की नींद सो रहा था
मनिका भी नीचे जाकर चुपचाप अपने रूम में सो गई, परन्तु एक चीज़ जिससे वो दोनों बेखबर थे, वो ये कि जब वो दोनों आराम से लंड चुसाई के खेल में लगे थे, दो खूबसूरत आंखे बड़ी कौतूहल से उनके इस खेल को निहार रही थी , जी हां ये कनिका थी, जो उनकी आहे सुनकर अपनी गहरी नींद से जग चुकी थी

जब जयसिंह मनिका के मुख को अपने लंड से भर रहा था और बुरी तरह उसके कोमल मुख को चोद रहा था तब मनिका की गन्न गन्न की आवाज़ से कनिका जग चुकी थी, और जब उसने अपनी आँखें खोली तो सामने का नज़ारा देख वो पूरी तरह आश्चर्य चकित रह गयी, जयसिंह मनिका अपने खेल में लगे थे और कनिका उधर अब धीरे धीरे गरम होने लगी थी पर वो इस तरह नंगी उनके खेल को बिगाड़ने नही चाहती थी, वो ये तो जान चुकी थी कि उसके पापा और दीदी का ये खेल काफी समय से चल रहा है तभी तो उसकी दीदी इतनी सुबह सुबह आकर पापा कर लंड को इतनी तल्लीनता से चूस रही है, जल्द ही कनिका की चुत भी इस नज़ारे को देख टेसुए बहाने लगी, एक बार तो उसे लगा कि वो जाकर उनके खेल में शामिल हो जाये और जिस तरह मनिका पापा का लंड चूस रही है वो भी जी भरकर चूसे, परन्तु उसे लगा कि अब शायद उचित समय नही है, पर उसके शैतानी दिमाग मे एक योजना पनपने लगी जिसकी मदद से वो जल्द ही अपने पापा और दीदी के साथ खुलकर इस खेल का आनंद उठा सके,

तकरीबन 7 बजे पूरे घर मे चहल पहल होने लगी थी, सभी लोग उठकर अपने दैनिक क्रियाओं से निवृत हो रहे था, जयसिंह आज बड़ा खुश था, आखिर उसने अपनीं दोनों बेटियों को अपने लंड का गुलाम जो बना लिया था, बीच बीच मे वो नारे छुपाकर मनिका ओर कनिका को आंखों ही आंखों में सेक्सी इशारे भी कर रहा था,
कनिका को हालांकि जयसिंह और मनिका की सच्चाई पता सीगल चुकी थी पर वो कोई भी ऐसा काम नही करना चाहती थी जिससे उन दोनों को शक हो

दोपहर तक जयसिंह, मनिका और कनिका घर जाने को तैयार थे, हितेश मधु के साथ 2 दिन बाद आने वाला था, इसलिए जयसिंह ने मनिका और कनिका को साथ ले जाना ही सही समझा, करीब 1 बजे वो तीनो अपनी गाड़ी से घर की तरफ रवाना हो चुके थे

कार में तीनों लोग बिल्कुल नार्मल रहे, करीब 6 बजे तक वो तीनो घर पहुंच चुके थे,

जयसिंह ने कार पार्क की और फिर अपनी दोनों जवान बेटियों के साथ घर के अंदर आ गया, तीनो ने कुछ देर में ही अपने अपने कमरे में जाकर रेस्ट किया और फिर हल्का शावर लिया

नहाने केे बाद तीनो बड़े फ्रेश फील कर रहे थे, अभी वो हॉल में आकर बैठे ही थे कि बेल की आवाज़ सुनाई दी, मनिका ने जाकर गेट खोल तो सामने उसकी स्कूल की बेस्ट फ्रेंड काव्या खड़ी थी, काव्या को इस टाइम पर वहां देखकर पहले तो उसे सरप्राइज हुआ पर जल्द ही उसने काव्या को गले लगाया और उससे बातो में मशगूल हो गयी

काव्या - अच्छा सुन न मनिका, चल आज कहीं बाहर घूम के आते है, बाहर ही खाना भी कहा लेंगे, क्या बोलती है तू


मनिका भी इतने दिनों बाद काव्या से मिलकर बड़ी खुश थी इसलिए उसने भी मन नही किया, वो जल्दी से अपने रूम में गयी और तैयार होकर अपने पापा से बाहर जाने की परमिशन ली, जयसिंह ने भी मन नही किया और 10 बजे से पहले घर आने के लिए बोल दिया

मनिका और काव्या अपनी अपनी स्कूटी से घूमने के लिए निकल पड़े, इस समय तकरीबन 8 बज रहे थे

इधर कनिका को जब पता चला कि मनिका बाहर गयी है और 10 बजे तक वापस नही आएगी तो उसकी आँखों मे एक अजीब सी चमक आ गयी थी

वो सीधा भागकर अपने पापा के रूम में चली गयी, जयसिंह नहाने के बाद रेस्ट करने के लिए अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था, उसे पता था की अपनी दोनों बेटियों के साथ रहते वो किसी के साथ भी सेक्स नही कर सकता इसलिए वो आराम से अपने बेड पर लेट था, पर जब मनिका अपनी फ्रेंड के साथ बाहर जाने की परमिशन मांगने उसके रूम में आई थी तब उसके चेहरे पर भी मुस्कान फैल गयी थी, उसे भी यकीन हो गया था कि आज की रात सुखी नही निकलेगी

वो बस कुछ देर में कनिका के रूम की तरफ जाने ही वाला था पर उससे पहले ही उसे कनिका अपने रूम में दाखिल होती दिखाई दी, कनिक को देखकर तो उसके सोये लंड ने एक जोरदार अँगड़ाई ली मानो वो कह रहा हो कि बेटा खड़ा हो जा, अब काम करने का वक्त आ गया

जयसिंह के लंड का तनाव उसके पाजामे में अब उ हर बनाने लगा था जो कनिका की आंखों से भी छिपा नही था
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