RE: Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
कनिका तो बड़ी तल्लीनता से उसकी कहानी सुन रही थी, और फिर उसने भी अपने और अपने पापा की उस सुहागरात की कहानी मनिका को सुना दी
दोनों बहनें एक दूसरे के सीक्रेट शेयर कर बड़ी खुश थी, पर अब दोनों ही बहुत गर्म हो चुकी थी
कनिका : "देखो दीदी...आज जो कुछ भी हमने एक दूसरे के साथ किया है..वो सिर्फ़ एक हद तक ही कर सकते है...असली मज़े के लिए तो हमे किसी मर्द की ज़रूरत पड़ेगी ना..और पापा के होते हुए हम किसी दूसरे मर्द के बारे में क्यो सोचे...ठीक है ना...''
कनिका अपने हिसाब से तर्क दे रही थी...जो अभी के लिए मनिका को भी सही लग रहा था..
कनिका : "ओफफो....अब छोड़ो भी ये सब....इस मूमेंट का मज़ा लो बस...आपने तो मज़ा ले लिया...अब मेरी बारी है...''
इतना कहकर कनिका ने एक झटके से मनिका को अपने उपर खींचा और उसके होंठों पर टूर पड़ी...शायद पापा का ज़िक्र आने के बाद उसमे एक नयी उर्जा का संचार हो चुका था..कुछ नयी पॉसिबिलिटीस दिख रही थी उसे अब इस खेल में .
वो अपनी नन्ही मगर गोल मटोल गांड को अपनी बहन की तरफ करके बोली : "अब आप बनॉगे मेरे लिए....पापा...और वो सब करोगे जो आप मुझे पापा समझकर करवा रहे थे...''
मनिका का तो दिमाग़ ठनक गया ये सुनकर...अब परदा तो उठ ही चुका था उनके बीच से...इसलिए कनिका सारे मज़े खुलकर लेना चाहती थी...जिस तरह मनिका ने अपने पापा को इमेजीन करते हुए कनिका से अपनी चूत चुस्वाई थी और बाकी के सारे काम करवाए थे,वही सब अब वो उससे करवाना चाहती थी..
कनिका काफ़ी उत्तेजना में भर चुकी थी...वो अपने हाथ को पीछे लेजाकर अपनी गांड के नीचे नज़र आ रही संतरों की फांको को ज़ोर से मसलने लगी...और ज़ोर से चिल्लाई : "अब और कितनी बार बोलना पड़ेगा आपको....पापा....आओ ना प्लीईईईईस.....और सक्क करो मुझे....यहाँ से....''
वो अपनी पतली उंगलियों को पाव रोटी जैसी चूत के अंदर घुमाते हुए बुदबुदाई..
मनिका के सामने अब कोई चारा बचा ही नही था...उसने उसकी दोनो टाँगो को फेलाया और अपनी जीभ निकाल कर उसका मक्खन निकालने में लग गयी.
दोनो जांघों को उसने दोनो दिशाओं में फेलाकर अपनी नुकीली जीभ से अंदर का अनारदाना कुरेदना शुरू कर दिया.
कनिका ने अपनी बहन के सिर को अपने हाथों से पकड़कर अपनी चूत पर ज़ोर से दबा लिया..और ज़ोर से चिल्लाई
''ऊऊऊऊऊऊऊहह पापा...............मेरे प्यारे पापा......आआआआआआआहह एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... ऐसे ही चूसो....अपनी बेटी की चूत को................आआआआआआअहह''
मनिका की तो हँसी निकल गयी उसकी बात सुनकर....पर कनिका पर तो कोई फ़र्क ही नही पड़ रहा था...वो तो बस अपनी आँखे बंद किए हुए अपने पापा को इमेजीन कर रही थी..
ठीक वैसे ही जैसे कुछ देर पहले तक मनिका कर रही थी.
मनिका ने भी सोचा की अब इतना कुछ तो हो ही चुका है उनके बीच तो इस बात पर उसे टोकना सही नही है...लेने दो उसे भी मज़े..
और वो भी पूरे ज़ोर शोर के साथ उस खेल में कूद पड़ी..
और उसकी रसीली चूत से निकले गाड़े रस से अपने भीगे चेहरे को निकाल कर वो बुदबुदाई : "हाँ मेरी जान.....आज तुझे ऐसा चुसूंगा की तू भूल ही नही पाएगी....''
कनिका की उत्तेजना तो सांतवे आसमान पर पहुँच गयी ये सुनकर...और उसने अपने प्यारे ''पापा'' के सिर को वापिस काम पर लगाते हुए उसे फिर से अंदर दबा लिया.
और सिर्फ़ एक मिनट के अंदर ही वो भरभराकर झड़ गयी...और ढेर सारा गीलापन उसने अपने बिस्तर पर छोड़ दिया..
ये तो सिर्फ़ पहली बार ही था...अभी तो ना जाने और कितनी बार झड़ना था उसने..
कनिका के शरीर से तरंगे निकल रही थी झड़ने के बाद...मनिका उन तरंगो से ताल मिलाकर उसकी चूत से बची हुई ओस की बूंदे चूस रही थी..
उसकी चूत पर अभी तक हलके रोँये थे...जिन्हे उसने काटा नही था...यानी उसने अभी तक अपनी चूत की सफाई नही की थी...ऐसी खूबसूरत एक बार चुदी चूत को चूस्कर पापा को कितना मज़ा आएगा...यही सोचकर मनिका मुस्कुरा दी.
और उसने अपनी जीभ के नुकीले सिरे को उसके मटर दाने पर रगड़ना शुरू कर दिया.
''आआआआहह दीदी..................धीरे -2 क्यो कर रहे हो....ज़ोर से सक्क करो ना...............पहले की तरह....''
मनिका समझ गयी की वो जंगली तरीके से प्यार करने वालो में से है...और उसने सुना हुआ था की ऐसी ही लड़कियां अक्सर मर्दों को पसंद आती है जो बेड पर उधम मचाते हुए वाइल्ड तरीके से सेक्स करे..
इस खेल में उसे भी बहुत कुछ सीखने को मिल रहा था..जिसका प्रयोग वो बाद में अपनी रियल लाइफ पर करके और भी ज़्यादा मज़े ले सकती थी.
मनिका : "अच्छा ...तो तुझे ज़ोर से करवाने में मज़ा मिलेगा....अब देख तू....मैं कितने ज़ोर से करती हूँ ....''
इतना कहते हुए मनिका ने अपना चेहरा ज़ोर से उसकी चूत पर दे मारा...और सड़प -2 करते हुए उसकी चूत को ऐसे चूसने लगी जैसे बर्फ का मीठा गोला चूसते है ....
कनिका तो छटपटा कर रह गयी ....उसने मनिका के बालों को पकड़कर उसके चेहरे को अपनी टाँगो के बीच ऐसे फिक्स कर लिया जैसे वो उसे अब कभी छोड़ेगी ही नही...
''आआआआआआआआअहह .............ओह येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स पापा.................मेरे प्यारे पापा.................ऐसे ही सक्क करो................ज़ोर ज़ोर से................... अहह...''
और इस बार मनिका ने उसकी पूरी की पूरी चूत को अपने मुँह में भर लिया...यानी उसकी चूत की दोनो संतरे जैसी फांको को मुँह में लेकर चूस डाला..मनिका के मुँह में एकदम से इतना रस भर गया जैसे उसने कोई स्पंज रसगुल्ला मुँह में लेकर दबा दिया हो...
और ऐसा और ना जाने कितना रस और भर रखा था इस छोटी सी चुहिया ने अपनी चूत के अंदर ..
उसकी चूत को अच्छी तरह से चूसने के बाद मनिका को ऐसा लगा जैसे उसने कोई शक्तिवर्धक टॉनिक पी लिया है...एक नशा सा चड गया था उसे पीकर ...और उसी नशे में डूबकर वो उपर की तरफ चल दी..
और उसके नुकीले निप्पल को अपने मुँह में लेकर उसने ज़ोर से काट लिया..
''आआआआआआआआआआआआआआअहह...........सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....
भले ही कनिका तड़प उठी थी इतने ज़ोर से काटने पर..लेकिन उसने कोई शिकायत नही की
बल्कि मनिका के चेहरे को पकड़कर अपने दूसरे बूबे पर ले आई और आँखो ही आँखो में उसे भी उतनी ही ज़ोर से काटने की गुज़ारिश कर डाली..
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