RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
सुधा के मूह मे लंड जाते ही सौरभ की सिट्टी पिटी गुम हो गयी मस्ती के मारे उसकी एक एक नस नाच उठी ओह ताइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई जीिइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई उसके मूह से निकला, गोटियो को अपने हाथो से सहलाते हुए सुधा लंड को चूसने लगी थी खुद सुधा की हालत ऐसी हो रही थी कि जैसे किसी बच्चे को उसका मनपसंद खिलोना मिल गया हो थोड़ा थोड़ा करके उसने पूरा लंड अपने मूह मे ले लिया और दबा के चूसने लगी सौरभ ताई जी की इस अदा का दीवाना हो गया उसका खुद से काबू खोता जा रहा था सुधा के कामुक होटो लंड पर अपना जादू चलाए जा रहे थे अब सौरभ ने ताई जी के सर को अपने हाथो से दबा लिया और उसके मूह को चोदने लगा
सुधा जहाँ पूरी तरह से खेली खाई औरत थी वही सौरभ एकदम नोसखिया था वो ज़्यादा देर नही ठहर पाया और झड़ने को हो आया, उसकी आँखे मज़े से फैलती चली गयी पूरा जिस्म अकड़ गया और उसका गरमा गरम पानी सुधा के मूह मे गिरने लगा अरसे बाद सुधा आज वीर्यपान कर रही थी उसके मूह मे वो गाढ़ा नमकीन सफेद रस अच्छे से घुल गया जिसे वो चतखारे लेते हुए घूँट घूँट करके पी गयी
जब तक लंड से रस की एक एक बूँद ना चूस ली सुधा ने लंड को अपने मूह मे ही दबाए रखा सौरभ तो मस्ती के मारे पागल ही हो गया था बड़ी कातिल निगाहो से सुधा ने सौरभ की तरह देखा और फिर बाथरूम के फरश पर घोड़ी बन गयी सौरभ ने आज से पहले इतनी बड़ी गान्ड नही देखी थी सुधा की 46” की गान्ड का मस्त नज़ारा उसकी आँखो के सामने था सुधा ने अपनी टाँगो को थोड़ा सा फैला दिया जिस से उसकी चूत बाहर मूह निकाल कर लॅप लपाने लगी सुधा ने कहा बेटा बहुत तड़प रही हैं मेरी मुनिया आ तू भी इसका रस चख ले बहुत प्यासी हैं ये आजा इसका सारा रस निकाल दे सौरभ उस मदमस्त गान्ड पर झुका और अपने काँपते होंठो को उस चूत पर रख दिया …
घोड़ी बनी हुई सुधा की कई सालो से अन्छुइ चूत काम रस से गीली होकर लॅप लपा रही थी सौरभ ने अपनी जीभ को गीली किया और ताई जी की गरम चूत की खुश्बू को सूंघने लगा उसकी उत्तेजना और भी बढ़ गयी थी उसने ताई जी के विशाल नितंबो पर अपने हाथ रखे और अपने सप्निली जीभ को टच कर दिया चूत से लिस लीसी जीभ का स्पर्श चूत पर होते ही सुधा के शरीर मे जैसे भूकंप हो गया वो लड़खड़ा गयी और आगे को सरकने लगी पर सौरभ ने बड़ी मजबूती से उसको थाम रखा था तो वो सरक ना पाई
चूत के नमकीन पानी का स्वाद अपने मूह मे आते ही सौरभ को पता चल गया कि आख़िर क्यो दुनिया चूत के पीछे इतनी देवानी हुई पड़ी हैं सुधा की हिलती गांद उसे और भी उत्तेजित कर रही थी उसने अपने हाथो से छूट की मासूम पंखुड़ियो को आहिस्ता से फैलाया और अपनी जीभ को जितना अंदर डाल सकता था डाल दिया सुधा ने अपनी कामुक टाँगो मे सौरभ के चेहरे को दबा लिया और उसको अपनी चूत का पानी पिलाने लगी दोनो ताई-बेटा अपने रिश्तो की मर्यादा को भूल कर एक नया रिश्ता जोड़ने जा रहे थे जिसमे अगर था तो बस चूत और लंड का मिलन
जैसे जैसे चूत की चुसाइ होती जा रही थी सुधा की गान्ड अपने आप थिरकने लगी थी वो बस किसी तरह से अपनी आहों को रोके हुए थी उसकी फूली हुई चूत का आधे से ज़्यादा हिस्सा सौरभ के मूह मे भरा हुआ था शाबाश बेटे शाबाश वो धीमे धीमे बुदबुदते हुए सौरभ के जोश को बढ़ा रही थी सुधा ने अपनी आँखे मस्ती के मारे बंद कर ली थी अब सुधा की चूत मे इतने सालो से रस जमा हुआ था तो वो ज़्यादा देर तक सौरभ की जीभ को सहन नही कर पाई और उसके मूह मे ही झड गयी सौरभ उसके सारे पानी को पी गया शांत होने के बाद सुधा अब खड़ी हुई दोनो की नज़रे मिली सुधा ना जाने क्यो शर्मा गयी
पर सौरभ का लंड फिर से खड़ा हो गया था उसने सुधा को वही फर्श पर लिटा दिया और उसकी गद्देदार जाँघो को खोल दिया सुधा ने मस्ती से आह भरी सौरभ उसकी टाँगो के बीच आया और अपने लंड को चूत के छेद पर टिका दिया दोनो ही जानते थे कि आगे क्या होने वाला हैं बस एक पल की ही बात थी पर ये एक पल ही बहुत लंबा हो गया बाहर किसी तरह की आवाज़ हुई तो दोनो की वासना एक मिनिट मे ही कही गायब हो गयी दोनो एक दूसरे का मूह ताके कॉन आ गया इस टाइम कही वो पकड़े ना जाए सुधा घबराई सौरभ की चेहरे पर हवाइयाँ उड़ी गान्ड फट गयी उसकी की कही प्रेम तो नही आ गया
|