RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
करीब 5 मिनिट तक दोनो भाई बहन जम कर एक दूसरे को किस करते रहे प्रेम के लंड का बुरा हाल हो रहा था इस से पहले दोनो कुछ आगे बढ़ते नीचे से माँ की आवाज़ आई तो उषा ने खुद को प्रेम की बाहों से आज़ाद किया और अपनी चुनरिया को संभालते हुए नीचे को भाग गयी प्रेम भी उसके पीछे पीछे नीचे आ गया और फिर से दोनो की आँख मिचोली शुरू हो गयी
सुधा- प्रेम, पता नही आजकल तेरा ध्यान कहाँ पर रहता है खेतो का कुछ भी काम तू करता ही नही
प्रेम- माँ, बताओ क्या करना हैं
सुधा- बेटा वो जो नदी की तरफ वाले खेतो मे जो सब्ज़िया उगाई हुई थी उसकी एक साइड की बाढ़ कमजोर हो गयी है आवारा पशु घुस आते है बहुत नुकसान हो रहा हैं तू एक काम करना कल मेरे साथ चलना उधर
प्रेम- जी माँ
सुधा- उषा, कई दिन हो गये हैं तू कॉलेज भी नही जा रही कुछ दिक्कत है क्या
उषा- नही माँ, वो कॉलेज मे स्टूडेंट्स की हड़ताल चल रही हैं इसलिए
सुधा- दोनो कान खुलकर सुन लो अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दो दो चार काम और पड़े है पर वो तुम्हारे मामा के बेटे की शादी के बाद ही करेंगे अभी तुम लोग खाना खा लो फिर मुझे विनीता के घर भी जाना है खाना लेकर
अगले आधे घंटे का समय बस खामोशी मे ही कटा सभी लोग खाना खाने मे व्यस्त थे
उधर सौरभ बाम लेकर आ चुका था उसने विनीता के पाँव को अपनी गोदी मे रखा और उसकी साड़ी को घुटने तक उठा दिया उसने ये सब एक नॉर्मल वे मे ही किया था पर उसे क्या पता था कि कयामत का नज़ारा उसका ही इंतज़ार कर रहा था जैसे ही विनीता के पैर थोड़े से चौड़े हुए उसकी चूत की फांके अलग अलग दिशाओ मे खुल गयी और सौरभ को अंदर का गुलाबी हिस्सा दिखने लगा उसका सोया हुआ लंड एक झटके मे ही तन गया शरम के मारे विनीता के गाल और भी गुलाबी हो गये पर वो भी तो मजबूर थी कमरे मे एक अजीब सी खामोशी छाई हुई थी दोनो माँ बेटे को साँसे बड़ी तेज़ी से दौड़ रही थी मालिश करते हुए सौरभ कभी कभी अपनी मम्मी की सुडोल चिकनी जाँघो पर भी हाथ फेर देता था बेटे की इन हरकतों की वजह से मम्मी की अधूरी कामवासना अपना रंग दिखाने लगी थी
उसकी चूत मे गीला पन कुछ ज़्यादा ही बढ़ गया था उसकी नज़र बराबर अपने बेटे का तने हुए लंड पर जमी थी जिसे वो बिल्कुल भी छुपाने की कोशिश नही कर रहा था मन ही मन उसने सोचा कि सौरभ का हथियार भी तगड़ा है उफ़फ्फ़ ये तो कितना मोटा लग रहा हैं उसे पता ही नही चला की कब वो अपने इन हवस से भरे ख़यालो मे डूब गयी उधर सौरभ अपने दोनो हाथो को घुटनो से हटा कर अपनी मम्मी की चिकनी जाँघो पर चला रहा था अपनी मम्मी की नमकीन चूत को चाटने की हसरत मन मे लिया वो बस उन टाँगो को ही मसल रहा था विनीता को बड़ा मस्ती भरा सुकून मिल रहा था पर तभी उसकी आँख एक आवाज़ सुनकर खुल गयी
बाहर दरवाजे पर सुधा चिल्ला रही थी दोनो माँ बेटे हड़बड़ा गये सौरभ ने मम्मी की साड़ी को सही किया और फिर तेज़ी से दरवाजे की तरफ चल दिया विनीता अपनी उखड़ी सांसो को संभालते हुए चुपचाप बिस्तर पर लेट गयी सौरभ ने ताई की ओर देखते हुए मुस्कुराते हुए दरवाजा खोला और वही दरवाजे के पास ही सुधा को दीवार से सटा दिया और उसके होंठो को खुद से चिपका लिया उसका पहले से ही तना हुआ लंड ताई के पेट के निचले तरफ रगड़ खाने लगा सुधा उसको अपने से दूर करते हुए बोली क्या करता है ऐसे कोई शरारत करता है क्या तो सौरभ अपने लंड को सहलाते हुए बोला- तो आप ही बता दो ना कि कैसे शांत रहूं, अभी आपने ही किया है जो अब इलाज भी आप ही करोगी मुझे कुछ नही पता
सुधा- जब सही समय आएगा तो इलाज भी हो जाएगा अभी तुम फटा फट से खाना खा लो मैं विनीता को खाना देने जाती हूँ
सौरभ ने बुरा सा मूह बनाया और खाने की थाली लेकर बैठ गया सुधा विनीता के पास चली गयी दूसरी तरफ माँ के जाते ही उन दोनो भाई बहन को पूरा मोका मिल गया उषा ने अपने कपड़े उतारे और मात्र ब्रा- पैंटी मे ही भाई के कमरे की तरफ चल पड़ी आज की रात फिर से गुलाबी होने वाली थी
उषा को इस तरह सेक्सी ब्रा- पैंटी मे देख कर प्रेम के होश ही उड़ गये दीदी के गोरे बदन पर सजे उस काले लिंगेरी सेट ने उषा की खूबसूरती मे चार चाँद लगा दिए थे प्रेम कुर्सी से उठ खड़ा हुआ और फॉरन ही अपने कच्छे और बनियान को उतार दिया और नंगा हो गया सुधा ने भी अपनी ब्रा के हुको को खोल दिया आज़ाद होते ही उसकी चूचिया मस्ती से फड़फड़ाने लगी प्रेम अपने लौडे को हिलाने लगा उषा अपने बोबो को अपने हाथो से मसल्ने लगी दोनो भाई बहन एक दूसरे को ऐसी हरकते कर कर के रिझा रहे थे प्रेम के लौडे को देखते ही उषा की मुनिया मे जैसे आग लग गयी थी
अब उस से रहा नही जा रहा था कुछ ऐसा ही हाल प्रेम का भी था उषा ने उसको और तडपाते हुए अपनी पैंटी को खीच कर उतार दिया और उस से अपनी चूत को सॉफ करते हुए प्रेम की तरह उछाल दिया प्रेम ने दीदी की कामरस से सनी हुई कच्छी को सूँघा मस्त कर देने वाली खुश्बू उसकी नाक मे उतरती चली गयी उसने चूत के उस रस को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया उषा भी अब और मस्तानी हुई उसने दरवाजे पर खड़े खड़े ही अपनी टाँगों को चौड़ा किया और अपनी दो उंगलियो को एक साथ चूत मे उतार लिया और तेज़ी से अंदर बाहर करने लगी
दोनो भाई बहन बुरी तरह से उत्तेजित हो चुके थे अब प्रेम खड़ा हुआ और बढ़ चला दरवाजे की तरफ उसने उषा को अपनी बाहो ने भर लिया और बिना कुछ बोले अपने होटो को बहन के होटो से जोड़ दिया दोनो की दहक्ति साँसे एक होने लगी उषा के मूह मे बहते लार को प्रेम अपनी जीभ से चाटने लगा उषा ने हाथ को नीचे की तरफ किया और प्रेम के टट्टो को अपनी मुट्ठी मे भर लिया एक मर्द के जोशीले टट्टो को अपने हाथ मे पकड़ उषा मदमस्त हो गयी वो धीरे धीरे से उनको मसल्ने लगी जिस से प्रेम और उत्तेजित होने लगा दोनो की जीभ एक दूसरे से जैसे जंग लड़ रही थी दोनो मे एक होड़ सी मच गयी
सुधा वही पर बैठ गयी और प्रेम उसके पीछे आकर खड़ा हो गया सुधा ने चाल खेलते हुए अपने आँचल को पूरा सरका दिया जिस से प्रेम को उसके बोबो का पूरा नज़ारा दिख सके सुधा की सुडोल भारी भरकम छातियाँ जो कि उस टाइट ब्लाउज मे से आधे से ज़्यादा बाहर को निकल ही रही थी, माँ की छातियो की गहराई को देख कर प्रेम का लंड फिर से हरकत करने लगा
उषा की धड़कने बढ़ने लगी थी उसकी रगों मे बहता खून बहुत तेज़ी से दौड़ रहा था उत्तेजना की हद तक वो गरम हो चुकी थी भाई के लंड को अपने हाथ मे थामे वो किसी जंगली शेरनी की तरह हो चुकी थी बड़ी तेज़ी से वो अपने हाथ को प्रेम के लंड पर उपर नीचे कर रही थी प्रेम भी बेसबरा हो रहा था उसने अपने मूह को उषा के चेहरे से हटाया और उसको पलट कर खड़ी कर दिया उषा की पीठ अब प्रेम की तरफ थी बहन के मचलते, बल खाए चूतड़ देख कर प्रेम के खड़े लंड ने लहरा कर सलामी दी और उसने उषा के दोनो हाथो को दरवाजे की चोखट पर रखा और उसकी पतली कमर को पकड़ कर उसको वही दरवाजे के बीचो बीच झुका दिया
प्रेम ने अपने लंड के सुपाडे पर अच्छी तरह से थूक लगाया और उसको उषा की जाँघो के बीच दे दिया चूत के मुहाने पर लंड को महसूस करते ही उषा मंद मंद मुस्कुरा पड़ी उसने अपने आप को थोड़ा सा और झुकाया उसके कूल्हे अपने आप खुलते चले गये प्रेम ने बहन की कमर को कस कर पकड़ा और अपने कुल्हो को आगे को किया चूत के मुलायम होंटो को अलग अलग करते हुए लंड उस मक्खन सी चिकनी चूत मे धंसता चला गया उषा की चूत का दरवाजा बिना किसी आवाज़ के खुलता चला गया उषा को हल्का सा दर्द हुआ पर उसे पता भी था कि बस थोड़ी देर मे मज़ा ही मज़ा हैं
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