RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
उफफफफफफफफफफ्फ़ उफफफफफफफफफफ्फ़ उषा के मूह से निकला अपनी बहन की कामुक आवाज़ सुनकर प्रेम को जोश आया उसने खीच कर एक धक्का और लगाया और पूरा का पूरा लंड दीदी की मस्तानी चूत मे उतार दिया उषा के मखमली कुल्हो से जगह बनाते हुए प्रेम का चिकना लंड लपा लॅप दीदी की चुदाई करने लगा उषा भी जल्दी ही अपनी गान्ड को बार बार आगे पीछे करके भाई का भरपूर साथ देने लगी बाहर चलती ठंडी हवा उनके जिस्मो से टकरा कर राहत दे रही थी उषा ने अब अपने दोनो हाथो को अपने घुटनो पर रख लिया और अपनी गान्ड को और भी प्रेम की तरफ उभार लिया चूत का छेद थोड़ा सा और खुल गया और दोनो पूरे मज़े से एक दूसरे के जिस्मो का मज़ा लूटने लगे
उषा की चूत के होंठ बारी बारी से खुल और बंद हो रहे थे उनकी मजबूत पकड़ प्रेम के लंड पर पूरा दवाब डाले हुए थी और फिर वैसे भी उषा की चूत थी भी कितनी पुरानी जुम्मा झुम्मा चार पाँच दिन सारे हुए थे उसको अपनी सील तुडवाए हुए पर प्रेम के मूसल जैस लंड से चुदने के कारण अब साइज़ थोड़ा तो खुलना ही था प्रेम ने दीदी के मजबूत उभारों को अपनी क़ैद मे कर लिया था और पूरी ताक़त से उनको मसल्ते हुए दीदी को चोदे जा रहा था करीब दस मिनिट तक उसने दीदी को अपने घुटनो पर झुकाए रखा पर अब उषा की कमर और पैरो मे दर्द होने लगा था तो वो सीधी खड़ी हो गयी लंड चूत से बाहर निकल कर हवा मे गुस्से से झूलने लगा
प्रेम ने उषा को अपनी तरफ खीचा और उसको अपनी मजबूत बाहों मे उठा लिया उषा अब उसकी गोदी मे थी उसने प्रेम के लंड को अपने हाथ से चूत पर स्ट्रीट किया और उस पर बैठ गयी लंड सीधा उसकी बच्चेदानी से जा टकराया कई बार तो उसे यकीन ही नही होता था कि वो इतने लंबे लंड को इतनी आसानी से अपनी चूत मे उतार लेती है पर चुदाई का नशा ही कुछ ऐसा होता हैं जितनी चुदाई हो उतनी ही कम लगती हैं और फिर चुदाई अगर अपने भाई से ही हो तो कहने ही क्या अपने भाई की गोदी मे चढ़ि हुई दीदी अपनी पूरी गान्ड तक का ज़ोर लगाते हुए भाई के खड़े लंड पर कूदे जा रही थी दोनो के बदन पसीने से भर गये थे जबकि बाहर ठंडी हवा चल रही थी
चुदाई के आलम मे बेख़बर दोनो भाई बहन अपनी अपनी सीमाओ को तोड़ते हुए अपने अंत की तरफ बढ़ रहे थे उषा का बदन बुरी तरह से थर थरा रहा था पल पल वो झड़ने के करीब हो रही थी प्रेम के लंड को उषा की चूत ने बुरी तरह से जाकड़ रखा था पर लंड कहाँ कभी चूत के रोकने से रुका करता है प्रेम के टट्टो मे भरा वीर्य भहर निकलने को बेताब हो रहा था तभी उषा ने कस कर प्रेम को थाम लिया और अपनी जाँघो को उसकी कमर पर गोल लपेट ते हुए झड़ने लगी उसकी चूत से रिस्ता पानी प्रेम के लंड को भिगोते हुए उसके टट्टो को गीला करने लगा और उसी समय प्रेम के घुटने भी काँप गये और उसके लंड से वीर्य की पिचकारियाँ निकल कर बहन की चूत को भिगोने लगी …………
जिस्मो की आग जो जल रही थी बेसबरो मे वो कुछ पॅलो के लिए ठंडी हो गयी थी उषा प्रेम की बाहो से अलग हुई और अपने कपड़ो को समेट कर बाथरूम मे चली गयी आज प्रेम ने कस कर उसकी चूत मारी थी उषा का बदन बुरी तरह से थक गया था बाथरूम मे जाकर उसने अपने शरीर को सॉफ करना शुरू किया ठंडा पानी जैसे ही उसके बदन पर पड़ा उसे बहुत सुकून मिला उसको कल सुबह सुबह ही कॉलेज के लिए निकलना था उपर से चुदाई की थकान तो उसने सोचा कि नहा धोकर ही सो जाती हूँ और नहाने लगी जबकि प्रेम सोच रहा था कि दीदी को एक बार और चोद कर आराम से सोउंगा
उसने सोचा कि दीदी पेशाब वग़ैरा करके आती ही होगी पर करीब 15 मिनिट बीत गये उषा आई नही तो प्रेम भी नंगे बदन ही बाथरूम की तरफ हो लिया दरवाजा खुला पड़ा था अंदर जलते बल्ब की रोशनी मे उषा का सुडोल बदन पानी की बारिश की चादर मे लिपटा हुआ किसी कयामत से कम नही लग रहा था प्रेम भी बाथरूम मे घुस गया और उषा को अपनी बाहों मे भर लिया पर उषा का अब बिल्कुल मूड नही था उसने प्रेम को मना कर दिया अब प्रेम भी दीदी से ज़बरदस्ती तो कर नही सकता था तो थोड़ी देर बाद भाई बहन अपने अपने कमरे मे सो गये
इधर सौरभ के घर पर रोज की ही तरह सुधा और सौरभ बेड पर सो रहे थे विनीता का बिस्तर दरवाजे के पास वाले पलंग पर लगा हुआ था कमरा गहरे अंधेरे मे डूबा हुआ था विनीता गहरी नींद मे मगन सपनो की दुनिया मे खोई पड़ी थी दूसरी तरफ एक ही बिस्तर पर लेटे हुए सुधा और सौरभ दोनो ही जागे हुए थे नींद दोनो की आँखो से कोसो दूर थी पिछले दो दिनो मे ही उनके रिश्ते ने ना जाने कैसे कैसे मोड़ ले लिए थे जिस ताई जी को वो इतना शरीफ समझता था वो ताई जी ही उसके लंड को अपनी चूत मे लेने के लिए मचल रही थी इधर सुधा की चूत भी सौरभ का ख़याल कर कर के गीली हो रही थी
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