RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
पर अभी सुधा का काम नही हुआ था सौरभ ने अपनी पूरी जीभ उसकी चूत मे उतार दी और अंदर वाले हिस्से को चाटने लगा कुरेदने लगा सुधा ही जानती थी कि कैसे उसने अपनी मचलती हुई आहो को रोके रखा था वरना वो इस हद तक गरम हो चुकी थी कि सारे कमरे को अपने सर पर उठा लेती पर हर शुरुआत का अंत भी होता हैं दो चार मिनिट बात सुधा ने सौरभ के मूह को कस लिया अपनी जाँघो मे और अपनी चूत से टपकते पानी से उसके पूरे चेहरे को तर कर दिया बड़ी ही खामोशी से दोनो ताई बेटा ने अपना काम कर लिया था रात अपनी खामोशी से कट रही थी हसरते शांत पड़ गयी थी
सौरभ की आँख जब सुबह खुली तो उसने देखा कि कमरे मे कोई नही है उसने बिस्तर को देखा जहाँ रात को उसने ताई जी के साथ शरारत की थी बिस्तर की सिलवटों से भरी चादर रात की कहानी बता रही थी वो उठा और कमरे से बाहर आया तो देखा कि विनीता धूप मे बैठी हुई थी,
सौरभ- मम्मी, माफ़ करना आज थोड़ा लेट आँख खुली , मैं अभी आपके लिए पानी रखता हूँ आप नहा लेना फिर
विनीता-नही बेटा , तुम्हारी ताई जी ने नहला दिया था मुझे तू एक काम कर सहर जा और मछलियो की पेमेंट जो बकाया पड़ी है वो ले आ
सौरभ- जी, मैं अभी चला जाता हूँ
उषा कॉलेज जाने के लिए घर से बाहर निकली ही थी कि उसको सौरभ मिल गया
सौरभ- दीदी कहाँ जा रहे हो
उषा- कॉलेज और कहाँ जाना है मुझे
सौरभ- मैं भी सहर जा रहा हूँ चलो साथ ही चलते है
उषा- ठीक है भाई
सौरभ ने स्कूटर स्टार्ट किया और उषा लपक कर बैठ गयी दोनो चल पड़े सहर के रास्ते की तरफ
दूसरी ओर प्रेम सुबह सवेरे ही खेतो की तरफ निकल गया था सुधा ने घर का काम निपटाया और नहाने का सोचने लगी बाथरूम मे गयी और कपड़े उतारे ही थे कि उसको रात को सौरभ के साथ किए खेल की याद आ गयी सुधा खुद चूत मरवाने के लिए बेताब थी आख़िर इतने सालो से दबा के रखी गयी कामवासना ने अब उसका कहना मान ने से मना जो कर दिया बाथरूम मे पूरी नंगी खड़ी सुधा सौरभ के ख़याल से रोमचित होकर गरम होने लगी उसने अपने दोनो बोबो को हाथ से मसलना शुरू किया दो दो किलो की चूचियो मे हवा भरने लगी कामुकता से वो ऐंठने लगी
सुधा की चूत जो कि आज कल 24 घंटे ही पनियाई हुई रहा करती थी फिर से गीली होने लगी उसने थोड़ी देर उसको उंगली की सहयता से सहलाया पर उसको ज़रूरत थी एक तगड़े लंड की , लगडे लंड का ख़याल आते ही उसके जेहन मे प्रेम का ख्याल आया सुधा जो की सारी उमर एक पतिव्रता और संस्कार शील औरत रही थी 40 की उम्र मे आते ही उसको जाने क्या हुआ सारी शरम जैसे घर की खूँटि पर टाँग के रख दी थी उसने कामुकता मे अंधी होकर वो अपने बेटों से ही चुदवाने से भी नही शरमा रही थी प्रेम के लंड का ख्याल आते ही वो अपनी सुध बुध खोने लगी
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