RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
पर वो भी करे तो क्या करे ये चूत की आग भी ना कमाल थी उसका पूरा जिस्म सुलग रहा था उसने सोचा कि प्रेम पर थोड़े और डोरे डाले जाए काश उसको पता होता कि प्रेम तो पहले से ही अपनी माँ को चोदने के लिए तैयार बैठा है बस सुधा के साड़ी उपर उठाने की देर थी बाकी काम तो वो खुद ही कर देता हाई रे मजबूरी सुधा ने वापिस अपने कपड़े पहन लिए और खाना लेकर प्रेम के पास खेत मे पहुच गयी सुधा ने आज बस एक पतली सी साड़ी पहनी थी अंदर ब्रा-पैंटी कुछ नही थे पतला सा ब्लाउज उसके मस्त उभारों का बोझ संभालने मे असमर्थ था आज एक माँ अपने बेटे को रिझाने की पूरी तैयारी करके आई थी खेत मे काम करते हुए प्रेम ने दूर से ही सुधा को देख लिया था अपनी भारी गान्ड को मटकाते हुए कुछ ज़्यादा ही इठला कर चलती हुई उसकी तरफ ही आ रही थी वो
माँ को आया देख कर प्रेम ने काम को बंद किया और सुधा के पास आ गया सुधा कुँए की मुंडेर पर बैठ गयी थी उसने अपनी साड़ी को घुटनों तक उपर कर लिया था जिस से उसकी सुडोल गोरी गोरी पिंडलिया प्रेम को ललचा रही थी प्रेम का लंड जो की सदा खड़ा ही रहता था माँ की चिकनी टाँगो को देख कर फिर से अपना सर उठा ने लगा
सुधा बोली- बेटे तेरे लिए गरमा गरम खाना लाई हूँ खा ले सुधा जब प्रेम से बात कर रही थी तो उसकी साड़ी का पल्लू साइड मे सरक गया और उस पतले ब्लाउज से बाहर को उसकी छातिया छलक आई सुधा के मनमोहक निप्पल्स ब्लाउज मे से साफ साफ दिखाई दे रहे थे प्रेम का गला माँ के बोबो को देख कर खुश्क हो गया उसका दिल तो कर रहा था कि अभी साली को पटक कर चोद दे पर वो ऐसा कर नही सकता था प्रेम खाना खाने बैठ गया सुधा वहाँ से उठी और उसी कच्चे बने हुए बाथरूम मे पहुच गयी और पानी की मोटर चला दी उसका आज भी वही इरादा था जो सौरभ को रिझाने के टाइम पे था
सुधा ने आहिस्ता से अपनी साड़ी को उतारी और नंगी होकर पानी के पाइप के नीचे आ गयी उसका भीगा हुआ बदन अगर कोई देख ले तो बेहोश ही हो जाए ऐसी गजब लग रही थी वो खाना खाते खाते प्रेम को ध्यान आया कि उसने बिजली की लाइन से तारों को चेंज नही किया था आज उसको खेत मे पानी छोड़ना था तो वो खाना बीच मे ही छोड़कर छत पर पहुच गया और तारों को सही करने लगा और तभी उसकी नज़र उस कच्चे बाथरूम पर पड़ी जिसकी छत नही थी तो उसने सुधा को वहाँ पर नहाते हुए देखा तो उसके होश उड़ गये उसे ये तो पता था कि माँ मस्त है पर ये नही पता था कि वो तो कयामत है प्रेम के कदम वही पर ठिठक गये और वो सुधा के नंगे बदन को देख कर अपनी आँखे सेकने लगा पर उसको ये ध्यान नही रहा कि उपर खड़े होने के कारण उसकी परछाई नीचे ज़मीन पर पड़ रही है
सुधा मस्ती से अपने अंग अंग को मसल्ते हुए नहाने का आनंद ले रही थी कि उसकी नज़र उपर से पड़ती छाया पर पड़ी तो उसने तिरछी निगहो से उपर की ओर देखा तो प्रेम खड़ा नज़र आया सुधा मंद मंद मुस्कुराइ और , और भी खुल कर अपने अंगो का प्रदर्शन करने लगी
अपनी माँ को नहाते देख कर प्रेम का हाल बुरा होने लगा था उसका हाथ अपने आप नीचे लंड पर चला गया और उसने उसको बाहर निकाल लिया और तेज़ी से हिलाने लगा सुधा आज बेटे के दिल मे अपने हुश्न की आग बुरी तरह से लगा देना चाहती थी उसे पता तो था ही कि प्रेम उसे नहाते हुए देख रहा हैं सुधा अब बिल्कुल बीच मे आकर खड़ी हो गयी और अपनी टाँगो को फैला कर झान्टो से भरी हुई फूली हुई चूत को सहलाने लगी सुधा की गुलाबी चूत को देख कर प्रेम ने अपने होंटो पर जीभ फेरी और तेज़ी से मूठ मारने लगा
सुधा ने अपनी चूत को सहलाया और अपनी बीच वाली उंगली को चूत मे डाल कर अंदर बाहर करने लगी प्रेम का हाल हुआ और बुरा उसे कुछ समझ नही आ रहा था कि करे तो क्या क्या माँ उस से चुदना चाहती है इतने पे प्रेम का पानी चूत गया और फिर वो तारों को सही करके नीचे उतर गया और अपना खाना खाने लगा तब तक सुधा भी नहा कर आ गयी थी खाना खा लिया बेटा उसने पूछा प्रेम से
जी, माँ खा लिया प्रेम सुधा के पास आकर खड़ा हो गया
सुधा के गीले बदन से आती मनमोहक खुश्बू से प्रेम को नशा चढ़ने लगा था
|