RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
इधर.........
दोनो भाई बहन स्कूटर पर सहर की तरफ चल पड़े थे सौरभ आज बहुत खुश था उषा दीदी जैसी हॉट लड़की उसके साथ सवारी कर रही थी , खटारा स्कूटर उबड़-खाबड़ रास्तों पर हौले हौले से सहर की तरफ बढ़ रहा था सौरभ बार बार स्कूटर के शीशे से उषा की तरफ चोर नज़रो से देखे जा रहा था टूटे-फूटे रास्ते पर जब भी स्कूटर डाँवाडोल होता उषा थोड़ा सा उसकी तरफ हो जाती उषा ने अपने हाथ को सौरभ के कंधे पर रखा हुआ था पर जब कभी वो ब्रेक लगाता तो उषा का पूरा बोझ सौरभ की पीठ पर आ जाता तो उसकी चूचियो को फील करके पूरे रास्ते वो मज़ा लेता रहा उषा और सौरभ दोनो सहर आ गये थे , सौरभ ने उषा को कॉलेज के गेट पे ड्रॉप किया तो उषा बोली, मेरी क्लास तीन बजे तक ख़तम हो जाएगी फिर मुझे पिक कर लेना बाजार मे थोड़ा समान खरीदना है फिर साथ घर चलेंगे
उसने हाँ मे सर हिलाया और अपनी पेमेंट लेने चल दिया आज कई देनदारों से वसूली करनी थी तो उन सब मे ही करीब करीब दो बज गये थे फिर उसने थोड़ा बहुत कुछ खाया पिया और उषा के कॉलेज की तरफ चल पड़ा पर रास्ते मे उसे एक किताबो की फेरी दिखी , अब सौरभ की ये आदत थी कि वो अक्सर सहर से सेक्सी कहानियो की बुक्स खरीदता रहता था तो उस दिन भी उसने दो चार किताबें खरीद ली और रख लिया , वो फिर सीधा कॉलेज कॅंटीन मे गया जहाँ उषा उसे मिल गयी
वो अपनी सहेलियो के साथ बैठी थी सौरभ को देख कर उसकी एक सहेली चुटकी लेते हुए बोली- उषा , कभी तूने बताया नही तेरा बाय्फ्रेंड भी है
ये बात सुनकर सौरभ और उषा दोनो ही बुरी तरह से झेंप गये
उषा बोली- नही, ये मेरा भाई है, सुबह मेरे साथ ही आया था और अब साथ ही घर जाएँगे उषा ने सौरभ का परिचय करवाया अपनी दोस्तो से और फिर करीब साढ़े तीन बजे वो कॉलेज से निकल लिए
उषा- मैन चौक वाली मार्केट चलना मुझे कुछ कपड़े खरीदने है तो उसने स्कूटर उधर मोड़ दिया
वो लॅडीस समान की एक बहुत बड़ी दुकान थी जिसमे औरतो की ज़रूरत का हर समान उपलब्ध था सौरभ काउंटर के पास रखे सोफे पर बैठ गया उषा खरीदारी करने लगी सौरभ ने देखा कि दुकान मे कई जगह डिसप्ले मे ब्रा-पैंटी के सेक्सी सेक्सी कलेक्षन रखे थे उसने देखा कई औरते उन्हे देख रही थी तो वो सेक्सी सा फील करने लगा तभी उसकी निगाह उषा पर पड़ी , वो भी अपने लिए कुछ सेट्स देख रही थी तो उसने मन ही मन सोचा उषा दीदी ऐसे सेक्सी ब्रा-पैंटी पहनती है तभी तो खुद भी एक नंबर माल है
करीब आधे घंटे बाद दोनो गाँव के लिए चल पड़े, सौरभ ने उषा का समान और अपनी बुक्स आगे जाली मे रख दी थी ताकि उषा आराम से सफ़र कर सके उसके मन मे प्रबल इच्छा हो रही थी कि उषा दीदी को अभी चोद दे पर उसका बस भी तो नही चलता था रोड के खद्डो के कारण उषा की चूचिया बार बार उसकी पीठ पर दवाब डाल रही थी तो उषा भी थोड़ी हॉर्नी सी होने लगी थी अब जवान जिस्म गरम भी कुछ जल्दी ही हो जाया करते है तो उसने भी सोचा थोड़ा टाइम पास कर लेती हूँ वो अपनी चूचियो का और दवाब सौरभ की पीठ पर डालते हुए बोली- तेरी कोई गर्लफ्रेंड हैं क्या
सौरभ- क्या दीदी, मेरी गर्लफ्रेंड कॉन बनेगी
उषा- ओह बॅड्लेक तेरा, हॅंडसम है ट्राइ कर
सौरभ-इतना टाइम नही है मेरे पास
उषा- हुम्म
ऐसे ही बाते कर रहे थे गाँव करीब 20किमी दूर रह गया था कि सौरभ ने कहा दीदी मेरे पास ना करीब 30 हज़ार रुपये है आगे का रास्ता थोड़ा ठीक नही है पिछले दिनो भी एक आदमी को लूट लिया था किसी ने तो इधर पास से एक शॉर्टकट जाता है आप कहो तो उधर से ले लूँ टाइम भी बच जाएगा और पैसो की सेफ्टी भी हो जाएगी उषा ने सोचा कि बात तो सही है और फिर क्या फरक पड़ता है कच्चे रास्ते से नहर किनारे किनारे चले जाएँगे तो घर भी थोड़ा जल्दी पहुच जाएँगे तो उसने कहा ठीक है भाई
जल्दी ही कच्चा रास्ता शुरू हो गया बार बार वो ब्रेक लगाता उषा बार बार अपनी ठोस छातियो को संभालती वो स्कूटर भी एक नंबर का खटारा था उषा भी समझ रही थी सौरभ को फुल अड्वॅंटेज मिल रहा है पर वो भी करे तो क्या उसका खुद का बॅलेन्स भी बिगड़ रहा था उस स्कूटर मे पीछे स्टॅंड सा भी नही था जिसे वो पकड़ सके तो फिर कुछ सोच कर उसने सौरभ की कमर मे हाथ डाल दिया और पकड़ लिया सौरभ थोड़ा सा और पीछे को सरक गया उषा का हाथ अंजाने मे सौरभ की जाँघो तक फिसल आया
तो सौरभ का हथियार जाग गया और पॅंट मे ही उछल कूद मचाने लगा उषा अपने ख़यालो मे थी तो उसका हाथ एक दम से सौरभ के लंड पर टच हो गया दोनो भाई बहन के बदन मे करेंट डॉड गया उसने तुरंत अपना हाथ हटा लिया और सही से बैठ गयी पर अभी मुसीबत आनी तो बाकी थी गाँव अभी भी करीब 10-12 किमी दूर था की तभी स्कूटर का टाइयर पंक्चर हो गया अब हुई परेशानी
उषा- क्या हुआ भाई
सौरभ- दीदी टाइयर पंक्चर हो गया
उषा- क्य्ाआआआअ अब कैसे जाएँगे घर
सौरभ- दीदी इस रास्ते पर तो कोई पंक्चर की दुकान भी नही है अब तो गाँव तक पैदल ही जाना होगा
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