RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
उषा ने अपना माथा पीट लिया और गुस्से से बोली- तुम जाहिल हो , कुछ बस का नही है तुम्हारे, इस से अच्छा होता कि मैं बस मे ही धक्के खा लेती इस खटारे के चक्कर मे आ गयी किराया बचाने चली थी लग गयी मेरी तो अब कब पहुँचुँगी घर पर
सौरभ- दीदी शांत हो जाओ अब मुझे क्या पता था कि ऐसा कुछ हो जाएगा अब गुस्सा मत करो और फिर घर तो चलना ही है ना और आपको कॉन सा इसे घसीटना है
उषा बोली चुप रह और फिर दोनो जने पैदल पैदल चलने लगे
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खेत से आने के बाद सुधा घर के कामो मे व्यस्त हो गयी थी प्रेम मोका पाकर विनीता के पास पहुच गया वो बिस्तर पर लेटी थी वो भी उसके बगल मे लेट गया और उसकी चूची को दबाने लगा
विनता ने उसके लंड को बाहर निकाला और उसको अपनी मुट्ठी मे लेकर मसल्ने लगी
प्रेम बोबो को दबाते हुए- ओह चाची कितने दिन हुए कब ठीक होगा तुम्हारा पाँव देखो तुम्हारे बिना मेरा बुरा हाल हुए जा रहा हैं
विनीता आह भरते हुए- मेरे राजा मेरा हाल भी कुछ हैं जब से तेरे लंड को चूत मे लिया है बस ये निगोडी दिन रात तेरे लंड को ही पुकारती रहती है ज़रा देख तो सही इस बेचारी की हालत क्या हुई है
प्रेम ने चाची की साड़ी को उपर तक उठाया और अपना हाथ अंदर घुसा दिया विनीता की टाँगो को थोड़ा सा चौड़ा किया और उस प्यारी सी छोटी सी चूत को अपनी मुट्ठी मे भर के मसल्ने लगा विनीता एक सेकेंड मे ही काम वासना से भर गयी उसने अपनी बीच वाली उंगली चाची की चूत मे सरका दी और अपने होंटो को विनीता के होटो से जोड़ दिया उफ़फ्फ़ ये जिस्मो के मचलते अरमान दोनो चाची बेटा बड़े गरम हो रहे थे प्रेम ने चाची के ब्लाउज के हुको को खोला और बोबो को बाहर खीच लिया बारी बारी से उन पर किस करने लगा वो विनीता आहे भरने लगी आज उसको कुछ भी करके ये तगड़ा लंड अपनी चूत मे चाहिए ही था
वो बोली- मेरे राजा , आज चोद मुझे खूब कस कस के देखी जाएगी जो हो गा पर इस चूत की आग को आज बुझा मेरे बेटे
प्रेम- पर चाची कही पैर को कोई दिक्कत ना हो जाए
चाची- माँ चुदाये पैर, जो होगा देखा जाएगा मुझ से ये आग अब नही सही जाती और वैसे भी पैर काफ़ी हद तक ठीक हो गया हैं तू बस चोद मुझे
प्रेम को और क्या चाहिए था उसने अपना सिर विनीता की जाँघो मे घुसा दिया और उस रस से भरी कटोरी को चाटने लगा , विनीता की बदन मे जैसे सैकड़ो सुईया चुभने लगी उसे लगा कि जैसे चींटिया काट रही हो उसके बदन को प्रेम की लपलपाति जीभ चाची की वासना को भड़काने लगी थी अपनी चाची की लंबी स्प्नीली चूत का रस चाट कर प्रेम को बहुत ही मज़ा आ रहा था अब उसने अपनी दो उंगलिया चूत मे सरका दी और अपने मूह मे चूत के भग्नासे को जाकड़ दिया और उंगलियो को तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा विनीता की आँखे मज़े से बोझिल होने लगी मस्ती के सागर मे डूबने लगी पूरे कमरे मे बस उसकी तेज सांसो की ही आवाज़ गूँज रही थी
विनीता- अया अया आहा बस मेरे राआाआआआअज़ाआाआआआआआ मारीईईईईईईई मैं तूऊऊऊऊऊऊ
प्रेम- डालु चाची ,
विनीता- मैं तो कब से इंतज़ार कर रही हूँ बेटे जल्दी कर ना
प्रेम ने चाची के पैरो सा सावधानी से फैलाया जिस पाँव मे तकलीफ़ थी उसके नीचे तकिया लगाया और फिर अपने मस्ताने लंड को विनीता की चूत पर सटा दिया कई दिनो बाद चूत पर गरम लंड के अहसास से विनीता के बदन मे चीसे चलनी शुरू होगयि प्रेम ने अपनी पकड़ बनाई और उसके धक्का लगाते हुए लंड चाची की चूत मे जाने लगा
अया, निकाला विनीता के मूह से और प्रेम उस पर झुकता चला गया एक और धक्का और उसके अंडकोष विनीता की चूत से जा टकराया विनीता ने अपने होतो को खोला और प्रेम ने उनको अपने मूह मे क़ैद कर लिया चाची की गरम चूत की चुदाई शुरू हो गयी प्रेम थोड़ी आहिस्ता से धक्के लगा रहा था विनीता पागलो की तरह प्रेम के पूरे चेहरे को चूमे जा रही थी
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