RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
विनीता ने अपने बेटे को गले से लगा लिया उसकी भारी भारी चूचियो ने सौरभ के चेहरे को छुपा लिया माँ के बदन की मोहक खुश्बू से सौरभ के बदन मे तरंगे उठने लगी उसने अपनी बाहें विनीता की पीठ पर रख दी और उसको अपनी बाहों मे कस लिया , सौरभ को पता नही क्या हुआ उसने विनीता के होंठो पर चूम लिया , विनीता को इस हरकत की उम्मीद नही थी वो कुछ कहती पर उस से पहले ही सौरभ अपने कमरे मे चला गया , अपनी माँ के होंटो पर अपने लबों का स्वाद छोड़ कर ,
हैरान परेशान, विनीता सोचने लगी कि उसका बेटा क्या उसे चोदना चाहता है या फिर बस ऐसे ही भावनाओ से वशीभूत होकर उसने चुंबन ले लिया , उसके मन मे कई सवाल उमड़ने लगे थे , जबकि सौरभ भी बिस्तर पर पड़े पड़े इसी के बारे मे सोच रहा था कि कैसे अचानक से ही उसने मम्मी को किस कर दिया वो पता नही क्या सोच रही होंगी क्या मुझे उनसे माफी माँगनी चाहिए ख्यालो ख्यालो मे उसे कब नींद आ गयी पता नही चला
शाम को करीब 5 बजे की आस पास वो जगा तो देखा की उषा दीदी बरामदे मे बैठे हुए चाइ पी रही थी सफेद कलर के चूड़ीदार सूट मे वो गजब लग रही थी , उषा ने अपनी टांगे फैला रखी थी जिस से उसकी चूत वाली जगह की वी शेप एक दम मस्त फूली हुई दिख रही थी , सौरभ का दिल-ओ-दिमाग़ झन्ना गया उषा उसकी तरफ देख कर मुस्कुराइ तो वो भी मुस्कुरा दिया उसे रात की बात याद आ गयी जब कैसे दीदी ने उसके लंड को पकड़ा था
उषा-“भाई , तुझसे एक काम है ”
सौरभ- जी दीदी कहो
उषा-“भाई, मेरी सहेली की सगाई है तो तुझे उधर मेरे साथ चलना पड़ेगा ”
सौरभ- दीदी चलता मैं पक्का पर घर पे भी तो कोई चाहिए प्रेम भी नही है तो मुझे घर और खेत और बाज़ार सारे काम करने पड़ रहे है और फिर उपर से मम्मी की चोट की वजह से उनको भी संभालना पड़ता है
उषा- मुझे कुछ नही पता तुझे बस मेरे साथ चलना ही होगा
विनीता- चला जा बेटा, दीदी कहाँ अकेली जाएगी वैसे भी इसकी सहेली की सगाई शाम को है तो रात तक वापिस आ जाओगे तुम लोग
सौरभ- पर माँ, आपको छोड़ कर कैसे जा सकता हूँ
विनीता- बेटा, मैं अब पहले से बहुत बेहतर हूँ, तू आराम से जा
उषा- तो ठीक है हम कल दोपहर को चलेंगे और रात तक वापिस आ जाएँगे
दूसरी तरफ प्रेम मामा के घर पहुँचते ही सो गया था सरिता घर के कामो मे व्यस्त हो गयी थी उसको हॉस्पिटल मे लोगो के लिए खाना भी भेजना था तो उसको बहुत देर लग गयी थी दोपहर को करीब तीन बजे उसका बेटा खाना और कुछ बिस्तर लेकर वापिस हॉस्पिटल चला गया , उसने सोचा प्रेम भी कल से भूखा ही है उसे भी खाने का पूछ लेती हूँ वो कमरे मे गयी तो वो घोड़े बेच कर सोए पड़ा था सरिता ने सोचा सोने देती हूँ वैसे भी थोड़ी- बहुत देर मे खुद उठ ही जाना है उसको तबी प्रेम ने करवट ली और सीधा होकर सोने लगा
उसको शायद किसी का सपना आ रहा था उसका लंड पेंट मे उभार बनाए हुए था सरिता की निगाह उस पर पड़ी तो उसको अंदाज़ा होने लगा कि भानजे का औजार का साइज़ तगड़ा है उसके गले मे खुसकी होने लगी , वैसे तो वो एक चुदि चुदाई मेच्यूर औरत थी पर 40 के फेर मे औरतो को चुदाई का बुखार कुछ ज़्यादा ही चढ़ता है पर फिर उसने उन ख्यालो को दिमाग मे से झटक दिया और सोचा कि अब फ्री हो गयी हूँ तो पहले नहा लेती हूँ फिर थोड़ा सा सुस्ता लूँगी
घर मे कोई था नही तो सरिता थोड़ी सी बेतकलुफ हो गयी थी बाथरूम मे पहुच कर उसने पानी चलाया और अपने कपड़े खोलने लगी उसने आहिस्ता से अपनी चोली की डोरी खीची और उसके 34”” के कबूतर आज़ाद होकर फड़फड़ाने लगे उसकी चूचियो के इंच भर के निप्प्लस जैसे हर किसी को आमंत्रण दे रहे हो कि आओ हमें चूस डालो सरिता ने हल्का सा हाथ अपने उभारों पर फेरा तो उसके जिस्म मे गुदगुदी सी होने लगी
फिर उसने अपने लहंगे को भी उतार कर साइड मे रख दिया अब वो पूरी नंगी बाथरूम के बीचो- बीच खड़ी थी उसकी मांसल जांघे एक दूसरे से चिपकी हुई थी उसकी थोड़ी सी पीछे की तरफ उठी हुई गोल गान्ड ऐसे लचक रही थी कि किसी नपुंसक के लंड मे भी गर्मी भर दे उसने डिब्बे से पानी खुद के शरीर पर उडेलना शुरू किया पर अचानक से उसको बस वाली बात याद आ गयी कैसे प्रेम ने उसकी गान्ड पर अपना लंड रगड़ा था उसकी चूत ने कई दिनो से लंड नही लिया था तो उसमे सुगबुगाहट होने लगी सरिता अंजाने मे ही अपनी चूत को मसालने लगी
|