RE: kamukta जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत
अजय का दिल जोरो से धड़कने लगा ..
वो झल्ला गया था
“क्या छि कह रही हो मुझे कैसे पता चलेगा की कौन मोंगरा है और कौन चम्पा तुम दोनो ही तो एक जैसी दिखती हो तो क्या इसमें भी मेरा ही दोष है ..”
अजय जोरो से बोला था जिससे चम्पा दहाड़ मार कर रोने लगी ..
“वो कुतिया कभी नही चाहती की हमारा मिलन हो इसलिए उसने कल गोली चलवाई थी मुझे तो पहले ही शक था लेकिन तुम्हे उसके साथ देखकर ….”
“अरे पगली तो तुमने उसी समय क्यो नही बतलाया “
“कैसे बताती तुम्हे उसके साथ देखकर मेरा तो खून ही जल गया था ,”
चम्पा ने इतनी मासूमियत से कहा की अजय का दिल उसके लिए पिघल गया और वो उसे अपने आगोश में खिंच लिया
“कुछ कहने की जरूरत ही नही तुम्हे सोच रहा हु की तुम्हे एक ऐसी चीज दे दु जो सिर्फ तुम्हारे पास रहे “
अजय की बात से चम्पा के चहरे में शर्म के भाव गहरा गए ,और वो दबी हुई हँसी में हँसने लगी
“ऐसे क्यो शर्मा रही हो “
अजय को भी थोड़ा आश्चर्य हुआ की आखिर उसने ऐसा क्या कह दिया था ,
“क्यो ना शरमाऊं तुम बात ही ऐसा कर रहे हो ,”अजय फिर से चकरा गया
“और अभी मैं मां नही बनूंगी वो सब शादी के बाद “
ओह तो ये पगली ये चीज सोच कर बैठ गई थी ,अजय को चम्पा की बात और सोच पर हँसी आयी लेकिन साथ ही साथ बहुत सारा प्यार भी आया ,उसने चम्पा को और भी जोरो से जकड़ लिया
“अरे पगली मैं बच्चे की बात नही कर रहा कोई ऐसी चीज जो तुम मुझे बोलो तो मुझे पता लग जाए की वो तुम हो कोई और नही “
चम्पा का चहरा जैसे मुरझा गया जिसे अजय समझ भी गया
“तो मेरी रानी को बच्चा चाहिए “
चम्पा ने हाथों से उसे मारा
“हर लड़की चाहती है की वो मां बने खासकर जिसे मा बाप का प्यार नसीब नही हुआ हो ,...”उसकी आंखों में आंसू आ गए थे
“ओह मेरी जान ...मैं तुम्हे दुनिया की हर खुसी दूंगा बस पहले वो तुम्हारी बहन मेरे हाथ लग जाए ,बहुत सर दर्द कर रखा है उसने “
“हा जब उसे चूम रहे थे तब तो सर दर्द नही दे रहा था तुम्हारा “
चम्पा का मुह फिर से फूल गया था ,अजय को उसपर हँसी आ गई और उसने उसके होठो पर अपने होठो को रख दिया जिसे धीरे धीरे करके ही सही लेकिन चम्पा भी चूमने लगी थी …
“जान 4577 “
“ये क्या है ..”
“जब तुम ये बोलोगी तो मैं समझ जाऊंगा की ये तुम ही हो मोंगरा नही “
चम्पा के चहरे में मुस्कान आ गई और उसने अजय के सर को जोरो से पकड़ कर उसे अपनी ओर खिंच लिया ,दोनो के होठो मिल गए थे जो की बहुत देर तक मिले ही रहे ,लार एक दूसरे से लिपटने लगी थी और चम्पा के जिस्म के एक मात्रा कपड़े को अजय उतारने लगा था ,देखते ही देखते दोनो के जिस्म नंगे हो चुके थे और दोपहर के सही भी दोनो नंगे जिस्म दुनिया की परवाह किये बिना ही झील में उतर गए थे……….
सांसे तेज हो रही थी और जिस्म की तड़फन बढ़ने लगी थी …
अजय ने चम्पा के गले में किस किया चम्पा के शरीर में जैसे कोई करेंट दौड़ गया था ,वो अजय को और भी जोरो से जकड़ने लगी थी ….
चम्पा के कमर के नीचे की गोल गोल चूतड़ों में हाथ फेरते हुए उसके कोमलता के अहसास से अजय की आंखे बंद हो रही थी ,वही हाल चम्पा का भी था,
वो भी मदहोश सी हो रही थी,आंखे तो दोनों की ही बंद थी और सांसे तेज ,धडकनों की शहनाईयां भी तेजी से बज रही थी,चम्पा को भी अजय के लिंग का अहसास हो रहा था जो उसके उन्नत कुलहो पर हलके हलके चोट कर रहा था,इस घिसाई का मजा लेते हुए दोनों ही भूल गए थे की वो झील में गले तक चले आये है ,दोनों ही जिस्म नंगे थे और पानी के ठंडक में भी गर्म हो रहे थे ,दोनों के ही पाँव गहराई की और जा रहे थे,पानी उन्हें सर तक डुबो गया था लेकिन हाय रे उस मोहोब्बत का नशा की किसी को होश भी नही था ,दोनों के होठ एक दूजे से मिल चुके थे और एक दूजे की जीभ को लपेटते हुए वो मुह की गहराई में जा रहे थे,सांसे बंद होने लगी तो वो एक दूजे के मुह से साँस लेने लगे थे ,चम्पा पलती और अजय के सीने में दबती चली गई ,एक दुसरे को उन्होंने मजबूती से जकड़ रखा था ,पानी के अंदर होने से साँस लेने में दिक्कत आने लगी थी लेकिन कोई भी दुसरे को छोड़ने को तैयार नही था ,और अजय ने अपने लिंग को चम्पा के योनी में धसाना शुरू किया और चम्पा का मुह खुल गया झील का ताजा पानी उसके मुह में भर चूका था जिसे उसने अगले ही पल अजय के मुह में धकेल दिया था ,
दोनों ही थोड़े बहार आये ताकि साँस ले सके ,जिस्म एक दुसरे में गड़े जा रहे थे ,कमर हलके हलके ही चल रही थी लेकिन स्वर्ग का सुख दे रही थी ,लिंग और योनी का घर्षण अभी भी पानी के अंदर ही हो रहा था,अजय ने चम्पा के कुलहो को दबोच रखा था वही चम्पा भी अपने हाथो से अजय के कुलहो को अपनी ओर और भी ज्यदा सटा रही थी ,
जब कमर ने रफ़्तार पकड़ी तो अजय चम्पा को गोद में उठा कर किनारे में ले आया और रेत में लिटा कर उसके उपर छा गया…
“आह मेरी जान ओह जान ओह “
चम्पा के मुह से सिस्कारिया निकलने लगी थी ,अजय भी उसके गालो को अपने दांतों से खा रहा था उसके वक्षो को अपने मुह में भरे जा रहा था और अपने कमर की गति को तेज और तेज किये जा रहा था ,दोनों के जिस्म भीगे हुए थे लेकिन फिर भी जिस्म की घर्षण से उत्पन्न पसीने से भी भीगे जा रहे थे …
होठो से लार बह कर एक दुसरे के जिस्म को और भी चिपचिपा कर रहे थे,सांसे जैसे अटकने को थी और दिल की धड़कने मानो रुकने को हो गई थी ,
दोनों ही अपने चरम पर आ चुके थे और बस झरने ही वाले थे ,
“मुझे भीगा दो मेरे राजा ,अन्दर तक भीगा दो मई आपकी गुलाम बन कर जीना चाहती हु”
चम्पा अपने चरम में पहुच कर अजय से आग्रह करने लगी जिससे अजय के जिस्म ने भी अपना बांध तोड़ दिया और तेज धारा के साथ चम्पा की योनी में बहता चला गया …………….
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