RE: kamukta जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत
“सरदार आपने ही तो कहा था की उसे मेरे साथ भेजो “
“मादरचोद “
एक करारा झापड़ उस आदमी के गालो में पड़ा जिसने अजय को आजाद किया था ….मोंगरा की बेचैनी अजय साफ साफ देख रहा था वो आधे घंटे से उसकी प्रतीक्षा कर रहा था , अभी वो पूरी तरह के तैयार था और उसके सामने जाने को और वो उसके सामने प्रगट हो गया,लेकिन अब वो अकेला नही था उसके साथ पूरी फ़ौज थी …….
“तो वो रांड तुम्हे छुड़ा के ले गई “मोंगरा का चहरा गुस्से से जल रहा था ..
“उसे और जिसने भी उसका साथ दिया है मैं उसे नही छोडूंगी “
अजय ने अपनी पिस्तौल उसके सामने कर दी ..
“अब और नही मोंगरा तुम्हारा खेल अब खत्म हुआ ,गिरफ्तार कर लो इसे और इसके बाकी साथियों को “
अजय के एक आदेश पर सभी सिपाही भागे देखते ही देखते सभी के हाथों में हथकड़ी पड़ते गई बलवीर भी मजबूरी में हथकड़ी पहन चुका था ,सभी के हथियार भी जब्त कर लिए गए थे,लेकिन अभी तक किसी ने मोंगरा को नही छुवा था या ये कहे की किसी सिपाही की उसे छूने की हिम्मत नही हो रही थी..अजय सभी की इस हरकत को देखता हुआ हंसता हुआ एक हथकड़ी अपने हाथो में लेकर मोंगरा को देखने लगा जो अपने इतनी मेहनत से बनाये हुए साम्राज्य को बिखरता हुआ देखकर आंखों में आंसू लाकर बस हल्की हल्की सी सिसक रही थी उसकी आंखे गुस्से से जल रही थी और हाथो में पिस्तौल लहरा रहा था लेकिन उसे चेतावनी दी गई थी की अगर उसने को भी हरकत की तो उसे और उसके साथियों को भुजंकर रख दिया जाएगा …
अजय बस उसे देखकर मुस्कुरा रहा था और बेफिक्र ही हाथो में हथकड़ी लिए उसकी ओर बढ़ रहा था,मोगरा की आंखों में पानी था और उसके हाथ पिस्तौल में कस रहे थे,वो पहाड़ी के एक किनारे जा पहुची थी जंहा से नीचे बस खाई थी ,अजय को होने वाले हादसे की समझ आ चुकी थी ,वो इसी डर में था की कही मोंगरा खाई में ना खुद जाए ...
“मोंगरा ठाकुर के किये की सजा मैं उसे दूंगा तुम अब अपने को सिलेंडर कर दो ..”
मोंगरा ने ना में सर हिलाया वो खाई के और भी करीब पहुच चुकी थी …
“पुलिस कभी ठाकुर को नही पकड़ सकती अजय मेरी बात समझो मुझे जाने दो ठाकुर को अगर कोई रोक सकता है तो वो हु मैं …...सिर्फ मैं……..”
“तुम्हारी गलती है मैं उसे गिरफ्तार कर सकता हु मेरे पास उसके खिलाफ सबूत है ,बचपना मत करो मोंगरा ..”
“मैं तुमसे प्यार करती हुई अजय बस यही कहना था ,सच में बहुत ज्यादा प्यार और तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हु लेकिन ये नही ...भगवान तुम्हे और चम्पा को सुखी रखे ,उससे कहना की उसकी बहन उससे बहुत प्यार करती थी ..शायद इसीलिए तुम दोनो को जिंदा रखा जबकि तुम दोनो ही मेरे मकसद में सबसे बड़े रोड़े थे …”
मोंगरा सिसक रही थी अजय के दिल में अजीब सी पीड़ा हुई लेकिन फिर भी उसने अपने इरादे नही बदले थे ...
वो उसकी ओर बढ़ ही रहा था की एक और आवाज आयी …
“इस रंडी को कैद करके क्या करोगे इंस्पेक्टर इसका काम यही खत्म कर देते है “
अजय पलटा रणधीर हाथ में बंदूख लिए मुस्कुरा था,
“नही “अजय बस चिल्लाया ही था की एक गोली की आवाज आयी और रणधीर के हाथो से पिस्तौल दूर जा गिरी ,बलवीर अपने हाथो में लगी हुई हथकड़ी की फिक्र किये बिना ही रणधीर पर टूट पड़ा था ,रणधीर थोड़ा सम्हला तो मोंगरा ने उसके ऊपर बंधूक तान दी ..
“नही मोंगरा नही “
अजय बस कहता ही रहा और गोलियों की आवाज से पूरा माहौल गूंज गया ,मोंगरा की पिस्तौल से निकली हुई सभी गोलियां रणधीर को छलनी कर रही थी ,अजय को इसे रोकने का कोई भी जरिया दिखाई नही दिया वो अपने हाथ में रखे हुए पिस्तौल से गोलियां चलाने लगा जो की सीधे मोंगरा को लगी और वो खाई में गिरने को हुई ..
“नही ……….”
ये एक आवाज नही थी दो थी ,एक अजय की दूसरी बलवीर की दोनो ही खाई की ओर भागे थे ...मोंगरा का जिस्म खाई में गिरता हुआ दिखाई दिया,अजय तो वही रुक गया लेकिन बलवीर नही वो खुद गया उसके हाथ बंधे हुए थे लेकिन फिर भी खुद गया ...अपनी मोंगरा को बचाने को खुद गया…..
अजय बस किनारे में खड़ा देखता ही रहा ,आंखों में आंसू और दिल में दर्द लिए बस देखता ही रहा ………….
“आखिर हुआ क्या था जो मोंगरा ठाकुर से इतनी नफरत करती थी ,आपकी कहानी तो अधूरी रह गई थी “
अजय ने तिवारी को कहा ,दोनो अजय के घर पर दारू पी रहे थे ,तभी चम्पा वँहा आयी और कुछ भुने हुए काजू उनके सामने रख दिया ..
“भाभी जी अगर आपकी इजाजत हो तो आपके पति को थोड़ी देर के लिए ले जाऊ”तिवारी ने शरारत से कहा
चम्पा शर्मा गई ..
“क्या तिवारी चाचा आप भी ,मैं आपकी बेटी हु ना की भाभी और अभी हमारी शादी कहा हुई है,इन्हें तो काम से फुरसत ही नही है जो मुझे शादी कर ले “
चम्पा की बात से अजय का चहरा गंभीर हो गया था ..
“चम्पा मैंने मोंगरा से वादा किया था की ठाकुर को उसके किये की सजा दिलवाऊंगा ...मुझे उसके खिलाफ ज्यादा से ज्यादा सबूत इकठ्ठे करने है ..जिस दिन ठाकुर सलाखों के पीछे जाएगा उस दिन मैं तुमसे शादी करूंगा ….”
सभी चुप हो चुके थे ,अभी मोंगरा को गए हुए 15 दिन हो गए थे ,ना उसकी लाश मिली ना बलवीर की शायद पहाड़ी के नीचे बहने वाली नदी में दोनो बह गए थे ..
अजय दिन रात बस ठाकुर के पीछे लगा था,ठाकुर को अपने बेटे के मरने का गम तो था लेकिन साथ ही मोंगरा और उसके गैंग के जाने की खुसी भी थी ..
चम्पा अब अजय के साथ ही रहती थी..कभी कभी भावना और विक्रांत उससे मिलने आते थे ,अजय काम में बहुत ही ज्यादा बिजी था और उसे मामले को फिर से पूरा समझने की इक्छा पैदा हुई ……
तिवारी और अजय अब कमरे से बाहर चले गए थे,तिवारी ने एक सिगरेट सुलगाई ..
“चम्पा के सामने ये सब बात मत किया करो ,वो हमेशा से इन सबसे अलग थी ….”
“तो अपनी अधूरी कहानी पूरी करो ..”
अजय ने उसके हाथो से सिगरेट ले ली …
तिवारी गहरी सास लेकर कहता गया…….
कहानी वँहा से स्टार्ट करते है जंहा से छोड़ा था ..
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