RE: kamukta जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत
रात के 2 बजे होंगे,परमिंदर अपनी बीवी के बांहो में था ,वो अभी अभी पति पत्नी वाले काम से निपटे थे ,थके होने के बावजूद परमिंदर कभी अपनी पत्नी को निराश नही करता था,वो 1 बजे था ठाकुर के पास ही था,काम से थका हुआ आया और बीवी को देखकर उससे प्यार करने लगा….
परमिंदर छत को ताक रहा था,उसकी बीवी उसके नंगे छाती में उगे हुए काले बालो को सहला रही थी ..जिस्म की कोमलता परमिंदर के मर्दाना जिस्म से सटी हुई थी और दोनो के प्यार के परिणाम स्वरूप उत्पन्न पसीने की महक दोनो को एक दूजे के प्रति और भी लुभावना बना रही थी …
“क्या हुआ कुछ सोच रहे हो ,सब ठीक तो है ना “
“हम्म सब ठीक है ,लेकिन कभी कभी लगता है की ठाकुर की वफादारी करने से अच्छा कोई दूसरा काम देख लू …”
“क्या हुआ “
“कितने घिनोने काम करना पड़ता है मुझे यंहा ,सच कहु तो दिल गवाही नही देता लेकिन फिर सोचता हु की ये ही मेरा काम है जो हम पुरखो से करते आ रहे है...लड़ाई,इसके अलावा हमे आता ही क्या है,कभी राजाओं के सेवक थे तो अब ठाकुर के है ,मेरा बेटा भी यही करेगा,हमारे खून में वफादारी है ,जिसके साथ रहे वो गलत हो या सही साथ नही छोड़ते,...”
परमिंदर की बीवी उसके सीने को प्यार से चूमती है ..
“मैं अपने बेटे को ठाकुर का वफादार नही बनाऊँगी वो तो उसका वफादार होगा जो नेक हो और जो ठाकुर जैसे लोगो को ही खत्म कर दे “
परमिंदर आश्चर्य से अपनी बीवी को देखता है ,जो उसे देख कर बस मुस्कुरा रही थी ………..
कालिया जंगल में बैठा हुआ इस बात पर विचार कर रहा था की क्या रोशनी ,कनक और पूनम को इस बात के लिए आगाह कर दिया जाय की प्राण उनकी हर हरकत पर नजर रखे है …
उसे सभी का समलित जवाब हा में मिला लेकिन समस्या था की कैसे क्योकि अगर प्राण किसी तरह से उनकी बात सुन रहा होगा तो फिर क्या होगा,जवाब आया की क्यो ना पूरी बात लिख कर पढ़ाई जाय…
कालिया ने यही किया,रोशनी और कनक ने तो इसे आराम से स्वीकार कर लिया लेकिन पूनम ने जब ये सब पढ़ा तो माहौल कुछ अलग था……
वो उसी कमरे में थे…
“ह्म्म्म तो फिर ये बात है”
कालिया ने उसे चुप रहने का इशारा किया
“क्या इशारा कर रहे हो मेरे राजा ...लगता है की तुम मुझे अपनी रखैल बनाने को राजी हो ही गए जो ऐसे इशारे कर रहे हो “
कालिया पूनम की बात सुनकर दंग रह गया,पूनम इठलाकर उससे लिपट गयी और उसके कान में फुसफुसाई ..
“अगर ऐसा है तो मैं उस साले प्राण को तड़फा कर मार डालूंगी ,साले ने मुझे मेरे घर से उठाया था,मेरे पिता को जलील किया था अब तो उसे इसकी सजा मिलनी ही है ,जिसके मोह में आकर उसने मुझे उठाया था उसकी शरीर को मैं उसकी ही नजरो के सामने दूसरे को सौप दूंगी और तुम्हे मेरा साथ देना होगा “
उसके आवाज में संकल्प ,दर्द और बदले की चाह साफ थी साथ ही कालिया के लिए एक धमकी भी थी ,क्योकि उसने साथ देना होगा नही कहा था ,उसने कहा था साथ देना ही होगा …
कालिया को समझ आ चुका था की पूनम ऐसा क्यो कर रही है लेकिन आगे वो क्या करे इस बारे में वो समझने की कोशिस कर रहा था,
“तुम मुझसे सच में प्यार करती हो या बस अपनी जिस्म की भूख मिटाना चाहती हो ..”
कालिया ने थोड़ा जोर से कहा ताकि अगर प्राण सुन रहा हो तो उसे भी ये सुनाई दे जाए …
वो खिलखिलाई ..
“तुम मुझे अच्छे लगते हो ,अब इतने कम दिनों में प्यार तो हो नही सकता ना,लेकिन हा अगर तुम उस दिन जैसे मेरा साथ दो तो तुम्हारे मजबूत इरादों और मजबूत लिंग से मुझे संचमे प्यार हो जाएगा “
वो मुस्कुराई,उसकी मुस्कुराहट बिल्कुल सच्ची थी जैसे उसकी ये बात सच्ची थी ,सच्चाई ढूंढने के लिए कुछ खोजना नही पड़ता बस आंखों में उभरे भाव ही काफी होते है…
वो मचलते हुए कालिया से लिपट गई और साथ ही कालिया भी जोरो से हँस पड़ा और उसे मजबूती से अपनी बांहो में भर लिया,वो ध्यान से पूनम को देखने लगा,वो परी थी जिसकी कल्पना भी शायद कालिया अपनी दूसरी जिंदगी में नही कर सकता था ,
वो खूबसूरती में कनक और रोशनी से कही आगे थी ,लेकिन उसकी खुसबसूरती को नापने वाली आंखे होनी चाहिए,
नीली आंखे ,बिल्ली सी आवाज ,भूरी प्यारी सी लड़की ,बाल पूरे तरह से काले नही थे,चहरे के रंग के कारण वो भी थोड़े भूरे थे लेकिन लंबे और मजबूत ,होठो की लालिमा किसी गुलाब सी थी किसी भरे हुए मय के प्याले ही लगते थे ,
कालिया आगे बढ़कर उसके होठो को हल्के से चूमा ,वो आंखे उठाई उसकी आंखों में देखने लगी ,ये क्या हो रहा था उनके बीच …
पता नही क्या था लेकिन जैसे कोई करेंट सी दोनो के जिस्म में दौड़ गई थी ,पूनम के बदले की आग और कालिया का पत्नीव्रता होना सब जैसे कही पीछे छूट गया,ये अजीब था वो ये सब इसलिए तो नही कर रहे थे की उनके मन में एक दूसरे के लिए प्यार था या जिस्म की हवस ही थी ,नही ऐसा कुछ तो नही था लेकिन अभी अभी जो हुआ था वो क्या था…
दोनो के आंखों में आया हुआ वो भाव क्या था जिसे दोनो ही अपने दिलो में महसूस कर रहे थे,वो दोनो ही झटके से अलग हो गए और अपने आप से यही सवाल पूछने लगे…
कालिया ने सिर्फ एक ही औरत से प्यार किया था और वो थी उसकी बीवी ,वही पूनम कालिया के करीब इसलिए जाना चाहती थी क्योकि उसे वो मर्द लगा जो उसका बदला ले सके …
लेकिन वो होठो का एक मिलन सभी गणित को बिगड़ कर रख दे रहा था,
“मुझे माफ करो की मैं “कालिया कुछ बोलता इससे पहले ही पूनम ने उसके होठो पर अपने हाथ रख दिए ...और सर ना में हिलाया ,वो कालिया के करीब आई और उसके कानो में कहा ,
“पता नही ये क्या था लेकिन ये नही होना चाहिए,जिस्म मिल जाय लेकिन जस्बात नही वरना हम दोनो हो मुसीबत में फंस जाएंगे…..”
कालिया ने सर हा में हिलाया …
“चलो तुम्हे तुम्हारी प्यारी पत्नी से मिलवा देती हु …”पुनम मुश्किल से सामान्य हो पाई क्योकि उसके जीवन में ये पहला मर्द था जिसके लिए उसे ऐसा अहसास हुआ था,ये एक दिन के मिलन का नतीजा नही था शायद कुछ उसने मन में पहले ही रहा हो जो आज अचानक से बाहर आ गया ...सम्मान कब और कैसे प्यार में बदल जाए कहा नही जा सकता……
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विक्रांत उसी कमरे था जंहा उसने वो खेल खेला था ,और अब भी रोशनी और कनक उसके साथ बैठे थे लेकिन कनक आज उस दिन की अपेक्षा बहुत ही शांत थी ,क्योकि उसे भी पता था की जिस प्लान को वो पूरा करना चाहती थी वो अब नही हो सकता लेकिन इसके एवज में उन्होंने एक गलती कर दी थी वो था की विक्रांत के मन में रोशनी को पाने की चाह पैदा करना ,विक्रांत जुनूनी और हवसी दोनो ही था ,अब वो रोशनी को हवस नही बल्कि जुनूनी नजरिये से देख रहा था ,उसके मन में उसे पाने के अगल अगल ख्यालात पैदा हो रहे थे...वही कनक और रोशनी इसी सोच में थे की आखिर विक्रांत को उसके शैतानी इरादों से कैसे रोका जाए……
“क्यो मेरी जान आज बड़ी चुप हो “विक्रांत के बाजू में बैठी हुई कनक के जांघो पर हाथ फेरते हुए विक्रांत ने कहा ..
कनक ने उसका हाथ हटा दिया,एक खुलासा और कालिया की मौजूदगी दोनो ने ही कनक और रोशनी के सोचने के तरीके को बदल दिया था,पहले वो अपने को मजबूर समझ रही थी कालिया के आने से वो मजबूत हो गई,लेकिन इस खुलासे से की प्राण उनपर नजर रखे है वो डर गई थी,उन्हें समझ ही नही आ रहा था की आखिर करे तो क्या करे,अगर विक्रांत का साथ दिया तो कालिया की प्रतिक्रिया क्या होगी और अगर नही दिया तो विक्रांत क्या करेगा,और फिर प्राण…
वो ना तो कालिया को गुस्सा दिलाना चाहते थे ना ही विक्रांत को क्योकि दोनो में से किसी को भी गुस्सा दिलाने का मतलब था की कालिया के ऊपर संकट आना …
रोशनी उठी और अपनी ननद को पास बुला कर उसके कानो में कहा …
“तू इसे सम्हाल मैं तेरे भइया को सम्हालती हु,अगर उन्हेंने तुझे कुछ करते देख लिया तो वो खुद को माफ नही कर पाएंगे...और अगर उन्होंने वक्त से पहले कुछ कर दिया तो समझो की आफत आ जाएगी “
कनक ने सर हिलाया,विक्रांत रोशनी को जाते हुए देखता रहा लेकिन कुछ नही कहा,कह तो उसकी आंखे रही थी जो गुस्से से लाल हो चुकी थी …
“ये साली रांड अपने को समझती क्या है ,किसी दिन इसे जबरदस्ती चोद दूंगा ,बड़ी आयी सती सावित्री बनने वाली ,इसे प्यार से पाना चाहता हु और भाई की इसपर नजर है इसलिए अभी तक बची हुई है…”
विक्रांत ने कनक को गुस्से से देखा,कनक ने अपने को तैयार कर लिया था वो मचलते हुए उसके पास आ गई और उसके गोद में बैठ गई ,वो एक कसे हुए सलवार में थी जिसका दुपट्टा उसने पहले ही फेक दिया था,...
“ठाकुर साहब हमे भी देख लिया करो ,हम कच्ची कली है हमे भी फूल बना दीजिए..”
कनक ने विक्रांत का हाथ अपने वक्षो में रख दिया ,विक्रांत कच्ची कली होने की बात सुनकर उसपर थोड़ा ध्यान दिया ..
“तुझे फूल तो बनाऊंगा मेरी जान लेकिन उसे पाने की जिद जो कर बैठा हु “
कनक का अब बस एक ही मकसद था की विक्रांत के दिमाग से रोशनी का बहुत उतारना और उसने गांव की महिलाओं से ये सिख रखा था की उसे ऐसा करने के लिए विक्रांत का पानी निकलना पड़ेगा ….
वो मुस्कुराती हुई घूम कर बैठ गई ,अब उसके दोनो पैर विक्रांत के कमर को घेरे हुए थे,और चहरा उसके चहरे के करीब दोनो की सांसे टकरा रही थी ,हवाओ में एक अजीब सी खुशबू ही और माहौल में एक अजीब सी बात,ये वही समय था जब कलिया पूनम दो देख रहा था,और यंहा विक्रांत कनक को …
दोनो ही जोड़े एक दूसरे से प्यार नही करते थे लेकिन फिर भी दोनो ही एक दूसरे के आंखों में उस खास वक्त में खो से गए थे ,कहा जाता है की एक ही तरह की एनर्जी एक दूसरे को आकर्षित करती है और बढ़ाती भी है,इसलिए प्राचीन लोग कोई भी साधना ब्रम्हमुहूर्त में करने पर जोर देते थे क्योकि आसपास के समस्त साधक उस समय साधना में होंगे और सब की एक तरह की एनर्जी मिलकर सबका संवर्धन करेगी…
शायद ऐसा ही कुछ यंहा हो रहा था ..
दोनो ही जोड़े जो एक दूसरे से प्यार नही करते थे एक दूसरे की आंखों में खिंच से गए ,दोनो के लब मिले और जैसे कामदेव ने प्रेम का बाण मार दिया हो दोनो जोड़ो को एक अजीब सी संवेदना का अहसास हुआ ,जो की हवस नही थी वो प्रेम था,खालिस प्रेम …
कनक और विक्रांत एक दूसरे को छोड़ दिया,उन्हें समझ ही नही आया की ये उनके साथ क्या हुआ ,विक्रांत बेचैन हो गया,इतने लड़कियों के साथ सो चुके विक्रांत के लिए ये पहला आभस था वो भी उसके साथ जिसे वो अपनी दासी बनाना चाहता था,वही कनक के लिए तो पहला पुरुष विक्रांत ही था लेकिन वो उससे नफरत करती थी ,हा उसकी मर्दानगी पर उसे थोड़ा मोह तो आया था,और उसने उस दिन कनक के हवस को भी जगाया था लेकिन वो प्यार तो नही था लेकिन अभी अभी जो हुआ वो क्या था….दोनो ही अजीब से कंफुसन में थे,कनक से ज्यादा बेचैन विक्रांत था क्योकि वो इस लड़की के प्यार में तो मरकर भी नही पड़ना चाहेगा…
वो जल्दी से उठा और बिना कुछ बोले या नजर मिलाए ही वँहा से निकल गया,कनक भी अपनी सोच में गुम हुए हादसे को सोचती रही …….
हा ये सच है की प्यार में पड़ जाना या उसका आभस हो जाना भी किसी हादसे से कम नही होता……….
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