RE: kamukta जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत
इधर रणधीर मॉंगरा के रूप जाल में फंसता जा रहा था तो वही हवेली के बाहर की स्तिथि भी गर्म थी,कालिया के ऊपर लोगो का भरोषा बढ़ने लगा था,तिवारी की मदद से कुछ पुलिस वाले भी अब उसके मददगार थे,कुछ अधिकारियों तक उसका पैसा जाता था जिससे वो उसका थोड़ा मोड़ा सहयोग कर दिया करते थे,देखा जाय तो कालिया की धाक और ताकत अब भी प्राण के मुकाबले कुछ भी नही थी लेकिन फिर भी प्राण के लिए तो एक सर दर्द ही था,और दूसरी सर दर्द उसके घर में ही पल रही थी ,अगर प्राण को पता होता की ये लड़की आगे जाकर उसकी इतनी गांड मारने वाली है तो शायद वो उसे रंडी बनाने के सपने नही देखता कब का मार चुका होता,लेकिन प्राण ने भी वही भूल कर दी जो अधिकतर लोग कर जाते है ,औरत को कम समझने की भूल …
रणधीर मोंगरा के रूप जाल में तो फंस ही चुका था लेकिन उसे जो चीज ज्यादा तकलीफ दे रही थी वो थी उसका व्यंग बाण जो उसने रणधीर के ऊपर छोड़ा था,मोंगरा के शब्द रणधीर के कलेजे पर तीर की तरह चुभ गए थे,लेकिन उसकी ये समझ के परे था की ये तीर कितने दूर की सोच कर लगाई गई थी ,मोंगरा और पूनम भी चाहती थी की ऐसे शब्द बोले जाय जो रणधीर को सोचने पर मजबूर कर दे ,साथ ही उसका ये भरम भी मिट जाए की मोंगरा कोई ऐसी वैसी लड़की है ,वो उसे मोंगरा के लिए पागल कर देना चाहते थे,लेकिन वो नशा कुछ अलग होने वाला था..
मोंगरा ने रणधीर की ओर देखना भी बंद कर दिया था,अब वो उससे बात करने की कोशिस करता,जैसे कुछ बदल गया था ,वो उसे इम्प्रेस करने की कोशिस करता लेकिन उसकी कोई भी बात मोंगरा को इम्प्रेस कर पाने में नाकाम होती …
“आखिर तुम चाहती क्या हो “
एक दिन उसने मोंगरा का रास्ता ही रोक दिया..
मोंगरा ने उसे पहले तो गुस्से से घूरा लेकिन देखते ही देखते उसके चहरे में एक अजीब सी मुस्कान खिल गई ..
“पूछ तो ऐसा रहे हो जैसे जो बोलूं दे ही दोगे ,चलो हटो मेरे रास्ते से ..”
“अरे बोल कर तो देखो ..”
रणधीर बेहद ही कांफिडेंस में था ,मोंगरा ने एक बार आसपास देखा वँहा कोई भी नही था..
“बलवीर बता रहा था की बाहर शहर में सिनेमा घर है और वँहा बहुत बड़ा पर्दा है …..”
मोंगरा ने ऐसे कहा जैसे किसी दूसरी दुनिया की बात कर रही हो ..रणधीर के होठो में मुस्कान आ गई
“तुम्हे देखना है “
मोंगरा के तेवर अचानक ही बदल गए..वो ललचाई आंखों से उसे देखने लगी ..
“तुम सच में दिखा सकते हो ,लेकिन ठाकुर साहब तो मुझे हवेली से बाहर जाने ही नही देते ..”
“मैं भी तो ठाकुर हु “
“लेकिन …”
“जाना है ...की नही ..”
“हा “मोंगरा ने धीरे से कहा
“तो चलो लेकिन मुझे क्या मिलेगा “
रणधीर का डर जैसे चला गया था,
“हर चीज के लिए तुम्हे कुछ देना ही पड़ेगा क्या ..?”
मोंगरा शरारत से बोली जैसे सब कुछ ठीक हो गया हो …
“तुमने ही तो कहा था तुम्हारी बन जाऊंगी ..”
“ओ हो बड़े आये ..”
वो थोड़ी देर चुप रही
“अच्छा चलो कुछ दे दूंगी ,लेकिन बलवीर भी हमारे साथ जाएगा “
बलवीर का नाम सुनकर रणधीर के चहरे का रंग उड़ गया वो थोड़ा मायूस दिखा ..
“अरे उसे दूर बिठा देंगे और हम साथ बैठ जाएंगे ,अब वो मेरा इतना अच्छा दोस्त है मैं उसके बिना कैसे जाऊंगी ..”
रणधीर अचानक से ही चौका लेकिन फिर उसके दिमाग में आया ,यार ये दोस्त भी तो हो सकते है..हो सकता है की वो जैसा सोचता हो वैसा ना हो..
“लेकिन वो तुम्हे मेरे साथ देखके बुरा नही मान जाएगा ..”
रणधीर ने अपना शक बोल ही दिया ..
“क्यो मानेगा,वो मेरा दोस्त है ..सबसे अच्छा दोस्त और मुझे खुश देखकर उसे तो खुसी ही होगी..और उसे भी फ़िल्म देखने मिल जाएगा,..”
रणधीर कुछ सोच में पड़ा था..
“देखो रणधीर मैं तुम्हे पसंद करती हु ,और मुझे नही लगता की बलवीर को इसमें कोई दिक्कत होगी ,वो तो तुम पर इसलिए गुस्सा करता था क्योकि तुम मुझे ऐसा वैसा कहते थे,लेकिन कुछ दिनों से तुम्हारे व्यव्हार में आये बदलाव ने उसे भी तुम्हारे प्रति एक नया नजरिया दे दिया ,कल तो उसने ही कहा की रणधीर से जाकर बात कर ले वो परेशान सा दिख रहा है….”
रणधीर को यकीन ही नही हुआ की बलवीर उसके बारे में ऐसा बोलेगा ..
“हम सब साथ ही तो बड़े हुए है फिर हमारे बीच काहे का बैर …”
कहते कहते ही मोंगरा की नजर थोड़ी आगे बढ़ गई जंहा से बलवीर आ रहा था ,
वो बलवीर को देखकर उसके सीने से लग गई और पूरी बात बता दी ..बलवीर गंभीर था लेकिन उसने रणधीर की ओर हाथ बड़ा दिया ..
“मेरी मोंगरा का ख्याल रखना ,अगर इसको चोट पहुचाई तो सोच ले ..मैं नही देखूंगा की तू किसका बेटा है ..”
“तूम फिर शुरू हो गए ..बस एक फ़िल्म तो देखना चाहते है हम साथ में शादी थोड़ी ना कर रहे है..”मोंगरा खिलखिला दी,बलवीर के होठो में भी एक मुस्कान आयी और दोनो के चहरे में आये भाव ने रणधीर को भी थोड़ा सहज किया …….
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