kamukta जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत
02-04-2020, 12:27 PM,
#48
RE: kamukta जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत
रणधीर मोंगरा को फ़िल्म दिखाने के लिए मान तो गया था लेकिन उसे बलवीर अब भी खटक रहा था,उसने अपने खास लोगो से थिएटर को घेरने को कहा और अपने खास चापलूस मनोहर को भी अपने साथ ले गया,थिएटर पूरी तरह के खाली था,बलवीर और मनोहर को बालकनी की सबसे आगे वाली सीट पर बिठाया गया वही मोंगरा और रणधीर आखरी लाइन में एक बड़े से सोफे जैसे सीट में बैठे जिसे रणधीर की खास फरमाइश में वँहा लगाया गया था ,वो सीट उसके लिए ही थी ..
“ये पूरा थियेटर खाली क्यो है कोई बकवास फ़िल्म तो नही ले आये मुझे”
मोंगरा की बात पर रणधीर थोड़ा मुस्कुराया
“अरे मेरी जान जब हम फ़िल्म देखते है तो बस हम ही देखते है ,पूरी टिकिट हमने ही खरीद ली है “
मोंगरा के होठो में मुस्कान थी ..
बलवीर मनोहर को घूर के देख रहा था,मनोहर की बलवीर से ऐसे भी फटती थी लेकिन क्या करे मालिक ने हुक्म जो दिया था निभाना तो पड़ेगा ही …
बलवीर के मन में मोंगरा को लेकर चिंताएं गहरा रही थी लेकिन वो जानता था की मोंगरा जो भी कर रही थी वो सही ही होगा ,उसे अपने से ज्यादा मोंगरा पर भरोषा था,
फिर भी वो मुड़ मुड़ कर देख ही लेता,दोनो अभी बात ही कर रहे थे,वो बहुत दूर थे लेकिन फिर भी बलवीर को वो दिख रहे थे,जब रणधीर ने बलवीर को पलट कर देखते हुए देखा उसने बस एक इशारा गेट पर खड़े हुए गार्ड की ओर किया ,कुछ ही मिनट में थियेटर की लाइट बंद हो गई और फ़िल्म शुरू हो गई ,अब बलवीर को दोनो स्पष्ट नही दिख रहे थे,लेकिन फिर भी फ़िल्म के लाइट में दोनो का थोड़ा आभस जरूर हो रहा था,
मोंगरा ने अपने जांघो में रणधीर के हाथ का आभास किया ..
जो उसे हल्के हल्के से रगड़ रहा था..
“बहुत जल्दी है तुम्हे ..”
मोंगरा की बात व्यंग्यात्मक थी ..उसने रणधीर के हाथो को जकड़ लिया था,
“अरे मेरी जान थोड़ी तो जल्दी है मुझे ,ऐसे भी तुम्हारी ये अदा ही हमे मार डालती है..”
मोंगरा खिलखिलाई,
“अच्छा तो इतने दूर क्यो हो पास आ जाओ नही खाऊँगी तुम्हे “
मोंगरा ने रणधीर के कॉलर को पकड़कर उसे अपने पास खिंच लिया..
रणधीर उसके इस प्रहार से स्तब्ध था लेकिन अब उसे ऐसे झटकों की आदत हो चुकी थी वो समझ चुका था की ये लड़की कोई भी झटका दे सकती है …
मोंगरा की सांसे अब रणधीर की सांसों से टकरा रही थी ,रणधीर मन मुग्ध होकर उसके उस काया को देख रहा था,सच में कितनी सुंदर थी मोंगरा कभी कभी उसे ऐसा लगने लगता था की उसे इस हसीना से प्यार हो गया है लेकिन फिर वो अपने को सम्हालने की कोशिस करता था..
मोंगरा भी उसकी आंखों में देख रही थी …
“क्या हुआ मेरे ठाकुर साहब आंखों में ही खो जाओगे क्या “
मोंगरा की बात में अजीब सा आकर्षण था,उसने इसे बहुत ही होले से कहा था जैसे उसकी सांसे ही आवाज का रूप लेकर निकल रही हो ,कानो के पास कही गई इस बात में हल्की सी मदहोशी भी थी और हल्की सी शरारत भी ,
ये रणधीर के लिंग में नही बल्कि दिल के किसी कोने में चोट कर गई ,
“लगता है जीवन भर तेरी आंखों को ऐसा ही देखता रहू ..”
मोंगरा हल्के से हँसी लेकिन उस हँसी में अजीब सा दर्द था..
“कितनी लड़कियों से ये बात कह चुके हो ठाकुर साहब ,जो करने आये हो वही करो,क्यो प्यार का झूठा शगूफा फैलाने की कोशिस कर रहे हो ..”
रणधीर मोंगरा की बात को समझ चुका था,उसका सर नीचे हो गया..
“मैं जानता हु मोंगरा तुम मेरी बात का भरोसा नही करोगी लेकिन यही सच है की तुम्हारे लिए मेरे दिल में कुछ अजीब सा है जो किसी दूसरी लड़कियों के लिए नही होता,तुम्हे पाने की इच्छा तो मेरी है लेकिन जबरदस्ती नही ..”
मोंगरा मुस्कुराई
“जबरदस्ती कर भी नही सकते,मुझे क्या ऐसी वैसी लड़की समझ कर रखा है..”
इस बार रणधीर भी मुस्कराया
“तू तो सब से अलग है मेरी जान ,और मैं तो तेरा दीवाना हु “
रणधीर ने अपना हाथ मोंगरा की साड़ी के झांकती हुई कमर में डाल दिया और उसे अपनी ओर खिंच लिया,और मोंगरा के फुले हुए गाल में एक बेहद ही संवेदनशील और प्यार से भरा हुआ चुम्मन झड़ दिया,
मोंगरा उसके आभस से थोड़ी देर के लिए ही सही लेकिन खो सी गई ,उसमें एक अजीब सी मिठास थी लेकिन मोंगरा ने तुरंत ही अपने सर को झटका दिया ,तभी रणधीर ने अगला किस मोंगरा के गले में कर दिया था,वो कसमसाई और रणधीर को थोड़ा और अपनी ओर खिंच लिया,यंहा फ़िल्म तो चल रही थी लेकिन कोई भी फ़िल्म देखने नही आया था सबका एक अलग ही उद्देश्य था,बलवीर बार बार पीछे पलटता था लेकिन अंधेरे में उसे कुछ भी दिखाई नही दे रहा था लेकिन जो परछाई उसे दिख रही थी उसमे उसे इतना तो आभस हो चुका था की दोनो गले मिले हुए है ,उसके दिल में एक दर्द उठा,अचानक उसकी नजर मनोहर से मिली जो अपनी दांत निकाले हुए हँस रहा था शायद उसने भी पीछे देखा था,बलवीर ने एक जोर का घूंसा उसके मुह में दे मारा,मनोहर की दो दांत टूटकर उसके हाथ में आ गई और मुह से खून फेक दिया ,वो सहमे हुए गुस्से से भरे हुए बलवीर को घूर रहा था..
“निकल यंहा से मादरचोद “
बलवीर की बात सुनकर वो दौड़ाता हुआ रणधीर के पास पचूच गया,रणधीर अभी मोंगरा के कंधे पर अपने चुम्मन की बरसात कर रहा था जिससे मोंगरा भी मदहोश हो रही थी और उसका साथ दे रही थी ,की ..
“ठाकुर साहब बलवीर ने देखो क्या किया मेरे दांत तोड़ दिए ..”
रणधीर को उसकी बात सुनकर बेहद गुस्सा आया और उसने उसके गाल पर एक जोर की चपात लगा दी ,
“मादरचोद देख नही रहा है की मैं बिजी हु भाग यंहा से “
मनोहर की ये हालत देखकर मोंगरा जोरो से हँस पड़ी ..
“तुम जाओ और किसी से मरहम पट्टी करवा लो मैं बलवीर से बात कर लुंगी …”
“अरे जान रुको ना कहा जा रही हो ,”
“वो गुस्से में रहा तो कुछ भी कर देगा “
“वो कुछ नही करेगा इस साले की शक्ल ही ऐसी है की कोई भी इसे मार दे तुम आओ ना मेरे पास ,तू जा भोसड़ीके और चहरा मत दिखाना फ़िल्म खत्म होते तक “
मनोहर मायूस सा वँहा से निकल गया ,और रणधीर ने मोंगरा का हाथ खिंचकर फिर से उसे अपने से सटा लिया ,वो खिलखिलाते हुए उसके गोद में जा समाई ..
रणधीर ने मोंगरा के छातियों को छुपाए हुए साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया और उसके सीने की शुरुवात में अपने होठो को लगा दिया,वो नीचे जा रहा था जंहा मोंगरा के स्तनों को उसके ब्लाउज ने बड़ी ही मुश्किल से सम्हाल कर रखा था,स्तनों के ब्लाउज से झांकते हुए खुले भाग पर अब रणधीर के होठ थे ,उसे अपनी किस्मत पर यकीन ही नही हो पा रहा था की जिसे वो जीवन में सबसे जायद पाने की कोशिस और चाहत करता था आज वो उसके पास है,वो पूरी तरह से मोंगरा के रस को पीना चाहता था,उसका लिंग भी अब अपनी तैयारी में था,वो मोंगरा के खुले हुए कमर को अपने हाथो से मसलने लगा था ,दोनो की ही सांसे अब तेज थी जो संकेत थी की दोनो ही अपनी मदहोशी को अब काबू नही करना चाहते ,रणधीर ने अपने शर्ट को खोल कर फेक दिया ,मोंगरा के हाथ अब उसके सीने के बालो से खेल रहे थे,मोंगरा की आंखे भी अब नशीली हो चुकी थी वो अपने हाथो से अब मोंगरा के गदराए हुए सीने में फले हुए आमो को जोरो से दबाने लगा था,वो जैसे उसे निचोड़ ही देना चाहता था..
“आह धीरे करो ना ..”मोंगरा की सिसकियां गूंजने लगी थी
“अब सहा नही जा रहा है जान ,मोंगरा के ब्लाउज का एक बटन टूट कर गिर गया और अब रणधीर का हाथ उसके खाली जगह में घुस गया,मोंगरा ने कोई भी ब्रा जैसी चीज नही पहने थे ,रणधीर का हाथ सीधे ही उसके निप्पलों से टकराया ,
“ओह “मोंगरा ने ताकत लगा कर उसके सर को अपने सीने से लगा लिया,मोंगरा की ताकत इतनी थी की रणधीर को लगा की इन गोल भारी गुब्बारों के बीच उसका दम ही निकल जाएगा,वो छटपटा रहा था लेकिन मोंगरा की गिरफ्त तब भी बहुत मजबूत थी ,मोंगरा उसे देखकर मुस्कुराई और अपने हाथो से अपने एक कबूतरो को आजाद कर दिया ,मोंगरा ने अपने ब्लाउज के सारे बटन ही खोल दिए ,दोनो ही पर्वत बाहर झूलने लगे जिसमे से एक को मोंगरा ने रणधीर के मुह में ठूस दिया,वो सांस ना ले पाने के कारण छटपटा तो रहा था लेकिन फिर भी अपने मुह से उसके स्तनों को बाहर नही निकलना चाहता था,मोंगरा उसकी इस स्थिति को देखकर थोड़ा हँसी और उसे अपने गिरफ्त से आजाद कर दिया,रणधीर अब एक हाथ से उसके स्तन को दबा रहा था वही मुह में भर कर पूरा रस भी चूस रहा था,मोंगरा की हालत भी खराब थी और वो उसके बालो को चूम रही थी ,उसकी सिसकी से रणधीर और भी मदहोश होकर स्तनों को निचोड़ता ,.......
तभी थियेटर का दरवाजा खुला और अचानक ही लाइट जल गई ,मोंगरा हड़बड़ाया कर जल्दी से अपने साड़ी के पल्लू से अपने सीने को ढक लिया,रणधीर गुस्से से गेट की ओर देखा लेकिन फिर उसका गुस्सा डर में बदल गया था ..
वही हाल बलवीर का था,वो पहले मोंगरा को देखकर दुखी हो गया लेकिन फिर दरवाजे में खड़े शख्स को देखकर चौक गया ..
गेट पर पर्मिदंर खड़ा हुआ था और बहुत ही गुस्से में लग रहा था…..
उसने बस तीनो को बाहर आने का इशारा किया और वँहा से निकल गया ,रणधीर जल्दी से अपने कपड़े पहन कर बाहर भागा ..
बलवीर भी मोंगरा के साथ हो ली ,
“ये इतनी जल्दी कैसे आ गए ..”
मोंगरा ने बलवीर को हल्के से पूछा ,पहले तो बलवीर ने उसे गुस्से से देखा ..
“मुझे क्या पता माँ ने बापू को शायद जल्दी ही बता दिया ..और तुम तो ये सब इतनी जल्दी नही करने वाली थी ना,अगर बापू नही आते तो ..”
बलवीर के गुस्से को देखकर मोंगरा मुस्कुरा उठी और बलवीर के गालो को प्यार से चूम लिया ..
“क्या करू मैं भी थोड़ा बहक गई थी ,अब जल्दी चलो देखते है हमारी इस हरकत से हवेली में क्या कोहराम मचेगा ..”
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RE: kamukta जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत - by sexstories - 02-04-2020, 12:27 PM

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