RE: kamukta जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत
“अब तो मेरा बेटा ही मेरा दुश्मन बना बैठा है परमिंदर समझ नही आ रहा की क्या किया जाय ..”
परमिंदर चुप ही था,प्राण नशे की हालत में था ..
“उस मोंगरा को रास्ते से हटाना ही होगा ,मैं भी अपने अहंकार में आकर उस नागिन को दूध पिला रहा था,साली तो लाते ही मार देना था,चलो अब भी समय है उसे मार कर कही फेक दो …”
परमिंदर अब भी चुप था
“क्या हुआ चुप क्यो हो ..”
“ठाकुर साहब उसने सिर्फ आपके बेटे पर ही नही मेरे बेटे पर भी काबू कर रखा है ,बलवीर के रहते उसे मरना मुश्किल ही है ..”
“तो फिर क्या किया जाए ???”
“अगर इन दोनो के कारण ही वो मर जाए तो …”
“मतलब “
“मतलब की उसे हवेली से बाहर भेज दो रणधीर के साथ और बाहर से आदमी बुला लेते है ,वो लोग उस पर नजर रखने के लिए कहो …,मौका पाकर वो लोग उनपर हमला कर देंगे और रणधीर को भी शक नही होग की
हमने हमला करवाया है ...और उसे हम बतलायेंगे की आपके दुश्मनों ने मोंगरा को मार डाला ….”
प्राण सोच में पड़ जाता है..
“क्या दिन आ गए है ,अपने ही बेटे पर हमला करवाना पड़ेगा,लेकिन क्या वो ये बात मान लेंगे की उसे हमने नही किसी और ने मारा है “
“फिक्र मत कीजिये बलवीर भी उनके साथ जाएगा ,यंहा से तो दोनो अकेले ही निकलेंगे लेकिन मैं बलवीर को जानता हु वो मोंगरा को रणधीर के साथ अकेले नही जाने देगा ,वो उनके पीछे जाएगा ही ,इसी दौरान उसके दिमाग में ये बात डाल देंगे की वो लोग ठाकुर के बेटे को मारने आये है,बलवीर मोंगरा को बचाने जरूर जाएगा ….और इन सबकी लड़ाई में मॉंगरा पर कोई गोली चला देगा …….”
प्राण की फिक्र थोड़ी कम हुई ..
“ठीक है जो करना है करो लेकिन रणधीर और मोंगरा बाहर जाएंगे क्यो ??”
“आप उसे वो शहर वाले फार्महाउस को देखने अकेले भेज दीजिये ,मोंगरा का साथ पाने के लिए वो उसे भी साथ ले जाएगा ,आग तो उसे लगी ही है…..आज नही बुझा पाया तो कोई दूसरा मौका तो ढूंढेंगे ही ..”
प्राण के चहरे में मुस्कान आ गई ………
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“लेकिन अकेले ही क्यो ,बलवीर भी साथ चले तो क्या दिक्कत है “
मोंगरा ने रणधीर के प्रस्ताव पर कहा …
“क्योकि मुझे अधूरा काम पूरा करना है ,और बलवीर के रहते मैं कुछ भी नही कर पाऊंगा ..”
“ओहो ऐसी बात है,लेकिन याद है मैंने कहा था की मुझे असली मर्द चाहिए और तुम तो अपने बाप के सामने कांपने लगते हो ..”
मोंगरा खिलखिलाई
“मोंगरा अगर तूम यही चाहती हो तो ठीक है मैं तुम्हे इस हवेली के ही बंधन से आजाद कर दूंगा ,अब चलोगी मेरे साथ ..”
मोंगरा रणधीर को देखती रही ...और उसके गले से लग गई ……..
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दोनो ही एक कार में बैठे जा रहे थे,जंहा मोंगरा पूरी तरह से मस्ती के मुड़ में थी वही रणधीर बेहद ही गंभीर दिख रहा था,
“इतने चुप क्यो हो ,कल तो बहुत कुछ करने को उतावले थे..”
“कुछ नही कुछ देर में ही पता चल जाएगा..”
रणधीर ने कार रोड से उतार दी और जंगल की तरफ ले गया ,कुछ दूर जाने के बाद गाड़ी रुकी ..
“यंहा क्यो रोक दिए …”
“थोड़ी दूर में एक झरना है “
“ओह तो जनाब झरने में मजे लेना चाहते है …”मोंगरा के होठो में कातिल सी मुस्कान आयी लेकिन रणधीर अब भी चुप ही था
मोंगरा को ये उन्मुक्त वातावरण बेहद ही भा रहा था वो खुसी से इधर उधर दौड़ रही थी ..
“अरे वँहा खड़े हुए क्या देख रहे हो आओ ना “
मोंगरा चिल्लाई ,रणधीर धीरे धीरे उसकी ओर बढ़ने लगा,जब वो उसके थोड़ा नजदीक गया मोंगरा का ध्यान उसके चहरे पर गया..
वो कांप रहा था,पूरी तरह से लाल
“क्या हुआ तुम्हे “
मोंगरा रणधीर की तरफ आने लगी
“रुक जाओ मेरे पास मत आना “
मोंगरा चौकी क्योकि रणधीर ने उसके ऊपर पिस्तौल तान दी थी
“ये ..ये क्या कर रहे हो ठाकुर साहब ..ये कैसा मजाक है ”मोंगरा ने कांपती हुई आवाज में कहा
“मजाक तुम इसे मजाक कहती हो ??मजाक तो तुमने मेरे साथ किया है मोंगरा..मैं तो तुमसे प्यार करने लगा था लेकिन तुम ...तुमने मुझे धोखा दिया ,तुम उस बलवीर के साथ ,वो भी तुम्हे पता था की मैं तुम्हे देख रहा था..”
मोंगरा के होठो में कातिल मुस्कान खिल गई ..
“क्यो मजा आया ना ..सच में बलवीर सच्चा मर्द है”
रणधीर का गुस्सा सातवे आसमान पर था और उसके हाथ भी कांपने लगे थे …
“पिता जी सही कहते थे ...तू है ही रंडी ….”
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बलवीर हवेली दूर एक चाय की टापरी में बैठा हुआ रणधीर के गाड़ी के आने का इंतजार कर रहा था ,उसे पता था की आज रणधीर मोंगरा को अकेले ले जा रहा है ,लेकिन वो मोंगरा को अकेले तो नही छोड़ सकता था ,
वो एक मोड़ पर उसकी गाड़ी का इंतजार कर रहा था ताकि मौका देखकर वो उनके पीछे एक किराए की बाइक से लग जाए ..
तभी कुछ लोग वँहा आ गए ,और टपरी के पीछे बैठ कर शराब पीने लगे ,वो लोग 5 बाइक में थे ,
करीब 10 लोग थे ,दिखने से ही गुंडे जैसे लग रहे थे,उन्हें पहले बलवीर ने नही देखा था शायद वो किसी दूसरी जगह से थे ,
“सालो जल्दी करो ठाकुर का बेटा आता ही होगा ..”
“खबर तो पक्की है ना तेरी वरना साला हम यंहा बैठे ही रह जाएंगे और वो आएगा ही नही ..”
“अरे अंदर की खबर है फिक्र मत कर अपनी रांड के साथ जा रहा है अय्याशी करने उसके ही चेले में बताया है ..”
बलवीर के कान उनकी बात से खड़े हो गए ,वो अपनी गाड़ी उठाकर वँहा से चला गया,उसके जाते ही वो एक दूसरे को देखने लगे
“साले ने सुना की नही ..”
“फिक्र मत कर उसके चहरे से ही लग रहा था की उसने सुन लिया है ..”
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रणधीर के गाड़ी के 3 बाइक चल रहे थे जिनमे के दो तो उन गुंडों के थे जिन्हें पर्मिदंर ने बुलाया था ,और एक था बलवीर वो सबसे पीछे चल रहा था ,वही गाड़ी के सामने 2 और बाइक थी ,सभी गुंडे एक दूसरे से वायरलेस की मदद से बात कर रहे थे ,वही उनके साथ वायरलेस की मदद से जुड़ा हुआ पर्मिदंर भी पल पल की खबर ले रहा था ……
रणधीर की गाड़ी जंगल में मुड़ने से सभी घबरा गए क्योकि सब ने सोचा था की वो मोंगरा को फार्महाउस ले जाने वाला है …
सभी उसके पीछे लग गए और जब उनकी गाड़ी रुकी तो वो भी कुछ दूर में ही रुक गए ,उन लोगो को ये भी पता था की बलवीर भी उनके पीछे है ,बलवीर गाड़ी एक कोने में लगाकर देखने लगा लेकिन जब उसने देखा की रणधीर मोंगरा के ऊपर पिस्तौल ताने खड़ा है तो वो दौड़ा …
“हमारी क्या जरूरत ये तो ठाकुर का बेटा ही उसे मारने पर तुला है “
एक आदमी ने वायरलेस से पूरी बात पर्मिदंर को बतलाई ..
“चलो अच्छा ही हमारे हाथ गंदे नही होंगे “परमिंदर भी मुस्कुराया और अगले ही पल…
“रणधीर नही …”
दौड़ता हुआ बलवीर मोंगरा की ओर आ रहा था ,बलवीर को देखकर रणधीर और भी घबरा गया और पिस्तौल से गोली चला दी जो सीधे जाकर मोंगरा के सीने में लगती गई ,खून की धार फुट पड़ी और बलवीर स्तब्ध सा बस उसके गिरते हुए बढ़ने को देखने लगा,वो दौड़ाकर उसे सम्हाला …
अब भी मोंगरा के होठो में मुस्कान थी वो प्यार से बलवीर के गालो को सहला रही थी ,...
रणधीर स्तब्ध खड़ा हुआ था,
पर्मिदर वायरलेस में चिल्लाया ..
“सालो देख क्या रहे हो रणधीर को वँहा से बाहर निकालो वरना बलवीर उसे मार डालेगा ..फायर करो “
वो लोग तेजी से सक्रिय हुए और रणधीर को खिंचते हुए अपनी बाइक में बिठा लिया …
“मादरचोद रुक …….”
बलवीर उनके पीछे दौड़ने को हुआ लेकिन गोलियां चलने लगी और मोंगरा ने उसका बलवीर का हाथ थाम लिया ..
“मुझे छोड़कर मत जाओ बलवीर ..”
बलवीर रुका और देखते ही देखते मोंगरा की आंखे बन्द हो गई ,रह गई तो बस बलवीर की चीखे जो पूरे जंगल को दहला रही थी ………
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“हैल्लो हल्लो काम हो गया,रणधीर की गोली से मोंगरा मारी गई ,लेकिन बलवीर की हालत ठीक नही है ,...”
एक दूसरा जासूस वायरलेस से परमिंदर से बात कर रहा था..
“कोई बात नही वो ठीक हो जाएगा ,रणधीर को कुछ दिनों के लिये छिपाना पड़ेगा ,तुम आ जाओ और किसी के नजर में मत आना ..”
परमिंदर ने प्राण को देखा जो उसकी बात सुन रहा था,आज प्राण के चहरे में वो खुसी थी जो पहले कई दिनों से कभी नही आयी थी …
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