RE: kamukta जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत
बात साफ थी पंचनामा बन चुका था सभी इस बात को मान भी चुके थे लेकिन मेरा दिमाग अब भी इस बात को सही मानने को तैयार नही था…
प्राण ठाकुर इतना भी चूतिया नही था की खुद ही अपने घर में सीसीटीवी कैमरा लगा कर अपने गुनाहों को रिकार्ड होने दे ,वही वो इतना बड़ा चूतिया भी नही था की अपने हाथ में आया हुआ इतना बड़ा मौका यू ही छोड़ दे ,उसके सारे दुश्मन उसके सामने ही थे,सभी लाचार थे वो हमारे साथ कुछ भी कर सकता था ,लेकिन किसी को कोई भी नुकसान नही हुआ था ,मैं ये बात कैसे मान सकता था की प्राण हमे बेहोश करने के बाद दो मंजिल चढ़कर छत में जाकर इतनी शराब पीता है की वंहा से गिर जाता है यही नही उसका दोस्त जो की एक मंत्री है वो भी ऐसी बेवकूफी कर डालता है……
मुझे इसके पीछे कोई बड़ी साजिश का आभास हो रहा था लेकिन मैं कुछ भी नही कर सकता था ,क्योकि मुख्यमंत्री ने भी केस वही क्लोज करने की बात कह दी ,इसके ऊपर अब कोई और इंवेस्टिगेसन नही होनी थी ,ऐसे भी चीजे बिल्कुल साफ थी,ठाकुर के पास हमे बेहोश करने की मजबूत वजह भी थी ,और मंत्री को ऐसे भी ठाकुर के गुनाहों में बराबर का हिस्सेदार रहा था जिसका पता सभी को था,लेकिन ठाकुर के कारण कोई उसे कुछ बोलता नही था……..
मैं अपने घर के सोफे में बैठा हुआ यही सब कुछ सोच रहा था तभी …
“क्यो जीजू क्या सोच रहे हो ,मेरे ख्याल से शादी की तैयारी के बारे में ही सोच रहे होंगे ..”
भावना की खनखनाती हुई आवाज मेरे कानो में पड़ी..
मैंने आंखे खोली तो सामने भावना और चम्पा थी ,शादी की बात सुनकर चम्पा थोड़ी शर्मा गई थी…
ठाकुर को मरे 5 दिन हो चुके थे,मैं और चम्पा दोनों ही बेहद बिजी थी कारण था की ठाकुर की अन्टोष्ठी का कार्यक्रम,विक्रांत और भावना हवेली में रहने चले गए थे,वही चम्पा भी उनके और पूनम के साथ वही रह रही थी ,डॉ और मेरी भी वही रह रहे थे वो शहर वापस नही गए थे,आज चम्पा और भावना चम्पा के कपड़े लेने यंहा आये थे …
“कुछ नही बस आओ बैठो ना “
“मैं अपने कपड़े समेटती हु तू अपने और अपने जीजू के लिए चाय बना ले “
चम्पा बेडरूम की ओर बड़ी
“अरे पूरे कपड़े ले जाने की क्या जरूरत है “
मैंने बैठे बैठे ही कहा
“जीजू अब तो ठाकुर नही रहे ,मोंगरा दीदी को दिए वचन का भार भी आपके ऊपर नही है ...तो ...तो अब चम्पा दीदी आपके साथ इस घर में तभी रहेंगी जब आप बारात लेकर हवेली आओगे और शादी करके इन्हें यंहा लाओगे ,समझे तब तक के लिए मैं अपनी दीदी को ले जा रही हु “
भावना मुस्कुराते हुए किचन की ओर चली गई
“ओह तो ये बात है …”
मैं भी मुस्कुराता हुआ अपने बेडरूम में गया जंहा चम्पा अपने कपड़े एक बेग में डाल रही थी मैंने उसे पीछे से जकड़ लिया
“अरे छोड़िए ना भावना आ जाएगी “
वो मेरी बांहों में ही मचली
“तुमने उस दिन कहा था की हवेली से वापस आते ही तुम्हारा श्रृंगार बिगाड़ दु लेकिन आज वापस आयी हो “
मैं उसके गले को चूमने लगा वो हल्के से हंसी और मेरी बांहों में कसमसाई
“क्या करू भावना और पूनम मा ने आने ही नही दिया ,और सुना ना भावना ने क्या कहा ,अब तो सुहागरात में ही मेरे दुल्हन वाला श्रृंगार बिगड़ना बच्चू “
वो कसमसाते हुए मेरे पकड़ से अलग हो गई और मुझे चिढ़ाते हुए जीभ दिखाने लगी
“अच्छा जी...ऐसे एक चीज बताओ की हमारी शादी मे मोंगरा और बलवीर आएंगे की नही “
मेरी बात सुनकर चम्पा के चहरे की हंसी गायब हो गई
“ये क्या बोल रहे हो “
“चम्पा मैं इतना भी बेवकूफ नही हु ,प्राण और सेठ ऐसे ही नही गिर सकते उन्हें किसी ने वंहा से प्लान करके गिराया है “
मेरी बात सुनकर वो थोड़ी मुस्कुराई
“आप और आपकी ड्यूटी बस हर समय यही चलते रहता है क्या ,अगर आपको लगता की उन्हें मोंगरा और बलवीर ने गिराया है तो ढूंढ लो उन्हें बात खत्म ...और अब कोई बहाने नही चलेंगे ठाकुर जा चुका है तो अब तुम्हे हमारी शादी के बारे में सोचना होगा ,वरना रहना यू ही अकेले इस घर में…….और शादी से पहले मुझे छूने की सोचना भी मत ..”
वो इठलाते और मुस्कुराते हुए वंहा से निकल कर किचन में जा घुसी ..
मुझे उसकी अदा पर बेहद ही प्यार आया मेरे होठो में मुस्कान भी आ गई लेकिन दिल के किसी कोने में एक टीस भी उठी की हो ना हो मोंगरा और बलवीर अब भी जिंदा है और उन्होंने ही ठाकुर को मारा है और मुझे लगता था की चम्पा ही नही भावना ,विक्रांत,तिवारी ,डॉ यंहा तक की पूनम भी इन सबमे शामिल थे ..
लेकिन मैं चाहते हुए भी कुछ नही कर पा रहा था ,किसी नतीजे पर बिना सबूत के पहुच जाना मेरी फितरत भी नही थी ,और ठाकुर कोई दूध का धुला भी नही था की मैं उसको इंसाफ ना दिला पाने की वजह से दुखी फील करू ,लेकिन मुझे सच जानना था क्योकि यही तो मेरा काम था ….
********************************
ठाकुर को मरे हुए 30 दिन ही हुए थे की हवेली को दुल्हन की तरह सजाया गया ,वजह थी मेरी और चम्पा की शादी …
चम्पा का कन्यादान पूनम कर रही थी और शादी के जश्न में कोई कमी नही आ जाए इसलिए 10 दिन पहले से ही विक्रांत और डॉ दिन रात लगे हुए थे ,मेरे माता पिता भी वहां आ चुके थे,उनके अलावा मेरी तरफ से और कोई नही आया था कोई था भी तो नही ,मेरी बारात मेरे सरकारी क्वाटर से हवेली तक गई…
मेरे माता पिता कुछ ज्यादा ही खुश लग रहे थे,जबकि मुझे लगा था की मेरी शादी की बात सुनकर उन्हें शॉक लगेगा लेकिन ऐसा नही हुआ बल्कि अब मुझे पता चला की मेरे माता पिता पहले से सभी को जानते थे और इस रिश्ते से बेहद ही खुश थे ,वो लोगो से ऐसे मिल रहे थे जैसे उनका इनसे बहुत पुराना राब्ता रहा हो ..
तिवारी ने मुझे बताया की पहले मेरे माता पिता पिता जी के कारोबार के चाहते यंहा हवेली आया करते थे ,इसलिए जब मेरी मा पूनम से मिली तो गले मिलकर और गाला फाड़कर रोने लगी ,वही मेरे पिता जी जब विक्रांत ,डॉ और तिवारी से मिले तो बेहद ही आत्मीयता के साथ मिले..
इतने दिन हो गए थे मुझे यंहा काम करते लेकिन पिता जी ने कभी नही बताया था की उनका हवेली से और यंहा के लोगो से इतनी घनिष्ट जान पहचान थी ,मेरे पिता जी ने बस ये कहा की ठाकुर प्राण सही आदमी नही था और इसलिए तुझे कुछ नही बताया …
आखिर सब कुछ ठीक हो चुका था ….
मैं पूरी शादी यही इंतजार करता रहा की कही मोंगरा और बलवीर मुझे दिख जाए लेकिन ऐसा नही हुआ उनकी कोई सुगंध भी मुझतक नही आई …….
****************
|