RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
हमारे गाँव के पंडित जी जो हमारे घर में होने वाले सभी वैदिक कार्यों को संपन्न करते हैं.. उनका घर बीच गाँव में है…
50 वर्षीय पंडित जी के दो संतानें थी, बड़ा लड़का जिसकी उम्र कोई 23-24 की होगी..
उसकी शादी एक साल पहले हो चुकी थी, दूसरी बेटी, उसकी शादी उसके भाई से भी एक साल पहले हो गयी थी..
घर पर पंडित जी, उनकी पंडितानी, और बेटे की बहू.. यही तीन प्राणी रहते थे…
बेटी की शादी हो चुकी थी, और बेटा शहर में रहकर कुछ नौकरी धंधा करता है… महीने दो महीने में एक बार घर आता है..
मेने पंडित जी के घर का दरवाजा खटखटाया… कुछ देर बाद अंदर से एक सुरीली सी आवाज़ आई… कॉन है…?
मेने बाहर से आवाज़ दी – मे हूँ… अपने पिताजी का नाम लेकर उनका बेटा…अंकुश.
थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला… सामने एक 20-21 साल की गोरी-चिटी, शादी शुदा बेटे की बहू… जिसके गोल-गप्पे जैसे कश्मीरी आपल जैसे लाल-लाल गाल… देखते ही जी करे खा जाउ..
गोल चेहरा, बड़ी बड़ी कटीली काली आँखें, नज़र डालते ही सामने वाला घायल हो जाए…
वो साड़ी पहने हुए थी.. कस्के लपेटी हुई सारी के पल्लू में से उसके कठोर मस्त कबूतर अपने होने का आभाष दे रहे थे…
छ्हरहरे बदन की उस नवयौवना की पतली सी कमर के नीचे.. थोड़ा उभरे हुए उसके कूल्हे…
उसने अपनी साड़ी थोड़ी नाभि के नीचे बाँध रखी थी.. जो उसकी पतली सी सारी में से अपनी सुंदरता का बखान खुद ब खुद कर रही थी…
मेने उसे पहले कभी नही देखा था… तो उसे एकटक देखता ही रह गया… वो भी मुझे घूर-घूर कर देखे जा रही थी…
नज़रें चार होते ही, हम दोनो ही जैसे एकदुसरे में खो गये…
कुछ देर तक हम दोनो ही एक दूसरे को देखते रहे… फिर जब पीछे से पंडितानी की आवाज़ सुनाई दी, तो चोंक पड़े…, उसने फ़ौरन अपनी नज़रें झुका ली..
पंडितानी – कॉन है बहू…?
मेने अपना परिचय दिया और पंडित जी के बारे में पूछा.. तो उसने बताया कि वो तो पड़ोस के गाँव गये हैं.. शाम तक ही लौटेंगे…
मेने अपने आने का कारण बताया और शाम को आने का बोल कर वापस अपने घर लौट आया…
शाम को पंडितजी खुद आकर बाबूजी को गौने की तिथि बता गये….
दूसरे दिन मे समय पर अपने कॉलेज पहुँचा…मेने बुलेट स्टॅंड की.. और अपनी क्लास की ओर चल दिया…
अभी मे ग्राउंड क्रॉस कर के लॉबी में एंटर हुआ ही था कि रागिनी अपने सीने पर किताबें चिपकाए मेरे सामने आकर खड़ी हो गयी…
मेने उसके साइड से निकल कर आगे बढ़ने की कोशिश की तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया…
मेने पलट कर उसकी तरफ देखा… तो वो मेरा हाथ थामे अपनी नज़रें झुकाए खड़ी थी…
मे एकटक उसकी ओर ही देख रहा था, और मन ही मन सोच रहा था, कि ये भेन्चोद अब और क्या नया बखेड़ा खड़ा करना चाहती है…
जैसे-तैसे कर के मेने अपने गुस्से को कल काबू में किया था… अब अगर इसने कोई ग़लत हरकत करने की कोशिश की, तो मे साली की माँ चोद दूँगा…
मे अभी ये सब सोच ही रहा था, कि उसने मेरा हाथ छोड़ दिया और अपने दोनो हाथ जोड़ कर बोली – मुझे माफ़ करदो अंकुश, अपने कल के व्यवहार के लिए मे बहुत शर्मिंदा हूँ..
मे तो मुँह फाडे उसको देखता ही रह गया… अचानक ये चमत्कार कैसे हो गया.. यार, ये शेरनी… भीगी बिल्ली कैसे बन गयी… ज़रूर इसकी ये कोई चाल होगी…
मे – देखो..! मे कल की बात को कल ही भूल चुका हूँ… अब मुझे तुमसे कोई शिकायत नही है… प्लीज़ मेरा रास्ता छोड़ो.. मुझे लेक्चर अटेंड करने के लिए लेट हो रहा है..
वो – तो सिर्फ़ एक बार कह दो कि तुमने मुझे माफ़ कर दिया..
मे – अरे यार ! जब मे कह रहा हूँ.. कि मे कल की बात को भूल चुका हूँ.. तो अब इसमें माफ़ करने की बात कहाँ से आ गयी…
वो – इसका मतलव तुम मुझसे नाराज़ नही हो…?
मे – नही ! मे तुमसे नाराज़ नही हूँ… अब मे जाउ…?
वो – तो अब हम फ्रेंड्स हैं..? और ये कह कर उसने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया…
मेने भी कुछ सोच कर अपना हाथ आगे कर दिया… तो उसने मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर चूम लिया और थॅंक्स बोलकर वहाँ से भाग गयी…
मे उसकी थिरकति गान्ड को देखते हुए वहीं खड़ा रहा और उसकी इस हरकत का मतलव निकालने की कोशिश करता रहा.. फिर अपना सर झटक कर अपनी क्लास में चला गया…!
लास्ट लेक्चर अटेंड कर के मेने स्टॅंड से अपनी बाइक ली और किक मारकर कॉलेज से चल दिया…
अभी मे कॉलेज के गेट से बाहर निकल ही रहा था, कि देखा ! गेट के ठीक सामने एक खुली जीप खड़ी थी, 5 लड़के जो शक्ल से ही आवारा किस्म के लग रहे थे.. जीप के नीचे खड़े थे…
उनमें से एक लड़का, जो 5’4” हाइट होती, गोरा रंग चौड़ा शरीर, किसी फुटबॉल जैसा, चेहरा घनी दाढ़ी से भरा हुआ… बड़ी-2 लाल – लाल आँखें, देखते ही उसने मुझे हाथ देकर रुकने का इशारा किया…
मेने बाइक रोक दी लेकिन एंजिन अभी भी चालू ही था.. मेरे दोनो पैर ज़मीन पर टीके हुए अभी भी में बाइक की सीट पर ही बैठा था..
वो फुटबॉल जैसा फिर बोला – ओये… ये डग-डग बंद कर…मेने बाइक का एंजिन बंद कर दिया और गाड़ी को साइड स्टॅंड पर लगा कर खड़ा हो गया…
वो मेरे पास आया, अब मेरी हाइट 6’2” , और वो मेरे सामने टिंगा सा तो मुझसे बात करने के लिए उसे अपना थोबड़ा उठाना पड़ा,
वो ऊँट की तरह अपनी गर्दन उठा कर बोला - तेरा ही नाम अंकुश है..?
मे – हां ! क्यों ? क्या काम है..? बोलिए.. मेने शालीनता बनाए हुए कहा..
वो – तू जानता है मे कॉन हूँ…? भानु प्रताप सिंग नाम है मेरा… ठाकुर सूर्य प्रताप का बेटा…
मे – जी बड़ी खुशी हुई आपसे मिलकर.. बोलिए मे क्या सेवा कर सकता हूँ आपकी..?
वो – सेवा तो हम तेरी करने आए हैं… साले.. बहुत चर्बी चढ़ गयी है.. तुझे.. ये कहते हुए उसने अपना हाथ ऊपर कर के मेरा गिरेवान पकड़ लिया…
मे – देखिए भाई साब ! शायद आपको कोई ग़लत फहमी हुई है… मे तो यहाँ सिर्फ़ पढ़ाई करने आता हूँ.. मेने ऐसा कुछ नही किया जो आपकी शान के खिलाफ हो…
वो – अच्छा ! अब हमें बताना पड़ेगा कि तूने क्या किया है..? साले तेरी खाल खींच कर भूस ना भर दिया तो मेरा नाम भानु प्रताप नही…
अभी वो और कुछ कहता या करता… रागिनी भागते हुए वहाँ आई, उसने अपने भाई का हाथ मेरे गिरेवान से झटक दिया.. और बोली…
रागिनी – ये आप क्या कर रहे हैं भैया…?
वो – इस हरम्जादे ने तेरे साथ बदतमीज़ी की है… और तू इसे ही बचा रही है…
रागिनी – आपको कोई ग़लत फहमी हुई है, इसने मेरे साथ कोई बदतमीज़ी नही की, ग़लती मेरी ही थी… और आपसे किसने कहा कि इसने मेरे साथ कोई बदतमीज़ी की है..?
आप जाइए यहाँ से प्लीज़… मे बाद में आपको सब बताती हूँ.. फिर मेरी ओर पलट कर बोली – सॉरी अंकुश.. मे अपने भाई की तरफ से तुमसे माफी मांगती हूँ..
उसका भाई अपने दोस्तों के साथ वहाँ से चला गया… मेने रागिनी की बात का कोई जबाब नही दिया और बिना कुछ कहे अपने घर चला आया…!
उधर रागिनी का बदला हुआ रबैईया देख कर उसकी फ्रेंड्स आश्चर्य चकित थी, वो आपस में ख़ुसर-पुसर करने लगी…
टीना – अरे यार ! आज सूरज पश्चिम से कैसे निकल आया..
मीना – हां यार ! कल तो ये शेरनी की तरह दहाड़ रही थी… और आज खुड़ने ही उसे अपने भाई से बचा लिया… आख़िर कुछ तो बात हुई है.. चलो पुछ्ते हैं..
वो चारों रागिनी के पास पहुँची… जो मेरे बिना कुछ बोले वहाँ से चले आने की वजह से अपने भाई पर गुस्से से भुन्भुना रही थी…
रखी – हाई रागिनी ! आज तो तू कुछ बदली-2 सी लग रही है…
रागिनी – यू शट-अप…! पहले ये बताओ.. तुम लोगों ने मेरे भाई से क्या कहा..?
रीना – अरे ! तू हमारे ऊपर क्यों भड़क रही है यार ! हमने ऐसा-वैसा कुछ नही कहा…
मीना – तुझे तो पता ही है.. कि हमने तुझे भी कल समझाया था… फिर हम तेरे भाई को क्यों ऐसा-वैसा कुछ कहेंगे..
वो तो पुच्छ रहा था.. कि रागिनी के साथ कल कॉलेज में क्या हुआ… तो हमने उसे सारी बात बता दी…
अब तुम दोनो भाई-बेहन अपने आगे किसी को कुछ समझते हो नही…
टीना – मे फिर कहती हूँ रागिनी… इससे पहले कि अंकुश का पेशियेन्स जबाब दे जाए… तुम दोनो भाई-बेहन सही रास्ते पर आ जाओ… वरना तुम्हारी पूरी फॅमिली के लिए मुशिबत हो सकती है.. आगे तुम्हारी मर्ज़ी…
राखी – वैसे आज तेरा बर्ताव देख कर अच्छा लगा… क्या तेरी कोई बात हुई थी उससे..
रागिनी ने उसकी बात का कोई जबाब नही दिया और वो वहाँ से चली गयी…
इधर जब मे घर पहुँचा.. तो आते ही भाभी ने लपक लिया, और बोली – अच्छा हुआ लल्ला तुम आ गये.. मे अभी सोच ही रही थी कि कैसे और किसके साथ जाउ…
मे – कहाँ जाना है आपको…?
भाभी – अरे ! वो पंडितजी की बहू को कल शाम से ही ना जाने क्या हो गया है..?
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