RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
कल शाम को वो अंधेरे में शौच के लिए गयी थी… वापस आकर बड़ी अजीब-अजीब सी हरकतें कर रही है…
चाची बता रही थी.. कि उसके ऊपर कोई भूत – प्रेत का चक्कर हो गया है…, अब जल्दी से फ्रेश हो जाओ, और मुझे वहाँ ले चलो… देखें तो सही, हुआ क्या है उसे ?..
मे सोच में पड़ गया,…कि यार ! कल जब में उनके यहाँ गया था.. तब तो वो एकदम भली चन्गि थी, तो अब अचानक से ही क्या हुआ…?
खैर चलो देखते हैं, ये भूत ब्याधा होती क्या है…? ये सोचते -2 मे फ्रेश होने चला गया…
ज्ब हम पंडित जी के घर पहुँचे.., उनके चॉक (आँगन) में लोगों का जमावड़ा लगा हुआ था, औरतें और मर्द बैठे आपस में बतिया रहे थे…
कोई कुछ कह रहा था, तो कोई कुछ बता रहा था…
जितने मुँह उतनी बातें.. सब अपनी अपनी राई देने में लगे थे.., आप बीती या सुनी सुनाई दास्तान एक दूसरे के साथ शेर कर रहे थे…
हां ! सब्जेक्ट एक ही था…भूत प्रेत के चक्कर…
चूँकि हमारा परिवार गाँव के प्रतिष्ठित लोगों में शुमार होता है, .. और अब तो एमएलए के घर से संबंध जुड़ने से और ज़्यादा मान सम्मान मिलने लगा था…
हमें देखते ही पंडितानी ने भाभी का स्वागत सत्कार किया…,
जब भाभी ने उनकी बहू के बारे में पूछा तो वो हमें उस कमरे में ले गयी.. जहाँ वो लेटी हुई थी..
गेट खुलने की आवाज़ सुनते ही उसने अपनी बड़ी – 2 आँखें और ज़्यादा चौड़ी कर के खोल दी, जिसमे आग बरस रही थी…, उसके इस रूप को देखकर एक बार तो मुझे भी डर लगने लगा…
सामने अपनी सास के साथ भाभी और मुझे देखते ही वो झट से उठ कर बैठ गयी… और भारी सी आवाज़ निकालकर गुर्राते हुए बोली…
तू फिर आ गयी… साली हरम्जादि… कुतिया… मे तुझे जान से मार दूँगा… वो अपनी लाल-लाल आँखें दिखाकर, और हाथों के पंजों को फैलाकर अपनी सास के ऊपर झपटी…, मानो वो उसका गला ही दबा देना चाहती हो…
भाभी चीखते हुए बोली – लल्ला जी जल्दी से पकडो इसे.. !
मेने झपटकर आगे से उसके कंधे मजबूती से पकड़ लिए…और उसे फिरसे बिस्तेर पर बिठा दिया,
वो झटके मार-मारकर मेरी पकड़ से छूटने की कोशिश कर रही थी…
और हुंकार मारते हुए ना जाने क्या 2 अनप-शनाप बकने लगी… उसकी गर्दन लगातार झटके मार रही थी… इस वजह से उसका आँचल नीचे गिर गया…
सरके बाल चारों ओर बिखर गये, और अब वो किसी हॉरर मूवी की हेरोइन प्रतीत होने लगी थी…
वो आगे को झुक कर अपने सर को आगे पीछे कर के गोल – 2 घूमने लगी…मुँह से गुर्राहट बदस्तूर जारी थी.
उसकी गोल-गोल सुडौल, दूध जैसी गोरी-गोरी चुचियाँ आधी – आधी तक मेरी आँखों के सामने नुमाया हो गयी….
कुछ देर तो मे भी उसकी मस्त कसी हुई जवानी में खो गया… जिससे मेरी पकड़ कुछ ढीली पड़ने लगी…
लेकिन फिर जल्दी ही मेने अपने सर को झटक कर उसे कंट्रोल किया और उसकी आँखों में झाँकते हुए बोला –
क्यों कर रही हो ऐसा, क्या मिलेगा तुम्हें अपने घरवालों को इस तरह परेशान कर के… ?
मेरी बात सुनकर, एक पल के लिए उसके हाव- भाव बदले……
मानो, वो मुझसे कुछ कहना चाहती हो… लेकिन दूसरे ही पल वो फिरसे वही सब करने लगी…और घूर-2 कर अपनी सास को खा जाने वाली नज़रों से देखने लगी..
भाभी ने पंडितानी को कमरे से बाहर जाने का इशारा किया…, उनके बाहर जाने के बाद हम तीन लोग ही रह गये उस कमरे में,
भाभी ने अंदर से कमरे का गेट बंद कर दिया… और उसके पास जाकेर बैठ गयी…
उन्होने प्यार से उसके कंधे पर हाथ रख कर सहलाया… और बोली – देखो वर्षा….. ये जो तुम कर रही हो, उससे तुम्हारे घर की कितनी बदनामी हो रही है, पता है तुम्हें…?
लोगों का क्या है, उन्हें तो ऐसे तमाशे देखकर और मज़ा आता है, परेशानी तो तुम्हारे अपनों को ही हो रही है ना…
मे जानती हूँ कि तुम्हारे ऊपर कोई भूत-प्रेत का चक्कर नही है…फिर क्यों लोगों का तमाशा बन रही हो…?
भाभी की बात सुन कर वो एक बार के लिए चोंक पड़ी…, और झटके से उसने अपना सर ऊपर किया…
भाभी ने आगे कहा.. चोंको मत…, और बताओ मुझे असल बात क्या है… क्यों कर रही हो ये सब..?
कुछ देर वो यौंही बैठी भाभी को घूरती रही…, मानो उसके मन में कोई अंतर्द्वंद चल रहा हो…, फिर उनके कंधे से लग कर वो फुट – फुट कर रोने लगी, और सुबक्ते हुए बोली …
आप ठीक समझ रही हैं दीदी… लेकिन मे क्या करूँ.. आप खुद ही समझ लीजिए मेरी इस हालत का ज़िम्मेदार कॉन है..?
भाभी उसकी पीठ सहलाते हुए हंस कर बोली – तुझे कल मेरे इस देवर का भूत घुस गया था, है ना..!
उन्होने मेरी तरफ इशारा कर के कहा.., तो उनकी बातें सुनकर उसने अपनी नज़रें झुकाली..
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