RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
रामा दीदी और विजेता दोनो पक्की वाली सहेलियाँ हो चुकी थी, दोनो एक ही साथ रहती, साथ-2 खाती, और साथ ही सोती…विजेता यहाँ आकर सबके साथ घुल-मिल गयी थी…
भाभी का नेचर तो था ही सबको प्यार करना, सो वो इतनी घुल मिल गयी हमारे घर में की एक दिन भी उसे अपने घर की याद नही आई…
रामा दीदी तो मेरे साथ हर तरह से खुली हुई थी, वो कभी भी मुझे छेड़ देती, मुझे तंग करती रहती, कहीं भी गुद गुदि कर देती,
मेरे भी हाथ उसके नाज़ुक अंगों तक पहुँच जाते…, उन्हें मसल देता, जिसे देख कर विजेता शॉक्ड रह जाती..
शुरू शुरू में तो उसे ये सब बड़ा अजीब सा लगा, कि सगे भाई बेहन ऐसा एक दूसरे के साथ कैसे कर सकते हैं…
इसके लिए उसने दीदी को बोला भी…तो उन्होने कहा – अरे यार इसमें क्या है, अब भाई बेहन हैं तो इसका मतलव ये तो नही की हम खुश भी ना हो सकें… कुछ ग़लत नही है, बस तू भी एंजाय किया कर..
मेरा भाई तो बहुत बड़े दिलवाला है, उसमें सबके लिए प्यार समाया हुआ है…
दीदी की बात से वो भी धीरे-2 मेरे साथ हसी मज़ाक, छेड़-छाड़ करने में उसके साथ शामिल होने लगी…
धीरे –2 उसकी भावनाएँ खुलने लगी…रही सही कसर रामा दीदी पूरी कर देती उसके नाज़ुक अंगों के साथ छेड़-छाड़ कर के….!
इसी दौरान एक दिन आँगन में हम तीनों बैठे थे, कि अचानक रामा दीदी मुझे गुदगुदी कर के भाग गयी…
मेने उसका पिछा किया और थोड़ी सी कोशिश के बाद मेने उसे पीछे से पकड़ लिया..
मेरे हाथ उसकी चुचियों पर जमे हुए थे, वो अपनी गान्ड को मेरे लंड के आगे सेट कर के अपने पैर ऊपर उठाकर एक तरह से मेरी गोद में ही बैठी थी..
मेने उसके कान को अपने दाँतों में दबा लिया…वो खिल-खिलाकर हँसते हुए मुझे छोड़ने के लिए बोलने लगी…
हमारे बीच के इस खेल को चारपाई पर बैठी विजेता देख रही थी, वो अपने मन में कल्पना करने लगी, कि रामा की जगह वो खुद है, और मे उसकी चुचियों को मसल रहा हूँ…
मेरा लंड उसकी गान्ड से सटा हुआ है… ये सोचते – 2 वो गरम होने लगी.. और अनायास ही उसका हाथ अपनी चुचि पर चला गया, वो उसे दबाने लगी, और उसके मुँह से सिसकी निकल गयी…
उसकी आँखें भारी होने लगी… उसे ये भी पता नही चला कि कब हम दोनो उसके पास आकर बैठ गये…
उसका एक हाथ अभी भी उसकी चुचि पर ही था, जिसे वो अपनी आँखें बंद किए धीरे-2 दबा रही थी…
मेरी और रामा दीदी की नज़रें आपस में टकराई, तो वो उसकी तरफ इशारा कर के मुस्कराने लगी…
फिर उसने विजेता के कंधे पर हाथ रख कर उसे हिलाया, वो मानो नींद से जागी हो, अपनी स्थिति का आभास होते ही वो शर्मा गयी, और अपनी नज़रें नीची कर ली.
रामा दीदी को ना जाने कहाँ से राजशर्मा कीसेक्सी कहानियों की एक किताब मिल गयी, शायद रेखा या आशा दीदी के पास रही होगी, क्योंकि वो तो बेचारी अकेले कभी बाज़ार गयी नही थी..
तो एक रात वो दोनो अपने कमरे में साथ बैठ कर उस किताब को पढ़ रही थी…
पढ़ते – 2 उन दोनो पर वासना अपना असर छोड़ने लगी, और वो किताब को पढ़ते – 2 एक दूसरे के साथ समलेंगिक (लेज़्बीयन) सेक्स करने लगी.
वो स्टोरी भी शायद ऐसी ही कुछ होगी, जिसे वो पढ़ते – 2 एक्शिटेड होने लगी और उसमें लिखी हुई बातों का अनुसरण करने लगी…
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