RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
मुझे मंजरी ने चारपाई पर लिटा रखा था, उसने मेरा पॅंट और अंडरवेर दोनो एक साथ खींच कर मेरे कड़क डन्डे जैसे सख़्त गरम लंड को अपने हाथों में लेकर उपर नीचे करने लगी..!
सुपाडे को खोलकर उसने उसे अपनी नाक रखकर सूँघा.., उसे उसकी गंध कस्तूरी जैसी लगी जिसे सूँघकर वो और मस्त हो गयी.., और फिर
उसने उसे अपनी जीभ से चारों तरफ से चाट लिया…!
मेरे आंडो को अपनी मुट्ठी में लेकर उसने मेरे लंड को जड़ से लेकर सिरे तक चाटा और देखते ही देखते उसे आधे तक अपने मूह में गडप्प कर लिया..!
लंड की मोटाई की बजह से आधे में ही उसका पूरा मूह भर गया.., मेने अपना एक हाथ उसके सिर पर रख दिया और उसके सिर को अपने लंड पर दबाने लगा…!
मंजरी अपने सारे कपड़े पहले ही निकाल चुकी थी.., उसके मूह में जाकर मेरा लंड और ज़्यादा फूल गया था.., कुच्छ देर बाद मेने उसकी
गान्ड को घूमाकर अपने मूह पर रख लिया और अब में उसकी हल्की हल्की झान्ट वाली मुनिया को अपनी जीभ लगाकर चाट रहा था…!
ये सीन मेरी चारपाई पर देखकर सविता देवी की साँसें जैसे ठहर ही गयी.., वो बहुत देर तक मूह पर हाथ रखे हमारी इस काम लीला को एक टक देखती रही…!
उनसे वो सीन ज़्यादा देर देखा नही गया.., तो उन्होने भी अपनी एक मात्र साड़ी को उतार फेंका और नितन्ग नंगी वो वहीं झोंपड़ी के दरवाजे में ही अपने घुटनों पर आकर अपनी चूत को सहलाने लगी…!
इतने गरमा गरम सीन से उनकी सोई हुई वासना भड़क उठी.., हाथ लगाते ही उनकी मुनिया पनियाने लगी.., अपनी चुटकी में लेकर उन्होने अपने मोटे से भज्नासे को मसल दिया….!
सस्स्स्सिईइ….आअहह… मेरी भी चूत चाटो रे कोई…, कहते हुए उन्होने अपनी दो उंगलियाँ अपनी चूत में डाल दी.., उनका सिर आगे को होकर ज़मीन पर टिक गया..,
एक हाथ से अपनी चुचि को उमेठते हुए उन्होने अपनी दोनो उंगलियाँ जड़ तक चूत की गहराइयों में घुसा दी…!
मेरे द्वारा मंजरी की चूत चाटने को देखकर उन्हें आभास होने लगा कि मेरी जीभ उनकी मोटी गद्देदार गान्ड के भूरे छेद को चाट रही है..,
उनकी गान्ड अपने आप हिलने लगी…,
तभी उन्हें अपनी चूत पर खुद की उंगलियों के अलावा भी कुच्छ और लिज लीज़ा सा महसूस हुआ.., उन्होने पलट कर पीछे की तरफ देखा..,
सचमुच ललित उनके पीछे उनकी गान्ड में अपना मूह घुसाए उनकी गान्ड और फिर चूत को चाटने में मगन था…!
उसे देखकर वो उठना चाहती थी.., लेकिन हवस का नशा इस कदर हाबी हो चुका था कि एक 45 साल की औरत को अपने से 1/3 उम्र का लड़का भी अब सजीला जवान नज़र आने लगा और अब वो अपनी दोनो चुचियों को मसल्ते हुए अपनी गान्ड मटका मटका कर उससे अपनी
चूत चटवाने में खोने लगी…!
थोड़ी ही देर में उधर मंजरी की चूत मेरे मूह पर पानी छोड़ बैठी तो इधर झोंपड़ी में उसकी सास ने ललित के मूह को अपनी चूत के रस से भर दिया…!
झड़ने के बाद उनको बड़ी शर्म महसूस हुई, कैसे उन्होने एक कम उम्र लड़के से अपनी चूत चटवा ली.., वो अपनी नज़रें झुकाए साड़ी को
उठाकर अपने बिस्तर पर आगयि और ललित की तरफ पीठ करके अपनी साड़ी पहनने लगी…!
तभी ललित ने आकर उनका हाथ पकड़ लिया.., उन्होने बड़ी हिम्मत करके उसकी तरफ देखा…, ललित उनके हाथ से साड़ी लेते हुए बोला – अब अधूरा काम पूरा कर ही लो काकी..,
वो उसके हाथ से अपनी साड़ी लेने की कोशिश करते हुए बोली – मुझे और ज़्यादा शर्मिंदा मत कर बेटा.., कहाँ तू और कहाँ मे.., ये कहकर वो अपना मूह दूसरी तरफ करके खड़ी हो गयी…!
बाहर अपनी बहू को उस शहरी बाबू के साथ देखकर मे वासना में बह गयी थी वरना ये काम कभी नही करवाती…!
ललित जो की इस समय संजू के प्रभाव में था बोला – तो इसका मतल्ब आपको अपनी बहू को किसी पराए मर्द के साथ देखकर बुरा नही लगा..?
ये प्रश्न ऐसा था जिसे सुनकर सविता देवी हड़बड़ा गयी.., लेकिन फिर सोचकर बोली – सच कहूँ तो इस समय बिल्कुल नही.., क्योंकि औरत के बदन की आग जबतक शांत नही होती वो भला बुरा कुच्छ नही सोच पाती…!
मे समझती हूँ मेरा बेटा कहीं ना कहीं उसे वो खुशी नही दे पाता होगा जो इस समय वो उस बाबू से ले रही है…!
संजू – तो क्या आपको हक़ नही है अपने हिस्से की खुशी लेने का…?
इस प्रश्न का वो कोई जबाब नही दे पाई.., उन्हें चुप देखकर संजू उनकी पीठ से चिपक गया.., ललित का 6” का लंड कड़क होकर उनकी
गान्ड की दरार में फिट हो गया था..,
अपनी गान्ड के छेद पर एक नये लड़के के नये कड़क लंड की ठोकर लगते ही वो फिरसे गन गना उठी.., एक सिसकी भरते हुए बोली –
सस्स्सिईई … आअहह.. मान जा बेटा.. मत कर ये सब….हाईए.. रे मान जा.. निपुते….!
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