RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
वाह साले जंगल में मंगल कर रहे हैं.., लेकिन ये हैं कॉन..? जाहिर सी बात है इस एकांत सी जगह पर ये मियाँ बीवी तो होंगे नही जो अपना
घर छोड़ कर यहाँ मस्ती करने आए हों…?
दूसरा ये इतना अच्छा कॉटेज भी लगता है पब्लिक यूज़ के लिए नही होगी वरना इसे पीछे गुप्त तरीक़े से रखने की बजाए इसका
अड्वर्टाइज़्मेंट हाइवे ही नही शरों में भी होना चाहिए था…!
ये सोचते सोचते मेरी उत्सुकता उन दोनो में जागने लगी.., जहाँ मर्द के दूसरे हाथ में एक बॉटल थी.., वहीं औरत उसके साइड से उसकी कमर में हाथ डालकर उसके साथ सटे हुए चल रही थी…!
लॉन में कहीं कहीं बस लॅंप पोस्ट जैसे जल रहे थे जिनके पीले से प्रकाश से वहाँ इतनी रोशनी नही फैल पा रही थी कि वो यहाँ से कोई 70-80 मीटर की दूरी पर साफ साफ दिखाई पड़ जाए…!
उस कपल में मेरी उत्सुकता इतनी बढ़ गयी कि अब मे उन्हें पास जाकर देखना चाहता था.., क्योंकि कहीं ना कहीं ऐसे लोग समाज की नज़रों
से बचकर ऐसी जगहों को अपनी ऐयाशियो का अड्डा बनाते हैं..,
और इस तरह के ऐयाश लोग होते भी दोहरे चरित्र वाले ही हैं.., वो कहावत है ना “हाथी के दाँत दिखाने के और, खाने के और”.., समाज में अपने इमेज बनाकर भी रखते हैं और पर्दे के पीछे सभी ग़लत तरीक़े के गैर क़ानूनी कारोबार भी चलाते हैं….!
उसपर भी तुर्रा ये कि मे ठहरा थोड़ा टेढ़े किस्म का जासूस टाइप नेचर का आदमी तो लाज़िमी था ऐसे लोगों पर शक़ करना मेरे लिए आम बात है…!
अब सवाल ये था कि इन तक पहुँचा कैसे जाए.., इस लॉज से डाइरेक्ट कोई दवाजा पीछे की तरफ जाते हुए लगता नही.., और मान लो हो भी तो कोई उधर ऐसे ही जाने भी नही देगा…!
तो फिर क्या किया जाए….और कैसे उन तक पहुँचा जाए…?
मेने खिड़की से अपना सिर बाहर निकाल कर झाँका.., कि तभी मेरी नज़र पीछे की दीवार पर लगे गटर पाइप पर पड़ी.., विंडो का स्लाइडिंग ग्लास का आधा भाग भी इतना चौड़ा तो था की उससे मे आराम से उधर निकल सकता हूँ…!
उसे देखते ही मेरे होठ स्वतः ही गोल हो गये और एक सीटी जैसी आवाज़ मेरी साँस के साथ मेरे मूह से निकल पड़ी…!
मेने इस समय अपना नाइट सूट पहना हुआ था.., एक नज़र अपने उपर डालकर मेने रूम की लाइट ऑफ की.., चुपके से विंडो के ग्लास को पूरा स्लाइड किया..,
पीछे की तरफ विंडो के नीचे झाँक कर देखा तो पाया कि कमरे के फ्लोर के लेवल पर करीब दो इंच बाहर निकली हुई किनारी सी है.., मेरा काम बन गया…!
मे चुपके से विंडो पार करके अपने पैर उस किनारी पर टिकाए.., बिना लॉक किए ग्लास पुर्वत किया.., परदा खिसकाया और एक मिनिट में ही किसी बंदर की तरह पाइप के ज़रिए उस लॉन की मखमली घास पर खड़ा था…!
लॉन काफ़ी लंबा लंबा चला गया था.., बीच बीच में काई तरह के उँचे पेड़ भी थे.., मे उन पेड़ों और क्यारियों की आड़ लेता हुआ पूल तक जा पहुँचा..,
अब वो दोनो मुझसे बमुश्किल कुच्छ कदमों के फ़ासले पर ही थे जो इस समय पूल के किनारे पड़ी लोंग चेर पर एक दूसरे में गूँथे हुए शराब
की चुस्कियों के साथ साथ जवानी का स्वाद भी लेते जा रहे थे…!
मेने अपने लिए दो मयूर पंखियों की झाड़ियों के बीच की जगह चुनी जहाँ से मे उन्हें बड़े आराम से बिना उनकी नज़र में आए देख सकता था…!
वो दोनो ही मेरी तरफ पैर करके लेटे हुए थे.., कुच्छ देर बाद वो दोनो वहाँ से उठकर पूल के किनारे आगये.., उनकी चाल बता रही थी कि
इस समय दोनो ही काफ़ी नशे में हैं…!
मर्द के हाथ में अभी भी एक शराब से भरा हुआ ग्लास था.., जबकि औरत उसे संभाले हुए पूल तक लाई.., थी वो भी नशे में लेकिन मर्द की तुलना में कम…!
मर्द के गोरे लाल चेहरे पर काली घनी दाढ़ी, सलीके से सेट की हुई.., लंबी लच्चेदार मुन्छे.., पहली नज़र में ही वो किसी रईस राजपूत जैसा लग रहा था..,
औरत शक्ल से तो सुंदर ही दिख रही थी.., गोल चेहरा गोरा चाँद सा मुखड़ा, कजरारी आँखें, लंबी सुराई दार गर्दन.., लंबे घने काले बाल,
वाकी का घुटने तक का उसका बदन एक गाउन में क़ैद था…!
पूल के किनारे आकर उस औरत ने उस मर्द के गाउन की डोरी खींच दी.., सररर.. से उसका गाउन ज़मीन पर जा गिरा.., अब उस मर्द का संपूर्ण नंगा बदन मेरी आँखों के सामने था..,
उसकी बनावट और शरीर की अवस्था देख कर कोई भी ये अनुमान लगा सकता था कि मर्द की उम्र 50-52 के आस पास की तो होगी.., छाती और पेट पर काले सफेद मिक्स घने बाल, पेट ज्यदा तो नही लेकिन हल्का सा बाहर ज़रूर लटका हुआ था…!
कुच्छ देर उस औरत ने मर्द के अधखड़े लंड को अपने हाथ से सहलाया.., लेकिन फिर भी उसपर कोई खास असर नही हुआ तो उसने अपने गाउन की डोरी भी खींच दी..,
सर्र्र्र्र्र्ररर… से उसका गाउन भी उसके कदम चूमने लगा.., लेकिन गाउन के अंदर से जो हुश्न मेरी आँखों के सामने उजागर हुआ उसे देखकर एक पल को मेरी साँसें थम सी गयी और मेरा लॉडा अपने आप खड़ा हो गया….!!!!
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