RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
उसने मुझे रास्ता दिखाते हुए एक शानदार बेडरूम में ला खड़ा किया जिसके बीचो-बीच एक बड़ा सा बेड पड़ा हुआ था.., मेने उसे लाकर बेड पर पटक दिया..,
एक दो जंप के साथ कमरे की दूधिया रोशनी में उसका शानदार नंगा बदन मेरे साने पलंग पर ठहर गया.., उसकी कंचन जैसी काया देख कर मुझसे सबर नही हुआ और मेने भी उसके उपर जंप लगा दी…!
उसके शानदार उरोजो को मसल्ते हुए मेने पुछा – ये शेर सिंग है कॉन..? यहाँ का ज़मींदार है..?
रेशमा सिहरते हुए बोली – सस्सिईइ… आअहह… प्लीज़ ये सवाल जबाब मत करो.., जो करना चाहते हो वो करो अब…!
मे जान तो चुका था ये वही शेर सिंग है जिसकी मुझे तलाश है.., मुझे बाइ चान्स रेशमा जैसी प्यासी औरत भी मिल गयी जो शायद इस बूढ़े शेर की जन्मपत्री भी जानती होगी..,
लेकिन शायद साली को अभी और गरम करना पड़ेगा जिससे ये मेरा लंड लेने की चाह में अपने आप तोते की तरह बोलने पर मजबूर हो जाए…!
मे – क्या मतलब जो करने आया हूँ वो करूँ.., इसका मतलब तुम अब भी ये समझ रही हो कि मे तुम्हारी चूत चोदने का भूखा हूँ…?
मे तो तुम्हें प्यासी देखकर तुम्हारी कुच्छ मदद करना चाहता था, अब तुम नही चाहती हो तो कोई बात नही.., इतना कहकर मे फिरसे जाने का नाटक करते हुए पलंग के नीचे को खिसकने लगा…!
वो फ़ौरन उठकर बैठ गयी.., मेरा हाथ पकड़े हुए उसने झटके से मुझे बिस्तर पर गिरा दिया और खुद मेरे उपर सवार होते हुए बोली – यार तुम बात बात पर जाने की धमकी क्यों देने लगते हो…?
मे अच्छी तरह से जानती हूँ, तुम मुझे चोदना चाहते हो.., और तुम भी ये अच्छी तरह से समझ रहे हो मे अब तुम्हें बिना मुझे चोदे जाने नही दूँगी…!
ये कहते हुए उसने मेरे पाजामे को खींचकर टाँगों से बाहर कर दिया और मेरे कड़ियल नाग को अपने दोनो हाथों में लेकर सहलाने लगी…!
उसके लंड सहलाने की कला से मेरा लॉडा और ज़्यादा कड़क होने लगा.., वो उसे उपर से नीचे तक सहलाते हुए अपने अंगूठे से मेरे नगन
सुपाडे को भी छेड़ देती…,
मेने जानबूझकर उत्तेजित होने का नाटक करते हुए कहा – सस्सिईई…. आअहह… रेशमा मेरी जान.., क्या जादू है तुम्हारे हाथों में…, ज़रा इसे अपने मूह में लेकर प्यार तो करो रानी..चूसो इसे… !
जबाब में वो नीचे से अपने जिस्म को मेरे कड़क लंड पर रगड़ते हुए मेरी टीशर्ट में हाथ फँसाकर उसे उपर करती हुई किसी इक्षाधारी नागिन की तरह उपर को सरकने लगी…!
पहले उसने मेरी टीशर्ट को मुझसे जुदा किया और फिर अपनी कड़क चुचियों को मेरी बालों से भारी चौड़ी छाती से मसाज देती हुई मेरे होठों को चूमने लगी…!
आअहह…तुम वाकाई में एक शानदार मर्द हो गौरव जो किसी भी औरत को अपने वश में करके उससे अपना मन चाहा काम करवा सकते हो..,
ये कहते हुए उसने अपनी गीली छूट को मेरे लंड के उपर दबा दिया और अपनी गान्ड हिलाने लगी…, मेरा लॉडा उसकी गीली चूत की मोटी-मोटी फांकों के बीच तैरने लगा….!
मेने पलटकर उसे अपने नीचे किया और खुद उसपर सवार होकर उसकी चुचियों को मसल्ते हुए कहा – क्या खाक वश में कर सकता हूँ.., तुमने तो अभी तक मेरे एक सवाल का भी जबाब नही दिया…!
मेने उसकी चुचियों को कुच्छ ज़्यादा ही ज़ोर्से मसल दिया था.., सो वो मादक कराह भरते हुए बोली – आआहह…सस्सिईइ…ज़ोर्से नही..प्लीज़.., दर्द होता है..
वैसे तुम्हें शेर सिंग से क्या काम है.., हां वो यहाँ का ज़मींदार ही है.., उउउफफफ्फ़.. हाई चूसो इन्हें…, उउउफ़फ्फ़….. आअम्म्मि… मेरे उसकी चुचियों को पूरे मूह में भरकर चूस्ते ही वो अपनी एडियों को बिस्तर से रगड़ते हुए सिसकने लगी…!
फिर मे उसके पेट को चूमते हुए उसकी यौनी के पास आया.., जो अब गीली होकर उसके मोटे मोटे होठों पर उसका कामरस ओश की बूँदों की तरह चमकने लगा था…!
अपने एक हाथ को उसकी चूत पर बड़े प्यार से सहलाते हुए कहा – मेने सुना है.., ये तो बड़ा ख़तरनाक आदमी है.., तुम्हारा इसके साथ कैसा संबंध है..?
चूत सहलाते ही उसने अपनी जांघों को चौड़ा कर दिया.., मज़े के आलम में उसकी आँखें बंद होने लगी.., अपनी अधखुली आँखों से मुझे देखते हुए बोली – हाए आल्लाह.., अब जल्दी कुच्छ करो.. ना.., प्लीज़ बातें बाद में.. कर लेना..,
तभी मेने उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भरकर दबा दिया.., ये एक ऐसी ट्रिक थी जिससे कैसी भी चुड़ैल औरत क्यों ना हो वो लंड लेने की
लिए बाबली हो उठेगी…!
चूत को मुट्ठी में भींचते ही वो उठकर दोहरी हो गयी.., और ज़बरदस्ती उसने मेरा मूह अपनी चूत पर दबा दिया…!
मेने भी इसमें कोई आना कानी नही की और उसकी चिकनी माल्लपुए जैसी छूट को अपने मूह में भरकर सुड़ाक दिया…!
उसकी कमर हवा में लहराने लगी.., सस्स्सिईइ… हाईए…आअलल्ल्लाहह… क्या गजब करते हो.., उउउफ़फ्फ़… आमम्मि…उउउन्नग्घ… चूसो… हान्न्न.. और ज़ोर्से…उउम्मन्न…
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