RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
मुझे लगा कि अब ये किसी भी क्षण अपना पानी फेंकने वाली है.., सो तभी मेने अपना मूह उसकी चूत से हटा लिया…!
अपने आपको आधे रास्ते पाकर वो किसी घायल शेरनी की तरह उठी.., बेचारी बहुत देर से अपने जिस्म की प्यास से जूझ रही थी..,
झपट कर मेरे कंधे पकड़े और मुझे नीचे गिराकर खुद मेरे उपर सवार हो गई…, मे उसकी ताक़त और फुर्ती देखकर दंग रह गया…!
देखते ही देखते रेशमा ने मेरा खूँटे जैसा कड़क लंड अपनी मुट्ठी में लिया और अपनी गीली चूत को उसकी सीध में लाकर उसके उपर बैठती चली गयी…!
हवस में आँधी कुतिया जोश जोश में 3/4 तक मेरा लंड अपनी चूत में ले गयी.., तब जाकर उसे एहसास हुआ कि ऐसे हलब्बी लंड से चुदना इतना आसान काम नही है…!
मेरी छाती पर हाथ टिकाए वो हाँफने लगी.., मेने उसकी चुचियों को मसल्ते हुए पुछा – रुक क्यों गयी मेरी जान.. अभी तो वाकी है…!
हाईए…अल्लाह.. पॉर्न मूवी में देखकर सोचती थी.., काश इतना बड़ा लंड लेने का मौका मिले तो मज़ा आजाए.., पर जब आज लिया है तो
खाला याद आगयि..
सच में बड़ा मस्त लंड है तुम्हारा.., ये कहकर उसने मेरे होठों को चूम लिया.., मे उसकी चुचियों को मसलता रहा.., कुच्छ देर रुक कर वो मेरे लंड पर उपर हुई..,
सुपाडे तक अपनी चूत की फांकों को लाकर उसने अपनी आँखें बंद की और अपना सारा वजन डालकर उसने एक बार में ही पूरा लंड अपनी सुरंग में ले लिया…!
उउफ़फ्फ़… साला मादरचोद कितना लंबा है.., मेरे पेट में ही घुस गया लगता है.. वो अपने पेडू पर हाथ फेरते हुए बोली…!
फिर कुच्छ देर ठहर कर उसने मेरे उपर धीरे धीरे उठना बैठना शुरू किया.., अब उसकी चूत कुच्छ ज़्यादा ही पानी छोड़ने लगी थी.., वैसे भी वो किनारे तक तो पहले ही पहुँच चुकी थी..,
उपर से इतने तगड़े लंड की खुदाई से वो जल्दी ही झड गयी.., और मेरे उपर पसार कर हाँफने लगी.., मेने उसे उठाया नही.., बल्कि उसकी
गान्ड के छेद को उंगली से कुरेदने लगा…!
नीचे से ही मेने उसके मतवाले चुतड़ों पर टेबल की थाप दी.., उसके आँखें खोलते ही मेने उसे अपने बगल में पलट दिया…!
मेरे लंड के बाहर आते ही उसकी चूत का कामरस रिस रिस्कर बाहर आने लगा..,
मेने उसी समय उसकी झड़ी हुई चूत में अपनी दो उंगलियाँ डालकर उसके कामरस को निकालकर उंगलियों को उसके मूह में डाल दिया…!
वो अपना ही रस चुस्कर मस्त हो गयी.., तभी मेने अपना कड़क उसके रस से सना हुआ लंड उसकी चूत के मुहाने पर रखकर दबा दिया…!
सस्सिईइ….हाईए अल्लाह…कितना गरम है ये मुआ…, डाल्लू ईससी…हाए.. अम्मि… कितना मोटाआ.. है.., मेरे दबाते ही वो सिसकने लगी…!
एक चौथाई लंड अंदर करके मे वहीं ठहर गया.., वो मुझे देखने लगी.., मानो पुच्छ रही हो अब क्यों रुके…?
क्या सच में बहुत ख़तरनाक है ये शेर सिंग..? मेने अपना पुराना सवाल फिर से दाग दिया…!
तुम आदमी हो या कोई इक्षाधारी नाग.., मेरे लंड रोक कर स्वाल पुच्छने पर वो बोली – मे एक बार झडा दी.., कब्से ये फंफना रहा है.., फिर
भी तुम्हें इसे खाली करने की जल्दी नही है…?
मे - हूँ तो सामान्य इंसान ही.., लेकिन मेरा लॉडा ज़रूर मेरे वश में है.., बोलो ना.. मुझे ऐसे ही किसी ख़तरनाक गॅंग्स्टर की तलाश है…!
रेशमा – क्यों..? तुम कोई पोलीस वाले तो नही.., जो इतना पीछे पड़े हो ये जानने कि ये वोही शेर सिंग है या कोई और…?
मेने अपना लंड उसकी चूत में पेलते हुए कहा – नही मे कोई पोलीस वाला नही.., मे दरअसल इसी लाइन का आदमी हूँ.., अपने एरिया से
तडिपार हूँ, इधर इसका नाम सुना तो चला आया कि चलो कुच्छ दिन ऐसे ही गॅंग के साथ काम कर लेते हैं…!
रेशमा मेरे पूरे लंड को अपने अंदर लेते ही कराह कर बोली – आअहह… फिर तो तुम एकदम सही जगह पर आए हो.., चिंता मत करो..,
पहले अपनी इस मॅगज़ीन को मेरे अंदर खाली करो.. फिर बात करते हैं…, ओके डार्लिंग…!
इतना कहकर उसने मेरे होठों को चूम लिया.., और मेने भी मुस्करा कर अपनी पिस्टन को उसके सिलिंडर में गति देना शुरू कर दिया…!
मेरी मॅगज़ीन खाली होने तक रेशमा दो बार और झड गयी.., अब हम दोनो एक दूसरे की बाहों में पड़े सुस्ता रहे थे…!
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