RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
उसी आलीशान कमरे के एक साइड में मिनी बार भी था.., कुच्छ देर बाद रेशमा मेरी बगल से निकल कर पॅन्सिल हील सॅंडल अपने खूबसूरत
पैरों में डालकर अपनी मखमली गान्ड को हिलाती हुई उस बार की तरफ चल दी !
उसकी लयबद्ध चाल में चुदाई के बाद के शुकून की मस्ती थी.., धीरे-धीरे कदम बढ़ाने से उसकी गान्ड की थिरकन देखकर मेरा लॉडा फिरसे खड़ा होने लगा…!
जिस कदम को वो ज़मीन पर रखती उस तरफ का उसकी गान्ड का हिस्सा किसी मुरादाबादी कलश के जैसा और ज़्यादा पीछे को उभर कर उपर को उठ जाता..,
दोनो कलशो के बीच की दरार में घर्षण हो रहा था.., दोनो पाट एक से बढ़कर एक प्रतियोगियों की तरह मे बड़ा कि तू…के भाव में थिरक रहे थे..!
तुम कॉन्सा ब्रांड लेना पसंद करोगे डार्लिंग.. वो बार के पास पहुँचकर इठलाते हुए बोली…,
वाह मेरे शेर एक ही बार में इस शेरनी का घमंड तोड़ दिया तूने..,
एक अंजान आदमी को डार्लिंग कहकर बुला रही है ये तो.., मेने अपने लंड को मन ही मन शाबाशी दी.. जो कि अब फिरसे तन्कर कमरे की सीलिंग को ताक रहा था…!
मेने अपने लंड को अपने हाथ में लेकर उसे दिखाते हुए हिलाकर कहा – वैसे मे कभी कभार स्कॉच ले लेता हूँ.., फिर अगर तुम जहर भी पिलाना चाचो तो वो पीलेंगे मेरी जान..!
मेरी इस हरकत पर वो खिल-खला उठी…, हिलते लंड पर नज़र गढ़ाए हुए बोली – ओह माइ गॉड.., तुम्हारा घोड़ा तो फिरसे हिन-हिनाने
लगा.., ठहर बच्चू अभी देखती हूँ तुझे…!
वो दो ग्लास में स्कॉच और उनमें आइस क्यूब डालकर उसी मन्थर गति से चलती हुई मेरे पास आई.., इस बार उसका अगला हिस्सा मेरे
सामने था.., मे बड़ा कन्फ्यूज़ था कि अपनी नज़र कहाँ रखूं…?
उसके हौले हौले थिरकते गोल-गोल सुडौल खरबूजों पर या फिर केले के तने जैसी चिकनी गोल सुडौल जांघों के बीच उसकी सुंदर चिकनी चूत जो दोनो जांघों के आपसी दबाब के कारण उसकी दरार तो एक बारीक लाइन सी दिख रही थी, वहीं उसकी फाँकें कुच्छ ज़्यादा ही उभर आईं थीं…!
वो बड़ी शोख अदा से चलती हुई पलंग तक पहुँची.., एक पटियाला पेग मुझे पकड़ा कर वो मेरे बगल में आकर बैठ गयी..!
एक हाथ में अपना ग्लास लेकर उसने दूसरे हाथ से मेरा लंड थाम लिया.., और उसे दुलार्ते हुए बोली – अब बोल भेन के लौडे.., क्यों फुदक
रहा है.., पाताल तोड़ चुदाई से तेरा मन नही भरा…? हान्ं....
फिर स्कॉच की एक चुस्की लेकर मेरी तरफ मुखातिब होकर बोली – हां तो मिस्टर. गौरव राजवंशी.., अब बोलिए.., क्या कह रहे थे तुम..? शेर
सिंग के साथ उसके गॅंग में काम करना चाहते हो..?
मेने उसकी कमर से पकड़ कर उसे अपनी गोद में बिठा लिया और उसकी चुचियों को अपने दोनो हाथों में लेकर सहलाने लगा.., उसकी
सुराइदार गर्दन पर एक चुंबन लेकर मेने उससे कहा – हां…, क्या इसमें तुम मेरी कोई मदद कर पाओगि..?
रेशमा ने अपनी गर्दन मोड़ कर मेरी तरफ देखा.., उसकी चंचल आखें मानो मेरे चेहरे का एक्स्रे कर रही हों…, फिर वो मेरे गाल पर एक
दहक्ता हुआ सा चुंबन लेकर बोली – तुमने शायद केवल शेर सिंग के बारे में ही सुना है…,
वो क्या काम करता है..? उसका गॅंग कैसा है.., ये शायद नही मालूम…!
शेर सिंग यहाँ के अड्डे की प्रॉपर्टी का मालिक ज़रूर है लेकिन असल गॅंग लीडर वो नही कोई और है.., वैसे तुमने जो सोचा होगा उतने लायक तो वो भी काफ़ी ही है..!
जो वो बता रही थी उतना तक मुझे भी अनुमान था ही.., लेकिन मेने उसकी बात पर चोन्कते हुए कहा – क्या मतलब..? वो इस गॅंग का असली लीडर नही है तो फिर कॉन है..…?
बातों बातों में मेरा पेग खाली हो चुका था.., लेकिन रेशमा अभी भी हल्के हल्के शिप ले रही थी..,
मेरा खड़ा लंड उसके एक कूल्हे में ठोकर लगा रहा था.., उसने एक ही साँस में अपना पेग भी ख़तम किया, दोनो ग्लास उचक कर साइड
टेबल पर रखे और फिरसे मेरी गोद में बैठते हुए उसने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी गान्ड की दरार में सेट कर लिया…!
आअहह…कितना गरम लॉडा है तुम्हारा.., खूब मोटा ताज़ा भी.. ये कहकर उसने अपने हाथ को मूह से चाट कर अपने थूक को अपनी चूत
पर चुपडा..,
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