RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
रात देर से सोने की वजह से सुबह समय पर मेरी आँख नही खुली.., मुझे ललित ने ही जगाया.., तब तक वो फ्रेश भी हो लिया था..!
मुझे फ्रेश होते होते 9 बज गये.., नीचे लाउन्ज में जाकर हमने नाश्ता किया.., उसके बाद मेने ललित को रूम में जाने के लिए बोला और खुद
उस छोटे से होटेल के छोटे से लॉन में आगया…!
इधर उधर टहलते हुए मेने उस पीछे वाले कॉटेज में जाने का रास्ता तलाश किया लेकिन आस पास वो कहीं दिखाई नही दिया.., शायद कहीं
दूसरी जगह से जाना होता होगा…, इसका मतलब इस होटेल से उसका कोई संबंध नही है…!
होटेल की बाउंड्री के अंदर ही साइड में एक बड़ा सा पेड़ था.., जिसके इर्द-गिर्द काफ़ी चौड़ाई में गोलाकार मिट्टी का एक घेरा सा था जिसपर हरी हरी मखमली घास खड़ी थी…,
मे उस घास के घेरे पर पेड़ की छान्व में बैठा यही सोच रहा था कि अब उस साली
रेशमा से कैसे मुलाकात हो तभी मेरे बगल में मुझे ऐसा आभास हुआ जैसे मेरे पास कोई और भी है…!
मेने ध्यान से अपने बगल में देखा लेकिन कोई दिखा नही.., लेकिन आभास अब भी यही हो रहा था कि कोई तो है जो मेरी आँखों से ओझल है..,
तभी मुझे अपने बेहद नज़दीक संजू की आवाज़ सुनाई दी…, इधर उधर क्या देख रहे हो भैया.. मे आपके पास ही हूँ..,
मेने आवाज़ की दिशा मे देखा लेकिन कोई दिखाई नही दिया तो मेने कहा – कहाँ हो संजू, मुझे तो कहीं दिख नही रहे.., क्या तुम मुझे दिखाई दे सकते हो..?
संजू – हां भैया.. अब मे आपको दिखाई दे सकता हूँ, मुझे मेरी आवश्यक शक्तियाँ मिल गयी हैं.., इतना कहते ही मेरे पास वातावरण से एक सफेद धुआँ का गुबार जैसा इकट्ठा हुआ और देखते ही देखते एक दम एकदम फक सफेद कपड़ों में संजू मेरी आँखों के सामने प्रकट हो गया…!
उसके चेहरे की आभा देखते ही एक बार तो मेरी आँखें चुन्धियाकर बंद हो गयी, फिर कुच्छ देर बाद जब मेने अपनी आँखें खोली तो अब वो
सामान्य दिखाई दे रहा था…!
ललित को कमरे में भेज कर यहाँ अकेले क्या कर रहे हो वकील भैया..?
संजू के इस सवाल पर मे जल्दी ही कोई जबाब नही दे पाया.., फिर कुच्छ सोचकर मेने उससे पुछा – क्या तुम किसी रेशमा को जानते हो..?
संजू – हाँ क्यों..? वो आपको कहाँ मिल गयी..? बड़ी पहुँची हुई चीज़े है साली.., मेने उस तक पहुँचने की बहुत कोशिश की लेकिन साले युसुफ ने पता नही क्यों मुझे उससे दूर ही रखा…!
सुना है शेर सिंग, राठी जैसे गॅंग के प्रभावशाली लोग भी उसकी टाँगों के नीचे पड़े रहते हैं.., वो सिर्फ़ घास डालती है तो केवल सूपर बॉस को जो किसी ने आज तक अपने असली चेहरे के साथ कभी नही देखा…!
वो जब भी अड्डे पर आता है तो किसी खास मौके पर ही, जब सभी लीडर्स की एक साथ मीटिंग होती है या फिर कोई बहुत बड़ी इंटरनॅशनल
लेवेल की डील फाइनल करनी हो तब.., सिर से पैरों तक हर समय काले लबादे में ढका…!
मे – डील-डौल में कैसा लगता है..?
संजू – कभी ठीक से देख नही पाया.., जब भी मिला एक बड़े से हॉल में बहुत ही कम रोशनी में.., हाइट से तो मध्यम ही है.., लेकिन लबादे में डील-डौल भी काफ़ी ही लगा…!
वैसे आपने बताया नही, रेशमा आपको कहाँ मिल गयी..?
मेने संजू को रात वाली सारी घटना विस्तार से कह सुनाई.., उसके चेहरे पर एक मुस्कान आगयि.., और बोला – वाह भैया.., आप वाकाई बहुत पहुचि हुई चीज़ हो..,
मेने बहुत कोशिश की साली पर हाथ सॉफ करने की लेकिन सफल नही हो पाया.., वैसे काम की चीज़ तो है.., बॉस के अलावा और किसी में
हिम्मत नही है उसकी बात को टाल भी सके…!
मे – लेकिन यार प्राब्लम ये हुई कि आज उससे मे कहाँ मिल पाउन्गा ये बताने से पहले ही वो साली लुढ़क गयी.., यहाँ मे यही खोज रहा था
कि उस कॉटेज तक कैसे पहुँचा जाए..?
संजू – वो कोई बड़ी समस्या नही है.., समस्या तो ये होगी जब आप उसके साथ अड्डे पर जाओगे तो वहाँ राठी और उसका लड़का भी होगा.., वो दोनो बाप-बेटे आपको देखते ही पहचान लेंगे, और शुरू होने से पहले ही आपकी राम कहानी ख़तम समझो…!
मे – हां ! ये तो बात है.., ये मेरे ध्यान में क्यों नही आया..? खैर अब तुम ही बताओ.., आगे हमें क्या करना चाहिए..?
संजू – पहले उन दोनो बाप-बेटे को ठिकाने लगाना पड़ेगा उसके बाद आप बिना किसी रुकाबत के रेशमा के मज़े ले सकते हो.., ये बात संजू
ने हँसते हुए कही थी…,
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