RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
रेशमा के जाते ही मेने संजू के सुझाए हुए नाम के कुच्छ लोगों को अपने पास ऑफीस में बुलवाया, ये पाँच लोग थे जो संजू के जीवित रहते उसके भक्त बन चुके थे.
जो कहीं ना कहीं यहाँ पर औरतों और बेसहाय लड़कियों पर होते अत्याचार के खिलाफ सोच रखते थे.., मेने उन पाँचों को तत्काल प्रभाव से
अपनी पावर का इस्तेमाल करके प्रमोट करके अड्डे की एक सूपरवाइज़री टीम बनाकर उसका लीडर घोसित कर दिया…!
मेरे इस फ़ैसले से कुच्छ लोगों ने जिनमें वहीदा के चम्चो की तादात थी उन्होने ऑब्जेक्षन करने की कोशिश की लेकिन उन्हें डरा धमका कर शांत कर दिया गया…!
उन पाँचों को अड्डे में हो रही हर एक गति विधि पर नज़र बनाए रखने का ऑर्डर देकर मे पहले विकी के रूम में पहुँचा..,
वहाँ पर तैनात आदमी को कमरे के बाहर छोड़कर और अंदर से दवाजा बंद करके जब में उसके कमरे में पहुँचा उस समय विकी का
इकलौता हाथ और दोनो पैर पलंग के तीन साइड में रस्सियों से कसे पड़े थे…,
यहाँ तक कि उसका मूह भी टेप से बंद किया हुआ था.., बदन की अच्छी ख़ासी ठुकाइ के दर्द से उसके बंद मूह से ही कराह निकल रही थी…!
उसकी ये दयनीय अवस्था देख कर एक बार तो मुझे उस पर दया आई.., लेकिन उसके कुकर्म याद करते ही मेरे जबड़े कस गये.., अपने मनोभावों पर कंट्रोल करते हुए मेने उससे कहा –
और भाई विकी बाबू.., मौज में हो या नही.., और कुच्छ खातिरदारी में कमी रह गयी हो तो बोलो.., वो भी पूरी हो जाएगी…!
पहले तो वो मुझे देख कर आश्चर्य से भर उठा.., कि आख़िर मे इस तरह उसके इस अड्डे पर पहुँचा कैसे.., उपर से अकेला बिंदास उसके
सामने खड़े होकर उसकी इस हालत का मज़ा ले रहा हूँ…!
वो अपनी जगह पर कसमसाते हुए मूह से गून..गून.. करके कुच्छ कहने की कोशिश कर रहा था.., मेने आगे बढ़ कर उसके मूह से टेप खीच दिया…!
वो एक साथ चीखते हुए बोला – हरामजादे वकील खोल मुझे वरना मे तेरा खून पी जाउन्गा…, आने दे बॉस को..
इस साली छिनाल औरत की तो वो हालत कराउंगा.. कि… और…और… तू यहाँ पहुँचा कैसे…?
मे अपने होठों पर मुस्कान बनाए हुए उसके सिर के पास जा खड़ा हुआ.., एक हाथ उसके सिर पर फेर्कर फिर उसी हाथ से उसके लंबे लंबे बाल अपनी मुट्ठी में भींचते हुए बोला…,
विकी बेटा.., तू ये नही जानना चाहेगा कि अब मे यहाँ किस हैसियत से हूँ..?
उसने सिर्फ़ कातर निगाहों से मुझे सवालिया नज़रों से देखा.., मेने आगे कहा – अब एक तरह से मे इस अड्डे का मालिक हूँ.., मेरे एक इशारे पर तुझे तेरे बाप की तरह मौत के घाट उतार दिया जाएगा…!
मेरी बात सुनकर विकी आश्चर्य चकित होकर बोला – तो..क्या..तो..क्या… तुमने मेरे डॅड को मारा है…?
मेने अपनी मुन्डी ना में हिलाते हुए कहा – उउउन्नहु…मेने अकेले ने नही, हम दोनो ने उसे मारा है…!
विकी – तुम दोनो मतलब…?
मेने पलंग के दूसरी तरफ इशारा करके कहा.., देख उधर…मेरे साथ और कॉन है…!
फिर जैसे ही विकी ने अपनी गर्दन दूसरी तरफ घुमाई.., सामने संजू अपनी शोले बरसाती आँखों से मंद मंद मुस्कराता हुआ उसे दिखाई दिया..,
वो तो अच्छा था कि विकी बँधा पड़ा था.., वरना संजू को अपने सामने देखते ही अपनी जगह से उच्छल पड़ता…,
वो अपलक मूह फाडे संजू को देखता ही रह गया.., डर के मारे उसका हलक सूख गया.., बड़ी मुश्किल से अपनी ज़ुबान उठाते हुए बोला – संजू तू…तू जिंदा है…?
संजू भभकते स्वर में बोला – तू मेरी छोड़.., पहले ये तो जान ले कि तेरा बाप मरा कैसे…, तूने देखा नही तो सुना तो होगा ही उसकी हालत के बारे में..
साला पूरी की पूरी स्मिरनॉफ्फ की बॉटल ही खा गया अपनी गान्ड में.., बहुत पोली निकली साली तेरे बाप की गान्ड…!
वैसे तू तो ट्राइ करना नही चाहेगा विकी…? या स्वाद लेना है तो बोल.., अभी एक और है मेरे पास.., ये कहकर संजू ने अपना सीधा हाथ
आगे किया जिसमें सचमुच एक खाली बॉटल थी…!
डर के मारे विकी की घिग्घी बँध गयी.., वो बकरी की तरह मिमियाते हुए बोला –
म.म.मे..मुझे मत मारो संजू… प्लीज़ मेरे साथ ऐसा कुच्छ मत करना… म.म.मे.. मरना नही चाहता…,
संजू ने झटके से उसकी गर्दन दबोच ली.., एक झटके में ही उसे उपर उठा लिया.., एक साथ हाथ पैरों की मजबूत नाइलॉन की रस्सिया भी
तडाक..तडाक करके टूट गयी.. जिनसे उसकी कलाई और दोनो पैर लहू लुहान हो गये…!
एक मर्मान्तक चीख विकी के मूह से निकल पड़ी.., अब वो संजू के एक हाथ में जकड़ा हवा में फड़फडा रहा था…!
मुझे संजू इस समय किसी वहशी दरिंदे जैसा लग रहा था.., हवा में लटका हुआ विकी लगातार चीखे जा रहा था.., उसके हाथ पैरों से खून की
बूँदें टपक टपक कर कमरे के फर्श को लाल कर रही थी…!
संजू के मूह से किसी हिंसक भेड़िए जैसी आवाज़ निकली… विकी हराम के बीज.., जानता है तूने किस पर अपनी गंदी नज़र डाली थी…? वो मेरी भांजी थी कुत्ते...,
वो भांजी जिसकी एक आवाज़ पर पूरा घर उसके पास खड़ा हो जाता है.., और तूने अपने इन गंदे हाथों से उसे छुने की कोशिश की…,
मे तेरे इन हाथों को ही उखाड़ देता हूँ मादर चोद…., ये कहते हुए उसने उसे फर्श पर छोड़ दिया.., और उसके साबुत हाथ वाली कलाई थाम ली…!
मुझे लगा संजू इस समय अपने आपे में नही है.., अगर जल्दी ही उसे रोका नही गया तो ये सच में इसका हाथ उखाड़ फेंकेगा..,
फिलहाल विकी का अड्डे में मारा जाना हमारे लिए ठीक नही था, उसके बाद यहाँ जो बखेड़ा खड़ा होगा उसे संभालना मेरे लिए मुश्किल हो जाएगा…!
मेने झट से संजू के पास जाकर उसके कंधे पर अपना हाथ रखा.., उसने अपनी गुस्से से उबल रही आँखों से मेरी तरफ देखा.., मेने ना में
अपनी गर्दन हिलाते हुए उसे रोका…!
इस दरमियाँ विकी के चेहरे पर मौत की परच्छाई पूरी तरह व्याप्त हो चुकी थी.., डर की अधिकता के कारण उसके गले से भी चीखे अब दबी दबी सी निकल रही थी और पूरा शरीर जुड़ी के मरीज की तरह काँप रहा था…!
मुझे संजू को रोकते देख उसने बड़ी कातर नज़रों से मेरी ओर देखा…,
मेने विकी को धमकाते हुए कहा – अगर तू जिंदा रहना चाहता है विकी तो मेरी बात ध्यान से सुन.., ये तो तुझे पता चल ही गया होगा कि हम लोग क्या कर सकते हैं..,
अब अगर अपनी जिंदगी चाहता है तो मेरी या संजू की हक़ीकत किसी और को नही बताएगा… वरना…???
मेने जानबूझकर अपना वाक्य अधूरा छोड़ दिया.., विकी गिडगिडाते हुए बोला…, म.मे..मे कसम खाता हूँ.., आप लोगों की हक़ीकत किसी से नही कहूँगा.., चाहो तो आप लोग मुझे फिर से यहीं बाँध के डाल दो.. लेकिन मुझे जान से मत मारो प्लीज़...,
मेने संजू से कहा – फिलहाल इसे छोड़ दो संजू.., मुझे नही लगता अब ये किसी के सामने कुच्छ भी बोल पाएगा..,
संजू – ये..ये.. आप क्या कह रहे हैं भैया..? आप जानते हैं इस हरामज़ादे ने क्या किया है…..?
मे जानता हूँ संजू.. मेने उसकी बात काटते हुए कहा – आओ मेरे साथ.., ये कहते हुए मेने उसका हाथ थामा और लगभग घसीटता हुआ उसे
उस कमरे से बाहर ले आया…!
मेने विकी को कमरे में आज़ाद ही छोड़ दिया लेकिन बाहर से ताला लगाना नही भूले.., बाहर अपना एक विस्वस्त आदमी तैनात कर हम वहाँ से आगे बढ़ गये…!
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