RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
रास्ते में संजू ने पुछा तो मेने विकी को फिलहाल छोड़ने का कारण उसे समझाया, कि अगर हम आज ही विकी को ठिकाने लगा देते हैं तो ये
सवाल खड़ा हो जाएगा कि मेरे यहाँ आते ही इतनी सारी घटनायें कैसे होने लगी…?
माना कि तुम्हारे ज़रिए उसने ग़लती कर दी है लेकिन इसका मतलब ये तो नही कि में उसे अपने तौर पर मौत की सज़ा दे सकूँ…,
मेरी दलीलों से संजू कुच्छ हद तक संतुष्ट नज़र दिखाई दे रहा था…!
संजू हर पल मेरे साथ था लेकिन अब किसी और को वो नज़र नही आ रहा था..,
वहाँ से हम दोनो सीधे प्रिया के पास जा पहुँचे जो एक छोटी सी कोठरी में क़ैद थी..,
बाहर से दरवाजा बंद था लेकिन वहाँ आस-पास कोई भी नही था.., मेने दरवाजा खोलकर जैसे ही उस कमरे में कदम रखा..,
अंदर की हालत देख कर मेरे पैर वहीं दरवाजे पर ही चिपक कर रह गये.., बहुत देर तक मूह बाए मे कमरे के अंदर का मंज़र देखता ही रह गया…!!!!
बाहर से दरवाजा बंद था लेकिन वहाँ आस-पास कोई भी नही था.., मेने दरवाजा खोलकर जैसे ही उस कमरे में कदम रखा..,
अंदर के हालत देख कर मेरे पैर वहीं दरवाजे पर ही चिपक कर रह गये.., बहुत देर तक मूह बाए मे कमरे के अंदर का मंज़र देखता ही रह गया…!!!!
रात के लगभग 9 बज चुके थे जब हम प्रिया के कमरे में पहुँचे थे…,
इससे पहले मेने प्रिया को कभी नही देखा था.., अंदर एक 16-17 साल की लड़की हड्डियों का ढाँचा बनी बिना बिस्तर के इस 10 बाइ 10’ कमरे के एक कोने में कमरे के फर्श पर निर्जीव सी अवस्था में पड़ी थी..,
उसके पास ही एक क़ैदियों को मिलने वाली अल्यूमिनियम की प्लेट में दो-चार सुखी रोटियों के टुकड़े जिनमें से कुच्छ फर्श पर भी बिखरे पड़े थे…,
उसके शरीर के कपड़े जो शायद हफ्तों पुराने होंगे.., जगह जगह से कोडो की मार से फटे हुए थे जिनसे उसके बदन पर कोडो के नीले निशान भी झाँक कर उसपर ढाए गये जुल्मों की दास्तान आप सुना रहे थे…!
कितनी ही देर तक दरवाजे के बीच खड़ा में उसकी दयनीय अवस्था को देखता ही रह गया.., तभी मेरे बगल से संजू की एक हिचकी सुनाई दी और मेरा ध्यान भंग हुआ…!
मेने पलट कर कमरे का गेट बंद किया और लपक कर प्रिया के पास पहुँचा.., प्रिया की आँखें बंद थी.., जिनके चारों ओर काले घेरो ने कब्जा
जमा लिया था.., वो बेसूध पड़ी थी…, अंदर कॉन आया कॉन गया उसे कोई भान ही नही था…!
देखा भैया…, हरामजादि ने क्या हाल कर दिया है मेरी जान का.., संजू ने बिलखते शब्दों में अपनी वेदना व्यक्त की..,
मेरा ध्यान पूरी तरह से प्रिया पर ही केंद्रित था.., लग ही नही रहा था कि वो जिंदा है भी या नही.., मेने उसकी नब्ज़ टटोल कर देखी जो बहुत ही मंद गति से धड़क रही थी..,
नाक के सामने हाथ ले जाकर साँसों का मुआयना किया.., साँस भी लगभग ना के बराबर ही चल रही थी.., प्रिया को जितनी जल्दी हो सके मेडिकल ट्रीटमेंट की ज़रूरत थी…,
लगातार भूखे रहने से उसके शरीर का ग्लूकोस लेवेल बहुत ही लो लेवेल पर पहुँच चुका था.., और शायद इसलिए उसे अपने शरीर का कोई होश नही था…!
क्या हुआ है मेरी प्रिया को भैया…? ये ठीक तो है ना…? संजू ने मेरे कंधे को हिलाते हुए कहा…,
मेने संजू की बात का बिना कोई जबाब दिए उससे पुछा.., तुम थोड़ा नमक और शुगर मिक्स पानी का इन्तेजाम कर सकते हो अभी के अभी…?
संजू – हां शायद.., एक मिनिट रुकिये मे अभी लाया.., इतना कहकर वो हवा के झोंके के साथ ही कमरे से गायब हो गया और दो मिनिट बाद एक ग्लास भरके नमक चीनी का घोल ले आया…,
इतनी देर में मेने कमरे में रखे पानी के मटके से पानी लेकर प्रिया के चेहरे पर छिड़का लेकिन इससे उसकी बेहोशी नही टूटी…!
मेने फ़ौरन संजू के हाथ से ग्लास लेकर प्रिया के सिर को अपनी गोद में रखा और उसके मूह में जगह बनाकर बूँद बूँद कर के वो जीवन रक्षक घोल उसके पेट में पहुँचाने की कोशिश शुरू कर दी…!
अभी लगभग चौथाई ग्लास ही उसके पेट में पहुँचा होगा कि एक ठन्सके के साथ उसने अपनी आँखें खोल दी…,
एक अंजान चेहरे को अपने सामने देख कर उसके अंदर बैठे डर ने उसे इतनी असहाय अवस्था में भी उठने पर मजबूर कर दिया…, और
मुझसे दूर सरकते हुए बोली –
प्लीज़ मुझे मत मारो.. मुझे छोड़ दो.., मे अपने संजू के अलावा किसी और के साथ नही सो सकती….!
उसके मूह से ये शब्द सुनकर संजू के मूह से एक सिसकी निकल पड़ी.. जो प्रिया ने भी सुनी.., वो आश्चर्य से कमरे में इधर उधर देखने लगी..,
उसने अपने संजू की सिसकी को भी पहचान लिया था.., लेकिन वो उसे कहीं दिखाई नही दे रहा था.., क्योंकि मेने ही उसे ना दिखने के लिए कहा था..,
नही चाहता था कि इस कमजोर हालत में उसे कोई और सदमा पहुँचे.., जिन आखों ने उसे मरते हुए देखा है.., जिसके गम में वो इस हालत में पहुँची है..,
अगर अचानक से उसे देखेगी तो हो सकता है कि उसके कमजोर दिल को कोई और झटका लगे…!
जब उसे वो कहीं नज़र नही आया तो उसने डरी सहमी निगाहों से मेरी तरफ देखा.., मेने अपना हाथ आगे करके उसके सिर पर सांत्वना देने
के लिए बढ़ाया तो वो सिकुड़कर और पीछे होने लगी…!
मेने अपना हाथ वापस खींचते हुए कहा – डरो नही प्रिया.. मे तुम्हें कोई सज़ा देने नही आया.., बल्कि तुम्हें इस नरक से निकालने आया हूँ…!
मेरे मूह से अपना असली नाम सुनकर वो एकदम से चोंक पड़ी.., काँपते स्वर में बोली – आ.आ..आप..आपको मेरा नाम कैसे मालूम.., कॉन हैं आप…?
मेने घोल का ग्लास आगे बढ़ाते हुए कहा – लो डरो नही.., पहले इसे ख़तम करो.., उसके बाद मे सब कुच्छ बता दूँगा…!
उसने डरते हुए मेरे हाथ से वो ग्लास लिया.., और डरते डरते.. हल्के हल्के घूँट भरते हुए उसे खाली कर दिया..,
मेने उसके हाथ से खाली ग्लास लेते हुए कहा – अब कैसा लग रहा है..? कुच्छ जान आई या नही…?
उसने असमंजस में फँसे हुए ही हुम्म.. कहके अपनी गर्दन हां में हिला दी…!
मेने उससे कहा – तुम रूको मे अभी आया.., इतना कहकर मे कमरे से बाहर आया और कुच्छ देर बाद एक दूसरी लड़की को साथ लेकर
कमरे में आया और उस लड़की से कहा…
तुम इसे फ्रेश करवा कर इसके लिए एक ग्लास मौसमी या आपल जूस का इन्तेजाम करो…!
वो लड़की हकलाते हुए बोली – व.व्व..वो..वो.. साब वो वहीदा मेडम ने इसका कुच्छ काम या किसी भी तरह का साथ देने से मना किया है…,
मे – तुम वहीदा मेडम की बात छोड़ो.., तुम क्या चाहती हो..? क्या ये यौंही भूखी प्यासी मार खा-खाकर मर जाए या स्वस्थ होकर तुम्हरे साथ
हँसे बात करे…?
वो लड़की दबी ज़ुबान में बोली – साब मे तो चाहती हूँ ये स्वस्थ रहे.., हमारे जैसे हँसे..बोले.., लेकिन ये भी ज़िद की पक्की है.., उनकी बात
मानती ही नही.., इसलिए तो वो इसे मारती हैं.., भूखा प्यासा रखती हैं…!
मे – क्या बात नही मानती..? कॉन्सा काम करवाना चाहती हैं वहीदा मेडम इससे जिसे ये नही करना चाहती…?
वो – व.वो. वो.. साब वही आदमी को कैसे खुश करना है.., उसके साथ..संबंध बनाना.., मर्द जैसे चाहे हमारे साथ खेलकर अपना मन बहला सके.. जिसके लिए हम लोगों को यहाँ लाया जाता है..,
जब हम लोग ट्रेंड हो जाती हैं इन कामों में तो बाहर देशों में या फिर बड़े बड़े होटेलों में भेजा जाता है…!
आप तो अब यहाँ के नये ओहदेदार बन गये हैं.., क्या आपको नही पता इन सबका..?
उस लड़की की बात सुनकर मे थोड़ा हड़बड़ा गया.., लेकिन जल्दी ही बात संभालते हुए बोला – नही ऐसा नही है.., भला मुझे कैसे पता नही होगा..,
लेकिन मेरा काम करने का तरीक़ा थोड़ा सा अलग है…, मे थोड़ा प्यार से समझा बुझा कर काम निकालने में विश्वास रखता हूँ.., ऐसे किसी को प्रताड़ित करके नही..!
अब और देर मत करो.., जो कहा है वो करो.., इट्स माइ ऑर्डर..ओके.., और जब ये फ्रेश होकर जूस पीले तो इसे मेरे कमरे में ले आना..,
इतना कहकर मे उस कमरे से निकल गया…!
प्रिया के पास से मे सीधा अपने कमरे में आया.., जहाँ मेरे लिए रखे गये स्पेशल नौकरों ने अच्छे खाने पीने का इंतज़ाम तैयार करके रखा हुआ था.., और वो मेरे आने का ही इंतेजार कर रहे थे…!
पूरे दिन की भाग दौड़ के बाद शरीर कुच्छ चिप-चिपा सा रहा था.., तो सबसे पहले मेने बाथ लिया.., फ्रेश कपड़े पहने और फिर ड्रॉयिंग रूम
में आकर वहाँ रखे एलेक्ट्रॉनिक सिस्टम का जायज़ा लेता रहा…!
अरदली ने आकर खाना लगाने के लिए कहा तो मेने थोड़ी देर और रुकने को कहा.., कुच्छ ही देर में वो लड़की प्रिया को लेकर वहाँ आगयि..,
नहा धोकर अच्छे कपड़े पहन कर जूस पीने के बाद अब उसके चेहरे पर कुच्छ ताज़गी सी नज़र आने लगी थी…,
वो लड़की शायद ये समझ रही थी कि मे प्रिया के साथ प्यार मुहब्बत का नाटक करके उसके साथ रात बिताउन्गा और उसे लाइन पर ले
आउन्गा.., इसलिए वो मेरी तरफ अपना अंगूठा दिखाकर उसे मेरे पास छोड़ कर वापस चली गयी…!
मेने हम दोनो के लिए खाना मँगाया.., वो अब भी थोड़ा हिचक रही थी.., लेकिन मेने उसे विश्वास दिलाते हुए अपने साथ खाने के लिए राज़ी कर लिया…!
खा-पीकर फारिग होकर.., जब हम दोनो ही उस विशालकाय कमरे में अकेले रह गये तब मेने उससे कहा – हां तो प्रिया अब बोलो क्या जानना चाहती हो..????
प्रिया ने अपनी उत्सुकता जताते हुए पुछा – आप हैं कॉन..? और मेरा असली नाम कैसे जानते हैं जिसे यहाँ युसुफ और संजू जी के अलावा और कोई भी नही जानता..,
लेकिन अब वो दोनो ही इस दुनिया में नही हैं.. तो फिर आपको किसने बताया मेरा....?
मे तो ये भी जानता हूँ कि तुम कहाँ की रहने वाली हो और यहाँ तक पहुँची कैसे…? मेने उसकी बात बीच में ही काटते हुए कहा..,
प्रिया आश्चर्य के सागर में गोते लगाते हुए बोली – लेकिन कैसे..? आज से पहले मेने आपको कभी देखा तक नही फिर आपको ये सब किसने बताया…?
मे – पहले ये बताओ.., क्या तुम मेरी बात पर विश्वास करती हो.., भरोसा है मुझ पर..?
प्रिया निराशा भरे स्वर में बोली – इस नरक में रहते रहते अब मुझे अपने आप पर से भरोसा उठता जा रहा है.., पता नही और कितने दिनो
तक मे अपने आपको इन दरिंदों से बचा पाउन्गि…?
काजल कह रही थी कि आप अब यहाँ के नये इंचार्ज हो.., और.. और… आप.. भी… प्रिया बोलते बोलते रुक गयी…,
मे – बोलो मे भी क्या.. ? किस काजल की बात कर रही हो तुम..?
प्रिया – वही जो मुझे यहाँ तक पहुँचा कर गयी है.., कह रही थी.. कि आप मुझे प्यार से रास्ते पर लाना चाहते हो.., अपनी हमदर्दी दिखा कर
मे आप पर विश्वास करने लगूँ और फिर अपनी ज़िद छोड़ कर आपकी हर बात मानने लगूँ..,
मे – तुम्हारा और तुम्हारी उस दोस्त काजल का सोचना ग़लत भी नही है.., क्योंकि यहाँ जिस तरह के कारोबार चल रहे हैं..,
जिनमें एक जिस्म्फरोसी भी शामिल है.., वहाँ के सबसे बड़े अड्डे के सर्वेसर्वा के मूह से निकले सहानुभूति के शब्द भी विश्वास करने लायक नही हो सकते…!
लेकिन क्या तुमने ये सोचा कि जिस बात को युसुफ की बेहन और उसका खाबिंद भी नही जानता यानी कि तुम्हारी असलियत वो मुझे कैसे पता चली…? तो सुनो..
ये बात मुझे तुम्हारे पति.. यानी कि संजू ने खुद बताई है…!
मेरे मूह से संजू का नाम सुनकर प्रिया अपनी जगह से उच्छल पड़ी.., आश्चर्य में डूबी आवाज़ में बोली – क्या..? कब..? वो तो.. वो..तो..अब रहे ही नही.. उन्हें तो…
तभी उस कमरे में संजू की आवाज़ गूंजने लगी.., ये सच कह रहे हैं प्रिया.., इन्हें तुम्हारे बारे में मेने ही कहा है…,
ऐसा लग रहा था मानो ये आवाज़ किसी बहुत गहरे कुए से आ रही हो.., जो धीरे धीरे नज़दीक आती गयी…,
प्रिया अपनी जगह से उठ खड़ी हुई और घूम घूम कर कमरे को चारों तरफ देखने लगी..,
साथ ही उसके मूह से काँपते से स्वर निकले… संजू जी…. संजू जी... कहाँ हो आप…? ये आप ही हो ना…?
संजू – हाँ प्रिय ये मे ही हूँ.., ठीक तुम्हारे पास.., तुम्हारे सामने..इसके साथ ही संजू कमरे में प्रकट हो गया..,
उसे देखते ही प्रिया बदहवासी में उससे जाकर लिपट गयी और फुट फूटकर रोने लगी.., आप आ गये.., मे जानती थी.. मुझे यौं अकेला
छोड़कर कभी नही जा सकते..,
वो ये भी भूल गयी.., कि उसका प्यार.., उसकी मुहब्बत ने उसकी आँखों के सामने दम तोड़ा था.., वो यहाँ कैसे मौजूद हो सकता है..,
वो तो बस बेतहासा उससे लिपट कर उसके चेहरे पर अपने सच्चे प्यार की मुहर लगाए जा रही थी…!
उसका प्यार.., उसकी दीवानगी देखकर मेरी आँखें अपने आप भीग गयी…, ग्लेमर की चका-चोंध से भरी इस दुनिया में कोई लड़की अब भी
इस तरह किसी से सच्चा प्यार करती होगी…, ये प्रत्यक्ष मेरे सामने था…!
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